“हम्म…वो तुम पर चौतरफा हमला करने वाली है,पारिवारिक रूप से कर ही रही है,जल्दी ही आर्थिक और भावात्मक चोट भी करने वाली है..साहिल ..तुम्हारी लड़ाई सामान्य दुश्मन से नहीं बल्कि एक बुरी आत्मा से है..खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लो”
प्रेमलता को रोता देख साहिल जैसे ही उनकी ओर बढ़ता है, गुरुजी उसे दूर ही बने रहने का इशारा करते हैं और खुद आगे बढ़ कर पूछते हैं “बोलो माई..फिर क्या हुआ”
प्रेमलता :-“फिर हमें दो दिन बाद ही पता लगा कि वैदही ने खुद को आग लगा कर आत्महत्या कर ली थी…
साहिल :-“(चौंकते हुआ) “क्या …”प्रेमलता :-(हामी में सिर हिलाती हुई)”हम्म…मेरे पति और मैंने ये बात साहिल को ना बताने का निर्णय लिया ..हम डर गए थे,कि कहीं साहिल खुद को किसी भी प्रकार से दोषी मानकर सामान्य जिंदगी ना जी पाए …
गुरु जी :- “हम्म
प्रेमलता:-“जब ये खबर सत्यजीत भाई साहब ने हमें बताई ,तब हमने उनसे यही अनुरोध किया कि वो ये बात साहिल को ना बातये,और वो मान भी गए..और पहले की ही तरह मेरे पति के बिज़नेस में उनका साथ देते रहे आज भी साथ काम कर रहें हैं ..बड़े भले आदमी हैं”
गुरुजी:-(शून्य में ताकते हुए बहुत धीरे से) “भला दिखना और भला होना… दोंनो में बड़ा फर्क है…(फिर सामान्य आवाज में) साहिल क्या घर में लहसुन है? जल्दी लाओ?”
साहिल ने प्रेमलता की ओर देखा,इस आशय से कि क्या लहसुन है? तो उन्होंने हामी में सिर हिला दिया,साहिल अंदर गया और लहसुन ले आया…गुरुजी के बूढ़े हाथ तेज़ी से चलने लगे और सब चुपचाप उन्हें देखनें लगे..थोड़ी देर बाद ही उन्होंने लहसुन की कलियों से बनी एक माला साहिल के गले में पहना दी और दूसरी प्रेमलता को देते हुए
बोले,”इसे पहन लो माई”साथ ही दो काले धागे की मालायें उन्होंने अपनी झोली में से निकाल कर क्रमशः जितेंद्र और अखिल को दे दी,और बोले:-
“वैदही … उसे जगाया गया है बदला लेने के लिए”
साहिल :-(चौंकते हुए) “बदला ..किससे”
गुरु जी:-“तुमसे ..”
साहिल :-“(हैरत से) मुझसे”?
गुरुजी :-“हम्म…वो तुम पर चौतरफा हमला करने वाली है,पारिवारिक रूप से कर ही रही है,जल्दी ही आर्थिक और भावात्मक चोट भी करने वाली है..साहिल ..तुम्हारी लड़ाई सामान्य दुश्मन से नहीं बल्कि एक बुरी आत्मा से है..खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लो”
साहिल:-(अवाक सा) आखिर किस बात का बदला..मैंने ऐसा क्या किया है”?
गुरुजी:-“तुम दोषमुक्त हो बेटा, लेकिन वो तुम्हें विवाह से मना करने के कारण दोषी मानती है”
साहिल :-(रोते हुए)”ओह्ह आत्मा बनकर और मेरे पापा.. वो ठीक तो हैं गुरुजी “?
गुरुजी:-“यूँ रोना बिलखना बन्द करो,ये लड़ाई तुम्हारी है.. लड़नी ही होगी,अन्य कोई उपाय नहीं,अपने पिता के बारें में भी जल्द ही जान लोगे…(आसमान की ओर देखकर) आज की रात बहुत भयानक है..विधिवत पूजा करनी होगी,हमें जाना होगा”
“आप हमें अकेला छोड़कर नहीं जा सकते गुरुजी”सब एक साथ घबराते हुए बोले
“हमें रातभर यज्ञ करना होगा..जब तक ये अभिमंत्रित मालायें तुम लोगों के गले में हैं,वो किसी को मार नहीं पाएगी,याद रहे किसी भी हालत में गले से ये मालायें ना निकलने पायें …बस्स”
ये बोल कर गुरुजी वहाँ से चले गए.साहिल ने गोविंद को भी उसके घर भेज दिया,और प्रेमलता को बिस्तर पर लिटाकर सब उनके आस-पास बैठ गए…
थोड़ी देर बाद,
अंकित उठा और सड़क पर चलने लगा,कि उसने सुना कोई धीरे धीरे उसका नाम ले रहा है ..वो पीछे पलटा देखा तो मीनाक्षी थी,मुस्कुराती हुई उसकी ओर देख रही थी वो खुश होकर उसके पास गया और
बोला ” तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ”
“हम्म बोलो ना”वो अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए बोली
“यही ..कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूँ” बोलते हुए उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया,एक शर्द वर्फ सी सरसरी जैसे साहिल की नसों में दौड़ गयी हो,उसने घबराकर अपना हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन पकड़ इतनी मजबूत थी कि हाथ हिलाना तक मुश्किल हो गया,उसने मीनाक्षी की ओर देखा. आधा जला हुआ चेहरा जो बहुत भयानक दिख रहा था,और बाकी का आधा चेहरा बालों से ढंका हुआ
‘आ..ह’ डर से उसके मुँह से चीख निकल गयी..
“क्या हुआ साहिल” जितेंद्र ने उसे हिलाते हुए पूछा,साहिल ने डर से सहमें जितेंद्र को देखा,और आस पास नजर दौड़ाई फिर धीरे से सहम कर बोला”ओह्ह…इतना भयानक सपना”
‘घर्रर ‘की आवाज के साथ साहिल का फोन पर ‘मीनाक्षी की माँ”‘ लिखा हुआ फ्लैश हुआ,उसने फ़ोन उठाया,उधर से मीनाक्षी की माँ रोते हुए बोलीं “साहिल,मेरी बेटी कहाँ है”?
साहिल-(चौंकते हुए)”क्या मीनाक्षी घर नहीं पहुँची अब तक “?
“नहीं..मेरी मदद करो बेटा,जल्दी आ जाओ मुझे बड़ी घबराहट हो रही है” और साहिल का जवाब सुने बिना ही उन्होंने फोन रख दिया ..अवाक से साहिल को देखकर अखिल ने आशंकित होते हुए पूछा “क्या हुआ”?
“मीनाक्षी अब तक घर नहीं पहुंची है,आँटी का फोन था,मुझे जाना होगा” उसने उठते हुए कहा और तेज़ी से ये बोलते हुए निकल गया कि “मम्मी का ख्याल रखना”
मीनाक्षी के घर जाकर साहिल ने दरवाजे पर दस्तक दी,दरवाजा खुला तो वो चौंक गया…”मीनाक्षी ” उसके मुँह से निकल गया और वो हतप्रथ सा उसे देखते हुए बोला “तुम …कब आयी “?
“ऐसे क्यों पूछ रहे हो ..मैं तो हॉस्पिटल से सीधे घर ही आयी थी”
साहिल:-“(चौकते हुए) क्या ..लेकिन तुम्हारी ..?”
मीना…क्षी..”बीच में ही मीनाक्षी की माँ उसे पुकारते हुए वहाँ आयी,और बोली
“जल्दी से मेरे साहिल के लिए कुछ खाने को ला “अपनी माँ के ऐसे बोलने से मीनाक्षी को थोड़ा अजीब लगा और वो कंधे उचकाते हुए किचिन की ओर चली गयी,
“माँ ssss….”एक तेज़ चीख किचिन की ओर से आई तो साहिल उसी ओर भागा,
किचन में जो देखा उसे देखकर वो डर गया ,मीनाक्षी की माँ फर्श पर मृत पड़ी थी…वो तेज़ी से पलटा और बाहर कमरे की ओर भागा,वहाँ अब कोई नहीं था…
वो खुद से बोला “वै..द..ही”
फिर किचन में जाकर उसने मीनाक्षी का हाथ पकड़ा और बोला “जल्दी चलो यहाँ से मीनाक्षी”
“(रोते हुए) मेरी माँ नहीं रही साहिल…”
“…जल्दी चलो मीनाक्षी …प्लीज़ चलो “वो उसका हाथ खींचते हुए घबराकर बोला
“मैं कहीं नहीं जाऊँगी..अपनी माँ को छोड़कर”उसने रोते हुए जवाब दिया कुछ ना समंझ पाने की स्थिति में वो बापस कमरे में आ गया,
कि उसे लगा किसी ने पीछे की ओर से पकड़ लिया है,पलटा तो देखा, मीनाक्षी उससे बिल्कुल सट कर खड़ी थी,आँखों से आँसू बह रहे थे ,
बोली “प्यार करते हो ना मुझसे साहिल”?
साहिल ने हांमी में सिर हिला दिया,और उसे गले लगाते हुए बोला,”आँटी के इस तरह जाने का बहुत दुख है मुझे,लेकिन अभी हम बड़ी मुसीबत में है,समझाने का वक़्त नहीं है ,चलो मेरे साथ”
“ठीक है चलो” वो बोली, साहिल ने उसका हाथ पकड़ा और तेज़ी से बाहर निकल गया..कुछ कदम ही चल पाया होगा, कि उसे अपने पीछे से आवाज सुनाई दी
“साहिल…ऐसे में तुम मुझे अकेले छोड़ कर कैसे जा सकते हो”उसने मुड़ कर देखा तो मीनाक्षी थी..उसने साथ में चल रही मीनाक्षी की ओर देखा तो पैरों तले जमीन खिसक गई ..आधा चेहरा बालों से ढँका था,पैर जमीन से लगभग एक फुट ऊपर थे,और जिसे वो हाथ समझकर पकड़े था,वो बिना मांस और खाल का बस्स हड्डी का हाथ था,साहिल ने पूरी ताकत से हाथ छुटाने की कोशिश की लेकिन नहीं छुटा पाया.
.”मुझसे ज्यादा कोई प्यार नहीं करेगा तुमसे साहिल,चलो मेरे साथ..तुम्हारी वैदही तुम्हें लेने आयी है” वो अपनी पकड़ और मजबूत करती हुई बोली, तो यूँ लगा जैसे दो या तीन लोग एकसाथ बोल रहे हों..
“मुझे माफ़ कर दो वैदही,मैं मीनाक्षी से प्यार करता हूँ ..” वो अपना हाथ छुटाने की कोशिश करता हुआ काँपती आवाज में बोला
“हम्म्म…म..” उसने डरावनी हुंकार भरी,और साहिल का हाथ छोड़ दिया,साहिल तेज़ी से मीनाक्षी की ओर भागा..जैसे ही मीनाक्षी के पास पहुंचा,मीनाक्षी हवा में उठने लगी
” साहिल..मुझे बचाओ …आ..ह ..साहिल” ..मीनाक्षी डर से चीखी..अब वैदही हवा में उड़ती नजर आ रही थी,
जिसने अपने एक हाथ से मीनाक्षी को उसके बालों से पकड़े हुए था,कुछ देर पहले तक डर रहा साहिल,अब गुस्से में तमतमाने लगा..वैदही उसे घर की छत पर ले गयी थी.और वहीँ से बोली
“बोल.. अब भी मीनाक्षी चाहिए”..उसकी आवाज गूँज रही थी
“तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है ,मीनाक्षी को छोड़ दो..छोड़ दो उसे” साहिल गुस्से में बोला,
“हम्म्म्म” उसने एक तेज़ हुंकार भरी और मीनाक्षी को वहीं से नीचे फेंक दिया.. साहिल मीनाक्षी की ओर लपका कि हवा का एक बडा सा बबंडर साहिल के चारो ओर ”छछछ’ की आवाज के साथ घूम गया,उसने आवाज से परेशान होकर कानों और आंखों पर हाथ रख लिया,और जब आँखे खोली तो मीनाक्षी खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी,वो उसकी ओर ‘मीनाक्षी’ बोलते हुए दौड़ा…और उसे बाहों में उठाकर बोला
“मैं अब तक ये भी नहीं बता पाया हूँ तुम्हें कि,कितना चाहता हूँ ,(चीखते हुए) कुछ नहीं होने दूँगा तुम्हें मीनाक्षी..कुछ नहीं”
उसने मीनाक्षी को जैसे-तैसे गाड़ी में लिटाया,और पूरी स्पीड में कार हॉस्पिटल की ओर दौड़ा दी.
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डॉ मीनाक्षी का चेकअप कर ही रहे थे,तभी साहिल के फोन पर नीलम का कॉल आया,जैसे ही फ़ोन उठाया वो बोली
“सर,माफ कीजिये इस वक़्त फोन कर रही हूँ,क्या करूँ.. बात ही कुछ ऐसी है”
साहिल:-“क्या हुआ.. बेझिझक बोलो नीलम”
नीलम:-“सर,सत्यजीत सर ने शोरूम का सारा माल अपने घर मंगा लिया है”
साहिल:-“(गुस्से में)क्या.लेकिन क्यों ? किसी ने मुझे बताया क्यों नहीं”?
नीलम :-“माफ कीजिये आप की गैरमौजूदगी में हमेशा उनके अधिकार में ही सब रहता है ..तो..’
साहिल:-“हम्म ..हम्म..अच्छा किया तुमने जो बता दिया,ठीक है मैं देखता हूँ”
नीलम :-“सर,मैंने उन्हें किसी से बात करते सुना है कि वो कल सुबह की फ्लाइट से कही जाने वाले हैं”
साहिल:-” ओहह.. ” कहकर उसने फ़ोन डिस्कनेक्ट किया,और अखिल को फोन लगा दिया
“हेलो अखिल,मीनाक्षी का ऑक्सीडेंट हुआ है,वो जयंत हॉस्पिटल में है”
अखिल:-‘क्या..कैसे ..क्या ये …ये उसी आत्मा का काम है?”
साहिल:-“वो सब बाद में बताता हूँ ,तुम लोग यहीं आ जाओ,मुझे सत्यजीत के पास जाना है”और फोन डिस्कनेक्ट करके वो गुस्से में सत्यजीत के घर चला जाता है…
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साहिल,सत्यजीत के घर की डोरबैल बजाते हुए दरवाजे को भी गुस्से में लगातार पीटता है, तो एक अच्छे डील-डॉल वाला आदमी दरवाजा खोलते ही बोलता है,
“कौन हो तुम,तुम्हें डोरवैल बजाना नहीं आता” साहिल उसकी बात को अनसुना करके घर के भीतर घुसने की कोशिश करता है,तो वो साहिल को बाहर धकेलते हुए दरवाजा बंद करने लगता है
साहिल पूरी ताकत से अपना पैर उठाकर उस आदमी के पेट पर दे मारता है और अंदर घुसकर एक घूँसा उसकी नाक पर मारते हुए,एक सरसरी नजर पूरे घर पर डालता है,
जहाँ उसे सत्यजीत नहीं दिखता,कि अचानक एक कमरे से धुंआ निकलता दिखता है,और साहिल पूरी ताकत से एक लात मारकर उसे खोल देता है,
और अंदर का नजारा देख कर उसका दिमाग चकरा जाता है !
वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI- पार्ट 7 अंतिम पार्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें !