क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -15

पार्ट -15

by Sonal Johari

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Summery

वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे ..

“आप को नहीं लगता..आपने कुछ महंगा सौदा कर लिया”

उसने मुस्कुराते हुए पूछा

“नहीं …बल्कि सस्ता…अंकित दूर की कौडी साबित होगी. “

बड़े इत्मीनान से राव सर ने पानी का गिलास उठाया और घूंट भरते हुए कहा

“मतलब “उसने भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा

“मतलब ये …उसे मैं जो भी काम सौंपता हूँ ..ना सिर्फ वो उसे बेहतरीन तरीके से करता है , बल्कि एक नई उम्मीद भी लेकर आता है हमेशा ..मेरे काम को वो बहुत अच्छी तरह से बढ़ा सकता है.”

“इतना भरोसा है आपको उस पर ” उसने मुस्कुरा कर कहा

“नहीं… खुद पर…और मत भूलो ..एक अच्छा जौहरी ही सच्चे हीरे की कीमत जानता है…

उन्होंने कुर्सी से उठते हुए कहा …और दोंनो ऑफिस से बाहर निकल गए

***

वो आज बाहर ही थी..पौधे लगा रही थी..बालों को हल्का सा बांधे… ढीले कपड़े पहने..लंबी बाहों वाली ड्रेस कभी हथेलियों तक आ जाती तो दांतो से पकड़ ..उसे ऊपर की ओर खींचती…तो कभी ठीट बाल जो चेहरे पर आ जाते… तो उन्हे सिर झटक पीछे कर देती …मिट्टी में सनी भी कितनी खूबसूरत लग रही है ..वहीं उसके घर की सीढ़ियों पर बैठ वो हथेली पर अपना चेहरा टिका उसे निहारने लगा…

मिट्टी में खाद मिलाकर उठी और थोड़ी दूरी पर रखा हुआ गमला उठाया, शायद भारी वजन के कारण लड़खड़ा गयी ..इससे पहले कि गिरती ,अंकित ने दौडकर उसे और सीमेन्ट के गमलें दोनों को संभाल लिया…अंकित को देख वो खुश हो गयी ..अंकित अपने एक हाथ मे उसे थामे था.. दूसरे में सीमेंट के बने गमले को …कुछ पल यूँ ही एक दूसरे को देख बीत गए …वो चिहुंक कर खुश होते हुए बोली

“तुम कब आये “

अभी बस्स कुछ ही मिनट पहले “

“हाथ नहीं दुख रहे तुम्हारे ” उसने पूछा

“तुम फूलों सी नाजुक और हल्की…सारी जिंदगी ऐसे ही उठाये रख सकता हूँ”

“और इस गमले को भी ” उसने गमले की ओर इशारा करते हुए कहा …तो अंकित ने मुस्कुराते हुए गमले को नीचे रख दिया और बोला

“ओह्ह..जब तुम सामने होती हो ना …मुझे कुछ नहीं दिखता ” और झुककर उसने अनामिका के होठों को चूम लिया ..

“बताया क्यों नहीं …कब से आये थे ? उसने हटते हुए कहा

“बता देता ..तो ये खूबसूरत नजारा कैसे देख पाता “

“खूबसूरत …फिर अपने दोनो हाथ उसे दिखाते हुए “देखो जरा …मिट्टी लगे ये हाथ क्या खूबसूरत हैं इनमें”

“तुम नहीं समझोगी “

“क्यों …ऐसा भी क्या है”?

“कहा ना ….नहीं समझोगी”

“बताओ भी..”

“बस्स यही ..तुम कैसे भी हाल में हो… मुझे सुंदर ही दिखती हो .”

वो अनामिका की आंखों में देखते हुए बोला ..और कुछ पल दोनों एक दूसरे को अपलक ऐसे ही देखते रहे..फिर वो बोली..

“अच्छा रुको…बस्स पांच मिनट में आई ”

और अंदर मुड गयी …अंकित भी उसके पीछे – पीछे अंदर चला गया..

जब तुम ऐसे बोलती हो ना …मुझे बिल्कुल घबराहट नहीं होती” वो सोफे पर बैठते हुए बोला..

“घबराहट होनी भी क्यों चाहिए “? उसने पलटते हुए पूछा

“”इंतज़ार करने के ख्याल से घबराहट होना लाज़िमी है लेकिन,…मुझे तुम्हारा इंतज़ार नहीं करना पड़ता ,जब तुम बोलती हो..पांच मिनट में आई …लेकिन आ तुम चार मिनट में ही जाती हो….बस्स हमेशा ऐसी ही रहना शादी के बाद भी..रहोगी ना”?

वो मुस्कुरा दी तो अंकित ने कहना जारी रखा”मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान हूँ.और जल्द ही एक खुशनसीब पति भी बंनने वाला हूँ…चेंज करने जा रही हो ना ?

अनामिका:-“हम्म”

अंकित:-“मिट्टी लगे ये हाथ .बिखरे बाल …तुम ऐसे भी खूबसूरत लग रही हो ..यकीन करो..मेरी आँखों से देखो”

अनामिका:–ऐसे भी ? (आँखे बड़ी करते हुए ).लड़के कभी खूबसूरती नोटिस करना नहीं भूलते …ना..”? शरारत से मुस्कुराते हुए बोली वो

अंकित:–“कभी नहीं.. कम से कम मैं तो कभी नहीं…. हो सकता है कुछ अपवाद हो…इसीलिए मैं कहूंगा ..की सौ में निन्यानबे परसेंट तुम ठीक कह रही हो.”

बड़े खुश होते हुए बोला और अपने बनाये हुए नोट्स देखने लगा ,अनामिका उसकी ओर बड़ी प्रभावित होकर ..प्यार से कुछ देर अपलक देखती रही..फिर दौडती हुई उसकी ओर आयी …अंकित ने देखा तो उठकर अपनी बाहें खोल दी ..और अनामिका उनमे समां गई … कुछ पल ऐसे ही बीत गए

“तुम ठीक तो हो ..अंकित ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए पूछा तो उसने हाँ में सिर हिलाया…तो अंकित बोला

“चिंता रहती है… मुझे तुम्हारी हमेशा …समझ नहीं आता क्या करूँ”

अनामिका :–“तुम भी …अच्छा रुको ..अभी आयी “

अनामिका बोली और अंदर चली गयी थोड़ी ही देर में बापस आयी तो एक आसमानी कलर की साड़ी पहने हुए…

“बिल्कुल परी लग रही हो…बात क्या है आज”? अंकित ने खुशी से पूंछा

“बात ये है ..आज हम घूमने जा रहे हैं ” 

“सच”?

“हाँ ..हाँ..” उसने बाहर निकलते हुए बोला

“मुझे तो अब तक यकीन नहीं हो रहा” अंकित बोला और उसके पीछे हो लिया…

……

अभी थोड़ी दूर ही निकल पाए होंगे कि सामने सड़क पर सूरज आता दिखा..अंकित ने उसे देखा तो बोला 

“अनामिका वो देखो ..सूरज ..वो जिसकी मैं बात कर रहा था” उसने उंगली का इशारा सूरज की ओर कर उसे बताया

अनामिका:-“हम्म …अच्छा” 

अंकित :-“क्या अच्छा… चलो मिलाता हूँ”

और अनामिका कुछ बोलती… इससे पहले ही अंकित ने  सूरज को आवाज लगा दी और इशारे से पास बुला लिया..सूरज ने अंकित को देखा तो दौड़ा आया

“अरे यार तुम यहाँ कहाँ ?” उसने सिगरेट का कश खींचते हुए कहा

“बस्स ऐसे ही ..अच्छा इनसे मिलो…”कुछ आगे बोल पाता…इससे पहले ही तेज़  हवा का एक बबंडर सा उठा और देखना तो दूर..खड़े रह पाना मुश्किल हो गया तीनो का…

“हे ये क्या हो गया अचानक ” …सूरज ने अपना चेहरा ढकते हुए कहा 

” तूफान आने वाला  है शायद.हमें किनारे चलना चाहिए “

बोलते हुए अंकित ने अनामिका का हाथ पकड़ा और सूरज आगे आगे चलने की  कोशिश करने लगा …कदम तो आगे बढ़ाता लेकिन तेज़ हवा की वजह से बढ़ नही पाते ..हवा  इतनी तेज़ कि आंखे खोलना मुश्किल …और कुछ पलों में ही तेज़ बारिश शुरू हो गयी तीनों आगे बढने लगे..दो चार कदम ही बढ़ा पाए होंगे कि सूरज का पैर फिसला और वो गहरे खड्डे  जा गिरा ..अंकित ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा ..और उसे बाहर की ओर खींचने लगा …लेकिन कोई फायदा नहीं… बादल घिर आने की वजह से अंधेरा भी हो गया था ..अंकित के पैर फ़िसलन की वजह से ठीक से नहीं टिक नहीं पा रहे थे ..और वो सूरज को ऊपर नहीं खींच पा रहा था.. कुछ याद हो आया हो जैसे उसे  बोला, 

“अनामिका तुम तो जिम्नास्टिक हो …इसे बाहर निकालने में मेरी मदद करो ..”

अंकित अपने दोंनो हाथो से पूरी ताकत से उसे खींचने में लगा था. ..अनामिका ने आगे बढ़कर सूरज का एक हाथ पकड़ा ..और दूसरा अंकित ने और जल्दी ही सूरज  खड्डे से बाहर निकल आया ..जमीन पर लेटा वो दर्द से कराहने लगा …उसे ऐसी हालत में देख अनामिका बोली 

“अंकित ..तुम इन्हें इनके घर तक ले जाओ…मैं यहीं से बापस जा रही हूँ”  

कुछ देर की कोशिश के बाद ..एक टैक्सी रोक पायी अंकित ने ..और सूरज को उसमे बिठा दिया

“तुम ऐसे में कहाँ जाओगी चलो साथ चलो ” अंकित ने कहा 

“नहीं …मेरा घर जाना जरूरी है ..अब ” उसने बोला और जाने लगी

“कितनी मुश्किल से हम घूमने निकल पाए थे अनामिका..इतनी बारिश में अकेली मत जाओ …मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ”..उसने उसे रोकते हुए बोला

“कोई बात नही ….पास ही तो है अंकित … ..तुम सूरज को संभालो.”बोलते हुए वो तेज़ी से वहाँ से चली गयी 

अंकित सूरज को डिस्पेंसरी ले गया और वहाँ से ड्रेसिंग कराने  के बाद उसके घर छोड़ आया…थोड़ी देर में बारिश भी बन्द हो गयी थी …

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