सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 7


“मेरे पास उन कड़ो से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं है इस वक़्त…बाद में गिरी से…” वो बात पूरी करती, इससे पहले ही नागेंद्र अपने होंटो पर जीभ फिराते हुए बोला, 
“बड़ी भोली हो…ये तुम्हारा नाजुक बदन सोने से कहीं ज्यादा कीमती है..मुझे यही चाहिए “

“नागेन्द्र?…”उर्मिला गुस्से में चीखी

7.

आप किसी भी दिशा में खड़े हों भला पीछे मुड़ने में कितनी देर लगती है, आकाश को पीछे मुड़ने के इस पलक झपकते वक़्त में भी ना जाने कितने ही विचारों ने घेर लिया। 

वो पीछे मुड़ा …

“यहाँ इतनी रात गए क्या कर रहे हो आकाश?” राघव की आवाज से उसे राहत मिली, और उसने एक गहरी सांस छोड़ी

“क्या हुआ! नींद नहीं आ रही क्या?” कोई जवाब ना मिलते देख राघव ने फिर पूँछा!

“चाचा जी, मुझे कुछ आवाज सुनाई दी..वो भी कई बार…शायद इस कमरे से आ रही है…जरा इस ताले की चाबी दीजिये ना” आकाश कमरे की ओर इशारा करते हुए रिक्वेस्ट की!

“हम्म…समझा..नई जगह है ना, फिर इस घर की हालत भी खस्ता है…कुछ ईंट वीन्ट खिसक गई होगी, इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं..चलो आओ, मेरे कमरे में सो जाओ”

“लेकिन…”

“अरे आओ भी…कुछ बातें हो जाएं चाचा-भतीजे में…” कहते हुए राघव ने आकाश के कंधे पर हाथ रखा और उसे अपने कमरे में ले गया।

***

“क्या कहा प्रिंसिपल सर ने?” जैसे ही नीरज प्रिंसिपल रूम से बाहर निकला, राई ने उससे पूँछ लिया, जब से नीरज, रंजन के साथ प्रिंसिपल के रूम में गया था वो बेचैनी से बाहर उसका इंतजार कर रही थी!

“तुम यहाँ खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थीं?” नीरज ने मुस्कुरा कर पूँछा

“अ… हां…बताओ ना क्या कहा तुमसे?”

“कुछ खास नहीं…बस्स पहली और आखिरी वॉरनिंग देकर छोड़ दिया” नीरज हँसते हुए बोला

“ये सब मेरी वजह से हुआ…” राई गंभीर आवाज में बोली

“तुम्हारी नहीं…उस रंजन की वजह से हुआ…खैर कोई फर्क नहीं पड़ता…”

“तुम्हें चोट तो नहीं लगी?”

“चोट …नहीं तो ..बल्कि अगर चौहान सर ना आये होते तो मुंह तोड़ देता उसका या फिर वो पैर जो उसने तुम्हारे दुप्पटे पर रखा…”

“अच्छा.?.”

“तो और क्या…इतना गुस्सा आ रहा है क्या कहूँ…और उन्होंने क्या किया ..जानती हो… बस्स रंजन को डांट भर दिया..कम से कम सस्पेंड तो करना था ना…लेकिन नहीं…रंजन जैसे लड़कों को तो कॉलेज में होने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए”

नीरज थोड़े आवेग में बोला और चलने लगा …राई कुछ सेकेंड खड़ी रही फिर तेज़ी से नीरज के पास जाकर बोली

“आई एम सॉरी…”

“सॉरी फ़ॉर व्हाट्.?.”

“वो…”

“तुम क्यों सॉरी बोल रही हो….गलती तो उस” नीरज तेज़ी से बोला, तभी बीच में राई बोल पड़ी!

” मेरी गलती है…मेरी सोच की…आवारा होना सोच और आदतों पर निर्भर करता है ना कि लंबे बालों पर..और मैंने आपके बालों पर…” राई की बात सुनकर नीरज चुप हो गया, …राई के चेहरे पर अपनी कही हुई बात का पश्चाताप दिख रहा था..और नीरज को राई के चेहरे पर ये उदासी देखकर अच्छा नहीं लग रहा था…

“अरे! बल्कि मैं तो इसके लिए तुम्हें थैंग्स कहने वाला था…” नीरज हँसते हुए बोला

“थैंग्स….?” राई चौंकी

“हाँ…जब से बाल कटवा दिए हैं ना…सिर के साथ-साथ शरीर भी हल्का लग रहा है…पहले जब हवा चलती थी तो बालों को छूकर ही निकल जाती थी…सिर में महसूस ही नहीं हो पाती थी..अब तो महसूस होती है….” नीरज आंखे बंद करके ऐसे बोला जैसे अभी-अभी हवा चली हो…उसे ऐसे देख राई मुस्कुराने लगी

“जानती हो पहले तो कभी-कभी तो इतना बोर लगता कि दो-दो दिन बालों में शैम्पू ही नहीं कर पाता था..अब हर रोज़ शैम्पू कर लेता हूँ..बाल छोटे हैं ना…” नीरज मुस्कुरा कर बोला तो राई भी हँसने लगी!

“…तो अच्छा हुआ ना…इसलिए थैंक्यू बोलने वाला था..” नीरज राई को हँसते देख खुद भी हँसते हुए बोला

“तो..जब तुम्हें ये पता लग ही गया है कि मैं आवारा नहीं..तो क्या ये नाचीज़ तुमसे दोस्ती करने लायक है…?”

राई ने जब ये सुना तो एकदम से हँसना बन्द कर दिया

“वादा करता हूँ तुम्हें मेरी वजह से कोई परेशानी नहीं होगी” नीरज ने अपना हाथ राई की ओर बढाते हुए कहा तो राई ने मुस्कुराते हुए उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया।

***

“ये लो गर्मागर्म चाय के साथ ब्रेड बटर..” राघव ने मेज़ पर चाय और ब्रेड की ट्रे रखते हुए कहा

“वाह…”कहते हुए रोहित ने जल्दी से चाय का कप उठा लिया

“तो मेरे शेरों…अगर तुम लोग मुझे फोन कर देते या लेटर भेज देते…तो आज तुम लोगों के साथ रहता…लेकिन आज जाना बेहद जरूरी है… “राघव ने चाय का सिप करते हुए कहा

“कोई बात नहीं चाचा जी…..” दोनों एक साथ बोले

“हम्म…एक काम करो आज तुम लोग मॉल रोड घूम आओ…कल मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा…ये लो रोहित ये दो हजार तुम रखो…और ये दो हज़ार तुम रखो आकाश (दो-दो हजार के नोट देते हुए) और हां लोटते वक़्त खाना लेते आना…भई…मैं लौट कर खाना नहीं बना पाऊँगा”..

“क्या इन्हीं पैसों में से…?”रोहित ने बहुत धीमी आवाज में पूँछा,

“ठीक है चाचा जी…”आकाश, रोहित को कोहनी मारकर चुप रहने का इशारा करते हुए बोला…लेकिन राघव ने सुन लिया और हँस कर पर्स से और पैसे निकालकर रोहित पकड़ाते हुए कहा “हम्म शरारती…ये लो हजार रुपये और लो…ठीक है तो मिलते हैं शाम को…तुम लोग एन्जॉय करना”

राघव के घर से निकलते ही..

“पांच हजार रुपये में एन्जॉय… वो भी खूब…फिर खाना भी…हद्द है यार” रोहित अफसोस में सिर हिलाते हुए बोला

आकाश दिल खोल के हँस पड़ा

“सोचता था..सुबह ही निकल जाऊँगा…लेकिन अब सोचता हूँ…पहले घूम ही लूँ..” रोहित झूमते हुए बोला

और दोंनो मॉल रॉड निकल गए।

                        【मॉल रॉड】

चहल-पहल और भीड़ से भरा उत्साहित माहौल…दोंनो के चेहरे पर खुशी ले आया..

“ये छतरी क्यों…” रोहित मिड पॉइंट को देखते हुए बोला

“अबे…ये मिड पॉइंट है इसी पॉइंट के इस तरफ मार्केट है और ये दूसरी तरफ म्यूजियमस हैं…” आकाश मार्केट की तरफ देखते हुए बोला

“हम्म तो फिर क्या करें…कहाँ चलें पहले…”

“अरे इसमें क्या सोचना…चल मार्केट चलते हैं…”कहने के साथ ही आकाश मार्केट की ओर मुड़ गया और उसके पीछे-पीछे रोहित….

..वहीं एक छोटे से शोरूम के बाहर

“दीदी…मैं चलूं…लेट हो रही हूँ…” कहते हुए उसने अपने खुले बालों को एक हाथ से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और दूसरे हाथ से बचे हुए बालों को समेटने लगी…और जूड़ा बना पाती इससे पहले ही…

आकाश उत्साह में रोहित से बात करते हुए उस लड़की के बिल्कुल पास चला आया  …उसने बाल झटके …और वो आकाश की आँखो में जा लगे

“आह.. अरे..” खुद की आँख पर हाथ रखते हुए आकाश के मुंह से निकला…

“ओह्ह…सॉरी…सॉरी…आप ठीक हो ना?” उसने पलटकर घबराते हुए पूँछा

आकाश ने जब अपनी एक खुली आँख से उसे देखा…तो पलक नहीं झपकाई, उस लड़की की बड़ी सी दो बादामी आँखे..डरी सी आकाश पर ही टिकी थीं..वो पतली उंगलियों से खुद के बालों को चेहरे से हटाते हुए बार -बार दोहरा रही थी “आप ठीक तो हैं…आई एम सॉरी..”

आकाश ने उसको घबराते देख अपनी दोंनो आँखे खोल दी

“जी मैं बिल्कुल ठीक हूँ…”आकाश मुस्कुराते हुए बोला

“ओह्ह…..”उसने मुस्कुराते हुए राहत की सांस ली तो आकाश के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई…

उस लड़की ने फिर खुद के बाल समेटना शुरू कर दिया जूड़ा बनाने के लिए

“खुले रहने दो ना…” आकाश के मुँह से बेफाख्ता निकला

“ज जी.?.” वो चौंकी…और अनजाने ही उसके हाथों से बाल छूट गए,

“जब तुम पहली बार मुझे मिली थीं तब भी इन बालों ने इसे ही छुआ था मुझे…मुझे बहुत पसन्द हैं तुम्हारे बाल…”

आकाश के ये बोलते ही रोहित और वो लड़की दोंनो चौंक गए।

“आं…?” उस लड़की के मुंह से निकला

“क्या बकवास किये जा रहा है यार..” रोहित, आकाश के कान में फुसफुसाते हुए बोला

“एक मिनट…आप पहले कब मिले हैं मुझसे?”उस लड़की ने आकाश से पूँछा

“अ.. वो..पता नहीं लेकिन मिला हूँ” आकाश अचकचाते हुए बोला

“कोई मिला नहीं क्या सुबह से….पता नहीं कहाँ-कहाँ से चले आते हैं..” उसने बुदबुदाते हुए बाल समेटे और शोरूम के अंदर  घुस गई…और उसके पीछे पीछे आकाश भी जाने लगा

“अरे यार कहाँ जा रहा है…” रोहित ने आकाश की बांह पकड़कर उसे रोका

“अंदर…और कहाँ…?”

“लेकिन…हमें यहाँ से कुछ नहीं चाहिए…”

“अरे चल ना अंदर …कुछ ना कुछ ही दिख जाएगा…”

“अरर…” रोहित बोलता रह गया और आकाश अंदर चला गया..

“वाह भई …यहां तो सारे लड़कियों के ही कपड़े हैं…” रोहित ने  सरसरी निग़ाहों से शोरूम को देखा तो उसके मुँह से निकल गया

“आप अंदर…कुछ चाहिए क्या…?” शोरूम से बाहर निकलती हुई उस लड़की ने उन दोंनो से पूँछा

“ज जी…हमें कुछ चाहिए…” आकाश बोला

“(वो बुदबुदाई) ओह्ह ये दीदी भी ना…ना जाने कहाँ रह गयी..मैं कॉलेज जाने के लिए लेट हो रहीं हूँ… बताइए क्या चाहिए..?” उसने अपने कंधे से बैग उतारा और साइड में रख दिया

“अ..अ..अरे रोहित बता ना क्या चाहिए..?” आकाश ने रोहित को कोहनी मारी बोलने का इशारा करके

“मैं…मैं क्या बताऊँ…अ..हाँ..मम्मी के लिए.. न…नहीं.. बुआ के लिए साड़ी ले लेते हैं” रोहित सारा दिमाग लगाते हुए बोला

“साड़ी?…साड़ी तो नहीं मिलेगी…यहां बस्स वेस्टर्न ड्रेसेस हैं” वो मुस्कुराई तो आकाश भी मुस्कुराने लगा

“चलें…?” रोहित बोला

“क्यों…?”

“अरे क्यों क्या यार ..सुना नहीं साड़ी नहीं है…” बोलते हुए रोहित बाहर निकलने लगा, आकाश ने उसका हाथ पकड़कर रोका और बोला

“ड्रेसेस तो हैं…(फिर उस लड़की से) आप कोई अच्छी सी ड्रेस दिखाइए”

“लेकिन ड्रेस…कि…सके …” रोहित बोला

“कैसी ड्रेस चाहिए…आई मीन कोई कलर प्रिफरेंस…?”

“कलर…कलर कौन सा रोहित…”

“मुझे क्या पता यार…?” रोहित फिर खीजा

“कोई अच्छा सा कलर…मतलब कलर के बारे में सोचा नहीं…कोई भी ..जो आपको ठीक लगे…”आकाश को समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले

“मुझे…मुझे तो सफेद कलर पसन्द है..अब आप सफेद कलर तो नहीं लेंगे ना …(वो खीज कर बोली फिर धीमी आवाज में बुदबुदाई) कौन सा कलर पसन्द है…हुम्म”

“जी सफेद कलर बहुत अच्छा लगेगा…”आकाश मुस्कुराते हुए बोला

“रियली.. ओके…(वो आगे बढ़ी और उसने एक के बाद एक 4 से 5 ड्रेसेस आकाश के सामने काउंटर पर रख दीं) देखिए कोई पसन्द आयी?”

“अ …आप ही मदद कर दीजिए ना..हम लड़के हैं ना…तो कोई आइडिया नहीं” आकाश उसकी तरफ देखते हुए फिर मुस्कुराया

“..(वो फिर बुदबुदाई)…अजीब मुसीबत है….अच्छा बताइए किसके लिए चाहिए?”

“मम्मी के लिए…” इस बार रोहित बोला

“..वेस्टर्न ड्रेस…?’आँखे बड़ी करते हुए उसने पूँछा

“क्या बकवास कर रहा है रोहित…जी नहीं…वो एक लड़की है..आपकी तरह …उसके लिए चाहिए..”

“मेरी तरह…?” उसने दोहराया

“जी नहीं..आपकी तरह कोई और हो ही नहीं सकता..”आकाश मुस्कुरा कर बोला

“क..क्या…?” इस बार उसके चेहरे पर हल्का गुस्सा आ गया और आकाश ने अपनी बात संभाली

“मेरा मतलब हर इंसान अलग-अलग होता है…मैं बस्स ये कहना चाहता था कि लम्बाई लगभग आपकी जैसी ही होगी…आ… क्यों रोहित…हैं ना?”

“आ…उम्म….वो?” रोहित ने कुछ ना समझ पाने की स्थिति में क्या रिस्पॉन्स करे!

“अरे क्या यार ..हां बोल ना..”

“अ .हां.. हाँ बिल्कुल सही कहा…बिल्कुल सही” रोहित ने पूरे समर्थन में गर्दन हिलाते हुए कहा

“ओह्ह…अच्छा..”कहते हुए वो दो कदम आगे बढ़ी…और एक खूबसूरत सफेद गाउन निकाल लायी ” ये मुझे बड़ा पसन्द आया था..सोचा था अपने लिए रखूं…खैर ये ले जाइए..उन्हें जरूर पसन्द आएगा” वो इस बार हँसते हुए बोली..और आकाश उसे शिद्दत से निहारते हुए बोला

“तब फिर आप इसे खुद के लिए रखिये…कोई और ड्रेस दे दीजिए हमें”

“नहीं…नहीं आप ने ड्रेस पसंद करना मुझ पर ही छोड़ दिया है तो मुझे भी तो पूरी ईमानदारी दिखानी होगी ना..आप बेफिक्र होकर ले जाइए इसे…यकीन कीजिये ये ड्रेस उन्हें जरूर पसन्द आएगी”

“ठीक है पैक कर दीजिए…” आकाश खुश होकर बोला

“ठीक है …” उसने ड्रेस एक सुंदर से शॉपिंग बैग में रखी और आकाश को पकड़ा दी..

“बिल…?”रोहित ने पूँछा…

“ये लीजिये…” उसने बिल पकड़ाया

“5800/-” रोहित आँखे बड़ी करते हुए चौंक कर बोला और उसने अपनी गर्दन आकाश की ओर मोड़ दी

“ये लीजिये…” आकाश ने रोहित को पूरी तरह अनदेखा करते हुए, उस बाहर निकलने की तैयारी में बिजी लड़की को रुपये पकड़ा दिये, रोहित खीजता हुआ बाहर निकल गया। उसके पीछे आकाश बाहर आ गया!

तभी एक लड़की भागती सी शोरूम के अंदर आई सॉरी..सॉरी..आकांक्षा..मेरी वजह से तुझे देर हो गयी”.

“क्या दीदी…सच में बहुत देर लगा दी…अच्छा संभालिये अपना बिजनेस मैं चली…” आकांक्षा बोलने के साथ ही बाहर की ओर दौड़ गयी

“रुक ना यार इतनी जल्दी क्या है…”आकाश, बाहर आकर रोहित को रोकते हुए बोला

“जल्दी?.अच्छा?…मेरी समझ में नहीं आ रहा अचानक हुआ क्या है तुझे…ये ड्रेस तूने किसके लिए खरीदी है बताएगा?

…चाचा जी ने हमे छ: हजार रुपये दिए थे …और तूने ये ड्रेस 5800 की खरीद डाली है..अब कुछ खरीदना तो दूर रहा..खाने तक के पैसे…

“एक मिनट..एक.मिनट…चुपकर..” अंकित ने जब आकांक्षा को बाहर आते देखा तो रोहित को डपट कर चुप करा दिया

“ओह्ह गॉड…” रोहित आंख बंद कर सिर हिलाता हुआ बुदबुदाया!

आकांक्षा बाहर आकर सड़क की ओर ऐसे देखने लगी जैसे किसी का इंतजार हो…और कुछ ही पल में एक लड़का बाइक लेकर बिल्कुल उसके पास आ गया, आकांक्षा मुस्कुराते हुए बाइक पर बैठी, और अगले ही पल उस लड़के की बाइक हवा से बातें करने लगी।

ये देखकर आकाश के चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी, और उसका ऐसा सपाट चेहरा देखकर रोहित बेतहाशा हँसने लगा

“अहा हा हा”

“क्या हुआ…?”

“वाह..मुझसे पूंछ रहा है…जरा चेहरा तो दिखा अपना ..दिखा ना मेरे फेंकूँ” रोहित ने हँसते हुए आकाश का गाल खींचा

“बस्स कर यार…” आकाश उखड़े मन से बोला

“(आकाश के बोलने की नकल करते हुए) तुम्हारे बाल पहले भी मुझे ऐसे ही छू रहे थे….कसम से इतना बड़ा फ्लर्टी निकलेगा तू…मुझे तो यकीन नहीं हो रहा! कसम से, अगर मैंने अपनी आँखों से ना देखा होता ना..तो मानना  मुश्किल था…” रोहित ने हँसते हुए कहा

“रोहित… यार…” आकाश निराशा में बोला

“तूने ये ड्रेस उसे इम्प्रेस करने के लिए  खरीदी ना…और उसका पहले ही बॉयफ्रेंड है…वाह…अबे पहली बॉल पर सिक्सर नहीं मारते..(फिर आकाश के बोलने की नकल करते हुए) लम्बाई आपकी जितनी ही है…ओह…आह हा.. हा..लगता है हँसते-हँसते मर जाऊंगा मैं..” रोहित हँसते-हँसते दोहरा हुआ जा रहा था..और आकाश सड़क के किनारे थोड़ी दूरी पर खड़ा होकर उसे देख रहा था!

रोहित को इतना हँसते देख कर अब उसके चेहरे पर भी हल्की मुस्कान आ गयी थी।

***

“तू भी चल ना उरमू…मन लग जायेगा तेरा…यहाँ अकेली क्या करेगी…” शीशे के सामने खड़ी कौशल्या साड़ी ठीक करती हुई बोलीं

“नहीं माँ….मेरा मन नहीं जाने का …रहने दो ना अकेला थोड़ी देर…”उर्मिला मनुहार करती हुई बोली

“अच्छा..अच्छा..ठीक है..” कौशल्या ने हँसते हुए उसके सिर पर अपना फेर दिया !

पड़ोस में किसी लड़की की शादी थी और सब वहीं जाने की तैयारी कर रहे थे…और उर्मिला रुकना चाहती थी क्योंकि उसका गिरिराज से मिलने का वादा था! गिरिराज उससे मिलने आने वाला था!

“ठीक है, हम जल्दी बापस आ जायेंगे…” कौशल्या सबके साथ दरवाजे से बाहर निकलते हुए बोलीं, उर्मिला मुस्कुराती हुई बिना दरवाजा बंद किये ही अंदर आ गयी, फिर किचिन में आकर खुद से ही बोली

क्या बनाऊँ…आं…गिरी को हलवा पसन्द है और बन भी जल्दी ही जायेगा….हां ठीक है हलवा ही बनाती हूँ

गुनगुनाते हुए उसने सूजी कढ़ाही में डाली ही थी…. कि किसी के सीटी बजाने की आवाज ने उसे चौंका दिया। नजर उठा कर देखा तो सहम गई, नागेन्द्र किचिन के दरवाजे पर खड़ा था। जिससे उर्मिला की शादी की बात पक्की कर दी गयी थी…

“हलवा किसके लिए बना रही हो…” चेहरे पर लालची मुस्कान लिए वो बोला

“आप…यहाँ…इस वक़्त?”

“शादी तय हुई है तुमसे..कम से कम घर तो आ सकता हूँ..या नहीं?”

“मेरा वो मतलब नहीं था…अभी सब गए हुए हैं बाहर तो …कोई आपसे बात करने के लिए घर पर नहीं है। बस्स इसीलिए कह दिया…” वो नजरें झुकाकर बोली

“ना सही कोई ..तुम तो हो…”

“म ..मतलब ..?”

“मतलब ये… कि मैं ये जानना चाहता हूँ..जब प्रेम किसी और से करती हो तो..मुझसे सगाई के लिए हामीं क्यों भरी तुमने..?”

“क्या…आप..आप..?” उर्मिला आश्चर्य से बोली

“चौंक गयीं ना..मैं तो ये भी जानता हूँ कि ये हलवा उसी के लिए बना रही हो तुम..क्यों ..गिरिराज नाम है ना उसका?” नागेन्द्र के मुँह से गिरिराज का नाम सुनकर वो सहमती हुई दो कदम पीछे हट गयी, उसके चेहरे का रंग सफेद पड़ गया!

“हम्म…सोचता हूँ अगर ये बात राघव को पता चल जाये तो?(फिर मुस्कुरा कर उर्मिला की ओर देखते हुए) वो साला ग़ुस्सैल! वो तो गिरिराज को मार ही डालेगा…हैं ना?”

“नहीं …नहीं मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं ये बात भइया को मत बताना…”उर्मिला डरते हुए बोली

“और मेरे साथ ये जो अत्याचार हुआ है उसकी जवावदेही किससे मांगूँ…” नागेंद्र वेशर्मी से मुसकुराते हुए बोला!

“म…म..मै सच कह रही हूं…मुझे नहीं पता था ..कि जब दो दिन पहले माँ और बाऊ आपके घर गए थे, तो मेरी शादी तय कर आये हैं..मुझे भी कल ही पता चला है..आज गिरी और मैं कुछ उपाय निकालने वाले थे इस समस्या का” उर्मिला दवी आवाज में ऐसे बोली जैसे उससे, कोई गुनाह हुआ हो

“(मुस्कुरा कर) गिरी और तुम? ( नागेंद्र जोर से हंसा) तुम्हें बुरा लगेगा …लेकिन सच कहूँ तो उस गिरी के वश का कुछ नहीं..अगर उसकी जगह मैं होता और तुम मुझसे प्रेम करती होती…तो मैं सब से लड़ जाता…लेकिन वो? वो कहीं दुम दवा कर छिपा बैठा होगा ..डरपोक कहीं का.”

“गिरी ऐसे नहीं है …” वो गुस्से में बोली

” जो भी है मेरी बला से..खैर ! अब मैं इतना बड़ा स्वार्थी तो हूँ नहीं ..जो सब जानते हुए भी तुमसे शादी कर लूं…सोचता हूँ शादी के लिए मैं ही मना कर दूं?

“सच…?”उर्मिला खुशी हो गई!

“हाँ..और क्या, अगर मै इनकार करूँगा तो तुम पर कोई आंच भी नहीं आएगी…लेकिन?

“लेकिन क्या?” उर्मिला घबराकर कर बोली 

“लेकिन ये! कि फिर सोचता हूँ..इसमें मेरा क्या फायदा? मुझे क्या मिलेगा? सब मुझे बड़ा बुरा भला कहेंगें…बताओ मैं सबकी गालियां ऐसे ही फ्री में ही क्यों सहूँ भला ?”

ये सुनकर उर्मिला किसी सोच में गुम हो गयी…फिर बोली

“मेरे पास सोने के दो कड़े हैं…बहुत भारी हैं, एकदम शुद्ध खरे सोने के …उनके बारे में आपसे कोई कभी भी कुछ नहीं कह पाएगा मैंने अपने स्कॉलरशिप के पैसों से बनवाएं हैं ! मैं वो आपको दे देती हूँ! अभी लाई…” उर्मिला किचिन से बाहर निकलकर कमरे की ओर जाने को मुड़ी ही थी,  कि नागेन्द्र ने उसे टोकते हुए कहा, 

“रुको! भला, मैं क्या करूँगा सोने के कड़ो का…मुझे तो उससे भी कीमती कुछ चाहिए…”

“मेरे पास उन कड़ो से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं है इस वक़्त…बाद में गिरी से…” वो बात पूरी करती, इससे पहले ही नागेंद्र अपने होंटो पर जीभ फिराते हुए बोला, 

“बड़ी भोली हो…ये तुम्हारा नाजुक बदन सोने से कहीं ज्यादा कीमती है..मुझे यही चाहिए “

“नागेन्द्र?…”उर्मिला गुस्से में चीखी

“चीखों मत (नागेंद्र भी चीख कर बोला, फिर संयत आवाज में कहने लगा) “ सोच लो…फायदे का सौदा है..बस्स एक बार की ही तो बात है….ये बात मेरे और तुम्हारे बीच राज ही रहेगी हमेशा के लिए! मैं वादा करता हूँ ! फिर मैं शादी से इनकार कर दूँगा…और जब अचानक ऐसे सगाई टूटेगी तो तुम्हारे घरवाले उस नीची जाति के गिरिराज से शादी के लिए आसानी से राजी हो जाएंगे….”

“निकल जाओ यहां से…”उर्मिला सख्त आवाज में नागेंद्र को घूरते हुए बोली!

“हुम्म…जैसे तुम कहोगी और मैं चला जाऊँगा? 

“सीधी तरह से जाते हो या बुलाऊँ किसी को ?” उर्मिला गुस्से में बोली!

“किसे बुलाओगी? अपने घरवालों को ? बुलाओ! मेरा काम आसान हो जाएगा क्योंकि मैं तो  तय कर चुका हूँ कि मैं तुम्हारे बारे में तुम्हारे घरवाओं को जरूर बताऊँगा, कि तुम्हारा प्रेम प्रसंग उस गिरिराज से चल रहा है…फिर तुम्हारी शादी या तो मुझसे या…शायद किसी बुढ्डे के साथ कर दी जाएगी…और मैं तुम जैसी लड़की से शादी करूंगा, ये तो भूल ही जाओ, हाँ किसी बुढ्डे से जरूर होगी, फिर तुम सारी जिंदगी घुट-घुट कर जियोगी …और ये तो निश्चित है कि सब जानने के बाद राघव, तुम्हारे उस गिरि को मार ही डालेगा…और फिर खून! और खून की सजा मौत….ये तो तुम जानती होगी…राघव को मौत की सजा मिलेगी …और “

बात पूरी करता नागेंद्र इससे पहले ही उर्मिला घबराती हुई बोली “नहीं …नहीं…….”

लेकिन नागेन्द्र ने कहना जारी रखा

“और तुम्हारे माँ, बाऊ जी…जब उन्हें पता लगेगा उनकी बेटी किसी से प्रेम करती है, सो भी किसी नीची जाति के लड़के से..हुम्म…तो वो तो शर्म से खुद ही फांसी पर लटक जाएंगे”….

“नहीं …नहीं…नहीं…ऐसा मत करना मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ”  उर्मिला डर से रोते हुए बोली..तो गुमान से भरा नागेन्द्र आंगन में पड़ी चारपाई पर बैठ गया….और बेशर्मी से उर्मिला को घूरते हुए बोला

“तुम्हारे पास मेरी बात मानने के अलावा कोई और चारा नहीं है उर्मिला!” 

आंसुओं से भरा चेहरा लिए उर्मिला जहाँ खड़ी थी…वहीं किचन में फर्श पर बैठ गयी…..

शाम का धुंधला उजाला अंधेरे में मिलने लगा था…तूफान आने के आशार थे…और थोड़ी देर में ही तेज़ हवा चलने लगी…जिससे बिजली गुल हो गयी…उर्मिला अंधेरे से और भी घबरा गयी और उसने जल्दी से मिट्टी की लैम्प जला दी

” क्यों बेकार सोचने में वक़्त बर्बाद कर रही हो… तुम्हारे घरवाले जल्दी ही लौट आएंगे…..” वो तेज आवाज में खीजते हुए बोला

और उर्मिला को इस बार उसकी तो क्या …आने वाले तूफान की भी तेज आवाज सुनाई नहीं दे रही थी! 

हवा से फड़फड़ाती लैम्प की लौ पर नजरें टिकाए वो बस्स शून्य में देख रही थी…पूरा जोर लगाने पर भी दिमाग ने जैसे कोई भी सुझाव देने से मना कर दिया था।

“ओह्हो…” खीजते हुए नागेन्द्र चारपाई से उठा और बिल्कुल उर्मिला के पास आकर खड़ा हो गया!

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 8

होम पेज

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 6