वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI !

किसी और ने नहीं उसके पिता ने जगाया है उसे मौत की नींद से. . .उसका बदला लेने के लिए नहीं .. किसी और का बदला लेने के लिए!



(कहानी में प्रयुक्त जगह,नाम ,घटनाएं पूरी तरह काल्पनिक जिसका किसी भी वास्तविक घटना से कोई सरोकार नहीं ,(कहानी के सर्वाधिकार सुरक्षित )
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जगह :- बागपुर समय;-रात 10 बजे

एक रेंगलर जीप ..तेज़ स्पीड से सड़क पर दौड़ती जा रही थी ,और साहिल (उम्र-30,गेंहुआ रंग ,गहरी बादामी आँखे,तीखी पतली नाक ,थोड़े चौड़े होंठ और बालों की फिलिक्स स्टाइल,लम्बाई -6 फ़ीट,शिक्षा-एम.बी.ए.) अपने दो दोस्तों के साथ जीप की खुली छत में दोनों हाथ ऊपर किये तेज़ म्यूजिक पर झूम रहा था.. एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में बीयर की कैन,उसके पास ही खड़ा जितेंद्र (उम्र 30,गोरा रंग,औसत नैन नख़्स,घुँघराले बाल ,लम्बाई-5 फ़ीट 11 इंच,शिक्षा-एम.बी.ए.)भी झूमता हुआ उसका साथ दे रहा था उसके हाथ मे भी बीयर कैन थी..और अखिल (उम्र -31,गेंहुआ रंग,लम्बाई -5 फ़ीट 10 इंच,शिक्षा -एम.बी.ए.,तीखी नाक औसत होंठ,औसत काली आंखे,छोटे बाल ) जीप ड्राइव कर रहा था…
अचानक मस्ती में झूमता साहिल तेज़ आवाज़ में बोला” अखिल…क्या यार बैलगाड़ी जैसी स्पीड से चला रहा है..तेज़ कर ना स्पीड “

मुस्कुरा कर अखिल ने एक नजर उन दोनों को देखा, और तेज़ आवाज में कहा”साहिल …पहले ही स्पीड तेज़ है यार “

“नहीं यार …स्पीड तेज़ कर ना” इस बार जितेन्द्र बोला
और अखिल ने जीप की स्पीड और तेज़ कर दी..काफी देर से झूम रहे साहिल और जितेंद्र को देखकर अखिल तेज़ आवाज में बोला “बस्स..यार अब तुम दोंनो में से कोई यहाँ आकर ड्राइव करो..कुछ देर मुझे भी तो एन्जॉय करने दो “

“ओके ,मैं ड्राइव करता हूँ..”साहिल उत्साह में बोला और नीचे ड्राइविंग सीट पर आकर बैठने लगा..तो जितेन्द्र ने उसे टोक दिया …”नहीं यार तू पिये हुए है…जितेंद्र तू ड्राइव कर”

“क्या यार …तू तो ऐसे बोल रहा है,जैसे मैंने शराब पी ली हो ,बीयर ही तो है …चल हट करने दे ड्राइव ” साहिल सीट पर बैठते हुए बोला …अब जितेन्द्र और अखिल खुली जीप में उत्साह से “युहुऊ “की आवाजें निकालते हुए खुश हो रहे थे और साहिल अपनी गहरी बादामी आँखे सामने के शीशे पर गढ़ाये तेज़ स्पीड में ड्राइव कर रहा था..कुछ ही मिनट बीते होंगे ..कि सामने से आ रही किसी आकृति को देखकर साहिल ने जीप की स्पीड धीमी कर दी…देखा वो सड़क के बीचों बीच ही चलती आ रही थी ..

अब दिख लगने लगा था कि कोई लड़की है , “कौन है यार ये पागल.. साइड में क्यों नहीं हो रही ..”वो झल्लाता हुआ बुदबुदाया ..इतना बोल ही पाया था,कि ठीक सामने से एक कार तेज़ स्पीड से निकली,और उसकी फ्रंट लाइट्स की रोशनी से एक पल के लिए साहिल की आंखे चौंधिया गयी…एक जोरदार “धम्म” ….की आवाज के होते ही साहिल ने जोरदार ब्रेक लगाए..और अगले ही पल तीनों दोस्त जीप से नीचे खड़े थे…

उनकी जीप से टक्कर खाई लड़की बेहोश पड़ी थी..मुँह के एक साइड से खून बह रहा था ,उसका..एक हाथ उसके पेट पर रखा था और दूसरा जमीन पर …खुले बाल थोड़े से उसके चेहरे पर और बाकी सड़क पर थे , तीनों के दिमाग मे एक साथ ..पुलिस, माता -पिता की डाँट और चिंता, खुद के हाथों में हथकड़ियां सब दिख गया,


“मना किया था ना मैंने..कि बीयर पीकर गाड़ी मत चला…ये क्या कर दिया तूने”…अखिल गुस्से और डर से साहिल पर चिल्लाते हुए बोल
“मैंने कुछ नहीं किया …ये खुद सामने से आकर टकराई है ..”साहिल गुस्से में बोला

“कौन मानेगा ये …जरा बता तो …बड़ा शौक है ना .. तेज़ स्पीड में गाड़ी चलाने का …नतीजा देख .”.अखिल ने अपना हाथ सिर पर रखते हुए कहा

“बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे पहली बार बीयर पीकर गाड़ी चलाई हो..कितनी ही बार ट्रिप पर भी तेरे साथ जाने कहाँ-कहाँ नहीं गया तब तो तुझे कोई दिक्कत नहीं हुई..और आज जब ये हो गया …तो तू भी …”

“बस्स, ..बस्स करो तुम लोग ,ये लड़ने का वक़्त नहीं है बल्कि ये सोचने का है, कि कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलें” लगभग चीखते हुए जितेंद्र ने साहिल को बीच में रोकते हुए बोला और आगे बढ़कर
“एक मिनट जरा देखने दो …ये जिंदा भी है ..या नहीं”
जितेंद्र ने उसके हाथ की नव्ज़ देखी और बोला …”सुनों …ये लड़की जीवित है,हमें जल्दी से इसे हॉस्पिटल लेकर चलना चाहिए”

“पागल हुआ है क्या…सीधे सीधे आ बैल मुझे मार वाली सलाह दे रहा है तू…पुलिस का लफ़ड़ा हो जाएगा..” साहिल ने अपने सिर के बाल नोंचते हुए कहा

“मुझे लगता है..साहिल ठीक कह रहा है..हमें भाग जाना चाहिए यहाँ से” अखिल ने साहिल की बात का समर्थन किया

“कैसी बात कर रहे हो तुम लोग …ये जिंदा है..छोड़ कर भागे तो ये निश्चित मर जाएगी ” जितेन्द्र आश्चर्य से बोला

“तो मर जाए मेरी बला से…वैसे भी मुझे यकीन है ये …ये …सोसाइट करना चाहती थी…नहीं तो खुद आकर क्यों टकरा जाती ” साहिल ने झुंझलाते हुए बोला ..

“सही कह रहा है साहिल,बहुत हुआ …चलो यहाँ से निकलते हैं ” अखिल ने चीखते हुए कहा और जीप की ओर जाने लगा..कि जितेंद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया..और बोला “तुम लोग जी लोगे …इस अपराध बोध के साथ कि अगर वक़्त रहते बचा लिया होता ,तो एक लड़की नहीं मरती…ठीक है तुम लोग जाओ …मैं इसे ऐसे मरते हुए छोड़ कर नहीं जा सकता”

साहिल ने एक गहरी साँस छोड़ी और दोनों हाथों की उँगलियाँ सिर के बालों में फंसा वो जीप तक गया और जीप का पिछला गेट खोलकर थोड़ा दूर हट कर खड़ा हो गया ….जितेंद्र ने लड़की को उठाया और गाड़ी की पिछ्ली सीट पर आहिस्ता से लिटा दिया..अब अखिल ड्राइव करने लगा..साहिल उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया और जितेंद्र पीछे…

“जीवन हॉस्पिटल ही यहाँ सबसे पास है वहीं चले “अखिल ने पूछा .. इस पर जितेंद्र और साहिल ने एक साथ हामी भर दी…

कुछ मिनट ही बीते, वो लोग हॉस्पिटल पहुँचे…डॉ ने देखा और माथे पर बल डालते हुए बोला


“ये तो एक्सीडेंट का केस लगता है..पहले पुलिस को बुलाओ”
ये सुना तो जितेंद्र पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे आते हुए बोला,
“ये लड़की बहन है मेरी,कोई अपनी बहन का एक्सीडेंट करता है क्या? पुलिस को हम देख लेंगें.. आप पेसेन्ट को देखिए “

शायद रात की वजह से या गुस्से में तीन लडकों को एकसाथ देखकर डॉ ने आगे कुछ नहीं कहा,बस्स एक गहरी सांस लेते हुए ‘हामी ‘ में सिर हिलाया और,कंपाउडर की ओर इशारा किया, वो स्ट्रेचर को आई.सी.यू. में ले गए,और डॉ पीछे पीछे चले गए..

साहिल ने प्रभावित होकर जितेंद्र के कंधे पर हाथ रखा और वहीं पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया..जहाँ अखिल बैठ कर अपनी उंगलियाँ चटकाने लगा..कुछ ही मिनट बाद साहिल के मोबाइल पर कॉल आने लगा …देखा तो नाम फ्लैश हो रहा था “पापा” साहिल के बदन में बेचैनी दौड़ गयी

“जितेंद्र ,अखिल ..यार पापा का कॉल आ रहा है” साहिल ने जब कहा तो उन दोनों के चेहरे पर भी चिंता के भाव आ गए..”हम एकसाथ यहाँ नहीं रुक सकते.. साहिल तुम घर जाओ..हम यहाँ रुक रहे हैं..फ़ोन पर कनेक्ट रहेंगें” अखिल ने कहा
“पक्का” साहिल ने पूछा


“हाँ …पक्का “दोनों ने एक साथ कहा, और साहिल फ़ोन उठाकर ये बोलते हुए कि “रास्ते मे हूँ ..पापा.. आ रहा हूँ” हॉस्पिटल से निकल ग
घर पहुँचकर गाड़ी लगायी,और घर मे जाने के लिए सीढ़ी पर कदम रखा ही था,कि नजर ऊपर की ओर उठी तो देखा..

विक्रांत सिंह (60 -62 साल की उम्र,गेहुँआ रंग,उभरी हुई नाक और मोटे गहरे होंठ, थोड़ा निकला हुआ पेट, काली फ्रेम का चश्मा ,आधे से ज्यादा पके हुए बाल,स्वस्थ और शहर के बड़े ज्यूलर्स में से एक) बिल्कुल मेन गेट पर खड़े सिगरेट पी रहे थे,उसे देख बोले

“इतनी जल्दी क्यों आ गए ,कुछ घण्टे ही बचे हैं सुबह होंने में सीधे सुबह ही आ जाते” उन्होंने उसे घूरते हुए कहा…साहिल इस वक़्त बहस नहीं करना चाहता था, तो फौरन गलती मानते हुए और नजर चुराते हुए “सॉरी ..” बोला और भीतर की ओर बढ़ गया, विक्रांत सिंह ने उसे जाते देख थोड़ी तेज़ आवाज में कहा


“कल सुबह बात करूंगा तुमसे “
सामने प्रेमलता (साहिल की माँ) बैठी हुई थी, शरीर से स्वस्थ मगर भारी,साफ रंग, बालों का जूड़ा और बड़ी से बिंदी में मॉडर्न तरीके से रहने वाली घरेलू महिला) साहिल को अंदर आते देखा तो उठकर उसके पास आते हुए बोलीं
” साहिल तुमने कुछ खाया? जल्दी से हाथ मुँह धो लो, मैं खाना लगवा देती हूँ”


“भूख नहीं मम्मी.. बस्स थक गया हूँ सोऊँगा” और तेज़ी से अपने कमरे में चला गया,प्रेमलता के चेहरे पर थोड़े तनाव के भाव आये लेकिन कुछ मिनट में ही वो सामान्य हो गये,विक्रांत अभी भी सिगरेट पीते हुए धुँए के छल्ले बना रहे थे और उन्हें तब तक देख रहे थे जब तक कि वो आँखों से गायब नहीं हो जाते


समय 5 बजे सुबह के )
‘घिरर’ की आवाज के साथ साहिल की नींद खुली,देखा अखिल का फ़ोन था..
साहिल:-“हाँ अखिल “
अखिल:-“अबे क्या घर जाकर सो गया.. तीसरी कॉल पर फ़ोन उठाया तूने”
साहिल :-(बस्स एक गहरी सांस ली)
अखिल:-“अच्छा सुन होश आया गया है उस लड़की को और वो सही सलामत है”
साहिल:-“शुक्र है यार “
अखिल:-“अच्छा सुन ना, हॉस्पिटल का बिल आया है 25000/- का तुझे भरना पड़ेगा जल्दी आ”
साहिल:-“लड़की बच गयी ये बड़ी बात है, बिल की फिक्र मत कर, आ रहा हूँ
अखिल:-“ठीक है ” फ़ोन डिस्कनेक्ट कर देता है,और दौड़ता हुआ हॉस्पिटल पहुंच जाता है,अखिल और जितेंद्र वहीं बाहर बैठे कुर्सियों आधी नींद में थे .साहिल को देखकर जितेंद्र ने उसके पास आकर कहा “हम सब बच गए यार,होश आ गया उसे “
साहिल :-“तुम लोग मिलने गए “?
जितेंद्र के ‘ना’ में सिर हिलाने पर, साहिल सीधे उसके बार्ड रूम की ओर बढ़ गया,पीछे पीछे साहिल और जितेन्द्र भी,वो छत की ओर ताकती शांत लेटी हुई थी
साहिल :”तुम ठीक तो हो”? वो सुनते ही उठ कर बैठ गयी
जितेंद्र :-“नहीं ..नहीं लेती रहो”
लड़की :-“मैं ..मैं यहाँ कैसे”?
जितेंद्र :-“तुम हमारी गाड़ी से टकरा गयीं थीं.. हमीं तुम्हें हॉस्पिटल लेकर आये हैं चिंता की कोई बात नहीं तुम अब ठीक हो”
साहिल :-(चिढ़ते हुए) “तुम आत्महत्या करना क्यों चाहती थीं? हमारी ही गाड़ी ही मिली तुम्हें”?
अखिल :-“पता है, कितने का बिल आया है”?
तभी साहिल,अखिल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “अखिल छोटी बात मत कर यार “

लड़की :-“तो क्या करूँ जी कर, मेरे पास जहर खाने को तक पैसे नहीं हैं ऊपर से माँ की जिम्मेदारी भी मेरे कंधो पर है,कैसे भी करके उनके लिए 5 से 7 दिन का खाने का जुगाड़ करके, मुझे मर जाना ही बेहतर है लगा,बहुत जगह नौकरी ढूंढी, कहीं नहीं मिली.. (रोने लगती है) पांच फीट चार इंच की लंबाई और काली आंखों के साथ वो दुबली पतली सी जब रोने लगी तो उसका चेहरा लाल हो गया, जिसे देखकर साहिल का गुस्सा जाता रहा

अखिल:-“ये क्या बात हुई? मानता हूँ कि मन की नहीं मिलती होगी, लेकिन अगर मरने की नौबत आ जाये तो कुछ भी कर लो …कम से कम झाड़ू पोंछा तो मिल ही जायेगा”

जितेंद्र और साहिल ने जब अखिल की ओर आँखे तरेरते हुए देखा तो वो कंधे उचकाते हुए धीमे से बोला “मरने से तो बेहतर है यार “

साहिल :-“देखिए अ अ मिस जो भी नाम है आपका …

लड़की :-(सुबकते हुए) मीनाक्षी “

साहिल :-“हाँ मीनाक्षी, रोने की जरूरत नहीं जो हुआ भूल जाइए, कितना पढ़ी हैं आप”

मीनाक्षी :-“बी.ए .पास किया है मैंने”

साहिल :-“बी .ए. हम्म (ओंठ चबाते हुए कुछ देर सोच फिर ) अ ठीक है,(फिर एक कार्ड थमाते हुए) हमारा एक ज्वेलरी का शोरूम है ‘ विक्रांत ज्वेलर्स’ के नाम से,कल आने से पहले मुझे फ़ोन कर दीजियेगा, कुछ ना कुछ हो जाएगा जॉब का”

मीनाक्षी :-“कैसे शुक्रिया करुँ, मुझे समंझ नहीं आ रहा “
साहिल :-“उसकी जरूरत नहीं ..बस्स इतना वादा करो दुबारा आत्महत्या करने के बारे में सोचोगी भी नहीं”
जितेंद्र और अखिल एक साथ बोले “हाँ सही कहा साहिल ने”
मीनाक्षी :-“मैं वादा करती हूँ”
साहिल:-“ठीक है,जितेन्द्र तुम इन्हें ऑटो में बिठा दो (फुस्फुसाते हुए) किराया दे देना”

जितेंद्र, मीनाक्षी को ऑटो में बिठा आया,फिर तीनों आपस मे गले मिले,और हॉस्पिटल का बिल अदा कर बाहर निकल आये,
अभी साहिल बाहर निकल ही पाया था कि सामने से सत्यजीत अंकल पास आते दिखे, उसने उन्हें इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने सामने से आकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया और बोले
“साहिल, आ गया लड़की को होश”
ये सुनकर साहिल के माथे पर सिलवटें आ गयीं

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