पार्ट - 14
by Sonal Johari
Summery
वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे ..
- Language: Hindi
अनामिका ने उसका मन रखने को थोड़े से सामान की लिस्ट दे दी थी… लेकिन अंकित तीन चार महीने का राशन उठा लाया …आज पहले से दरवाजा खुला था …सोफे पर उसकी कुछ किताबें रखी थी …अंकित के मन मे आया ‘कहीं ऐसा तो नहीं कि आजकल ये लड़की पढ़ाई करती ही ना हो उसके प्यार में पड़…नहीं …नहीं ये तो बहुत गलत हो जाएगा…
वो आती दिखी …अपने बालों को मोड़ जूड़ा बनाती हुई ..अंकित ने उसे रोक दिया
“खुले रहने दो ना …वो मुस्कुराई और बालों को छोड़ दिया …गोल गोल घूमते हुए वे खुले और बिखर गए …उसने उन्हें हल्के से पीछे की ओर धकेल दिया …और कुछ बाल मनमानी सी करते हुए उसके चेहरे पर आ गए … अंकित के चेहरे पर मुस्कान आ गयी
“आज खुश दिख रहे हो” उसने पूछा
“हम्म …एक नया लड़का आया है सूरज , बहुत मजाकिया है …
“तुमसे जरा सा सामान मंगाया था,पूरा मार्केट उठा लाये तुम तो”
“मेरा वश चले दुनिया तुम्हारे कदमों रख दूँ…. अभी देखी ही कहाँ है तुमने चाहत मेरी “
“ओह्ह ….हा हा हा बस्स भी करो ” वो हँसने लगी और कॉफी ले आयी … कॉफी में चीनी डालने लगी”
अंकित उसे रोकते हुए…”अरे …अरे बस्स आधा चम्मच …कम चीनी लेता हूँ अब….
सुनो…तुमने पढ़ाई बन्द कर दी क्या ? “कॉफी सिप करते हुए अंकित ने पूछा
“नहीं तो …मुझे याद है गोल्ड मेडल चाहिये मुझे “
“बहुत अच्छे …में तो घबरा ही गया था…मैं चाहता हूँ ..तुम किसी रिसर्च वर्क से जुडो ताकि लोग भी जाने मेरी आनामिका कितनी होशियार है..मैं पैसे कमाऊंगा तुम नाम कमाना “.और अनामिका के हाँ में सिर हिलाते ही ….चलो तुम्हारी टेरेस पर चलें” कहते हुए वो सीढ़िया चढ़ने लगा…मौसम बहुत सुहावना था…अंधेरा होने लगा था …उसके बाल उड़ उड़ कर अंकित को छू रहे थे …उसे हल्की गुदगुदी का एहसास हो रहा था बोला “जानती हो …जब तुम पहली बार मिली थी …ये मुझे ऐसे ही छू रहे थे…पहली नज़र बालों पर ही गयी थी तुम्हारे…इनका खास
ख्याल रखा करो …बहुत खूबसूरत हैं और मुझे बहुत पसंद भी हैं” वो मुस्कुरा दी और अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया
“हमेशा मुझसे पूछती हो …कितना प्यार करते हो…अनामिका …तुम कितना करती हो “?
“बेहद …” उसने आंखे बंद किये ही जवाब दिया
“हे …तुम सूरज से मिलोगी ..चलो ना अनामिका ..तुम्हे उससे मिलकर बहुत अच्छा लगेगा “
“..पता नहीं कौन कैसा हो …मैं नहीं मिल सकती किसी से “
“क्यों भला ..मैं हूँ फिर तुम्हें सोचने की क्या जरूरत”?
“तुम क्यों नहीं समझते “वो चिढ़ती सी बोली …दोनों थोड़ी देर चुप रहे …
“मैं बताता हूँ ना, कि कैसे समझाना है मुझे…. ये जो तुम्हारे सामने पड़ा है …क्या है ये “? अंकित ने कहा
“ये ?( उसने हाथ मे उठाते हुए पूछा )
अंकित :-“हम्म ये”
अनामिका:-“पत्थर है”
अंकित:- “भारी होगा?
अनामिका:- “हूँ… है तो
अंकित:–‘इसे उठाओ और मेरे सिर पर दे मारो ‘
अनामिका:–“ये क्या …तुम भी ? उसने आँखे दिखाते हुए कहा
अंकित:– “क्या मैं भी ?..जब समझ मे कुछ आता नहीं तो ये सिर किस काम का… बोलो ..ऐसे ही समझाना पड़ेगा ना”
अनामिका:– हा हा हा तुम भी ….
अंकित:-“ बताओ ना क्या करुँ
अनामिका:-“”हा हा ओह्ह ..कितनी प्यारी बातें करते हो तुम ….मन करता है तुम्हे ले जाऊँ कहीं दूर सबसे
अंकित :–“ये तुम्हे प्यारी बाते लग रही हैं?(बनावटी गुस्से से) हद्द है ..हुम्म तुम ले जाओगी मुझे..मुझे ? बिना दिमाग वाले अंकित को “?
वो बेतहाशा हँस रही थी ..हँसते हँसते उसने अपना सिर फिर उसके कंधे पर रख दिया ….अंकित भी थोड़ी देर बाद हँसने लगा ..हल्की ठंडी हवा से उसके बाल उड़ उड़ कर अंकित को छूने लगे….
***
राव सर ने इंस्पेक्टर नवीन को देर शाम अपने ऑफिस में बुला लिया था.. वो सादा ड्रेस में राव सर के सामने बैठा था …और राव सर का मंगाया नॉनवेज डिनर जो कि सिर्फ नवीन के लिए था…उसे बड़े चाव से खा रहा था …
“पुलिस की मदद करनी चाहिए जैसा कि लोग कहते हैं” राव सर ने कहा
चिकन के लेग पीस को दांतों से दवाते हुए नवीन के मुँह से “हम्म” निकला
“नवीन…पता है तुम्हें … एक दूर की रिश्तेदारी में तुम मेरे भतीजे भी लगते हो ”
राव सर बहुत मीठे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे
नवीन :–“हम्म”
राव सर :-“तो अंकित के पीछे क्यों समय बर्वाद करते हो…इस केस को दूसरे एंगल से क्यों नही देखते …
नवीन :-“अंकित कहता है …ट्रक का नंबर नोट नही किया उसने…आपको लगता है ऐसा हो सकता है “? उँगलियों पर लगे चावलों को जीभ से चाटते हुए बोला
राव सर:–“वो कर सकता है ऐसा… बल्कि तुम भी होते तो ऐसा ही करते …पुलिस के नजरिये से ना देख कर सामान्य इंसान की तरह सोचो …तो लगेगा …स्वाभाविक है..समय रहते वो, उसे ना बचाता तो मर जाती रुचिका, ….समय ही खराब करना है अंकित पर शक करके ”
राव सर ने बड़े विश्वास से कहा
“आप उसे बचाने में इतना जोर क्यों लगा रहे हैं ” नवीन ने चिकन करी में मिले चावलों का गोला सा बना मुंह मे रखते हुए कहा
राव सर:–“क्योंकि पिछले पैंतीस सालों के अनुभव है मुझे ,इंसान को पहचानने का,जानता हूँ वो बेक़सूर है …तुम दोंनो ही …जरूरी हो मेरे लिए… अंकित से ध्यान हटेगा तुम्हारा ,तब तो असली गुनाहगार सामने आएगा …और अंकित मेरे ऑफिस के लिए बहुत जरूरी है ….जहां तक मुझे यकीन है… तुम भी जानते हो,कि अंकित बेबकुफ़ भले ही है ,लेकिन है.. बेक़सूर “
नवीन :–“हम्म ” बीयर की बोतल उठा नवीन ने मुँह में उड़ेल ली
राव सर:–“एक लड़की की जान बचाने का ये सिला मिलना चाहिए उसे ?”
नवीन:–“हम्म…मुझे भी लगता तो यही है ..कि किसी ट्रक वाले ने ज्यादा नशे में होने के कारण रुचिका की गाड़ी में टक्कर दे मारी …लेकिन फाइल बन्द कैसे करें”?
“ऐसे” राव सर एक छोटा सा बैग उसकी ओर खिसकाते हुए कहा
नवीन ने बैग खोला उसकी आँखे चमक गईं, बैग नोटों की गड्डियों से भरा हुआ था…लगभग पचास – साठ हजार रुपये होंगे…
“इतने काफी होंगे ना ? ” राब सर ने पूछा
नवीन :-“हम्म…अब रिश्तेदार हैं आप.. .तो इतने में चला लूंगा काम “
नवीन ने बीयर बोतल उठाकर ,मुंह से लगाई और एक बार में ही खाली कर के मेज पर धमक दी… रुपयों का बैग उठाया और बाहर निकल गया …
उसके जाते ही राव सर ने तेज़ आवाज में कहा
“बाहर आ जाओ …वो चला गया”
राव सर के केविन के अंदर बने दूसरे केविन से एक हट्टा कट्टा नौजवान बाहर आकर राव सर के सामने बैठ गया ………
और दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा दिए