Summery
“हम्म” उसने कप में चीनी मिलाते हुए कहा,अंकित की नजर उसकी उंगलियों पर जा पड़ी,कितनी पतली और खूबसूरत हैं..
तभी अंदर से उसे कुछ लोगों के बातचीत करने की आवाज सुनाई दी…शायद दो या तीन लोग आपस मे बात कर रहे हो जैसे,उसे लगा कोई बाहर आने को है शायद,
- Language: Hindi
2.
खूबसूरत झूमर ठीक सिर के ऊपर जगमगा रहा था,डिज़ाइन ऐसी कि जैसे पानी की बूंदे ठीक उसके ऊपर गिरने वाली हों,सफेद कलर से पेंट किया हुआ पूरा बंगला दूधिया रोशनी से नहाया हो जैसे…
“क्या लेना पसंद करेंगे, चाय या कॉफी ?”
अनामिका ने अगर ना टोका होता तो शायद उसी रोशनी में अभी और खोया रहता.
“चाय”…उसने जवाब दिया और वो मुस्कुराते हुए, सामने बनी एक लंबी गैलरी में चली गयी,
खूबसूरत झूमर के नीचे पड़े ,सेविन सीटर सोफे से उसने यूँ ही अंदाज लगाया कि बड़ा परिवार हो शायद ,सोफे के पीछे एक घुमावदार चौड़ी सी सीढिया ऊपर की ओर जाते हुए थीं..ऊपर कुछ बन्द गेट दिखे ..बेड रूम होंगे शायद ,और सीढ़ियों के पीछे एक लंबी सी गैलरी जहां अनामिका गयी है अभी ..तो किचन है वहाँ.. मन ही मन यूँ घर का निरीक्षण करने पर उसने हल्की सी डांट लगा दी खुद को..
“शुगर कितनी लेंगे आप “? अनामिका ने चाय की ट्रे गोल कांच की टेबल पर रखते हुए पूछा
“दो चम्मच” उसे आश्चर्य हुआ कि अनामिका के आने का तनिक भान तक ना हुआ
“दो च… म्मच मतलब टू स्पूनस ..आर यू श्योर? उसने अपनी आंखें बड़ी करते हुए पूछा
“मुझे मीठा बहुत पसंद है” उसे फौरन लगा कि कम बताना चाहिए था
“हम्म” उसने कप में चीनी मिलाते हुए कहा,अंकित की नजर उसकी उंगलियों पर जा पड़ी,कितनी पतली और खूबसूरत हैं..
तभी अंदर से उसे कुछ लोगों के बातचीत करने की आवाज सुनाई दी…शायद दो या तीन लोग आपस मे बात कर रहे हो जैसे,उसे लगा कोई बाहर आने को है शायद, अनामिका के पेरेंट्स हों शायद या कोई भी परिवारीजन ,वो खुद को संभाल के बैठ गया और गेट की तरफ ताकने लगा
“क्या हुआ” अनामिका ने पूछा
“शायद आपके पेरेंट्स या कोई फैमिली मेंबर अ ..वो मुझे लगा” उसने लॉबी की तरफ बने एक गेट की तरफ इशारा करते हुए कहा
“पेरेंट्स…हा हा हा..वो .तो कजिन की शादी में गये हुए हैं ..घर मे तो कोई नहीं सिवाय मेरे” उसने हँसते हुए कहा
“ओह ,लेकिन मुझे कुछ आवाज सी सुनाई दी अभी” अंकित ने अचरज से कहा क्यूँकि उसने साफ आवाज सुनी थी
“आप को ऐसे ही लगा होगा, तो …कल से क्लास स्टार्ट करें”
“जी बिल्कुल..वैसे क्या सबसे ज्यादा मुश्किल लगता है आपको हिस्ट्री में”?अंकित ने कप उठाते हुए पूछा,उसने मन ही मन कहा ,शायद वो आवाजें सुनना मन का वहम ही हो
“जी ..रिलेटिड डेट्स ..कभी लगता है सारी डेट्स याद हो गयी हैं तो कभी ये आपस मे ऐसी मिक्स होती हैं कि मेरा सारा कॉन्फिडेंस ही लूज़ हो जाता है”
“कमाल है,मैंने तो सुना लड़किया डेट्स याद रखने में बहुत एक्सपर्ट होती हैं,यहां तक कि किसी ने कब और कौन सी बात कही सब याद रहता है उन्हें” अंकित ने मुस्कुरा कर कहा, तो अनामिका बोली
“ये सब बेकार की बातें हैं, किसने कहा आपसे?याद रहती हैं तो रहती हैं,और नही, तो नहीं ..इसमे भला लड़के या लड़की होने का क्या कनेक्शन?”
“हम्म..बात तो ठीक है, बिल्कुल सही कहा आपने ,तो ..और क्या प्रॉब्लम होती है हिस्ट्री में”
“राजा या बादशाह तो मुझे याद रहते हैं, लेकिन उनके डायनेस्ट्री से जुड़े छोटे लोग,दूसरी डायनेस्ट्री में मिक्स कर देती हूं मैं अक्सर” बड़े नाटकीय भरे अंदाज में उसने कहा तो अंकित को हँसी आ गई
“और आसान क्या लगता है”?
“बाकी की पूरी हिस्ट्री मुझे याद रहती है”
“ठीक है,पहले हम डायनेस्ट्री पर ही काम करेंगे,ताकि आप बिना वीजा किसी को भी,किसी और की डायनेस्ट्री में ना भेजें”
उसके इस तरह कहने पर अनामिका जोर से हंस दी,तेज़ रोशनी में उसकी हँसी और उसके मोतियों से दांत ,अंकित को बहुत खूबसूरत दिखे
“ठीक ,तो कल से आपकी क्लास स्टार्ट, इसी वक्त, क्या.. यहीं? अंकित ने अटकते हुए पूछा
“यहाँ कोई प्रॉब्लम है आपको”अनामिका बोली
“नहीं ..नहीं.. वो आप अकेली है तो शायद आपको या आपके पेरेंट्स को ऑकवर्ड आई मीन अ ..अ”
“आप ज्यादा सोचते हैं..बेफिक्र रहिये किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं… आप को तो कोई प्रॉब्लम नहीं ना? आप भरोसे के लायक हैं ना”? उसने तनिक शरारत भरे अंदाज़ में मुस्कुराते हुए पूछा
“बिल्कुल.. कैसी बात कर दी आपने,में यकीनन बहुत शरीफ हूँ “
अंकित मन ही मन ये सोचकर डर गया कि, उसे कहीं अनामिका ने खुद को देखते हुए जान तो नहीं लिया…
“आपने फीस नहीं बताई”
“प्लीज़ मुझे शर्मिंदा ना करें,जिस तरह से आपने मुझे सही वक़्त पर बचाया इसका एहसान तो जिंदगी भर ना चुका पाऊँगा, आपकी हरसंभव मदद करके, मुझे खुशी ही होगी”
“फिर भी”
“बाद में देखते हैं” अंकित ने बात लम्बी ना खींचने की वजह से ये बोल दिया,और लगभग दौड़ते हुए घर की ओर भागा जितने समय वो अनामिका के साथ रहा,उसे अपनी परेशानी याद भी न रही,कहीं
आंटी,अंकल जी को ना मना पाई तो उसे कहीं रहने का इंतज़ाम करना होगा,और जेब मे वही अनामिका के दिये हुए हज़ार रुपये और कुछ चिल्लड़ ही पड़े हैं ,हे ईश्वर अंकल जी मान गए हों,अब वो खुद को संयत महसूस कर रहा है,कुछ काम करेगा ..कुछ भी..लेकिन अब खाली बैठ केवल दुख नहीं मनाएगा, ना जाने क्यों आज सा उत्साह खुद में उसने, मां की मौत के बाद पहली बार महसूस किया है…दौडता हुआ अंकित घर के बाहर पहुंच कर रुक गया…कोई सामान बाहर न दिखा उसे,जल्दी से डोर बेल बजाई तो घनश्याम जी ने दरवाजा खोला,चश्मा नाक पर टिकाये वो उसे बड़े गुस्से में दिख रहे थे
“अंकल जी वो… मेरा सामान,अ ..आंटी जी कहाँ हैं”?अंकित ने डरते डरते पूछा
“और कहाँ होंगी,खाना बना रहीं हैं अपने लाडले के लिए” वो खीजते हुए बोले और अंदर चले गए लेकिन जाते हुए जो बड़बड़ाए अंकित ने सुन लिया
‘ना जाने क्या जादू किया है, इस लड़के ने सरोज पर’..इतने में आंटी आ गयी हाथ मे थाली लिए हुए,
“ये ले, खाना खा ले अंकित,तेरा सारा सामान उसी मुस्टंडे से तेरे कमरे में रखा दिया है”
यूँ ही साड़ी के पल्लू से वो अपना मुंह पोछते हुए बोली,अंकित को आज आंटी जी ऐसी लगी जैसे मानो उसकी मां की आत्मा उनमे आ बसी हो…ममता थी आंटी जी को उससे ,ये वो जानता था लेकिन इतनी… ये आज ही पता लगा…वो उन्हें बहुत देर देखता रहा ,
“ये भी तो बता दो कि उस मुस्टंडे को पैसे मैंने अपनी जेब से दिए हैं,जो मैं किराये के साथ बसूलूँगा ” घनश्याम ने जब तेज़ आवाज में भीतर से कहा, तो दोनों को हँसी आ गयी
“हाँ ..हाँ अंकल जी,बस देर लगेगी पर सारा पैसा दूँगा”
अंकित ने ये बोलते हुए, रोटी का एक़ टुकड़ा तोड़ ,बहुत प्यार से आंटी के मुंह मे खिलाया और थाली ले अपने कमरे में दौड़ गया,
…. सामान लगाते लगाते तय किया कि उसे जल्दी से कोई जॉब जॉइन करनी है कैसी भी बस जल्दी से जल्दी …और सामान रख वो मार्केट की तरफ न्यूज़पेपर लेने दौड़ गया…….
एम्प्लॉयमेट न्यूज़ पेपर में से दो जॉब अपने मुताबिक निकालकर अंकित ने अलग रख लिए,और अनामिका के लिए नोट्स बनाते -बनाते सो गया
अगली सुबह जल्दी उठ ,दोनों जगह इंटरव्यू दिए ..पर हुआ कुछ नहीं, इंटरव्यू देकर सीधे ही शाम को अनामिका के घर गया तो दरवाजे पर पैर रखने से पहले ही गेट खुल गया…और सफेद ड्रेस पहने अनामिका सामने ही खड़ी दिखी…बिल्कुल सफेद.. गुलाब जैसी …खूबसूरत
“अरे,अंकित जी..आइये ..आइये…आप बैठिए ,मैं कुछ खाने को ले आती हूँ आपके लिए” उसने चहकते हुए कहा
“अरे ,प्लीज़ आप मेरे लिए परेशान मत होइए” अंकित ने कहा, लेकिन वो अनसुना कर अंदर चली गयी..और जितनी जल्दी गयी उतनी ही जल्दी चाय की ट्रे के साथ बापस भी आ गयी,
“ये लीजिये…यूरोपियन हिस्ट्री के नोट्स, अभी इसे देख भर लीजिये, ताकि कुछ समझ ना आ रहा हो तो अभी क्लियर कर दूँ, मुझे यकीन है आप इसे दो से तीन बार अगर पढ़ लेती हैं तो ये आप को याद हो जाएगा” उसने कुछ पेपर्स अनामिका को थमाते हुए कहा
“यूरोपीयन हिस्ट्री.. सबसे मुश्किल टॉपिक लगा मुझे ,मैंने इसे बाद के लिए रखा था”
उसने मुँह बनाते हुए जवाब दिया
“हम्म,फिर तो ठीक ही जा रहे हैं”
“क्या मतलब”
“मतलब ये कि ,सबसे कठिन सबसे पहले”
“मैंने तो सुना था,सबसे सरल ,सबसे पहले”
“गलत सुना फिर तो आपने” उसने चाय का कप उठाते हुए कहा
“आं…”आंखे बड़ी.. कर वो अंकित की ओर आश्चर्य से मुंह खोले देखने लगी
“हाँ ..ठीक वैसे ही ..जैसे मैंने सुना था ‘कि लड़कियों को डेट्स और टाइम याद रहते हैं और आपने मुझे ठीक किया था…तो …सबसे कठिन ,सबसे पहले ” उसने बिस्किट मुंह मे रखते हुए कहा
“हम्म,ठीक है,ओ .के.” और वो मुस्कुराते हुए नोट्स पढ़ने लगी बिना आवाज,और बिना ओंठ हिलाये,अंकित ने आज पहली बार जाना कि उसकी आंखें काली हैं और नोज की शेप देख उसे अपनी मां की कही बात याद आ गयी
##,”अंकी …जब तेरे लिए कोई लड़की पसंद करूँगी तो उसे ये नथ दूंगी”
उन्होने अपनी लाल और हरे दानों वाली नथ, उसे दिखाते हुए कहा था
“माँ.. अब आजकल की लड़कियां ये नथ पहनना कहाँ पसंद करती हैं “
उसने जैसे मजाक बनाते हुए कहा
“तुझे क्या पता लड़कियों के बारे में..हर लड़की नथ में खूबसूरत दिखती है”
माँ ऐसे बोली जैसे उन्हें हर लड़की के बारे में पता हो और वो उनकी मासूमियत देख उनसे लिपट गया था
….
उसके दिमाग में ऐसे ही कौंध गया ‘तो क्या अनामिका को भी नथ पहनना पसंद होगा’ ?
**आप शरीफ तो हैं ना** अनामिका की कही बात जैसे ही याद आयी वो सारे ख्याल झटक,संभल कर बैठ गया,वो अब तक अपनी निग़ाहें पेपर्स पर टिकाये थी
“मानना पड़ेगा अंकित जी,इट्स जस्ट… अमेजिंग.मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि, दिस टॉपिक कुड बी देट मच ईजी ..आपने इसे एक कहानी के रूप में लिखकर कितना आसान बना दिया है” अपनी आंखें गोल कर वो चहकती हुई बोली…उसे यूँ खुश देखकर अंकित को अच्छा लगा
“तो..मुझे लगता है आज के लिए इतना ही काफी है,बच्चों की तरह एक घण्टे की क्लास का तो कोई मतलब नहीं”
“सही कहा आपने…क्या हुआ,कुछ परेशान से दिख रहे हैं आप”?
“आपसे मेरे हालात छिपे नहीं हैं …आज जॉब के लिए गया दो जगह ..लेकिन कहीं कुछ भी नहीं हुआ”
“शायद मैं आपकी कुछ मदद कर पाऊं” और उसने न्यूज़पेपर का एक छोटा सा टुकड़ा अंकित को थमा दिया,
“ये…क्या है”
“राव इंडस्ट्री का एड्रेस है ये,बताने की जरूरत नहीं कि कितनी बड़ी कम्पनी है ये,इसके मालिक ,एम.एन.राव ..बहुत सज्जन और जमीन से जुड़े इंसान हैं, अगर आप उन्हें इम्प्रेस कर सके,तो जॉब तो मिलेगी ही, साथ ही आपको उनसे बहुत सीखने को भी मिलेगा..एक पर्सनल असिस्टेंट की वेकेंसी है “
“हम्म सुना है मैंने इस कम्पनी के बारे में..लेकिन मैं.. कैसे”
“क्यों…?
“मेरे पास कोई एक्सपीरियंस नहीं”
“मैंने कहा ना,एक बार जाइये तो,उन्हें इस वक़्त असिस्टेंट की बहुत जरूरत है, बस राव सर को इम्प्रेस कर लीजिए ….प्लीज़ मेरे कहने से”
उसने इतने विश्वास और रिक्वेस्ट के साथ कहा तो अंकित को मानना पड़ा
उसने हाँ में सिर हिलाया और तेज़ कदमों से वहाँ से निकल आया”