पार्ट -3
by Sonal Johari
Summery
वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे ..
- Language: Hindi
“राव इंडस्ट्रीज “के ठीक सामने खड़ा था अंकित..सारी ताकत बटोर गेट के अंदर कदम रखा ,नाम और अड्रेस फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद रिसेप्शन एरिया में गया तो कुछ ही लोग चलते-फिरते दिखे ,और सामने ही,आंखों पर चश्मा लगाए,प्रोफेशनल एटीट्यूड के साथ एक़ लड़की कुछ फाइलों में उलझी हुई सी..शायद यही मदद कर सके,
“एक्सक्यूज़ मी,मुझे राव सर से मिलना है”
“वाट्स योर नाम,डू यु हेब एनअप्पोइन्टमेन्ट”? उसने एक नज़र अंकित को देखा और फिर कुछ टाइप करने लगी
“आई डोन्ट हेब एनी अप्पोइन्टमेन्ट,स्टिल आई वांट टू मीट हिम”
“व्हॉट”? उसने चिढ़ते हुए कहा इतने में एक साठ-बासठ साल की उम्र के एक दुबले पतले लेकिन स्मार्ट से आंखों पर सुनहरी फ्रेम का चश्मा पहने राव सर ,फ़ोन पर बात करते हुए उस डेस्क के पास आये,
“राखी, फैक्स नहीं किया क्या अभी तक..श्रीवास्तव को?”
“आइ एम सॉरी सर,बस्स करने ही वाली थी कि ,ये…ये आपसे बिना अपॉइंटमेंट मिलना चाहते थे”
राखी ने इशारा कर बताया तो राव सर ने अंकित से खुद पूछ लिया “हाँ कहिए …वैसे कहाँ से आये हैं आप?”
“सर् …बस्स दो मिनट बात करनी थी” अंकित ने रिक्वेस्ट की,लेकिन राव सर फ़ोन पर किसी को जवाब देने लगे
‘हाँ ..हाँ श्रीवास्तव जी,इतने भी क्या अधीर हो रहें हैं आप,बस्स करने ही वाली हैं राखी आपको फेक्स…हाँ सही कहा ..हा ..हा आपने ,बहुत जरूरत है पर्सनल असिस्टेंट की..कल रखवाए हैं इंटरव्यू ,देखो ..कोई अच्छा सा कैंडिडेट मिले…”
फिर अंकित की तरफ देखकर उन्होंने अंदर आने का इशारा किया और केविन में चले गए…पीछे पीछे अंकित भी,
…..वो जिस कमरे में रहता है उससे तो तीन गुना बड़ा राव सर का केविन ही था,उनकी सीट के ठीक पीछे एक नेचुरल सीन की पूरी दीवार पर उभरी हुई सीनरी बनी थी जोकि बहुत खूबसूरत थी,झरने से बहता हुआ पानी बिल्कुल असली सा लग रहा था,बाई तरफ जहां एक बड़ा सा असली फूलों का फूलदान लगा था,तो दूसरी तरफ गौतम बौद्ध का बड़ा सा स्टेचू ,राव सर अब भी फ़ोन पर बात कर रहे थे,बड़ी सी टेबल पर कुछ फाइलें और एक कंप्यूटर भी रखा था,और वहीं पड़ी चार खूबसूरत कुर्सियों में से एक पर वो बैठा था,कुर्सियों के पीछे फिर एक बड़ा सा सोफा और छोटी सी टेबिल…
“आपने बताया नहीं, कहाँ से आये हैं आप ?” राव सर ने अपना फोन रखते हुए कहा
“सर,एक वेकेंसी है आपके यहाँ.. पर्सनल असिस्टेंट की..मैं.. आपका असिस्टेंट बनना चाहता हूँ”
“व्हाट नॉनसेंस.. ये क्या तरीका हुआ,कल से इंटरव्यूज हैं आप तरीके से आइये, आप ऐसे कैसे ? ..मुझे लगा आप किसी कंपनी से आये हैं” राव सर ने गुस्से में कहा
“सर प्लीज़ अब जब ऐसे अंदर आने का मौका आपने दे ही दिया है तो बस दो मिनट दे दीजिए,मै खुद चला जाऊंगा”
“ठीक है बोलिये “उन्होंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा
“कल बहुत केंडिडेट आएंगे मेरा नम्बर आते आते या तो आप पहले ही एक राय बना लेंगे,या फिर बोझिल हो जाएंगे तब तक,और मुझे बोलने का मौका नहीं मिलेगा,में हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुऐट हूँ ,दो साल का इंग्लिश मीडियम स्कूल में इंटरमीडिएट तक बच्चों को पढ़ाने का अनुभव है,मतलब मुझे इंग्लिश आती है लोगों के बीच काम कर सकता हूँ, मैं घड़ी के मुताविक काम नहीं करूंगा बल्कि बिना टाइम देखे काम करूंगा,जो सैलरी मिलेगी वो बड़ी खुशी से स्वीकार करूंगा, अनुभव जरूरी है लेकिन जहाँ काम की काबलियत, जुनून ईमानदारी के साथ हो तो अनुभव से भी बढकर होता है में जल्दी सीखता हूँ तो ट्रेनिंग की भी जरूरत नही है ,मुझे ये जॉब चाहिए ही चाहिए सर”
“हम्म..हो गया…समय पूरा हो गया..और आपकी बात भी,अब आप जा सकते हैं”
उन्होंने बड़े शांत भाव से कहा,ये सुनकर अंकित निराश हो गया,और सिर झुकाए बाहर जाने लगा जैसे ही गेट पर पहुंचा कि राव सर ने आवाज लगा दी
“रुकिए,अगर मेरा ख्याल भी रखना पड़े तो ,रख पाएंगे ?
राव सर ने मुस्कुराते हुए कहा तो अंकित के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी,उन्होंने कहना जारी रखा,
“पांच दिन ट्रायल पर रखूंगा तुम्हे,और अगर तुम खरे नहीं उतर पाए तो, ऐसे ही मुस्कुराते हुए बापस जाओगे , क्या ये वादा कर सकते हो?”
“बिल्कुल सर्, लेकिन मुझे यकीन है..ऐसी नौबत नहीं आयेंगी”
“वेलकम इन राव इंडस्ट्रीज मिस्टर अंकित..”
“थैंक यू वेरी मच सर ,मुझपर भरोसा करने के लिए भी बहुत धन्यबाद”
उसने बहुत खुश होकर हाथ मिलाया
” आपकी सैलेरी पांच दिन बाद तय करुंगा, कल 9 बजे आप, यहीं मिलेंगे मुझे…बाकी फॉर्मेलिटीज राखी बताएंगी आपको, उससे मिलते हुए जाना..गुड़ लक”
“बाहर आकर राखी से बात की अंकित ने, और लगभग दौड़ते हुए मेंन गेट से बाहर आ गया…. फिर दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा उसे यकीन नहीं हो रहा था,कि उसे अभी अभी जॉब मिली है,मन ही मन अपनी माँ को याद करते हुए ,उसने सोचा कि मिठाई लेनी चाहिए दुकान पर जाकर खुद में बुदबुदाया’क्या लूं, ना जाने अनामिका को क्या पसंद हो’
“लड्डू” अनामिका की आवाज सुनाई दी हो जैसे पीछे मुड़कर देखा कोई नहीं दिखा, उसने सोचा मन कि आवाज है सो दो जगह लड्डू ही पैक करा लिए ,एक सरोज आंटी के लिए और दूसरा अनामिका के लिए ,एक बार को दिमाग मे आया कि पैसे नहीं बचेंगे,लेकिन मिठाई लेनी ही थी सो लेकर दौड़ गया अनामिका के घर हर बार की तरह गेट खुद खुल गया,और खुशी से आवाज दी
“अनामिका.. जी “
“हे..लगता है गुड़ न्यूज़ है” उसने चहकते हुए कहा,वो आज भी सफेद ड्रेस पहने थी..
“हम्म,अनामिका जी,समझ नहीं आता कैसे आपका शुक्रिया अदा करूँ, मुझे जॉब मिल गयी है,सब सपने जैसा लग रहा है,ये देखिए आपके लिए मिठाई लाया था”
“आप डिसर्विंग हैं अंकित जी,मुझे तो पहले ही पता था, कि आप के लिए ये जॉब हासिल करना आसान होगा…बैठिये ,मैं अभी आयी” वो अंदर चली गयी…और अंकित ने लॉबी के पास वाले कमरे से कुछ आवाजें सुनी,
^^आप समझाते क्यों नहीं इसे, ये बिल्कुल ठीक नहीं…मैँ …मेरी भी कहाँ सुनती है वो…तब क्या करे…क्या पता^^
और इन आवाजों को सुनकर अंकित उस कमरे की ओर बढ़ गया,और उसने दरवाजा खोल दिया और अंदर देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ….
“यहाँ बस्स मैं.. और आप ..हम दो ही हैं अंकित जी” अंकित ने जब पीछे मुड़कर देखा तो अनामिका हाथ मे लड्डू की प्लेट लिए खड़ी थी
“मेरा यकीन कीजिये अनामिका जी,मैंने अभी-अभी दो लोगों को बात करते सुना है…यहीं ..इसी कमरे से आवाजें आ रहीं थीं” उसने अपने दोनों हाथ कमरे की तरफ़ इशारा कर, आंखे फैलाते हुए कहा ,अनामिका ने कमरे में जाकर लाइट का स्विच ऑन कर दिया
पूरा कमरा रोशनी से भर गया,ना कोई आलमारी, ना कोई बेड ,सीधी सपाट दीवारों पर कुछ पेटिंग्स लगी थीं,और चार खूबसूरत आरामदायक कुर्सी एक मेज के साथ फर्श पर लगे थे,…यहाँ कोई छिप भी नहीं सकता,कोई और दरवाजा तक ना था..अंकित अपनी आंखों से ये सब देख ही रहा था,कि अनामिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे कमरे के अंदर हल्का खींच सा लिया और बोली
“देखिए,अच्छी तरह देख लीजिए..कोई था ,तो कहाँ गया..मैंने आपको पहले भी कहा था,यहाँ सिवाय मेरे ,कोई नहीं” उसका हाथ अब तक अंकित के हाथ मे था,कमरे की आवाजों वाली बात तो दरनिकार हो गयी थी,अब उसे अनामिका के हाथ की छुअन से अपनी धड़कने बढ़ी महसूस हो रही थी अपने होंठ भीचे..वो उसे अपलक तब तक देखता रहा जब तक अनामिका ने अपना हाथ हटा नहीं लिया
“अंकित जी,क्या आप किसी की कमी महसूस करते हैं.. अपने जीवन में”. उसने अपनी नजर अंकित के चेहरे पर गढाते हुए पूछा
“जी..जी…हाँ ..बो अपनी माँ की, हाल ही में उनका निधन हो गया…क्यों ..आप ऐसे क्यों पूछ रहीं हैं ?” खुद को वो अब भी संयत महसूस नहीं कर पा रहा था
“क्योंकि जब हम किसी की कमी महसूस करते हैं,तब ही ..ऐसा कुछ भी महसूस करते हैं”
“पता नहीं… लेकिन माफी चाहूँगा ऐसे बिना आपकी इज़ाज़त यूँ मुझे दरवाजा नहीं खोलना चाहिए था,ये एटीकेट्स में नहीँ आता,आइ एम सॉरी” उसने अपनी नजरें झुकाते हुए कहा,
“सॉरी किसलिए,अपनों को तो फिक्र होती ही है,आप मेरे अपने ही तो हैं” उसने मुस्कुराते हुए कहा
“मैं… आपका ..अ …प…ना”उसने अटकते हुए बात दोहरा दी
“क्यों…नहीं हैं क्या”? वो अब तक मुस्कुरा रही थी
अंकित को लगा उसके दिल की धड़कन दो सौ की स्पीड से दौड़ रही है,बहुत से भावनाएं एक साथ आयीं पर ये ना समझ आये कि कहे क्या
“वो अ …अ …अनामिका जी..मुझे कुछ याद आ गया..बहुत जरूरी काम करना है,कल मिलता हूँ आपसे” और बाहर की ओर दौड़ गया,
बेतहाशा भागते हुए उसी पेड़ के पास आकर रुक गया जहाँ पहली मुलाकात में अनामिका ने उसका इंतजार किया था जब वो आंटी जी को सामान रखने के लिए मना रहा था और बड़बड़ाने लगा
‘ गधा है तू अंकित. बेबकूफ है सो भी एक नम्बर का,’वो खुद कह कह रही थी,आप मेरे अपने हैं’ और तू वहाँ से भाग खड़ा हुआ, ना जाने क्या सोच रही होगी वो मेरे ऐसे व्यवहार से ,स्साला.. हद्द है जहिलपने की …! खीजते हुए घर की ओर आया और डोरबेल बजाई,सरोज ने दरवाजा खोला,पूजा की थाली हाथ मे लिए थी ,शायद पूजा करते करते घंटी की आवाज सुन ऐसे ही आ गयी थी, मुस्कुराते हुए अंकित की बलाइय्या लेने लगी
“ईश्वर तुझे तरक्की दे,बहुत खुश रखे”
“आपको डांस करना आता है, आंटी” अंकित ने बड़े खुश होकर पूछा
“डांस…अब आजकल के बच्चों जैसा तो नहीं, लेकिन कहीं महिला संगीत होता है या जागरण तो थोड़ा यूँ ही हाथ पैर हिला देती हूं, देख ना कितनी तो मोटी हैं तेरी आंटी” उन्होंने अपने कमर पर हाथ रखते हुए कहा
“मोटे होंगे आपके दुश्मन, क्या अपने अंकित की जॉब लगने की खुशी में नहीं नाचेंगी”
ये कहते हुए अंकित ने पूजा की थाली हाथ से लेकर साइड में रखी और उनका हाथ पकड़ नाचने लगा “अरे सच मे क्या, बता ना कहाँ लगी है “बड़ी खुश होकर आंटी ने ठुमकते हुए पूछा
“यहीं राब इंडस्ट्री में …माँ” अपने आप उसके मुंह से सरोज के लिए ‘माँ ‘शब्द निकल गया जिसे सुन सरोज भावुक हो गयीं और अंकित को गले लगाकर बोलीं,
“बहुत तरक्की कर खुश रह जीता रह…मेरे बच्चे”
दोनों को ऐसे डांस करते देख घनश्याम,सरोज के सामने आकर बोले
“बहुत बढ़िया,देखती जाओ….पूरी तरह पागल कर देगा ये लड़का तुम्हे “
“अररे तुम तो बस एक ही रथ पर सवार रहते हो,सुनो तो उसे नौकरी मिली है” सरोज ने नाचते हुए कहा
“नौकरी …इस समय ? जरा सुनूं तो कहा मिली है”
“अंकल जी, राव इंडस्ट्री में, पर्सनल अस्सिटेंट की जॉब है”अंकित ने बहुत विन्रम होकर कहा
“लेकिन,तुम तो टीचर हो न “?
“जी,लेकिन भगवान….”बात पूरी भी ना कर पाया अंकित कि बीच मे ही उन्होंने टोकते हुए पूछा
“सैलरी कितनी मिलेगी”?
“वो ..पांच दिन बाद तय होगी”
“और पांच दिन बाद एक नया बहाना बना देना,सरोज की तरह मुझे पागल मत समझो..ये बाल यूँ ही धूप में सफेद नहीं हुए” उन्होंने चिढ़ते हुए जवाब दिया
“आप तो …”सरोज ने कुछ कहना चाहा तो उन्होंने बीच मे ही हाथ का इशारे से रोक दिया ,और बोले
“सरोज ,मैं बाज़ार जा रहा हूँ …पनीर लेने ..तुम मसाला तैयार कर देना.आज सब्जी मैं खुद बनाऊंगा”
उनके बाहर जाते ही सरोज ने अंकित की ओर देखकर कहा “ये ना…,मेरी सुनते ही नहीं”
“आंटी जी, मुझसे अंकल जी.. से बिल्कुल शिकायत नहीं” उसे हँसता देख सरोज ने उसके बालो में हाथ फेरते हुए कहा “माँ ही बोल ना”
“हाँ… हाँ ..मां ..मुझे कोई शिकायत नहीं किसी से” और हँसते हुए सीढिया चढ़ अपने कमरे में पहुंच गया
बिस्तर पर लेट गया ……
#आप मेरे अपने ही तो हैं# आप मेरे अपने ही तो हैं# अनामिका की कही ये बात अंकित के दिमाग में लगातार टेप रिकॉर्डर की तरह बज रही थी और अंकित मुस्कुराता हुआ बस करवटें बदलता जा रहा था ,और ऐसे ही करवटें बदलते -बदलते थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गयी
xxxx
राव इंडस्ट्री पहुंचा ही था अंकित को देख ,राखी ने आवाज लगा दी “अंकित सर्, एक मिनट…कुछ डिटेल्स फिल करनी हैं,बस्स दो मिनट लगेंगे”उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा तो अंकित बोला
“हाँ मेम पूछिये”
“पूरा नाम”
“अंकित “
“सर् ..सरनेम बताइये”
“मैं सरनेम लगाता ही नहीं,लगाना भी नहीं चाहिए”
“ओह्ह इम्प्रेसिव ,अच्छा हाइट बताइये अपनी”
“हाइट क्यों”?
“यहाँ का रूल है, सर”
“ओके,फाइब फ़ीट इलेवन”
“हम्म,बॉडी वेट?”
“सेवेंटी नाइन”
“उम्र”
“29”
गेँहूए रंग के स्मार्ट और खूबसूरत और काबिल अंकित को राखी मुस्कुराते हुए देखने लगी,अपनी ओर राखी को ऐसे देखते हुए अंकित थोड़ा असहज हो गया और बोला
“मेंम,कुछ और पूछना है क्या आपको”
“अ ..अ ..नहीं… लेकिन बताना है,राव सर ,को शुगर की प्रॉब्लम है,तो कुछ मीठा मत खाने देना,आज आपका पहला दिन है,मुबारक हो”
“थैंक यू”
अंकित जब अंदर पहुंचा ही था, कि राव सर आ ग़ये,
“गुड़ मॉर्निंग सर”
“वेरी गुड़ मोर्निग अंकित,सबसे पहले कॉफी मंगा लो” उन्होंने बैग रखते हुए कहा
“अंकित ने कॉफी मंगा,उन्हें फीकी कॉफी दी,और अपनी कॉफी में शुगर डालने लगा अभी एक चम्मच ही डाली थी,कि नजर राव सर की तरफ चली गयी जो, उसे ही देख रहे थे,
“हा हा जनाब ,यूँ मेरे सामने अपने कप में आप ऐसे शुगर डालेंगे तो क्या मैँ खुद को रोक पाऊंगा” वो जोर से हँस रहे थे
“माफ कीजिये सर,आज के बाद मीठी कॉफी कभी नहीं पिऊंगा,और आपके सामने तो बिल्कुल नहीं”
“बहुत अच्छे,अच्छा सुनो, टाइम कम है,और आपने पहले ही कहा है कि ट्रेनिंग नहीँ चाहिए,तो पकड़ो इस फ़ाइल को.इसमे सारे बागानों की डिटेल है,ध्यान से पढो …उसके बाद संपतलाल के साथ चले जाना और खुद देखकर आना..”
“यस सर”
“मैं चाहता हूँ, तुम्हें चीज़े अच्छे से पता हो,एक हिंट देता हूँ ,कि वहां जाकर बस बाग़ान देखना भर नहीं… समझ गये ना”
“जी बिल्कुल सर्”
“ठीक है जाओ फिर,खत्म करो ये काम आज के आज”
और अंकित संपतलाल के साथ बागान देखने चला गया,गाड़ी से उतर जब ..फलों से लदे पेड़ देखकर बड़ी खुशी से वो बोला
“देखो संपतलाल ,ये पेड़ फलों के साथ कितने खूबसूरत दिख रहे हैं,हैं ना? कुछ बोलो ना,कोई उत्तर न पाकर जब वो पीछे पलटा तो देखा.. कोई नहीं था, संपतलाल ने थोड़ी दूर से अपना हाथ उसकी ओर देखकर हिलाया ये जताने कि वो वहाँ है,संपतलाल पगडंडी पर आया ही नहीं, बल्कि वही रुक गया और बीड़ी पीने लगा
अंकित बापस मुड़ा अपना काम पूरा करने में लग गया ,उसे बराबर लगा कि कोई साथ साथ चल रहा है,लेकिन जब पीछे मुड़कर देखता तो कोई ना दिखता,काम खत्म कर जब जाने लगा तो उसे यकीं हो गया कि कोई उसके पीछे -पीछे चल रहा है,और इस बार वो अचानक एक झटके से पीछे मुड़ा तो अपनी आंखों पर यकीन ना हुआ…
“अ ….अनामिका आप..यहाँ “??? उसके मुँह से निकल गया,वही थी खुले बालों और सफेद सूट में बिल्कुल उसके पीछे…जब उसने यूँ अंकित को मुंह खोले अपनी ओर ताकते हुए देखा तो बोली “क्यों…यहाँ मेरे आने पर बैन लगा है”?
“नहीं ..नहीं मेरा मतलब वो नहीं था,यहाँ अचानक, आप ऐसे दिखेंगी …लगा नहीं था”
“तो …अब क्या आपको ,इन्फॉर्म करके आना-जाना चाहिए मुझे”? उसने अपनी एक आइब्रो उचकाते हुए कहा
“मुझे लगा कि कोई मेरे पी छ.. छे ” बोलते बोलते अंकित संभल गया,और खुद में बुदबुदाया ..संभल जा बेटा अंकित..कल ही गलत साबित कर चुकी है तुझे…सोचेगी कि इसे कभी आवाज सुनाई देती है तो कभी कुछ दिखता है..नहीं नहीं मुझे ऐसी कोई बात नहीं बोलनी
“मेरा बस… ये मतलब था,कि मैं आपके पास ही आ रहा था यहाँ से”
“क्लास के लिए”
“जी”
“नहीं ..आज क्लास नहीं …मुझे कुछ काम है,आप कल आइये ” बड़े उखड़े मन से अनामिका ने उत्तर दिया तो अंकित ने कहा”ठीक है”
और वो तेज़ी से निकल गयी,अंकित को ये बड़ा अजीब लगा वो उसे तब तक देखता रहा जब तक कि वो आंखों से ओझल ना हो गयी
“अंकित…जी…कल क्या कर रहे हैं आप?”
नजर घुमा कर देखा तो राखी अपने दोनों हाथ पीछे खींचे उसी की ओर थोड़ी झुकी हुई खड़ी थी,और अपने चश्मे में से चमकती आंखों से उसकी ओर ताक रही थी,
“अरे ..आप…यहाँ “.
अपने सामने यूँ राखी को देखा तो बोल गया
“जी…मेरे घर का रास्ता यही से है” उसने हाथ से इशारा कर बताया
“ओह,अच्छा …ठीक है” बोलकर वो चल दिया,अभी अंकित ने एक कदम आगे रखा ही था ,कि राखी ने कहा,
“मैंने आपसे कुछ पूछा, आपने जवाब नहीं दिया”
“क्या?…अच्छा कल … कल क्या वही ऑफिस आऊंगा”
“बकवास जोक “
“मतलब ?”
“मतलब ये,कि कल संडे है, और संडे की छुट्टियों की शुरुआत सन 1890,से इंडिया में शुरू हो चुकी है श्रीमान अंकित..” वो अभी भी अपने हाथ पीछे की ओर किये मुस्कुरा रही थी
“अरे हाँ, कल तो संडे है,सॉरी भूल गया था, बस्स कुछ कपड़े ववड़े धो डालूंगा ..और क्या”
“कल नीरू के साथ मैं ‘मॉल रोड ‘ जा रही हूँ ,आप साथ चलेंगे “?
“तुम लोगों के साथ ,मैं क्या करूँगा?अंकित ने टालना चाहा
“क्यों ..नीरू मेरी फ्रेंड है ,कोई बॉयफ़्रेंड तो नहीं..जो आपको कुछ सोचना पड़े,चलिए ना, किसी भी चीज के बारे में लोगों के अलग अलग नजरिये ट्रिप को शानदार बना देते हैं ,चलिए ना प्लीज़”
राखी को यूँ मनुहार करते देख,अंकित मना नहीं कर पाया और “हां “में सिर हिलाते हुए पूछा
“तो कल कहाँ आना है ये बताइये”
“यहीं… ठीक दस बजे”
“ओके”
“अ ..अ ..नहीं… लेकिन बताना है,राव सर ,को शुगर की प्रॉब्लम है,तो कुछ मीठा मत खाने देना,आज आपका पहला दिन है,मुबारक हो”
“थैंक यू”
अंकित जब अंदर पहुंचा ही था, कि राव सर आ ग़ये,
“गुड़ मॉर्निंग सर”
“वेरी गुड़ मोर्निग अंकित,सबसे पहले कॉफी मंगा लो” उन्होंने बैग रखते हुए कहा
“अंकित ने कॉफी मंगा,उन्हें फीकी कॉफी दी,और अपनी कॉफी में शुगर डालने लगा अभी एक चम्मच ही डाली थी,कि नजर राव सर की तरफ चली गयी जो, उसे ही देख रहे थे,
“हा हा जनाब ,यूँ मेरे सामने अपने कप में आप ऐसे शुगर डालेंगे तो क्या मैँ खुद को रोक पाऊंगा” वो जोर से हँस रहे थे
“माफ कीजिये सर,आज के बाद मीठी कॉफी कभी नहीं पिऊंगा,और आपके सामने तो बिल्कुल नहीं”
“बहुत अच्छे,अच्छा सुनो, टाइम कम है,और आपने पहले ही कहा है कि ट्रेनिंग नहीँ चाहिए,तो पकड़ो इस फ़ाइल को.इसमे सारे बागानों की डिटेल है,ध्यान से पढो …उसके बाद संपतलाल के साथ चले जाना और खुद देखकर आना..”
“यस सर”
“मैं चाहता हूँ, तुम्हें चीज़े अच्छे से पता हो,एक हिंट देता हूँ ,कि वहां जाकर बस बाग़ान देखना भर नहीं… समझ गये ना”
“जी बिल्कुल सर्”
“ठीक है जाओ फिर,खत्म करो ये काम आज के आज”
और अंकित संपतलाल के साथ बागान देखने चला गया,गाड़ी से उतर जब ..फलों से लदे पेड़ देखकर बड़ी खुशी से वो बोला
“देखो संपतलाल ,ये पेड़ फलों के साथ कितने खूबसूरत दिख रहे हैं,हैं ना? कुछ बोलो ना,कोई उत्तर न पाकर जब वो पीछे पलटा तो देखा.. कोई नहीं था, संपतलाल ने थोड़ी दूर से अपना हाथ उसकी ओर देखकर हिलाया ये जताने कि वो वहाँ है,संपतलाल पगडंडी पर आया ही नहीं, बल्कि वही रुक गया और बीड़ी पीने लगा
अंकित बापस मुड़ा अपना काम पूरा करने में लग गया ,उसे बराबर लगा कि कोई साथ साथ चल रहा है,लेकिन जब पीछे मुड़कर देखता तो कोई ना दिखता,काम खत्म कर जब जाने लगा तो उसे यकीं हो गया कि कोई उसके पीछे -पीछे चल रहा है,और इस बार वो अचानक एक झटके से पीछे मुड़ा तो अपनी आंखों पर यकीन ना हुआ…
“अ ….अनामिका आप..यहाँ “??? उसके मुँह से निकल गया,वही थी खुले बालों और सफेद सूट में बिल्कुल उसके पीछे…जब उसने यूँ अंकित को मुंह खोले अपनी ओर ताकते हुए देखा तो बोली “क्यों…यहाँ मेरे आने पर बैन लगा है”?
“नहीं ..नहीं मेरा मतलब वो नहीं था,यहाँ अचानक, आप ऐसे दिखेंगी …लगा नहीं था”
“तो …अब क्या आपको ,इन्फॉर्म करके आना-जाना चाहिए मुझे”? उसने अपनी एक आइब्रो उचकाते हुए कहा
“मुझे लगा कि कोई मेरे पी छ.. छे ” बोलते बोलते अंकित संभल गया,और खुद में बुदबुदाया ..संभल जा बेटा अंकित..कल ही गलत साबित कर चुकी है तुझे…सोचेगी कि इसे कभी आवाज सुनाई देती है तो कभी कुछ दिखता है..नहीं नहीं मुझे ऐसी कोई बात नहीं बोलनी
“मेरा बस… ये मतलब था,कि मैं आपके पास ही आ रहा था यहाँ से”
“क्लास के लिए”
“जी”
“नहीं ..आज क्लास नहीं …मुझे कुछ काम है,आप कल आइये ” बड़े उखड़े मन से अनामिका ने उत्तर दिया तो अंकित ने कहा”ठीक है”
और वो तेज़ी से निकल गयी,अंकित को ये बड़ा अजीब लगा वो उसे तब तक देखता रहा जब तक कि वो आंखों से ओझल ना हो गयी
“अंकित…जी…कल क्या कर रहे हैं आप?”
नजर घुमा कर देखा तो राखी अपने दोनों हाथ पीछे खींचे उसी की ओर थोड़ी झुकी हुई खड़ी थी,और अपने चश्मे में से चमकती आंखों से उसकी ओर ताक रही थी,
“अरे ..आप…यहाँ “.
अपने सामने यूँ राखी को देखा तो बोल गया
“जी…मेरे घर का रास्ता यही से है” उसने हाथ से इशारा कर बताया
“ओह,अच्छा …ठीक है” बोलकर वो चल दिया,अभी अंकित ने एक कदम आगे रखा ही था ,कि राखी ने कहा,
“मैंने आपसे कुछ पूछा, आपने जवाब नहीं दिया”
“क्या?…अच्छा कल … कल क्या वही ऑफिस आऊंगा”
“बकवास जोक “
“मतलब ?”
“मतलब ये,कि कल संडे है, और संडे की छुट्टियों की शुरुआत सन 1890,से इंडिया में शुरू हो चुकी है श्रीमान अंकित..” वो अभी भी अपने हाथ पीछे की ओर किये मुस्कुरा रही थी
“अरे हाँ, कल तो संडे है,सॉरी भूल गया था, बस्स कुछ कपड़े ववड़े धो डालूंगा ..और क्या”
“कल नीरू के साथ मैं ‘मॉल रोड ‘ जा रही हूँ ,आप साथ चलेंगे “?
“तुम लोगों के साथ ,मैं क्या करूँगा?अंकित ने टालना चाहा
“क्यों ..नीरू मेरी फ्रेंड है ,कोई बॉयफ़्रेंड तो नहीं..जो आपको कुछ सोचना पड़े,चलिए ना, किसी भी चीज के बारे में लोगों के अलग अलग नजरिये ट्रिप को शानदार बना देते हैं ,चलिए ना प्लीज़”
राखी को यूँ मनुहार करते देख,अंकित मना नहीं कर पाया और “हां “में सिर हिलाते हुए पूछा
“तो कल कहाँ आना है ये बताइये”
“यहीं… ठीक दस बजे”
“ओके”
“अंकित सर,कांटेक्ट नंबर दीजिये,अगर लेट हुए या कुछ और तो आपको कॉल कर दूंगी, और आपकी डिटेल फिल करते वक़्त भी आपका नम्बर लेना भूल गयी थी”
“राखी मेम, मेरे पास मोबाइल नहीं, एक लैंडलाइन नम्बर है वो भी मेरे मकानमालिक का है”
“राव इंडस्ट्री के पी. ए.,और मोबाइल नहीं “वो जोर से हँसी और बोली “ओके ,कोई बात नहीं ,लैंडलाइन नम्बर ही दीजिये”
“सही कहा आपने ,अगले महीने शायद ले लूँगा”
अंकित ने लैंडलाइन नम्बर दिया और ऑफिस चला गया केविन की तरफ नजर गयी तो देखा राव सर अभी तक वहीं थे किसी फाइल में सिर घुसाए किसी उधेड़बुन में थे
“सर…अंदर आ सकता हूँ” अंकित के पूछने से जैसे होश में आये हों
“आओ ..आओ, अंकित तुम्हे पूछने की जरूरत नहीं, कैसा रहा सब”
“बहुत बढ़िया”उसने फाइल लौटाते हुए कहा
“तो…क्या देखा”?
“सर वो जो तराई वाला बाग़ान है,जिसे इस फ़ाइल में न.3 के रूप में बताया गया है,मुझे उसमे बहुत संभावना दिखती है”
“संभावना ?.. और बाग़ान न.3 में ? अंकित ..सबसे कम प्रॉफिट उसी बाग़ान का है”
“सर.. मैंने बस्स उसी बाग़ान का सेब खाया ,बहुत ही रसभरा,लेकिन पेड़ों की अपेक्षा फल कम हैं,क्योंकि मिट्टी की क्वालिटी अच्छी नहीं है और उस पर अगर थोड़ा काम हो जाये तो रिजल्ट बहुत बेहतर आ सकते हैं”
“तो …क्या ये कहना चाहते हो कि तुम्हे मिट्टी के टाइप की नॉलेज है”?
“कोई कोर्स तो नहीं किया, लेकिन अच्छी नॉलिज जरूर है,मेरे दादा जी और अब पिता भी एक किसान हैं ,खेती करना हमारे खून में है बस्स इसीलिए ..”
“हम्म…अच्छा ..ठीक है तुम्हारी बात पर यकीन कर मैं किसी स्पेशलिस्ट को वहाँ ले जाऊंगा…अच्छा तुम ध्यान से सुनो, इस आफिस में कितने लोग है और उनका प्रोफाइल क्या है? और फिलहाल कौन से डीलर के साथ हमारी क्या बातचीत चल रही है और डील क्या है? …तुम्हे कल शाम तक पता होना चाहिए…कर पाओगे”?
“यस सर्
“मेरे यकीन को बनाये रखना,मैं चाहता हूँ जल्दी से जल्दी तुम्हे इतना पता हो कि ऑफिस के बारे में कोई बात करुं तो तुम ऊपर की ओर ना ताको”
“मैं समझ गया सर”
***
शिमला ,स्केंडल पॉइन्ट,मॉल रॉड
“आप बता सकते हैं ,ये क्या है”राखी ने पूछा
“स्केंडल पॉइंट ,नाम है ना इसका”
“हम्म, लेकिन ये नाम क्यों पड़ा ,क्या ये पता है?
“नहीं, तुम्हें पता है तो तुम बताओ”
“सुना जाता है ,पटियाला के एक महाराज थे उनका अफेयर ब्रिटिशर की बेटी के साथ था,जिससे नाराज होकर ब्रिटिशर ने उन्हें इस पॉइंट के आगे जाने के लिए बैन कर दिया था
“ओह्ह ..इंटरेस्टिंग… फिर?
“फिर क्या,वो महाराज जो थे,बैन से चिढ़कर यहां से लगभग पैंतालीस किलोमीटर की दूरी पर उन्होंने एक जगह ही बना डाली, जिसे ‘चैल ‘के नाम से जाना जाता है”
“बहुत अच्छे,क्या ये बात सच है”?
“कौन जाने,बस्स ऐसा सुना जाता है”
“कुछ भी सही,है काफी इम्प्रेसिव और इंटरेस्टिंग …राखी मेम ,आप संडे को यही टूर गाइड का पार्ट टाइम जॉब क्यों नही करतीं आं ” अंकित ने जब मजाक के मूड में राखी को बोला, तो अपना बैग उसने अंकित को मारते हुए कहा “यू”
“अहा हा हा..अरे …मैं तो मजाक कर रहा था…चलिए कुछ खा लेते हैं फिर चलते हैं”
और नीरू के कहने पर तीनों रसगुल्ले खाने पर एकमत होकर,खाने चले गए !
***
अंकित ने घर आकर जैसे ही डोरबेल बजायी ..अचानक उसे शरीर मे कंपन महसूस हुआ,इतने में सरोज ने दरवाजा खोला और अंकित चकरा कर सरोज के ऊपर निढाल हो गया,
“अंकित …अंकित…तू ठीक है ना बेटा” सरोज ने उसे संभालते हुए पूछा ,तब तक अंकित संभल गया
सरोज के पीछे ही राधेश्याम खड़े थे,गुस्से में आगबबूला होते हुए बोले
“ मैंने क्या कहा था,कि अभी तो शुरुआत है,आज शराब पीकर आया है…कल देखो क्या करता है”
“हाँ माँ, ठीक हूँ अब ” अंकित ने राधेश्याम की बात को अनसुना कर ,अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा
“तूने शराब पी है” सरोज ने जरा सख्ती से पूंछा
“कैसी बात करती हैं आप,ना तो मैंने आज तक शराब पी है ना ही पिऊँगा, वो तो बस्स …चक्कर आ गया था इसलिए …मेरा सिर दुख रहा है”
“ला जरा देखूं तो” सरोज ने अंकित के माथे पर हाथ रखा तो घबराकर बोली
“अरे तुझे बड़ी तेज़ बुखार है,यही रह तू मैं तुझे ऊपर नहीं जाने दूँगी”
“नहीं …ठीक हूँ ,आप बेकार ही इतना परेशान है..शायद थकान की वजह से …मैं ठीक हूँ “
और इतना बोल अंकित सीढिया चढ़ गया अपने कमरे में बेड पर लेट अंकित को यूँ ही ख्याल आया कि अनामिका ने इतना बेरुखी वाला व्यवहार उससे इसीलिए किया क्योंकि वो उसके घर से अजीब तरीके से निकल आया था जो कि बिल्कुल ठीक नहीं था .. यही सब सोचते सोचते उनींदा हो गया कि किसी की तेज़ पैरों की आवाज महसूस की…करवट बदल कर देखा तो उसे लगा कोई उसी के पास चला आ रहा था,लेकिन शरीर मे बिल्कुल हिम्मत नहीं कि उठ कर देखता ,एक खूबसूरत सी प्रतिमा …सफेद झिलमिल से खूबसूरत लहंगे में खुले बालों के साथ ,सिर पर दुप्पटा ओढ़े ,बिल्कुल उसके पास आकर बैठ गयी
“अनामिका ….तुम ….यहाँ… इस वक़्त ?” उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था
“ये …ये कैसे हो सकता है”,
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया,बल्कि मुस्कुराई खूबसूरत होंठो के बीच एकदम सफेद दांत मानो मोती चमक उठे हों… अचानक वो उठ कर चल दी …उसे यूँ जाते देख …अंकित भी अपने बिस्तर से उठ उसके पीछे पीछे चल दिया अब वो आगे आगे और अंकित पीछे पीछे … अचानक ना जाने क्या हुआ …उसके चेहरे पर एकाएक गुस्सा दिखने लगा ,खूबसूरत हँसी गायब हो गयी,… और वो ना जाने कहाँ चली गयी ,अंकित ने उसे रोकने को अपना पैर आगे बढ़ाया ही था कि
लगा किसी ने उसे पकड़ लिया है और झटके से उसे पीछे की ओर खींच लिया, और अगले ही पल अंकित फर्श परपड़ाथा
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.
From the editor
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.

Reviews in the media
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.