साहिल को लगा कि भला इन्हें कैसे पता कि कल लड़की का एक्सीडेंट हो गया है,अभी वो सोच ही रहा था कि वो बोल उठे,”अखिल के पिता मेरे दोस्त हैं, तो उनसे ही पता लगा” साहिल ने सिर झुकाकर हामी में सिर हिला दिया,और बोला “अंकल,प्लीज़ पापा को..” बात पूरी भी ना कर पाया था कि जैसे वो समझ गए और बोले “मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊँगा,चिंता मत करो” साहिल का कंधा थपथपाते हुए वो आगे बढ़ गए,और साहिल चैन की सांस लेकर, घर की ओर निकल गया
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सुबह लगभग 10 बजे साहिल के मोबाइल पर फ़ोन आया,
साहिल :-“हेलो
“हैलो, जी मैं मीनाक्षी”
साहिल:-“मीनाक्षी ..हाँ हाँ बोलो “
मीनाक्षी :-“जी आपने जॉब के लिए कहा था,तो कब आ जाऊँ”
साहिल:-“एक काम करो तुम शोरूम वाले एड्रेस पर आ जाओ,मैं वहीं मिलूंगा तुम्हें ठीक है”
मीनाक्षी:-“जी ठीक है”
साहिल:-“हम्म” बोलकर उसने फ़ोन रख दिया
साहिल जल्दी से तैयार हुआ और अपने शोरूम पहुँच गया,मीनाक्षी बाहर ही खड़ी मिली,उसे देख साहिल बोला
“अरे आप बाहर क्यों खड़ी हैं ,अंदर जाना था ना,
मीनाक्षी -“वो मुझे लगा कि …वो “
साहिल:-“आइये मेरे साथ “कहता हुआ वो भीतर की ओर मुड़ गया,मीनाक्षी आँखे फाड़े चकाचौंध से भरे शोरूम को देख रही थी और वहाँ काम कर रहे लोगों को भी जो एक जैसी ड्रेस पहनें थे,वो उसे लेकर एक लड़की के पास आया और बोला
“नीलम किसी फ्रेशर को सेल्स में एक्सपर्ट कितने दिनों में कर सकती हो तुम”
नीलम सेल्स में ही थी दिखने में हँसमुख लग रही थी तपाक से बोली “वैसे तो आठ दिन में लेकिन कोई जल्दी सीखना चाहे तो शायद 4 दिनों में”
साहिल :-“बहुत बढ़िया, इनसे मिलो ये मीनाक्षी है इन्हें 4 दिनों में सेल्स में एक्सपर्ट बनाओ”
नीलम :-“ठीक है सर,बना दूँगी” वो बड़े खुश होकर बोली
साहिल :-“मीनाक्षी,नीलम की हर बात मानना ये मैडम ना जाने कितने लोगों को एक्सपर्ट बना चुकी हैं “
मीनाक्षी ने मुस्कुरा कर हांमी भर दी और साहिल वहाँ से हटकर अपने केविन में आ गया, जहाँ जितेंद्र पहले से बैठा सी.सी. टी.वी. कैमरे डैस्कटॉप में झाँक रहा था,
“अब क्या स्क्रीन के अंदर घुस जाएगा यार” साहिल के बोलने से जितेंद्र हल्का सा चौकते हुए बोला ” नहीं यार बस्स सोच रहा था,कि देखो कितनी अच्छी लड़की है और चली थी आत्महत्या करने अगर उस दिन …”
साहिल ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला
“तूने उस दिन जो एहसान किया ,कभी भूलूँगा नहीं यार “
जितेन्द्र:-“मैंने कोई एहसान नहीं किया,हाँ तूने उसे जॉब देकर बहुत अच्छा किया,वैसे मीनाक्षी अच्छी है ना “
साहिल :-“हाँ ठीक ही है”
जितेंद्र :-“बस्स ठीक “वो छेड़ते हुए बोला
साहिल :-“क्या यार तू भी,चल फिर मिलते हैं अभी घर जाना है” बोलते हुए साहिल बाहर आ गया,और जितेंद्र भी चला गया
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साहिल ने घर मे कदम रखा तो देखा उसके माता पिता में हल्की सी बहस हो रही थी
विक्रांत सिंह:-“बच्चों जैसी बातें मत करो लता,कोई पहली बार नहीं जा रहा हूँ शहर से बाहर ” वो बैग लगाते हुए बोले
प्रेमलता:-“लेकिन मेरा मन इतना कभी घबराया नहीं पहले,सुनिए मान जाइये और भी मौके आएंगे आगे “
विक्रांत सिंह :-“अच्छा बन्द करो ये पागलपन,जाहिल औरतों की तरह पेश मत आओ,बड़ी बिजनेस डील हो सकती है (फिर साहिल की ओर देखकर) साहिल अपनी माँ का ख्याल रखना ,सत्यजीत ने बहुत अच्छी डील फिक्स की है, मीटिंग के लिए जा रहा हूँ ,सब अच्छा रहा तो दो से तीन दिन लग जाएंगे लौटने में “
साहिल :-“ठीक है पापा ” साहिल ने इतना बोला और विक्रांत तेज़ क़दमों से घर से निकल गए,
मशीनबत दो दिन सामान्य निकल गए..
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दो दिन बाद,रात 1 बजे
“साहिल…साहिल …जल्दी दरवाजा खोल” प्रेमलता, साहिल के कमरे के दरवाजे पर अपने दोनों हाथ तेज़ी से मारते हुए बोलीं
साहिल हड़बड़ा कर उठा और दरवाजा खोला
“क्या हुआ मम्मी सब ठीक तो है”
“कुछ ठीक नहीं हैं, तेरे पापा छत पर हैं और बड़ी तेज़ आवाज में हँस रहे हैं”
“क्या ..छत पर ? कब आये वो बापस “साहिल ने आश्चर्य से पूछा
प्रेमलता:-“मुझे खुद नहीं पता,मैंने कई आवाजें दी,लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया ,तू चल छत पर चल”
साहिल दौड़ता हुआ छत पर गया और पीछे-पीछे प्रेमलता ,पूरी छत पर नजर दौड़ा दी लेकिन कोई नहीं, साहिल प्रेमलता के पास आकर उन्हें समझाते हुए बड़े प्यार से बोला
“माँ मुझे लगता है आपने सपना देखा है “
“नहीं नहीं …यकीन कर मैंने उन्हें यहीं देखा था वो हँस रहे थे ,बरामदे के जाल से वो दिख रहे थे मैंने उन्हें कई आवाजें दी लेकिन सुना ही नहीं उन्होंने”
साहिल:-“आप चिंता मत कीजिये मैं कल पता कराता हूँ कि वो बापस कब आ रहें हैं”
प्रेमलता :-“फोन भी तो नहीं उठा रहे क्या करूँ” वो रोती हुई बोलीं
साहिल उन्हें नीचे ले गया और अपने कमरे में लिटा उनकी सिर की मालिश करने लगा,ताकि उन्हें नींद आ जाये,लेकिन वो बुदबुदाती रहीं
“जरूर वो किसी मुसीबत में हैं ,जरूर किसी मुसीबत में हैं”
साहिल ने फ़ोन उठाकर अपने पिता को मिलाया लेकिन कनेक्ट नहीं हुआ..
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अगले दिन ,साहिल शोरूम में सत्यजीत के सामने जाकर बोला “अंकल,आप पापा जी के साथ गए थे ना,वो बापस क्यों नहीं आये अब तक “?
सत्यजीत :-“मैं कल रात ही बापस आया हूँ, उन्होंने मुझे ये बोलकर बापस भेज दिया कि किसी खास काम से वो नाहरगेंडा जा रहे हैं,जहाँ उन्हें अकेले ही जाना है”
साहिल :-(असमंजस से) “नाहरगेड़ा,बड़ी अजीव बात है इस बारे में उन्होंने कुछ नही बताया,और उनका फ़ोन भी नहीं लग रहा है”
सत्यजीत:-“(मुस्कुराते हुए) वहाँ नेटवर्क नहीं है,उन्होंने कहा था कि घर जाकर बता दूँ तुम्हें और मैडम को,मैं आने ही वाला था,परेशान मत होओ साहिल, आ जायेंगे वो एक दो दिन में”
साहिल :-“हम्म ठीक है”
थोड़ा उलझा सा आकर वो अपने केविन में बैठ गया,नजर सी सी टी वी मॉनिटर पर चली गयी ,नीलम किसी कस्टमर को नैकलेस दिखा रही थी,और मीनाक्षी पास ही बैठी उसे ध्यान से देख रही थी,शायद सेल्स समझने की कोशिश कर रही थी,साहिल ने थोड़ा बहुत काम करने की कोशिश भी की, लेकिन नहीं हो पाया,
फिर भी इधर उधर के काम और कुछ दोस्तों को कॉल करता रहा फिर घड़ी देखी तो साढ़े 6 बजे का समय हो रहा था,मन नहीं लग रहा था,उठ कर बाहर आ गया, थोड़ी देर टहलता रहा फिर गाड़ी में बैठ उसे स्टार्ट कर लिया,उसी पल मीनाक्षी बाहर निकली और सड़क की ओर ताकने लगी,शायद रिक्शा देख रही थी ना जाने क्या सोच कर साहिल ने गाड़ी उसके सामने लगा दी और बोला :-
“मीनाक्षी, एतराज न हो तो मैं ड्राप कर दूँ तुम्हें”
मीनाक्षी :-“अ.. मैं ..वो ..घर दूर है ,आप बेकार ही परेशान होंगें”
साहिल :-“मुझे औपचारिकता पसंद नहीं,पहले ही बोला एतराज ना हो तुम्हें तो,ऐसे बोल रही हो मतलब एतराज है,रहने दो”
इतना बोल उसने गाड़ी मोडनी चाही,
तो मीनाक्षी बोली :-“एक मिनट ” और बोलने के साथ ही लगभग दौड़ती हुई आयी और दरवाजा खोल कार में बैठ गयी,और साहिल ने उसके बताए अनुसार गाड़ी को उसके घर की दिशा मे मोड़ दिया,लगभग 15 से 20 मिनट लगे होंगें,मीनाक्षी के घर पहुंचने में,घनी आबादी और गंदगी से भरी हुई जगह थी जहाँ मीनाक्षी का घर था,…रास्ते मे सिवाय घर का पता पूछने और बताने के कोई और बात नहीं की उन दोंनो ने,मीनाक्षी कार से उतरी और बोली
“मैं आपको चाय के लिए बुलाती,लेकिन …
साहिल :-“मुझे जल्दी है ” बीच मे टोकते हुए वो बोला और गाड़ी मोड़ने लगामीनाक्षी :-“ऐसी बस्ती में और मेरे घर मे चाय पीना आपको शोभा भी नहीं देगा,हम छोटे लोग जो ठहरे” वो सकुचाते हुए धीमी आवाज में नजरें झुका कर बोली,साहिल ने जब ये सुना तो फौरन गाड़ी में से बाहर निकल आया,और बोला
” चलो,चाय पिलाओ जल्दी “
आँखें फैलाये वो साहिल की ओर देखने लगी
साहिल :-“क्या हुआ ,चाय नहीं पिलानी “?
मीनाक्षी :-“हाँ हाँ क्यों नहीं “
साहिल :-“तो चलिए फिर “
“जी ‘करती हुई वो आगे बढ़ी,और जाकर दरवाजा खटखटाया एक पचपन छप्पन साल की महिला ने दरवाजा खोला,”ये माँ है मेरी”मीनाक्षी ने कहा तो साहिल ने हाथ जोड़ कर ‘नमस्ते’ बोला और मीनाक्षी के पीछे अंदर आ गया,वो महिला एक शब्द ना बोलीं बस्स देखती रहीं, साहिल को एक कुर्सी दे मीनाक्षी किचन में चली गयी,और जल्दी से एक छोटी सी प्याली में चाय लाकर उसने साहिल को थमा दी,
साहिल ने वो छोटा सा कप देखा फिर मीनाक्षी की ओर कातर निगाहों से देखते हुए चाय पीने लगा,साहिल की नजर स्वाभाविक तौर पर उस घर पर चली गयी, का एक छोटा सा घर,शायद दो कमरों का,कुछ भी ऐसा नहीं जो साहिल की नजर को कुछ देर रोकती, हाँ हर सामान करीने से लगा हुआ था,
उसने चाय खत्म की और जाने के लिए उठा फिर पर्स से कुछ दस हजार रुपये निकालकर मीनाक्षी को पकड़ाते हुए बोला
“अच्छी चाय बनाती हैं आप,अपनी सेलेरी का एडवांस ले लो,और हाँ… पैसा आता जाता है,लेकिन सोच अपनी है इसे हमेशा बड़ा रखना चाहिए “
मीनाक्षी ने बिना कुछ बोले रुपये पकड़ लिए, साहिल तेज़ी से मीनाक्षी के घर से बाहर निकल, गाड़ी ड्राइव कर जब घर पहुँचा तो देखा,प्रेमलता बाल बिखेरे जमीन पर बैठी थीं देखने से लगता रहा था घंटो से रो रही हो जैसे,उनकी आँखों में डर दिख रहा था,
जैसे ही उन्होंने साहिल को देखा दौड़ते हुए उसके पास आयीं और बोली
“साहिल तुझे कहा था ना मैंने, तेरे पापा लौट आये हैं,देख दोपहर से कितना पीटा है उन्होंने मुझे,(अपनी चोटें दिखाते हुए )”
चोटों का एक भी निशां साहिल को नहीं दिखा अलबत्ता पीटने की बात से उसका खून खौल उठा ,दाँत पीसते हुए बोला
“पापा.. ऐसा कैसे कर सकतें हैं,उनकी इतनी हिम्मत.कहाँ है वो “
प्रेमलता ने एक कमरे की ओर उँगली का इशारा कर दिया,और साहिल उस कमरे की ओर दौड़ गया,पैर की जोरदार टक्कर से उसने एक बार मे ही गेट खोल दिया ,देखा तो दिमाग जैसे सुन्न हो गया .