सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 17

उस दिन आपने कपड़े किस रंग के पहने थे..याद कीजिये उस दिन लाल शर्ट पहनी थी आपने …अरे मैं तो ये भी बता सकता हूँ कि जिस दिन बुआ से पार्क में मिले थे उस दिन उनके चले जाने के बाद भी आप वहाँ करीबन 20 मिनट बैठे रहे थे… ये तो बुआ नहीं बता सकती ना मुझे “
“कैसे जानते हो तुम ये सब?..मुझे साफ-साफ बताओ” गिरिराज आवेग में आते हुए बोले
“वही तो…मुझे भी समझ नहीं आ रहा लेकिन मैनें ये सब कल रात देखा खुद अपनी आँखो से”
“सालों पहले की घटनाएं? कल …पता भी है क्या बकवास किये जा रहे हो?” गिरिराज घोर हैरानी में सोफ़े से उठकर खड़े हो गए थे!

17.

“आकाश! अरे भई सूरज सिर पर चढ़ आया है! कब तक सोओगे?” ये आवाज सुनकर आकाश ने धीरे से अपनी आँखे खोल दी।

सामने खिचड़ी वालों वाले, आँखों पर चश्मा चढ़ाये हल्के गुस्से में राघव उसे दिखे। आकाश खुशी से चीख पड़ा

“राघव चाचू ” खुद के लिये चाचू शब्द सुनकर राघव चौंक गया।

“क्या हुआ कोई सपना देखा है क्या?  उठ जाओ शोरूम नहीं जाना? मैं कुछ खाने का इन्तजाम करता हूँ तुम्हारे लिये”

सपना? तो क्या सपना देखा था मैनें ? राघव चाचा को उनके जवानी के दिनों में देख कर आ रहा हूँ और बुआ…क्या सच मे सपना ही देखा था मैनें, ऐसा सपना?

“आकाश, अभी तक यहीं बैठे हो? समझ नहीं आता आखिर तुम इस कमरे में आते क्यो हो…देखो जमीन पर ही सो गये थे” बोलते हुए राघव ने आकाश को चाय का कप पकड़ा दिया। और कप पकड़ते हुए भी आकाश, राघव को किसी अचंभे की तरह देख रहा था

“क्या हुआ तबियत ठीक नहीं है क्या?” आकाश को खुद की ओर घूरते देख राघव ने पूँछा

“आप हमेशा मेरा ख्याल रखते हैं” आकाश भावुक होकर बोला और राघव से लिपट गया

“अरे क्या हुआ..अच्छा अच्छा अब तैयार भी हो जाओ ” हँसते हुए राघव ने आकाश की पीठ थपथपा दी।

***

“आकाश काम समझ आ रहा है ना तुम्हें?” आकाश के शोरूम में घुसते ही आकांक्षा ने पूँछा

” हाँ सब समझ आ रहा है” आकाश ने कहीं खोये हुए स्वर में जवाब दिया और अपनी सीट पर बैठ गया। 

आकाश का ऐसा ठंडा रवैया देखकर आकांक्षा वहाँ से चली गयी। और आकाश  फिर अपने ख्यालों में खो गया

क्या सपना था…सपना कैसे हो सकता है सो भी इतना लम्बा सपना!खासतौर से उन्हीं घटनाओं से जुड़ा हुआ कैसे हो सकता है ..कैसे सम्भव है ये…बुआ ने नागेन्द्र की हत्या की थी..एकदम सही किया ऐसे कमीनो के साथ ऐसा ही होना चाहिये..कितनी बहादुर हैं मेरी बुआ! और राघव चाचा कितने हैण्डसम और इंटेलीजेंट!  मेथ्स का टॉपर होना इतना आसान नहीं और कैसे भुल सकता हूँ की वो बहादुर भी थे क्या पीटा उस दुकानदार और सिक्योरिटी वालों को!

“ (मुस्कुराते हुए) वाह। और एक मैं हूँ जो ना तो राघव चाचा की तरह हूं, ना ही बुआ की तरह बहादुर हूँ! ना ही पढ्ने में होशियार ..लेकिन मेरा मन इसे सपना मानने को तैयार नहीं और ये सब हकीकत भी नहीं हो सकता…उफ्फ कैसी उलझन है  …क्या करुँ ….. क्या करुँ…क्या कोई मदद कर सकता है इसमें मेरी…(अचानक चौंक कर) हां एकदम ठीक! दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

“दीदी,  अपना शोरूम सम्भालिये मुझे एक जरुरी काम से जाना है” आकाश वहाँ से भागता हुआ बोला

“अरे लेकिन …” आकाँक्षा की बड़ी बहिन की आवाज को बिल्कुल अनसुना कर दिया आकाश ने।

***

“सपने में यही जगह थी यही! लेकिन (एक बिल्डिंग की ओर देखते हुए) सिर्फ़ एक फ्लोर का घर बना हुआ था..  हो सकता है बदल गया हो” खुद में बुदबुदा ही रहा था आकाश कि नजर सामने खड़े दो लोगों पर गयी जो आपस में अखबार देखते हुए किसी हिसाब-किताब में व्यस्त थे।

“काश ये ओ.एस.आर के शेयर मैनें दस साल पहले भी ले लिये होते तो आज मैं करोड़पति होता” उनमे से एक बोला

“भई तब पैसे ही कहाँ होते थे” दूसरा बोला

“सुनिये ….सुनिये” कहता हुआ आकाश उनके पास चला गया।

“कहिये”

“यहां इस बिल्डिंग की जगह एक छोटा सा मकान बना था! जिसमें एक लड़का रहता था आ …नाम था गिरिराज..क्या आप कुछ जानते हैं इस बारे में”

“कौन हो तुम”उनमे से एक ने आश्चर्य से पूँछा

“ज जी मैं उनके दोस्त का बेटा हूँ और उनके दोस्त जीवन की आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं अपने अन्तिम समय में वो गिरिराज जी से मिलना चाहते हैं” एक ही साँस मे आकाश बोल गया!

आखिर मुझे ये अजीव झूठी कहानी कहने की जरुरत क्या थी-आकाश अपना सिर खुजलाते हुए बुदबुदाया!

“ओह्ह सुनकर दुख हुआ…” आकाश की कहानी काम कर गयी थी।

“लेकिन ये तो काफी पुरानी बात है…लगभग 26 या 27 साल हो गये होंगे! तब गिरि यहां रहता था!”

“जी वो हल्का मन मुटाव हो गया था ना…उन दोनो के बीच..तो”

“हम्म हम्म समझ गया…चलो मैं खुद ही छोड़ आता हूँ आपको”  वो बोला और आकाश के साथ चलने लगा

“तब बेचारे का दिल टूट गया था..पढ़ाई बीच में छोड़कर वो चला गया …बाद मे ये सब उसके मित्र सुरेन्द्र ने बताया मुझे, जब वो गिरिराज का सामान लेने आया। मेरे कमरे का किराया बाकी था गिरिराज पर, लेकिन कहता कैसे? इंसानियत भी कोई चीज़ होती है, लेकिन लगभग 4 -5 साल बाद गिरिराज  बापस आ गया! मेरे पैर छूकर बोला ‘इन्जीनियर बन गया हूँ’ और पगला मुझे किराया देने लगा” 

चलते -चलते बोल रहे थे वो सज्जन और सच में उसकी आँखों के किनारे भीग गये! जो उन्होंने आकष से छिपा कर पोंछ लिये

“ये लो आ पहुँच गए, वो काला दरवाजा …खटखटाओ तो जरा..आ ही गया हूँ तो मैं भी मिल लूँ ” उन सज्जन ने कहा तो आकाश ने आगे बढ़कर दरवाजा खटखटा दिया।

आकाश अब भी असमंजस की स्थिति मे ही था। थोड़ी देर में दरवाजे पर हल्की सी आहट हुई और दरवाजा खुल गया

अपनी आँखे बड़ी कर देख रहा था आकाश, वो गिरिराज ही थे।

“अरे मास्टर जी! आइये …आइये” गिरिराज उस आदमी को देखकर बोले जो आकाश को लेकर आया था।

“बस्स किसी और दिन आऊँगा फिलहाल तो इन महाशय को छोड़ने आया हूँ” उसने आकाश की ओर इशारा करते हुए कहा, तो गिरिराज ने अपनी नजर घुमाकर आकाश की ओर हैरानी से देखा..जो पहले ही उन्हें घूर रहा था

“इन्हें आपकी जरुरत है! गिरिराज! पुराने गिले-शिकवे भूल जाना चाहिये इन्सान को…अच्छा चलता हूँ, फिर आऊँगा” मास्टर ये बोलकर चले गये।

” तुम यहां तक कैसे पहुँचे….?” गिरिराज ने हैरानी से पूँछा

“वही तो …मैं भी हैरान हूँ ” आकाश खोया सा बोला

“अब आ ही गए हो तो भीतर आ जाओ…” गिरिराज अन्दर जाते हुए बोले और आकाश उनके पीछे चल दिया!

गिरिराज ने आकाश को बैठने का इशारा किया और खुद भी बैठते हुए बोले,

“आज कौन सी नयी कहानी लेकर आये हो?” 

“कहानी का तो नहीं पता लेकिन आज, आपकी कहानी के सारे सवालों का जवाव है मेरे पास”

“मतलब?”

“मुझे पता चल गया है नागेन्द्र कहाँ है” आकाश के ये बोलते ही गिरिराज के चेहरे के भाव बदल गये

“मुझे ये भी पता है कि जब आपने उसे बुआ के घर देखा था …तो आपके आने से पहले ही उसने पिस्तौल दिखाकर बुआ को चुप रहने के लिये मजबूर किया था”

“ओह्ह तो आज उर्मिला से बात करके आये हो” गिरिराज ने खिसियानी हँसी के साथ ताना मारते हुए कहा!

“चलो आपकी बात एक बार को मान भी लूँ तो, अब बुआ कम से कम मुझे ये तो नहीं बता सकती कि जिस दिन आप उनसे मिलकर अपने कमरे पर पहुँचे आपने शराब पी! और उसी दिन अपनी प्रेम कहानी आपने सुरेन्द्र को बतायी”

अब गिरिराज का चेहरा फ्क्क पड़ गया!

“मैं तो ये भी बता सकता हूँ कि उस दिन आपने कपड़े किस रंग के पहने थे..याद कीजिये उस दिन लाल शर्ट पहनी थी आपने …अरे मैं तो ये भी बता सकता हूँ कि जिस दिन बुआ से पार्क में मिले थे उस दिन उनके चले जाने के बाद भी आप वहाँ करीबन 20 मिनट बैठे रहे थे… ये तो बुआ नहीं बता सकती ना मुझे “

“कैसे जानते हो तुम ये सब?..मुझे साफ-साफ बताओ” गिरिराज आवेग में आते हुए बोले

“वही तो…मुझे भी समझ नहीं आ रहा लेकिन मैनें ये सब कल रात देखा खुद अपनी आँखो से”

“क्या? कल रात? …पता भी है क्या बकवास किये जा रहे हो?” गिरिराज घोर हैरानी में सोफ़े से उठकर खड़े हो गए थे!

“मैं जानता हूँ यकीन करना मुश्किल है…लेकिन ये भी जानता हूँ..  ये जो है …है सच…कल रात को ही मैनें आपका घर देखा…तभी तो मैं आपके उस ऐड्रेस पर पहुँचा जहाँ कभी आप सालों पहले रहते थे…..वरना कैसे पहुँचता आप ही बताईये”

गिरिराज के चेहरे पर उत्सुकता और हैरानी के भाव आ -जा रहे थे!

“मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा कि कैसे? लेकिन मैने सालों पहले का वो मंजर अपनी आँखो से देखा ! जब आप बुआ से मिलने गये …और नरेंद्र को देखकर गुस्से से लौट आये  ….मैंने सभी को उनके युवा रूप मरण देखा !

आप को! बुआ को! राघव चाचा को!….राघव चाचा के साथ तो मैंने अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा वक़्त विताया है, जानते हैं आप …अरे आप तो जानते ही होंगें …लम्बे बाल रखते थे उन दिनो आप, और शर्ट के आगे के दो बटन खुले रखते थे शायद गले में पड़ी चेन दिखे इसलिये….”

गिरिराज ने ये सुनकर हामीं में सिर हिला दिया!

“मेरे वहाँ से चले जाने के बाद, उस रात क्या हुआ था क्या बता सकते हो?”गिरिराज दाँत भीचकर बोला

“हम्म…बता सकता हूँ! आपके जाने के बाद वो नरेंद्र …वो कैसे च.. कैसे कहूँ” आकाश झिझक रहा था

“बोलो आकाश क्या देखा? बताओ मुझे ” गिरिराज चीख पड़े!

“मैनें देखा, कि वो बुआ के साथ! जबरदस्ती करना चाहता था.. उन्हें ये धमकी देते हुए मजबूर कर रहा था कि वो आपके और उनके रिलेशन के बारे में राघव चाचा और सभी को बता देगा!

“कमीना .. “ राघव ने गुस्से में दांत भींचते हुए जोर से एक पंच दीवार पर मारा!

आकाश ने आगे कहा,” आप को देखकर उसने बुआ को ये कहकर धमका दिया कि अगर वो चुप ना रहीं तो वो मार देगा आपको….इसलिए वो उस टाइम कुछ नहीं बोलीं!

“कितनी बड़ी गलती की उर्मिला ने .. क्या यही भरोसा कर पाई थी वो मुझ पर? कि कोई सड़कछाप धमकी दे. और उर्मिला मुझ से ज्यादा उस कमीने पर भरोसा करने लगे”

आकाश ने देखा, गिरिराज का चेहरा गुस्से में तमतमा रहा था!

“उसके पास रिवॉल्वर थी!” आकाश धीरे से बोला!

“तो? अरे मजाक है क्या? क्या रिवॉल्वर पास रखने भर से रिवॉल्वर चलाने की हिम्मत आ जाती है? ले आया होगा कहीं से चुराकर! चोर कहीं का ! अगर वो वस टाइम बोल देती है तो उसी रिवॉल्वर से मैं उसे मार देता और आज  स्थिति कुछ और होती!”

“वो आपके लिए डर गईं थीं, उस वक्त”

“आ .. क्या होता? ज्यादा से ज्यादा वो मार देता मुझे ! यही ना? बेहतर होता! हजार बार बेहतर होता, कम से कम जो मेरे भरोसे की मौत हुई, वो तो ना होती! ये जिंदगी जीते जी जहन्नुम तो ना बनती! हर दिन मर -मर कर जीता हूँ मैं.. हर दिन!”

“माफ कीजिए! लेकिन भरोसे की बात तो आप पर भी लागू होती है! क्या आपको उन पर इतना भरोसा भी नहीं था 

कि कोई आया, उसने कुछ बोला और आपने यकीन कर लिया? क्या नहीं पता आपको कि कभी-कभी आँखों देखा और कानों सुना भी झूठ होता है!”

आकाश की ये बात सुनकर, गिरिराज के चेहरे के भाव बदल गए, वो कुछ पल अवाक से आकाश की ओर देखते रहे, फिर अपनी गलती स्वीकारते हुए उन्होंने सहमति में अपना सिर हिलाया और धीरे से बैठ गए!

आकाश ने पानी का एक गिलास पानी उनकी ओर बढ़ा दिया! और बोला,” उस वक़्त तो आपकी खातिर चुप जरूर रहीं, लेकिन जैसे ही आप वहाँ से गये…और वो कमीना कुछ कर पाता, इससे पहले ही बुआ ने उसका खून कर दिया “

“क क्या नागेन्द्र का खून उर्मिला ने … ?”गिरिराज सदमे से बोले!

“हम्म चाकू से….”

“मैं नहीं मानता! उर्मिला में इतनी हिम्मत कभी ना थी “ गिरिराज ने सिरे से मना करते हुए अपना सिर ‘ना’ में हिलाया 

“बात जब इज्जत और प्रेम की आ पड़े तो इन्सान क्या नहीं कर जाता अंकल!…अरे वो तो इतनी बहादुर निकलीं कि उसकी लाश को अकेले श्मशान में दफन तक कर आयीं”

गिरिराज ने दोनों हाथों से अपना चेहरा भींच लिया और गहरी-गहरी सांसे लेने लगे!

“अंकल!” आकाश एकदम थकी हुई आवाज में बोला!

“हम्म”

“ अचानक मुझे खुद का शरीर बेहद भारी मेहसूस हो रहा है.. कुछ समझ नहीं आ रहा है समझ से परे है ये ” आकाश थके स्वर में बोला

“शायद मुझे सब समझ आ रहा है” गिरिराज गंभीर आवाज में बोला।

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 18

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