“वो किसी को नहीं छोड़ेगी..लौट जाओ” बिल्कुल पास आकर वो जोर से बोला तो तीनों डर कर पीछे हो गए
“कौन ..कौन नहीं छोड़ेंगी..” साहिल ने डरते हुए पूछा
“वही ..जिसने मुझे 2 दिन पहले मार दिया है…”
“क्या ” डर से तीनों एक स्वर में चीखे,तो वो बूढ़ा अजीब सी हँसी हँसा …और पलक झपकते वहाँ से जैसे गायब हो गया..
साहिल उन्हें जबर्दस्ती पानी पिलाता है और कहता है”मुझे समंझ नहीं आ रहा है आखिर पापा के होने का एहसास आपको अकेले होने पर ही क्यों होता है,ठीक है आज ही जाऊँगा उन्हें लेकर आऊँगा”
“साहिल कहाँ है यार “अखिल आवाज देते हुए आता है साथ में जितेंद्र भी है..
साहिल:-“मैं फ़ोन भी करने वाला था तुम दोंनो को,नाहरगेड़ा जा रहा हूँ, और तुम दोंनो साथ चल रहे हो मेरे”
दोनों एक साथ चौंकते हुए”नाहरगेड़ा अभी…?क्यों ?”
साहिल:-“क्योंकि पापा वहाँ गए हैं,कल तक उन्हें आ जाना चाहिए था, और अभी तक नहीं आये,मम्मी उन्हें बहुत याद कर रहीं हैं उनकी तबियत खराब हो गयी है..”
अखिल :-“थोड़ा इंतज़ार और कर ले वक़्त लग जाता है यार,हो सकता है कल तक आ जायें”
“नहीं …नहीं.. बहुत हुआ,मैं आज बल्कि अभी जाऊँगा तुम्हें नहीं चलना तो कोई बात नहीं”
अखिल:-“कैसी बात कर रहा है यार, चल रहा हूँ”
जितेंद्र:-“मैं भी,लेकिन आँटी यहाँ अकेली रहेगी क्या”?
साहिल :-“हाँ ये तो सोचा ही नहीं ..(कुछ सोचते हुए) ठीक है मीनाक्षी को बोल देता हूँ वो रुक जाएगी” उसने फोन उठाकर उसे मिलाया और रुकने के लिए बोला तो वो सहज तैयार हो गयी,फिर फ़ोन कर सत्यजीत को शोरूम की जिम्मेदारी दी,और पता पूछ कर तीनों लोग कार में बैठ निकल पड़े नाहरगेड़ा की ओर..लगभग आधे रास्ते पहुंचते -पहुँचते शाम हो गयी
“हमें नही लगता हम आगे जा पाएँगे,एक तो इतना उबड़ खाबड़ रास्ता ऊपर से इतनी ठंड, रुकना पड़ेगा” अखिल बोला
“हम्म,चलो कुछ खा पी लेते हैं..”साहिल ने बोलने के साथ ही गाड़ी एक बहुत छोटे ढावे पर रोक दी,जिस पर बस्स एक छोटा सा दीपक जैसा डिमडिमा रहा था..एक चारपाई पड़ी थी,और टूटी फूटी टीन की छत,एक ठंडी पड़ी भट्टी और पास ही बूढ़ा बैठा था जो एक फटा हुआ कम्बल ओढ़े हुए था, ठंड से काँप रहा था,
अखिल ने उसे देखकर कहा “हुम् …मुझे लगता है उल्टे ,हमें चाय बनाकर इस बुड्ढे को पिलानी पड़ेगी”
एक अजीब सी धुन्ध चारों ओर छायी हुई थी,और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से बुरा हाल हो रहा था..दूर दूर तक कोई और नजर नहीं आ रहा था..
“मैं देखता हूँ” बोलकर जितेंद्र आगे बढ़ा और उस बूढ़े आदमी से बोला “बाबा,नाहरगेड़ा यहाँ से कितनी दूर रह जाता है”
बूढ़े ने कोई जवाब नहीं दिया,वो वैसे ही काँपता रहा तो साहिल ने आगे बढ़कर कहा “क्या चाय मिल पाएगी बाबा”?
बूढ़ा उठा,और खुद से लपेटा हुआ कम्बल उतारकर एक ओर फेंक दिया,एक अजीब सी गंध माहौल में फैल गयी,तीनों एकसाथ पास खड़े होकर उस बुड्ढ़े को देखने लगे,वो अब उनके एकदम पास आ गया था…अजीब तेज़ ठंडक का एहसास हुआ तीनों को,
निस्तेज चेहरा और चमकती आँखों से उसने तीनों को देखा,और बोला “लौट जाओ यहीं से..वरना सब मारे जाओगे..सब”
अखिल:-“ये कैसी बात कर रहे हो “?
“वो किसी को नहीं छोड़ेगी..लौट जाओ” बिल्कुल पास आकर वो जोर से बोला तो तीनों डर कर पीछे हो गए
“कौन ..कौन नहीं छोड़ेंगी..” साहिल ने डरते हुए पूछा
“वही ..जिसने मुझे 2 दिन पहले मार दिया है…”
“क्या ” डर से तीनों एक स्वर में चीखे,तो वो बूढ़ा अजीब सी हँसी हँसा …और पलक झपकते वहाँ से जैसे गायब हो गया..
इतनी ठंड में भी तीनों को पसीना आ गया,अखिल भागकर गाड़ी में बैठ गया,और चीखा “जल्दी बैठो ..जल्दी “
दोंनो गाड़ी में जैसे ही बैठे अखिल ने गाड़ी स्टार्ट की और बापस मोड़ ली,तो साहिल बोला “पापा,मैं उन्हें लिए बिना कैसे जा सकता हूँ”
जितेंद्र:-“पागल हुआ है क्या…अभी देखा ना तूने”
साहिल:-“मुझे डर है ..कहीं पा …पा” वो शून्य में देखते हुए बोला,अब उसकी आँखों में अनजानी आशंका का डर दिख रहा था,
अखिल:-“हम तुझे मौत के मुँह में छोड़ कर जायँगे तूने, सोचा भी कैसे .इतने में साहिल का फोन बजा,मीनाक्षी की आवाज थी
“साहिल,आँटी जी ने आत्महत्या की कोशिश की है”
साहिल:-“(जोर से चीखते हुए) ‘क्या….”
मीनाक्षी:-“हम उन्हें हॉस्पिटल ले आये हैं..लेकिन उनकी हालत गंभीर है,जल्दी आओ साहिल …जल्दी”
“अखिल ..गाड़ी तेज़ चला..जल्दी घर चल ..मम्मी ने आत्महत्या की कोशिश की है” साहिल चीखा
और “क्या “कहने के साथ ही अखिल ने गाड़ी पूरी स्पीड में घर की ओर दौड़ा दी…
*ज्योति हॉस्पिटल *
प्रेमलता होश में आ गयी थी,साहिल उन्हीं के पास, उनका हाथ पकड़कर बैठा था,जैसे ही उन्होंने आँखे खोली,साहिल के चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गए,
साहिल:-“मम्मी,क्यों किया आपने ऐसा”?
प्रेमलता:-(आश्चर्य से) “कैसा? मैं यहाँ इस हॉस्पिटल
में क्या कर रही हूँ, मैं तो कपड़े सुखा रही थी” साहिल समेत सबकी निगाहें मीनाक्षी की ओर घूम गयीं
वो तपाक से बोली “और आपने उन्हीं कपड़ों में से अपनी साड़ी निकाली और उसका फंदा बना कर लटक गई,(सुबकते हुए) अगर उसी वक़्त ना देख पायी होती और गोविंद भैया ना होते तो (रोने लगती है ),क्यों किया आपने ऐसा”?
गोविंद:-“सहीय कह रही है मीनाक्षी दीदी… अगर दीदी चीख ना मारी होती तो हम किचिन मा वर्तन ही धुलता रह जाता (कानों पर हाथ रखते हुए) झरगद वाले बाबा की बड़ी कृपा रही माँ जी पर ..
अखिल:-“जब तू बाहर आया तो क्या देखा”
गोविंद:-“हम देखता हूँ, कि माँ जी लटकी हैं हुई हैं फंदा पर और आंखों में बहुत गुस्सा दिखत रहा वा वखत माँ जी के,और ऊ गुस्से में कोह रहीं थी कि छोड़ दा हमका ..काहे से, के मीनाक्षी दीदी ने उनके पैर पकरे हुए थे..और हमका मदद की खातिर बुलाय रही थी..”
साहिल ने सारी बात सुनकर कृतघ्यता व्यक्त करने वाली निगाहों से मीनाक्षी की ओर देखा,तभी अखिल ने जितेंद्र को इशारा किया,और दोनों बाहर निकल गए, साहिल,मीनाक्षी के पास आकर बोला:-“..माँ से बढ़कर क्या हो सकता है,किसी के लिए? मेरी मम्मी की जान बचाकर तुमने मुझे हमेशा के लिये अपने आगे नतमस्तक कर दिया है,.हमेशा के लिए..जो तुमने किया है उसके लिए शब्दों में शुक्रिया कहना तौहीन होगी “
और इतना बोल वो भी बाहर निकल गया,बहुत मानसिक तनाव में था,तो बाहर आकर उसने सिगरेट जलाई और पीने लगा.
.”क्यों मन ही मन तड़प रहा है तू..बोल क्यों नहीं देता उसे” जितेंद्र ने उसके पास बैठते हुए कहा
“क्या बोलना है और किसे?” साहिल चौंकते हुए बोला
” मीनाक्षी को और किसे “? अखिल बोला ,तो साहिल आँखे चौड़ी उन दोंनो को देखने लगा.
“ऐसे क्या देख रहा है,हम दोस्त हैं तेरे..चाहेगा तब भी कुछ छिपा नहीं पायेगा हमसे” अखिल ने बैठते हुये कहा,तो साहिल ने मुस्कुराते हुए सिगरेट फेंक दी,और धीरे से बोला
“कैसे “
“जब तू अपने शोरूम के केविन में बैठा उसे सी.सी.टी.वी.कैमरे में घूर रहा था..मैं तभी समंझ गया था ” अखिल हँसते हुए बोला
“और मैं तब,जब तूने उस दिन शोरूम में मीनाक्षी को कुछ भी नहीं बोला जबकि उसने नैकलेस कम दामों पर सेल कर दिया और तू गुस्सैल ..इतना शांत, मैं समंझ गया लड़का गया काम से” जितेंद्र अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही साहिल बीच में बात काटते हुए बोला
“लेकिन ..वो ..तो..”
“हाँ..हाँ कोई भी बोल सकता है ऐसे …लेकिन आँखों मे बसे उस प्यार का क्या” जितेंद्र ने हँसते हुए साहिल के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा..तो साहिल बिना कुछ बोले बस्स हामी में सिर हिलाते हुए हँसने लगा,और उन दोंनो ने भी हँसने में उसका साथ दे दिया..फिर नर्स ने आकर साहिल से कहा:-“सर डिस्चार्ज पेपर पर साइन कर दीजिए प्लीज़”
“ज ..जी..(नर्स के जाते ही,साहिल उन दोनों की ओर देखते हुए) जरा देखो, इन हालातों में ये सब सोचूं भी कैसे?”
तीनों अंदर गए, प्रेमलता को डिस्चार्ज कराया और घर आ गए, जैसे ही घर पहुँचे, अखिल चौंकते हुए बोला
“ये क्या है ये काली धुंध क्यों जमी है घर में”
सबने एकसाथ जब नजर घुमा कर देखा तो बड़ा आश्चर्य लगा पूरे घर मानों काले बादलों से भरा हुआ था,अभी सब आंखे फाड़े ये सब देख ही रहे थे, कि जितेन्द्र बोलता है
” पहले वो बुढ्डा और अब ये ,यकीन हो गया है मुझे,बहुत बड़ी कोई समस्या है…गुरु जी…गुरु जी… हमारी मदद कर सकते हैं साहिल, मैं उन्हें लेकर आता हूँ..तू घबरा मत”
साहिल बस्स घर मे जमीं उस काली धुन्ध पर नजरें जमाएं चुपचाप खड़ा था,जितेंद्र बाहर की ओर भागा और अखिल भी उसके साथ चला गया..
मीनाक्षी अपने घर चली गयी, और साहिल उसके ख्यालों में खोया हुआ था, कि प्रेमलता तेज़ी से चीखीं
“मार दूँगी मैं तुझे,नहीं छोडूँ…गी..तूने मना करने की हिम्मत कैसे की थी”
आवाज सुनकर साहिल अंदर की ओर भागा तो क्या देखता है कि प्रेमलता अपना सिर पानी के टब में डुबोये हुए थीं..और उनके पैर हवा में थे,उसके मुँह से “मम्मी ” निकला और भागकर ,खाशी मशक्क़त के बाद वो उन्हें बाहर निकाल पाया,
इतने में जितेंद्र और अखिल, गुरुजी को लेकर वहाँ पहुंच गए,गुरुजी ने अपनी नजर उस बंगले पर दौड़ाई और उनके मुँह से निकला
“घोर अनर्थ,..इस घर पर एक साए की बुरी नजर है”
इतने में प्रेमलता सामने आकर चीखते हुए बड़े भारी आवाज बोलीं “निकल जा यहाँ से निकल जा ..दूर रह, मत आ मेरे रास्ते में”
प्रेमलता जी की आंखे अनावश्यक रूप से बड़ी हो गयी थीं,बाल खुले हुए थे,वो अत्यंत ताकतवर दिख रहीं थी,गुस्से में उनके होंठ फड़फड़ा रहे थे, सभी लोग प्रेमलता का ये रूप देखकर डर गए,तभी गुरुजी ने अपने कमंडल से हाथ में पानी लिया और कुछ बुदबुदाये और उस पानी को प्रेमलता के ऊपर छिड़कते हुए बोले
“कौन है तू..बोल कौन है”?
“वै…द….ही” प्रेमलता जोर से चीखीं और जमीन पर गिर गईं
साहिल दौड़ कर प्रेमलता जी के पास आया तो गुरु जी ने उसे दूर रहने का इशारा किया, कुछ देर सब खामोश रहे,उन्होंने अपने झोली में से एक पुड़िया निकाली और उसमें से रख्या(पवित्र राख)बाहर से ही घर की ओर छिड़कते हुए बोले,
“हम भीतर प्रवेश नहीं करेंगे, ये घर अपवित्र है, अखिल लो इस राख्या को घर के कोने कोने में छिड़क दो”
अखिल रख्या ले कर छिड़कने लगा,अचानक काली धुन्ध छटती हुई महसूस हुई,
साहिल(घबराते हुए) “गुरु जी…ये हो क्या रहा है, ये सब आखिर है क्या”
गुरुजी :-“सब पता लगेगा अभी,(फिर प्रेमलता से) उठिए माई ..उठिए” और प्रेमलता ने धीरे से अपनी आँखें खोल दी,बहुत धीरे से बुदबुदायी
“पानी “साहिल ने उन्हें पानी पिलाया
प्रेमलता:-(सिर पर हाथ रखते हुए) “क्या हुआ था मुझे ,
गुरुजी :-“कुछ नहीं.. आप ठीक तो हैं?
प्रेमलता:-“बहुत कमजोरी महसूस हो रही है”
मौजूद सभी लोग उन्हें हतप्रत होकर एक दूसरे को देख रहे थे,कि अभी अभी जो बेहद ताकतवर दिख रहीं थीं,अब उन्हें बोलने तक में परेशानी हो रही है,
गुरुजी:-(शांत स्वर में )”वैदही कौन है,माई”?
प्रेमलता:-“कौन …कौन वैदही?”
गुरुजी:-“ध्यान से सोचिए ..क्या आप किसी वैदही को जानती हैं”
प्रेमलता:-(हामी में सिर हिलाते हुए) वो सत्यजीत की बेटी ..”
गुरुजी :-“पूरी बात बोलिये माई”
प्रेमलता :-“आखिर हुआ क्या है”
गुरुजी:-“आपके बेटे की जान खतरे में है,जब तक आप हमें वैदही के बारे में नहीं बताएंगी,हम आपके बेटे की मदद नहीं कर पायेंगे
प्रेमलता:-“क्या..मेरे बेटे को कुछ नहीं होना चाहिए गुरु जी, वो वैदही …हाँ…अब से लगभग पांच साल पहले सत्यजीत भाईसाहब ने अपनी बेटी के रिश्ते की बात साहिल के लिए की थी,उस वक़्त साहिल 25 साल का था,हम उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे,हमनें साहिल से पूछा भी था, लेकिन उसे भी उस वक़्त ना तो वैदही में और ना ही शादी में कोई रुचि थी,और हमनें इस रिश्ते के लिए इनकार कर दिया था,फिर …फिर.
गुरुजी :-“फिर क्या हुआ माई….”?
(प्रेमलता रोने लगती हैं)
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