पार्ट - 11
by Sonal Johari
Summery
अब ये देखिये जरा (नवीन अभिनय करता हुआ बोला) बता कलुआ ,स्साले तूने चोरी की क्यों …कितना सूट करता है ना ” नवीन ने अपनी बात खत्म करने के साथ जो स्माइल दी ,तो राव सर बुरी तरह खीज़ गए
- Language: Hindi
अंकित पास पहुंच तो देखा…रुचिका की कार उल्टी पड़ी थी सड़क पर .. उसके पहिये अब भी घूम रहे थे…रुचिका की आंखे बंद थी और उसका सिर स्टेरिंग पर था…आगे बढ़ा ही था,कि नीरू ने उसे रोकते हुए कहा”अंकित हमें पुलिस को कॉल करनी चाहिए …ये पुलिस केस है “
“क्या बकवास कर रही हो…जब तक पुलिस आएगी ,इसके जीवित रहने की उम्मीद खत्म हो जाएगी”
“हम बेकार में पुलिस केस में फंस सकते हैं ” डर और घबराहट में उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे
“तुम डरो मत …बस्स बाहर रोड से किसी टैक्सी को रोको …जा… ओ “अंकित ने चीखते हुए कहा और रुचिका को कार से निकालने की कोशिश करने लगा ..थोड़ी देर स्तब्ध खड़ी रही नीरू ….फिर जैसे चेतना आयी हो, …अंकित की मदद करने लगी … मिनटों की कड़ी मशक्कत के बाद रुचिका को कार से निकाल पाया दोनों ने ,रुचिका के हाथ और पैरों से खून बह रहा था …जहाँ नीरू ने उसका सिर पकड़ा, वही अंकित ने उसे पैरों से पकड़ा और …सड़क तक लाये, टैक्सी लेकर हॉस्पिटल पहुंचे …डॉक्टर ने देखते ही आई. सी .यू. में भर्ती कर लिया
नीरू ने ,राब सर और रुचिका के पेरेंट्स को फ़ोन कर दिया..कुछ मिनट ही बीते होंगे कि रुचिका के पेरेंट्स हॉस्पिटल आ गए
अधीर और दुख में डूबी रुचिका की मां को अंकित ने आगे बढ़के संभाला…
“हाँ सुधीर …हम पहुंच गए हॉस्पिटल …हाँ …हाँ करता हूँ तुम्हे फ़ोन”
फ़ोन पर बात करते हुए रुचिका के पापा पहुंचे..सुधीर का नाम सुन ,अंकित ने प्रश्नवाचक निग़ाह से नीरू की ओर देखा तो वो दबती हुई आवाज में बोली
“सुधीर …रुचिका का भाई “
“क्या हुआ मेरी बेटी को? कहाँ है वो..कितनी चोट लगी है?
फिर अंकित का हाथ पकड़कर “आप ही लेकर आये उसे यहाँ …बताइये क्या हुआ था” रुचिका के पिता ने आँसू भरी आंखों के साथ अंकित से पूछा
“अं…. कि… त..”.राव सर ,संपत लाल के साथ आ गए थे
“क्या हुआ?…रुचिका कैसी है?…हुआ कैसे ये सब .”? राव सर ने एक सांस में इतने सवाल पूछ डाले
“सर..मुझे आज सुबह थोड़ी सी चोट लगी थी . तो ..”
अंकित ने कहना शुरू ही किया कि
“मुझे सिर्फ ये जानना है,रुचिका का एक्सीडेंट कैसे हुआ” ?राव सर ने अंकित को बीच में टोकते हुए रोक दिया
“नीरू और रुचिका ऑफिस से बापस आते वक्त मेरा हालचाल लेने को रास्ते मे रुक गए, हम बात ही कर रहे थे कि तेज़ ट्रक ने रुचिका की कार में तेज टक्कर मार दी …और हम उसे हॉस्पिटल ले आये…वो आई.सी.यू. में है”
जहाँ ये घटना सुन रुचिका की माँ और तेज़ रोने लगी, वही उसके पिता निढाल से सिर पर हाथ रख कुर्सी पर बैठ गए
“नीरू …तुम ठीक हो ?” राब सर ने नीरू से पूछा
“अंकित की चोट देखने मैं कार से बाहर निकल गयी थी …इसलिए मुझे कोई चोट नहीं आयी” नीरू ने जवाब दिया
“हम्म….”
इतने में इंस्पेक्टर नवीन आ गए और केस का व्यौरा जानना चाहा तो राव सर ने उन्हें ,अंकित से सुनी हुई बात बता दी …पूरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर नवीन के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गयी
“ये स्साले… ट्रक वाले भी टिका कर चलते हैं”
“टिका कर …मतलब”? राव सर ने अपनी तीन उंगलियों को माथे पर रगड़ते हुए पूछा
“हा हा हा… टिकाकर मतलब…शराब पीकर ” नवीन ने अपने हाथ का अंगूठा होंठो पर लगाते हुए कहा
“मैं आपसे पूछता हूँ,कि क्या आप बिना गाली बात नही कर सकते “? राव सर ने चिढ़ते हुए पूछा
“सर …आप जैसे कुछ इक्के दुक्के लोगों को छोड़ दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो हम पुलिस वालों को गालियां ना देता हो…फिर हमें सोलह घंटे तो कभी -कभी तो चौबीस घंटे काम करना पड़ता है…अपराधियो से ही वास्ता पड़ता है हमारा”..
राव सर:–“हम्म…हम्म”
इंस्पेक्टर नवीन;-“-और फिर सोच कर देखिये ,अगर मैं किसी अपराधी से पूंछू “बताइये ,भाई कलुआ,आपने चोरी क्यों की”…तो क्या लगता है आपको…कलुआ जवाब देगा ?
और सूट भी तो नहीं करता …अब ये देखिये जरा (नवीन अभिनय करता हुआ बोला) बता कलुआ ,स्साले तूने चोरी की क्यों …कितना सूट करता है ना ” नवीन ने अपनी बात खत्म करने के साथ जो स्माइल दी ,तो राव सर बुरी तरह खीज़ गए और ये बोलते हुए कि
“गलती हो गयी मुझसे …क्यों पूछा मैंने आपसे ” वहाँ से हट कर दूर बैठ गए…
इंस्पेक्टर नवीन:- लो बोलो… ये क्या बात हुई…जब जवाब सुनने का धैर्य नहीं, तो सवाल पूछते क्यों हैं लोग? ….फिर बुदबुदाते हुए, ‘कभी कभी तो मुझे इस साले बुड्ढे पर शक होता है..ऊपर से सामान्य दिखने वाला ये बुड्ढा. कहीं अंदर से रंगीन मिज़ाज़ तो नहीं …हम्म …पता लगाना पड़ेगा” फिर अंकित की तरफ देखते हुए
“और मिस्टर कृष्ण कन्हैया….(फिर एक तिरछी नजर नीरू पर डालते हुए) तो हुआ क्या था…
अंकित ने सारी घटना सुनाते हुए कहा कि
“आप कम से कम महिलाओं का सम्मान तो कर ही सकते हैं …या वो भी नहीं”
“मुझे मत सिखाओ…वैसे तुमने ,जरूर ट्रक का नंबर नोट किया होगा…क्या नम्बर था”?
“नहीं …मैं नोट नहीं कर पाया नंबर ” ,अंकित ने नजर नीचे किये ही जवाब दिया
“क्या बकवास करते हो, में कैसे यकीन करूँ इस बात पर,बच्चा -बच्चा जानता है कि एक्सीडेंट की हालत में गाड़ी का नम्बर सबसे पहले नोट किया जाता है,….
“जानता हूँ..इस्पेक्टर …लेकिन उस वक़्त मुझे कुछ समझ ही ना आया …सिवाय रुचिका को बचाने के”अपनी गलती मानते हुए अंकित बोला
“नम्बर नोट नहीं किया…या बताना नहीं चाहते ” इंस्पेक्टर नवीन ने उसे घूरते हुए कहा
“आप कहना क्या चाहते हैं “? अंकित ने गुस्से में कहा
“बस्स इतना कि …मुझे चलाने की कोशिश भी मत करना ” इंस्पेक्टर नवीन ने दांत भींचते हुए.. अपनी उंगली को अंकित की आंखों के बिल्कुल पास लाते हुए कहा.
“साइलेंस प्लीज़…पेसेंट इस आउट ऑफ डेंजर नाउ ..बट.” डॉक्टर ने कहा तो सबके चेहरे पर एक साथ राहत और खुशी आ गयी,तभी इंस्पेक्टर सबसे आगे आते हुए …”क्या पेशेन्ट को होश आ गया है…क्या वो बयान देने के हालत में हैं “?
“जी नहीं…उन्हें होश नहीं आया… वही कहने जा रहा था…पेशेंट ने मौत से जंग जीती है अभी, ..लेकिन इसके सिवाय, अभी हम कुछ नहीं बोल सकते ..हम कुछ टेस्ट और रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ कह पाएंगे..तब तक आप लोग धैर्य बनाये रखिये ..एक्सक्यूज़ मी ..”
इतना बोल डॉक्टर बापस अंदर चले गए और रुचिका की माँ साड़ी के पल्लू को मुंह पर रख कर रोने लगीं..
“मेरी शक की लिस्ट में तेरा नाम सबसे ऊपर है..जल्द ही मिलूँगा तुझसे”…इंस्पेक्टर नवीन ने अंकित से गुस्से से कहा और वहाँ से…चला गया
“बहिन जी,भाई साहब …धैर्य रखिये …सब ठीक हो जाएगा ..मैं हर तरह से आप लोगों की मदद को तैयार हूँ…रुचिका के इलाज में जितना पैसा लगेगा …कम्पनी देगी”
राव सर ने रुचिका की मां से कहा, और अंकित के पास आकर बोले
“अंकित …कल कितनी मीटिंग्स हैं”
“जी चार हैं सर”
“ठीक है तुम चारों मीटिंग अटेंड करोगे कल …में नहीं आ पाऊंगा …और हाँ ..तुम दोनों ध्यान से सुनो, रुचिका एक्ससिडेंट के बारे में ऑफिस में किसी को कुछ पता नहीं लगना चाहिए…नीरू, तुम आराम से लंच के बाद आ जाना ऑफिस” नीरू ने स्वीकृति में सिर हिलाया
“सर …मैं कैसे ….मीटिंग्स”? अंकित ने अचकचाते हुए कहा तो, राव सर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले
“ऐसे मौको पर ही अपनी काबलियत दिखानी होती है…मुझे भरोसा है तुम पर ….चलो संपत ” और राव सर संपत के साथ चले गए..