पार्ट - 9
by Sonal Johari
Summery
सुबह जिम से लौटने के बाद अंकित ऑफिस के लिए तैयार हो हुआ और निकल गया…लेकिन मन में उथल पुथल मची हुई थी ना सही कल लेकिन राव सर को पता लग ही जायेगा और वो मुझे ऑफिस से निकाल देंगे…चाहे लाख अच्छे हो वो लेकिन पक्ष तो उसी मस्कुलर का लेंगे
- Language: Hindi
आज अनामिका के घर का दरवाजा खुला दिखा तो सीधे ही अंदर चला गया और नजर ऊपर गयी तो हल्की चीख निकल गयी उसके मुंह से …झूमर पर अनामिका उल्टी लटकी थी …उसकी चीख सुनी तो नीचे उतर आई ..
“क्या हुआ …चीखे क्यों “?
“तुम.. तुम …ऊपर लटकी हुई थी “
“तो…? इसने चीखने जैसा क्या है…जिम्नास्टिक के लिए कौन सी बड़ी बात है ये, बल्कि यहाँ से तो शुरुआत करते हैं हम ” उसने चिढ़ते हुए कहा
“तुम जिम्नास्टिक भी करती हो “उसने हँसते हुए पूछा
“अभी तुमने जाना ही क्या है ” उसने अंकित के चेहरे पर नजर टिका मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म…बहुत अच्छे” अंकित ने उसका उत्साहवर्धन करने को ताली बजाते हुए कहा
“तुम बैठो …अभी आयी ” बोलते हुए वो अंदर चली गयी ..और जल्दी ही एक ट्रे में कॉफ़ी संग पिज़्ज़ा ले कर लौटी
ट्रे देखते ही अंकित बोला ..”मैं पिज़्ज़ा नहीं खाऊंगा… एक तो खाता नहीं ऊपर से ..रुचिका का मन रखने को खाना पड़ा आज ऑफिस में”
“रुचिका “?
“हाँ …राखी की जगह आयी है…काफी तेज़ और खूबसूरत है..और हां थोड़ी सी फ़्लर्ट भी तुम्हारी तरह ” और जोर से हँस दिया
अंकित का मन :तू जला रहा है उसे
अंकित: मैंने सुना था..जलन, बहुत खूबसूरत फीलिंग है लेकिन तब ही, जब इसे आप अपनी आंखों से देख सको
अंकित का मन : और पॉजिटिव भी हो
अंकित “हाँ …तो मैं कौन सा नेगेटिव कर रहा हूँ
अंकित का मन ” देख …बुरा लग रहा है उसे शायद उसे”
अंकित “ऐसा? …अरे यार
अंकित:- …हे अनामिका …क्या हुआ”
“सोच रही थी “
“क्या”
“तुम्हारे प्यार में शिद्दत तो है ना”?
“शिद्द्त ? तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे दूंगा .”अंकित ने गंभीर होते हुए कहा
“पता है ना …जो कह रहे हो “?
“अच्छी तरह से …जब चाहे आजमा लेना…तुम कहो तो अभी दे दूं अपनी जान “
“नहीं… नहीं “
“अब चलूं” उसने जाने को पूंछा
“हम्म ” हाँ में सिर हिलाते हुए
“क्या हम्म….गले कौन लगेगा “? अंकित अपनी बाहें फैलाते हुए बोला तो अनामिका उसके गले लग गयी
***
सुबह जिम से लौटने के बाद अंकित ऑफिस के लिए तैयार हो हुआ और निकल गया…लेकिन मन में उथल पुथल मची हुई थी ना सही कल लेकिन राव सर को पता लग ही जायेगा और वो मुझे ऑफिस से निकाल देंगे…चाहे लाख अच्छे हो वो लेकिन पक्ष तो उसी मस्कुलर का लेंगे .. क्या पता कौन है ..लगता तो उनका बेटा है ,मुझे जल्दी ही कोई इंतजाम करना होगा अपनी जॉब का,
‘आहह ‘! विचारों में उलझे अंकित को सामने पड़ा पत्थर नहीं दिखा और मुंह के बल गिर पड़ा …और दर्द से कराह उठा…एक ,दो बार उठने की कोशिश की पर नहीं उठ पाया…कि किसी ने उसकी मदद के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया
नजर उठाकर देखा तो रुचिका मुस्कुराती हुई सामने खड़ी थी..
“आप ..”
“जी हां मैं… लाइये हाथ दीजिये…दीजिये”
अंकित ने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ा दिया और रुचिका ने अपनी ताकत लगाते हुए अंकित को उठने में मदद की..और पूछा
“आप ठीक तो हैं”?
“अहह… हाँ ..ठीक हूँ “अंकित ने अपने कपड़े झाड़ते हुए कहा
“मुझे तो नहीं लगता…आपके घुटने से खून बह रहा है..देखिये”
रुचिका ने अंकित के घुटने की ओर इशारा करते हुए कहा
“अररे हाँ… लेकिन बहुत नहीं है.. कोई चिंता की बात नहीं” उसने अपने घुटने पर हाथ रखते हुए कहा
“मुझे लगता है आपको डिस्पेंसरी चलना चाहिये.. चलिये गाड़ी में बैठिए” रुचिका ने आगे बढ़कर अपनी कार का दरवाजा खोल दिया और अंकित को बैठने का इशारा किया
“आप ऑफिस जाइये..मेरी वजह से आप भी लेट हो जाएंगी”
“आप मेरी जगह होते तो, मुझे ऐसे हाल में छोड़ कर चले जाते”? वो ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी
अंकित ने मन मे कहा ..हरगिज नहीं ..इंसानियत भी कोई चीज है
“मुझे लगता है आपको ,..आपका जवाब मिल गया होगा ,बैठिये जल्दी से
और अंकित बगल वाली सीट पर बैठ गया..जैसे ही उसने सीट बेल्ट बांधी रुचिका ने गाड़ी डिस्पेंसरी की ओर मोड़ दी…डिस्पेंसरी पहुंचे अंकित को डॉ ने एक इंजेक्शन लगाया और चोट पर मरहमपट्टी कर दी।
“आप ना होती तो जाने कब तक वही पड़ा रहता मैं”अंकित ने रुचिका को बोला
“ऐसा भी कुछ नहीं कर दिया मैंने… खैर ये बताइये घर जाएंगे या ऑफिस ? रुचिका बोली
“घर का तो कोई मतलब नहीं.. ऑफिस ही चलते हैं” अंकित ने उठते हुए कहा और कार की तरफ मुड़ गया..पीछे पीछे रुचिका भी मुड़ गयी और बोली
“मैं आपसे रिक्वेस्ट करूँगी कि आप आज आराम करें… आराम करेंगे तो जल्दी ठीक हो जाएंगे “
“रुचिका जी,मेरा ऑफिस जाना बहुत जरूरी है …कल कुछ इम्पोर्टेन्ट मीटिंग्स हैं.. जिनकी तैयारी करनी है”
“इसीलिए तो कह रही हूँ, आज आराम कीजिये ताकि कल आराम से मीटिंग कर लें… बाकी आपकी मर्जी ” रुचिका ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा और अंकित को बैठ जाने का इशारा किया..अंकित को रुचिका की बात ठीक लगी,क्यों ना आज का दिन अनामिका के साथ बिताया जाए ..हम्म ये ठीक रहेगा… आज ऑफिस में कोई ऐसा काम भी नहीं जो उसके ना जाने से रह जाये …
“मुझे लगता है आप ठीक कह रही हैं…प्लीज़ राव सर को बता देना आप कि…
“आप फिक्र मत कीजिये मैं उन्हें जरूर बता दूंगी…आप बैठिये मैं आपको घर तक छोड़ देती हूँ”
“नहीं …उसकी जरूरत नहीं, एक दोस्त रहता है यहीं उसी को बुला लूंगा ,आप जाइये”
उसने रुचिका को भेजने के लिए झूठ बोल दिया
“अच्छा …ठीक है ” बोलकर उसने गाड़ी बढ़ा ही पायी थी कि अंकित ने उसे हाथ का इशारा दे रोक दिया…
“रुचिका जी…माफी चाहूंगा…मैंने कभी आपसे ठीक से बात तक नहीं की… वो असल मे राखी की जगह किसी को देखना अच्छा नहीं लग रहा था,लेकिन उसमें किसी का क्या दोष ?…कभी कभी होता है ना,सब पता होता है फिर भी हम बच्चों सी हरकतें करने लगते हैं “
“आप काफी इमोशनल हैं (मुस्कुराते हुए) .मैं आपकी जगह होती तो शायद …कभी बात ही ना कर पाती ,सब आपकी तरह अच्छे नहीं होते ना…अपना ख्याल रखिये. ” और स्टार्ट गाड़ी में एक्सीलेटर बढ़ा ,कार को सड़क पर दौड़ा दिया…अंकित कुछ सेकंड तक रुचिका की गाड़ी को सड़क पर दौड़ते देखता रहा और फिर अनामिका के घर की ओर मुड़ गया…