वो उछलकर नीचे कूदा और अपने चेहरे को बिल्कुल उसके चेहरे के पास लाने लगा..वो निस्तेज, ठंडा और डरावना चेहरा अब बिल्कुल उसके पास था. डर के साथ-साथ एक गिजग़िज़ा एहसास हुआ उसे और एक चीख के साथ आकाश...
6.
“गि…री!” उर्मिला के मुँह से धीरे से निकला!
उस आदमी ने घोर अफसोस में ऐसे सिर हिलाया, मानों खुद का चेहरा दिख जाने का और खुद के पहचाने जाने का बहुत बड़ा अफ़सोस हुआ हो। फिर उसने बुत बनीं उर्मिला को कुछ पल देखा…और जाने के लिए मुड़ गया…
“नहीं गिरी..गिरी…गिरी.री री…रुक जाओ…रुक जाओ…रुक जाओ गिरी… तुम्हें मेरी कसम…” उर्मिला ने उसे जाता देख गुहार लगाई, और उसके पीछे चल दीं!
लेकिन वो इंसान जैसे बहरा हो गया हो, उसके तेज़ कदम भरपूर दूरी मापते से आगे बढ़ने लगे..और तब तक बढ़ते रहे…जब तक वो उर्मिला की आंखों से ओझल नहीं हो गया…उर्मिला के कदम उन कदमो से गति नहीं मिला पाए…और मन की निराशा ने उन्हें रोक दिया….उनकी आँखों से आँसू नहीं रुक रहे थे! वो घुटनों के बल वहीं जमीन पर बैठ गयीं
“तुमने तब भी नहीं सुना था…आज भी नहीं सुना.. गिरी…एक बार तो सुनना था….कम से कम एक बार तो सुन लेते मेरी बात….एक बार तो पूंछ लेते मुझसे….”उर्मिला रोते हुए बुदबुदाई!
***
‘ये धम्म की आवाज कहाँ से आई…” बोलता हुआ आकाश बाहर की ओर दौड़ा और उसके पीछे- पीछे रोहित भी दौड़ा लेकिन अब तक अंधेरा होने लगा था…और कुछ भी साफ-साफ दिखना मुश्किल था…
“शायद सीढियों पर रखा वो टूटा हुआ छज्जा नीचे गिरा ये उसकी ही आवाज थी” रोहित डरते हुए बोला
“कौन है बाहर…आवाज दो ..मैंने पूँछा कौन है” राघव तेज आवाज में चीखते हुए कमरे से बाहर निकला
“चाचा जी…हम हैं..हम…वो आ मैं रोहित और ये आकाश” रोहित ने जवाब दिया
“ओह्ह.(खुशी से चहकते हुए) रोहित..आकाश…(फिर आगे बढ़ कर दोंनो को गले लगाते हुए) मेरे बच्चो …क्या शानदार उपहार दिया है तुम दोंनो ने मुझे, क्या कहूँ कितना खुश कर दिया है…ओह ! सालों बाद लगा जैसे जीवित हूं मैं…” राघव ने भावुकता में नम हो आयी आँखे पोंछी और आगे बोला
“अच्छा ये तो बताओ…घर में सब ठीक हैं ना…?”
“जी चाचा जी …” दोंनो ने एकसाथ जवाब दिया
“ठीक है …तुम लोग हाथ-मुँह धो लो..मैं कुछ अच्छा सा बनाता हूँ तुम दोनों के लिए” राघव किचिन की ओर मुड़ गया
और राघव की किचिन में जाते ही…
“ये घर है…इसे घर कहते हैं..इसे…अगर इसे घर कहेंगे तो खण्डहर किसे कहेंगे… ” रोहित खीज कर बोला!
“क्या यार छोड़ ना ये सब …देखा नहीं चाचा जी कितने खुश हैं हमें देखकर…” आकाश खुश होकर बोला
“..मम्मी सच ही कहती हैं इनके बारे में, ये सनके हुए हैं” रोहित फिर खीज कर बोला
“क्या यार…अच्छा चल मैं नहा लेता हूँ”
थोड़ी देर बाद
“ये है मसालेदार बैंगन का भर्ता और ये रही मेरी वाली स्पेशल दाल..और ये रहीं रोटियां.थोड़ी मोटीं हैं लेकिन …अच्छा जरा खाकर बताओ तो …कैसा बना है खाना” राघव दोनों के सामने खाना रखते हुए बोला
“फिलहाल तो जो मिल जाये, नियामत है..बड़ी तेज़ भूख लगी है.” रोहित जल्दी से एक निवाला मुँह में रखते हुए बोला
“खाना सच में बहुत अच्छा बना है चाचा जी..” आकाश ने एक निवाला मुँह में रखते ही खाने की तारीफ की तो राघव का चेहरा खिल गया!
***
राई तेज़ी से गेट के अंदर आई ! वो अपने क्लास की ओर मुड़ी ही थी कि लगा किसी ने उसका दुपट्टा उलझ गया है, वो खीजते हुए पलटी तो नजर एक जूते पर पड़ी जो उसके दुपट्टे पर रखा था, उसने गुस्से में नजर उठाकर ऊपर की ओर देखा,
रंजन ढ़ीटता से खड़ा मुस्कुरा रहा था, रंजन राई का क्लासमेट ही था, 5 फ़ीट छ: इंच की लंबाई वाला रंजन औसत नैन-नख्श का लड़का था जिसके सिर के आगे का हिस्सा बालों से गायब हो गया था और जब तब उसे कॉलेज में कहीं भी सिगरेट पीते हुए देखा जा सकता था।
“ये क्या बदतमीजी है रंजन?” वो गुस्से में चीखी
“बदतमीजी?…मैंने क्या किया?…क्या बदतमीजी कर दी मैडम?” वो अनजान बनने का नाटक करता हुआ फिर मुस्कुरा दिया..राई उसके रवैए से बुरी तरह खीज कर बोली,
“ये तुमने अपना पैर मेरे दुपट्टे पर क्यों रखा है?”
“ओह्ह…. च..च..च..ये मेरा पैर भी ना..”अपना पैर साइड में हटाते हुए वो बोला”
राई अपने दुपट्टे पर जूते के गंदे निशान देखकर गुस्से से भर गयी, “दुष्ट लड़का, इससे कुछ भी कहने -सुनने का कोई फायदा नहीं” बुदबुदाती हुई राई उससे कुछ भी ना कहने की सोचते हुए मुड़ी ही थी कि रंजन बोला,
“वैसे मानना पड़ेगा…पैर पड़ा भी तो किसके दुपट्टे पर…चॉइस अच्छी है.. नयी?” रंजन को मुस्कुराते देख, गुस्से से राई का खून जल गया
“तुम्हारी इतनी हिम्मत..” कहते हुए राई ने अपना हाथ रंजन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था..कि रंजन ने उसका हाथ ना सिर्फ जोर से पकड़ा बल्कि इतनी जोर से भींच दिया कि राई के मुंह से “आहह”निकल गयी
“इतने नाजुक हाथों से किसी को मारना बिल्कुल अच्छी बात नहीं..राई” वो बशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला, रंजन से इस उदण्डता की उम्मीद भी नहीं थी राई को…स्टूडेंट भी धीरे-धीरे उनके आस पास खड़े होने लगे थे…उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे…कि तभी
एक जोरदार पंच रंजन के मुंह पर पड़ने की आवाज आई
“और इन हाथों के बारे में तेरा क्या ख्याल है?” नीरज पंच मारने के साथ बोला
राई की नजर जब नीरज पर पड़ी तो उसने मन ही मन राहत की साँस ली।
“तू..?”
“हां मैं…” नीरज ने बोलने के साथ ही राई को वहाँ से जाने का इशारा किया और अपनी शर्ट की आस्तीन ऊपर समेटने लगा…राई भी बिना एक पल और गवाएं वहाँ से तेज़ चलते हुए हटी और क्लासरूम की खिड़की से दोंनो को देखने लगी।
“ना मुझे समझ नहीं आता..तू बीच में आने वाला होता कौड़ है..” पंच खाया रंजन खिसियाते हुए चीखा और साथ ही नीरज की ओर उसने अपना पैर मारने के लिए उछाला ही था कि नीरज ने उसका वही पैर पकड़ा और जोर से पीछे की ओर धक्का दे दिया ..अचानक से हुए इस प्रेशर को रंजन सम्भाल नहीं पाया और जमीन पर गिर गया।
रंजन को ऐसे गिरा देखकर राई के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी, उसी टाइम नीरज की नजर राई पर गई और कुछ पल ठहर गयी…और इस मौके का फायदा उठाकर रंजन फुर्ती से उठा और नीरज का गला पकड़ लिया
“स्साले तेरी इतड़ी हिम्मत…बहुत चर्बी चढ़ी है क्या ट्रस्टी के बेटा होने की ..हें” नीरज के गले को तेज़ी कसते हुए रंजन चीखा
नीरज ने अपना घुटना मोड़ा, और रंजन के पेट पर मारते हुए खुद को उसकी पकड़ से आजाद कर लिया
“नहीं! ट्रस्टी के बेटा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे…फर्क पड़ता है तो तुझ जैसे आवारा लड़कों से..जो एमबीए के स्टूडेंट होने के बाबजूद हरकतें जाहिलों से भी गयी बीती करतें हैं..” नीरज हाँफते हुए बोला
“तू होता कौन है मुझे समझाने वाला…हां…मेरी मर्जी मैं किसी भी लड़की से कोई भी बात करूं..फिर चाहे वो रा…अ…” वो राई का पूरा नाम बोलता इससे पहले ही नीरज ने उसका मुंह जोर से पकड़ लिया और जोर से भींचते हुए दीवार से सटा दिया
“सुन! अपने इस गंदे मुंह से राई का नाम लिया भी तो…मार डालूंगा मैं तुझे…सच में छोड़ूंगा नहीं…समझा” नीरज उसके कान में धीरे से बोला
“व्हाट्स गोइंग ऑन हियर…शेम ऑन यू गाईज़..आर यू स्कूल गोइंग बॉयज और व्हाट? लेट्स गो टू प्रिंसिपलस केबिन” चौहान सर स्टूडेंटस की भीड़ को चीरते हुए उन दोंनो के पास आकर गुस्से में चीखे
“सर वो..बस्स ऐसे ही हम बस्स यूं हीं” रंजन संयत होने का दिखावा करते हुए बोला
“आई सैड…राइट नाउ” चौहान सर फिर चीखे तो दोंनो प्रिंसिपल के रूम की ओर बढ़ गए…और उनके पीछे-पीछे चौहान सर भी…
उन तीनों को प्रिंसिपल के केबिन की ओर जाता देख कर राई ने खुद के माथे पर हाथ रख लिया, वो टेंशन में आ गई थी।
***
वो एक गहरी सुरँग थी..लगभग 20 से 30 मीटर, जिसमें बस्स अंधेरा ही था..फिर भी ना जाने कैसे उन सबके शरीर साफ-साफ दिख रहे थे.. जिनकी गिनती लगभग 10 से 12 होगी…सबके कपड़े सफ़ेद उजले…ऊपर लगे कुंडों में सभी के दोंनो हांथ ऊपर की ओर बंधे हुए थे..और पैर जमीन से कम से कम एक फ़ीट ऊपर हवा में थे…
सब एकदम चुपचाप थे…इस अंजान जगह पर ऐसे कौन इन्हें यूं बांधकर रख गया और क्यों? इसी सोचा-विचारी में था वो कि उसका हाथ उनमें से एक शरीर को छू भर गया और उसके छूते ही वो शरीर गायब हो गया…उसने डरते हुए दूसरे शरीर को छुआ और वो भी गायब…फिर तीसरा चौथा…पाँचवा, छठा और सातवाँ..वो आगे बढ़ता गया और अपना हाथ उन लटकते शरीरों पर छुलाता गया…सब गायब होते जा रहे थे..बस्स एक ही लटकता शरीर रह गया था..वो जल्दी से आगे बढ़ा और अपने हाथ को उस शरीर से छुला दिया…और छुलाते ही तेज़ी से बापस खींच लिया…वर्फ़ सा ठंडा एहसास हुआ उसे, अब वो उस लटकते शरीर के ठीक सामने खड़ा होकर उस शरीर के चेहरे की ओर देखने लगा…
एकदम निस्तेज चेहरा नीचे की ओर झुका हुआ था, जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था..ना तो आंखें थीं और ना ही आंखों के निशान…पूरे सिर के बाल चिपकर जैसे दो हिस्सों में बंट गए थे…ये है क्या? सब गायब हो गए..ये क्यों नहीं हो रहा…इतना सोचने भर की देर थी कि, तभी,
किसी की डरावनी हँसी गूंजी और वो डरते हुए नीचे गिर पड़ा उसके गिरते ही…उस लटकते शरीर की गर्दन उठी, और फिर आवाज गूंजी “क्योंकि मैं उन कमज़ोरों में से नहीं हूँ…मैं तो वो हूँ जो तुम्हारे इंतजार में है…”
कहने के साथ ही वो उछलकर नीचे कूदा और अपने चेहरे को बिल्कुल उसके चेहरे के पास लाने लगा..वो निस्तेज, ठंडा और डरावना चेहरा अब बिल्कुल उसके पास था. डर के साथ-साथ एक गिजग़िज़ा एहसास हुआ उसे और
“आहह”
एक चीख के साथ आकाश ने अपनी आँखे खोल दी, उसने खुद को चारपाई पर पाया, कमरे में धुप्प अंधेरा पसरा था और उसका शरीर पसीने में भीग गया था
“आकाश…क्या हुआ” रोहित ने पूँछा वो उसके पास ही दूसरी चारपाई पर लेटा था
“नहीं कुछ नहीं..”
“बुरा सपना देखा क्या?…
“…हुम्…”
“च अब इस जगह कोई राजकुमारी के सपने तो आने से रहे…बस्स जैसे- तैसे ये रात कटे, मैं तो सुबह होते ही उठकर भाग जाऊँगा यहाँ से”
“क्या…और बुआ जी…उनका क्या?” आकाश ने चौंककर पूँछा
“गढ़े मुर्दे उखाड़ने से हो भी क्या जाएगा यार…खैर! सोने दे मुझे और तू भी सो जा”
आकाश लेट गया..नींद आँखों से कोसो दूर थी..और अभी -अभी देखा हुआ सपना उसके के जहन पर छाया था..अंधेरे में उसकी आँखें यूँ ही बेकार में ही कुछ खोजने लगी। तभी
`ठक्क` की आवाज उसे सुनाई दी
ये आवाज कैसी….कि तभी फ़िर से
`ठक्क` इस बार थोड़ी तेज़ आवाज हुई
“रोहित …रोहित…” आकाश ने पास ही लेटे रोहित को आवाज दी
“क्या है यार..”
“सुन..कुछ आवाज आ रही है”
“तू भी यार…फिर कुछ ईंट…या पत्थर गिरा होगा और क्या…सोने दे ना..तू भी सो जा”
आकाश को रोहित की बात सही लगी और वो लेट गया…मुश्किल से एक या दो पल बीते होंगें कि फिर
`ठक्क`
और इस आवाज के साथ ही आकाश उठ कर बैठ गया
“रोहित तूने आवाज सुनी ना” लेकिन उकताए रोहित ने कोई जवाब नहीं दिया….
और आकाश पहली मंजिल से नीचे की ओर जाने वाली सीढियां उतरता हुआ बरामदे में आ गया
`ठक्क` थोड़ी और तेज़ आवाज ने उसे इस बार डरा ही दिया
सामने बने कमरे को देखकर उसे एहसास हुआ कि आवाज उस कमरे से आ रही है …उसने अपना कान दरवाजा पर लगाया और सुनने की कोशिश करने लगा…
`ठक्क` इस बार तो ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कान के पास ही कुछ फेंक कर मारा हो …
वो पीछे हट गया..और दरवाजा खोलने के लिए जोर लगाया…दरवाजा नहीं खुला तो उसने अंधेरे में ही टटोलकर देखा, दरवाजे पर एक बड़ा ताला लटक रहा था।
उसी वक़्त आकाश को अपने कंधे पर किसी के हाथ रखे होने का एहसास हुआ, आकाश को ऐसा लगा जैसे उसका खून जम गया हो, और हिम्मत करके वो पीछे की ओर पलट गया!
सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 7
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