पार्ट -10
by Sonal Johari
Details
Summery
अंकित खुशी से अपनी एड़ी पर घूम गया.. खुशबूदार हल्की ठंडी हवा…नीले पहाड़ मानो किसी ने अभी अभी रंग भरा हो …एक छोटा और खूबसूरत तालाब और उसमें तैरती एक प्यारी सी बत्तख…अंकित खुशी से झूमता हुआ बोला
- Language: Hindi
आज बाहर ही खड़ी थी उसे देखते ही मुस्कुराती हुई सामने आकर खड़ी हो गयी. बोली..
“तुम इस वक़्त “?
अंकित ने खुशी से चमकती हुई उसकी आंखे देखी ,तो बड़ा खुश हो गया
“हम्म,तुमसे मिलने का बहुत मन था”
“अच्छा…सच “?
“हम्म… चलो कहीं बाहर चलते हैं “उसने अनामिका का हाथ पकड़ते हुए कहा
“बाहर “?
“हाँ बाहर …किसी खूबसूरत जगह …चलो ना”
“खूबसूरत जगह …कैसी “
“खूबसूरत …उम्म …जहाँ प्यारी हवा हो…दूर दूर तक कोई ना हो,तुम हो और मैं …बस्स .
..और वहाँ से ये खूबसूरत पहाड़ियां और खूबसूरत दिखे …”
“अच्छा”
“हाँ …घंटों वही बैठेंगे हम…फिर शाम को खाना और बापस …या फिर …बापस जाना भी क्यों …हम्म”
उसने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा
“जहाँ मैं ले चलूँ,वहां चलोगे “?
“तुम तो कहीं भी ले चलो ..मना कर दूँ तो कहना…इस दुनिया तो क्या ..इस दुनियां के पार भी तुम्हारे साथ चलूँगा”
“अच्छा”?
“हाँ”
“फिलहाल तो इसी दुनिया मे आओ” और अनामिका,अंकित का हाथ पकड़कर उसे बंगले के पीछे ले जाने लगी …जैसे ही बंगले के पीछे गए दोनो…अंकित खुशी से अपनी एड़ी पर घूम गया.. खुशबूदार हल्की ठंडी हवा…नीले पहाड़ मानो किसी ने अभी अभी रंग भरा हो …एक छोटा और खूबसूरत तालाब और उसमें तैरती एक प्यारी सी बत्तख…अंकित खुशी से झूमता हुआ बोला
“इतनी खूबसूरत जगह यहां होगी ..मैंने सोचा भी ना था “
अनामिका वहीं खड़ी होकर अंकित को ऐसे खुश होते देख रही थी और हँस रही थी
“अनामिका ये जगह तो कमाल है ” वो दोनों हाथ हवा में फैलाये आसमान की ओर देख रहा था
“यहां आओ ना …मेरे पास बैठो “अनामिका बोली तो अंकित भागता हुआ उसके पास आकर बैठ गया …
“सच कहूँ… बड़ी बेसब्री से तुम्हारे पेरेंट्स का इंतजार कर रहा हूँ…वो जल्दी से आये और मैं उनसे हमारी शादी की बात करूं”अंकित अपना सिर अनामिका की गोद में रखते हुए बोला
“शादी इतनी जल्दी क्यों… ये वक़्त लौट कर नहीं आएगा …इसका अपना मज़ा है…नहीं है क्या”?
“हम्म ..तुम भी ठीक कहती हो… तुम्हें खुश रख पाऊँ .और तुम्हारे पेरेंट्स भी खुश हों मुझसे मिलकर…इसलिए तरक्की करना भी जरूरी है”
अनामिका ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया ,,तो अंकित उसे अपनी चोट दिखाते हुए बोला
“देखो कितनी चोट लगी आज मुझे” अनामिका ने उसके घुटने को देखने के लिए हाथ बढ़ाया ..अभी उसका हाथ. दूर ही था…कि अंकित के मुंह से निकला
“अहह …बहुत दर्द है”
अनामिका ने उसके कंधे पर हाथ मारते हुए कहा
“बड़े ड्रामेबाज हो तुम…चलो खाना खाते हैं”
“तुम में बहुत खूबियां हैं …तुम खाना भी बहुत अच्छा बनाती हो”अंकित ने तारीफ की तो अनामिका मुस्कुरा भर दी..बातें करते करते शाम हो गयी ..अंकित ने अनामिका की चिंता करते हुए रुकना चाहा… तो अनामिका ने उसे मना कर दिया और वो अपने घर की ओर चल दिया………
अभी बस्स सड़क पर आ ही पाया था कि थोड़ी दूर से ही उसे रुचिता की गाड़ी दिखी …रुचिता ने उसे देखा तो गाड़ी उसी ओर मोड़ दी …साथ मे नीरू भी थी …जो उसे देख गाड़ी से नीचे उतर, उसके पास आ गयी थी …बोली
“रुचिका ने बताया आपको चोट लगी है …कैसे हो अब “?
“बस्स जरा सी चोट लगी है…ठीक हूँ.. आप लोग तो बेकार में परेशान हैं मेरे लिए”
“आप यहाँ? वो भी.इस रोड पर …क्या कर रहे हैं”
रुचिका ने गाड़ी में बैठे बैठे ही पूछा
“क्यों इस रोड पर क्या प्रॉब्लम है “अंकित ने पूछा
“अरे …आपको नहीं पता “
“क्या…”?
“इस रोड के अंदर …” @@@ एक बड़ी तेज़ “पी पी “ की आवाज ने कान और सिर को भेंद दिया …वो फिर भी अपनी आवाज को तेज करके बोल रही थी ..लेकिन अंकित को कुछ सुनाई नही दे रहा था…उसने अपने दोनों हाथ कान पर रखे और डमरू की तरह उन्हें रुचिका के सामने ये जताते हुए हिला दिया कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा…”पी पी “करती हॉर्न की आवाज और नजदीक आ गयी थी… तीनो ने एक साथ अपने कानों पर हाथ रखकर रोड की तरफ देखा तो इससे पहले कोई कुछ समझ पाता..उस ट्रक ने पूरी स्पीड से रुचिका की कार में टक्कर दे मारी …एक जोरदार ` धड़ाक` की आवाज के साथ रुचिका की गाड़ी हवा में उछल गयी और हवा में ही पलटते हुए दूर सड़क पर जा गिरी..
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“रु…….चि…….का ” चीखती हुई नीरू रुचिका की कार की ओर भागी …और अंकित उस ट्रक की ओर ..कि नीरू ने अंकित को बुलाने के लिए जोर से चीखते हुए उसे आवाज दी
“अंकि…त …जल्दी …जल्दी ” और अंकित रुचिका की कार की तरफ पूरी ताकत से दौड़ गया…