क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट – 26 लास्ट पार्ट

पार्ट – 26 (लास्ट पार्ट ) by Sonal Johari Details Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt सूरज दौड़ते हुए अंकित के पास पहुंचा और उसका सिर अपनी गोद मे रख लिया फिर उसे हिलाते हुए “अंकित …अंकित…तुम ठीक तो हो…आँखें खोलो अंकित” नवीन पानी का गिलास उठा कर लाया और अंकित के मुंह पर छीटें मारते हुए “अंकित …अंकित …..” अंकित बिना आंखे खोले बड़बड़ाया “अ ना मि का ….अ ना मि का सूरज ने सुलगती आँखों से इंस्पेक्टर नवीन की ओर देखा और गुस्से में बोला . “क्या कहा था तुमने ? दोस्ती की खातिर तुमने तफ्तीश की ? यही ना?…ऐसे बताते हैं .दोस्त को ? जबकि पता है किस कदर दीवाना है ये अनामिका के लिए ….कोई इंसानियत भी है तुममे …या नहीं… कुछ हुआ ना इसे…तो बता रहा हूँ नवीन …सारी इंस्पेक्टरी भुला दूँगा मैं तुम्हारी …दूर हटो …” नवीन को शायद अपनी गलती का एहसास था इसलिए कुछ नहीं बोला रास्ता देते हुए दूर हट गया …सूरज ने अंकित को उठाया और टैक्सी में लिटा कर हॉस्पिटल ले गया …डॉ ने बताया कि अंकित की बेहोशी की वजह ..कमजोरी और तनाव है …और अंकित को इंजेक्शन लगा कर थोड़ी देर हॉस्पिटल में रखा..फिर डिस्चार्ज कर दिया….सूरज …अंकित को उसके घर ले गया …जैसे ही अंकित अपने कमरे में पहुँचा बोला “सूरज ..वो इंस्पेक्टर झुठ बोलता है “ सूरज भी बहुत थक गया था …बिस्तर पर लेटते हुए बोला . “.तुम तय कर लो अंकित …मानना क्या है…”? अंकित :-“मतलब “? सूरज :-“मतलब ये कि एक बार कहते हो मुझे किसी के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता… फिर जब कोई कुछ बोलता है तो तुम अपना होश खो बैठते हो …बच्चा -बच्चा जानता है कि नवीन पाँच सौ रुपये तक मे बिक सकता है…फिर उसके बोलने से क्या फर्क पड़ता है “ अंकित :-“हाँ …सही कहते हो तुम “ लेटते हुए बोलता है .. और फिर जल्दी ही उसे नींद आ जाती है ….थोड़ी देर बाद ही उसे अपने माथे पर किसी के हाथ की छुअन का एहसास होता है,आंखे खोल कर देखता है . “हे… ….अनामिका……….तुम….(आश्चर्य और खुशी से उसके मुँह से निकलता है और वो उठकर बैठते हुए) “कहाँ चली गयी थी तुम …तुम ठीक तो हो…कितना ढूंढा मैंने तुम्हें … (वो उठी और बाहर चली गयी …अंकित उसके पीछे जाते हुए) “कहाँ चली गयी थी …बताओ ना..मैं बता नहीं सकता …कितना खुश हूँ तुम्हें देखकर … “ वो पलटी और अंकित के गले लगकर बोली “मैं भी बहुत खुश हूँ ..अंकित ..बहुत “ “तुम ठीक तो हो “ “हम्म”वो सिर हिलाकर बोली “बताओ ना कहाँ चली गयी थी…जानती हो सब क्या कहते हैं” “क्या “? “.तुमने बताया नहीं ..कहाँ थी तुम ..जिस से भी पूँछा सब ये ही बोले कि तुम इस दुनियां में …खैर छोड़ो क्या फर्क पड़ता है ….तुम यहाँ तक कैसे पहुँची क्या आँटी ने दरवाजा खोला ..पता है वो भी यही कहती थी कि….मैं भी क्या बोले जा रहा हूँ …ये बताओ क्या राहुल ने तुम्हें…बस्स एक बार नाम बताओ तुम उसका … छोड़ूंगा नहीं ? “अंकित …सही कहते हैं …लोग “ “क्या …क्या मतलब .”? “मतलब ये …कि मैं जीवित नहीं हूँ…” “क्या …”(मुँह खोल कर ) क्या बाहियाद मजाक है ये “? “मैं सच कह रही हूँ …अंकित …जब तुमने मुझे पहली बार देखा था …मैं तब भी जीवित नहीं थी …” “क्या बकवास किये जा रही हो “ फिर उसने पास आकर अंकित के हाथों को पकड़ते हुए कहा “मैं सच कह रही हूँ …अंकित” अंकित:-“मेरा दिल बैठा जा रहा है …कह दो ये सब झूठ है” अनामिका :-“काश होता… लेकिन सच है…बिल्कुल सच …” अंकित:-“मैं कैसे मान लूं “ अनामिका :-” ऐसे, कि तुम्हारे सिवा किसी ने नहीं देखा मुझे…अगर जीवित होती तो सब देख पाते…उस बंगले में ना रह रही होती …जहाँ कोई देखना तक नहीं चाहता “ अंकित आँखे फाड़े और मुँह खोले उसे ताक रहा था ..बहुत देर चुप रहा फिर बोला :- “वो …वो तुम्हारे पेरेंट्स का बाहर होना …” अनामिका :-“झूठ था..वो हैं ही नहीं …हम सब एकसाथ ही मरे थे सामूहिक आत्महत्या में” अंकित :-“क .क..कैसे ..”? अनामिका :-“मेरे पिता जिनका नाम कन्हैया लाल था, उन्हें जुआं खेलने की लत लग गयी वो राव अंकल के यहाँ ही काम करते थे,सब अच्छा चल रहा था,लेकिन धीरे -धीरे वो कर्ज़ में डूबने लगे …प्रोपर्टी के नाम पर जो भी था सब बिक गया… लेकिन उनकी आदत नहीं छूटी ..हमारा घर, वो बंगला, जहाँ तुम आते रहे …वो भी गिरवीं रख गया…राव अंकल से भी उन्होंने लोन लिया था..लेकिन कर्ज़ सिर के ऊपर हो गया था..उनकी इस हालत का पता राहुल को लग गया था…उसकी कुछ माफिया लोगों से जान पहचान थी …जिससे मेरे पिता को और पैसा उधारी पर मिल गया….इस सिलसिले में उसका घर आना -जाना भी हुआ ….फिर …. अंकित :-“फिर “? अनामिका:-“फिर एक दिन वो मेरे घर से जाने के लिए निकल रहा था और में कॉलेज से घर आ रही थी …तभी उसने मुझे देखा…… उसने मेरे पिता से कहा कि वो शादी करना चाहता है मुझसे ,जब उन्होंने मना किया तो उसने मेरे पिता की सच्चाई सबके सामने लाने की धमकी दी साथ ही जो पैसों की मदद की थी मेरे पिता की, उसका दबाव भी डाला, मेरे पिता इस सबसे बाहर निकलने का उपाय सोच ही रहे थे कि एक दिन…एक दिन वो राव अंकल के साथ घर आ गया ..राव अंकल ने ..राहुल के लिए मेरा हाथ माँगा..मेरे पिता जानते थे राहुल अच्छा लड़का नहीं है ..मेरे लायक नहीं है…लेकिन वो राहुल के सामने लाचार थे..और राव अंकल की बहुत इज़्ज़त करते थे …मैंने उस वक़्त उन्हें अकेले में ले जाकर कहा “ना तो मैं अभी

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट – 25

पार्ट – 25 by Sonal Johari Details Summery पूछता ही इसलिए था कि वो मेरे सामने बैठकर बोले और मैं, उसे कुछ पल और देख सकूँ…तब तक उसे प्रपोज़ नहीं किया था …तो बस्स उसे देखता रहता ..क्या करूँ है ही इतनी प्यारी ..बहुत खूबसूरत है ….आह ..बहुत ही ….(फिर चाँद की ओर उँगली कर )..बिल्कुल ऐसी ही Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt सूरज लगभग भागता हुआ सा अंकित के पीछे -पीछे आया और बिल्कुल उसके पास आते हुए अपने घुटनों पर झुककर.हाँफता सा बोला “रुक जाओ अंकित ..कहाँ जा रहे हो “ “तुम क्यों आ रहे हो..मेरे पीछे …कहा ना बोतल खरीद कर रख दो और जाओ ” अंकित ने रुक कर जवाब दिया और फिर चलने लगा “कल तुम कुछ और थे …आज तो साले …आग फेंक रहे हो तुम ..हुआ क्या ऐसा “? सूरज ने आश्चर्य से पूछा…दौड़ने की वजह से अब भी हाँफ रहा था..अंकित रूका और रास्ते मे बनी एक मुँडेर पर बैठ गया और बोला “तो क्या करूँ बताओ ?…ये तो तय है उसे ढूंढूंगा, लेकिन कैसे कहाँ ..कुछ समंझ नहीं आ रहा ..लगता है इसमें वक़्त लगेगा ..और तुम्हें अपना घर तो देखना पड़ेगा ना यार ” अंकित ने अपना दाहिना हाथ सिर के बालों में फसांते हुए कहा सूरज :- (उसी मुंडेर पर अंकित के पास बैठते हुए )”हद्द है इतना सब हो गया ..तुम अभी भी मानने को तैयार नहीं ? सूरज :-“कैसे मानूं बताओ ना…एक दिन की बात होती तो सपना समंझ कर भूल भी जाता..लेकिन..दो महीने..सुना.. दो महीने ..ना जाने कितने सपने देख डाले इस दौरान…कितना वक्त साथ गुजारा…मेरी जिंदगी का अस्तित्व ही उस से है .. एक ही मकसद है अब …कहीं भी हो ..ढूंढ निकालूँगा उसे “ सूरज कुछ देर चुप रहने के बाद “एक बात मानोगे मेरी ..डॉ लाल के पास चलो ..” अंकित :-(तेज़ आवाज में) “मुझे किसी डॉ लाल या पीले के पास नहीं जाना.. …एक बार और मत बोलना ऐसा कुछ…(हाथ जोड़कर) मुझे अकेला छोड़ दो …जाओ अपने बीबी बच्चों के पास”? सूरज :-(ताव में आते हुए )”नहीं जाऊँगा ..कहीं नहीं जाऊँगा ..तुम्हें यूँ अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला “ अंकित :-“अकेला ?अकेला ही तो हूँ ..और कौन है साथ मेरे ?..तुम्हें भी तो यकीन नहीं …ना मुझ पर .ना मेरी बात पर.” सूरज :-“समझते क्यों नहीं …अर् रे सोचो ना… किसी ने तो देखा होता …किसी ने नहीं देखा ताज्जुब नहीं लगता तुम्हें …? ना सरोज आँटी ने…ना मैंने ..ना ही किसी और ने ..” अंकित :-“(आसमान की ओर देखकर )“मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता .. …ना देखा हो किसी ने …मैंने तो देखा है …मैंने प्रेम किया उससे…उसने मुझसे …ये जो दुनिया कहती फिरती है चाहत सच्ची हो तो मिल कर रहती है…जैसा आप दूसरे को देते हैं बदले में वैसा ही मिलता है…तो क्या ये सारी बातें बस्स कहने भर को है?…जब मेरे प्यार में कोई कमी नहीं तो क्यों नहीं मिलेगी मुझे? …बताओ ना यार ” एक गहरी साँस छोड़ते हुए सूरज ने अपने माथे पर हाथ फेरा और कुछ पल चुप रहकर बोला “ठीक है..यही सही …जब तक सच सामने नहीं आ जाता ..जब तक तुम्हे पूरी तरह तसल्ली नहीं मिल जाती……मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा …अब ठीक है “ अंकित ने मुंडेर से उतरकर, मुस्कुराते हुए सूरज को गले लगाया और बोला “हाँ ये ठीक है” सूरज :-“तो क्या सोचा है..फिर”? अंकित :-“पता नहीं ….दिमाग जैसे बन्द है” सूरज:-“भाभी के किसी रिश्तेदार का पता या फ़ोन नम्बर तो होगा नहीं ना? अंकित:-” नहीं …यार ..किसी का नहीं ..बहुत बड़ी गलती कर दी …पूछा ही नहीं कभी” सुरज:-“हम्म चलो ..इस्पेक्टर नवीन के पास चलते हैं” अंकित :-“मुझे नहीं लगता नवीन मदद कर पायेगा” सूरज:-“कुछ और समंझ में भी तो नहीं आ रहा अभी.. .(फिर रुककर ) वैसे एक जान पहचान वाला है तो सही …वो किसी विधायक के यहाँ काम करता है …ऊँचे रसूख वाला कोई मदद कर सकता है हमारी” अंकित :-“ठीक है चलो फिर “? सूरज :-“आज बाहर है वो …नहीं मिलेगा …” सूरज ने जब नजर उठाकर अंकित की ओर देखा वो निढाल सा सड़क पर ही बैठ गया …सूरज को उसकी दशा पर बड़ा तरस आया ..अपना हाथ उसकी और बढ़ाकर बोला “चलो …हाथ दो “ अंकित :-“कहाँ ..”? सूरज :-“अरे उठो तो …दिमाग को खुराक मिलेगी तो कुछ सोच पायेगा ना” सूरज ने अंकित का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा …दोंनो उठे और सूरज उसे टैक्सी में बिठा ले गया,टैक्सी में बैठ थोड़ी देर बाद अंकित ने उससे हाथ के इशारे से इस भाव मे पूछा कि ‘कहाँ ले जा रहे हो ‘..लेकिन सूरज ने उसे अपने हथेली दिखाते हुए तसल्ली से बैठे रहने का इशारा किया …थोड़ी देर में टैक्सी एक जगह रुकी और टैक्सीवाले को पैसे देकर सूरज, अंकित का हाथ पकड़ते हुए उसे साथ ले गया ..प्रवेश द्वार पर दोंनो जब पहुंचे तो अंकित ने देखा दरवाजे के ऊपर लिखा था “मैक्स डिस्कोथैक ” .जब उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो वो अपनी गर्दन हिलाते हुए झूम रहा था और मुस्कुराते हुए अंकित से बोला “अच्छा सोचा ना मैंने ..आजा …चल अंदर चले “ सूरज से अपना हाथ छुटाकर, खीजते हुए अंकित बोला “ये सब है क्या ?..एक तरफ अनामिका नहीं मिल रही है…दूसरी तरफ कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है ..कि कैसे करूँ क्या करूँ… ..बिल्कुल दिमाग नहीं है क्या तुम्हारे पास,..एक- एक मिनट भारी पड़ रहा है…और तुम मुझे यहाँ .ले आये हो.. सूरज मुँह खोले जीभ को अपने ऊपर वाले साइड के दांतो पर टिका कर पहले तो अंकित को देखता रहा फिर बोला “मेरे भाई भरोसा तो रख …जो हमारे समंझ में आया हम करके देख चुके हैं..अब एक ही रास्ता फिलहाल समंझ आ रहा है और वो ये कि, कोई दबदबे वाला आदमी जिसकी बात पुलिस भी माने और बाकी के लोग भी,…तो .उसके लिए भी कल चल रहे हैं ना .. ..वो सेक्रेटरी है यार …मिलना हो गया तो समझो सारी मुश्किल हल …ये सब पुलिस वुलिस सब भाग भाग कर काम करेंगे और भाभी मिल जाएगी …दिमाग को भी शांत करना जरूरी है ना ,इसलिए यहाँ लाया हूँ तुम्हें …. “ अंकित के पास कुछ भी बोलने को

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -24

पार्ट – 24 by Sonal Johari Summery कोई मज़ाक है क्या ..अंकित की जिंदगी ?..कि कोई आया मेरे जज़्बातों के साथ खेला और चला गया ..कहाँ गयी होगी आसमान में? …तो उतरेगी नीचे… अगर जमीन में होगी तो ,खड्डा खोद कर निकालूँगा.. मर गयी होगी ,तो रो लूंगा .. लेकिन जब तक ये चैप्टर बंद नहीं कर दूँगा चैन से नहीं बैठूंगा Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt नवीन ,अनामिका केस की फाइल पढ़ ही रहा था …कि अंकित हाँफता हुआ पहुंच गया उसके पास .मेज़ पर दोनो हाथ रख नवीन की ओर झुक गया और बोला “कुछ …पता लगा नवीन सर “? नवीन :-“क्या हुआ तुम्हें …तबियत खराब लग रही है तुम्हारी “ अंकित :-(बुझी आवाज में )”तबियत …हुम् ….मुझे मेरी जिंदगी खराब लग रही है …एक -एक पल नरक के समान बीत रहा है …आप बताइए ना…कुछ पता लगा ? “ नवीन :-(अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए )”अंकित,हिम्मत मत हारो मैं गया था राव से मिलने ..केस थोड़ा पेचीदा है ..तहकीकात करने में थोड़ा वक्त लगेगा ..भरोसा रखो कोई कसर नहीं छोडूंगा “ अंकित :-(नवीन का हाथ अपने हाथ मे लेते हुए)”तब तक उसे कुछ हो गया ..तो …उन लोगों ने उसे कहीं कोई नुकसान पहुंचाया तो …..तो क्या होगा “? नवीन :-“भावुकता से नहीं …दिमाग से सोचो ..कुछ करना ही होता तो उन्हे …तो अब तक क्यों जीवित रखते ..तुम उससे कैसे मिल पाते ?……सोचने वाली बात ये है कि पांच महीने पहले जो लड़की अखवारों में मर चुकी है …तुम्हारे अनुसार जिंदा है ….कल उस बंगले की सर्च कराता हूँ” अंकित :-“अभी क्यों नहीं ? …अभी चलिये मेरे साथ …चलिये “ नवीन :-(अचकचाते हुए ) “मैं पुलिस में जरूर हूँ …लेकिन ऐसे पुराने बंगले ..और अंधेरे से मुझे पता नहीं क्यों…वो …वो “ अंकित :-“क्या ? नवीन :-(मुँह फेरते हुए ) “मैं सहज महसूस नहीं करता …कल जाऊंगा दिन में टीम के साथ …वैसे भी आज जब देखा दूर से तो, ….वो सिवाय एक पुराने और सुनसान बंगले के कुछ और नजर नहीं आया…मुझे नहीं लगता कुछ हो सकता है वहाँ..फिर भी ….जाऊंगा तुम्हारी खातिर “ नवीन की ये बात सुन अंकित चिढ़ गया और हाथ झटकते हुए वहाँ से निकल गया … “अंकित ..सुनो तो …”नवीन ने आवाज दी ..लेकिन उसने अनसुना कर दिया … *** अंकित पहली बार अनामिका के घर की ओर चलते -चलते थक गया था … अपने दोनों हाथ घुटनों पर रख कर कुछ देर हांफता रहा फिर आगे बढ़ा ..रोड से नीचे जाने वाले रास्ते पर कदम रखा … सूखी पत्तियों की आवाज ने पहली बार उसका ध्यान खींचा …एक पल वो ठहरा और आगे बढ़ गया ..बेहद अंधेरा और दमघोंटू वातावरण लगा उसे ..जो रास्ता उसे दूधिया रोशनी से डूबा लगता था..आज बेहद सुनसान… वो बुदबुदाया ‘सब सूरज की बातों का असर है ‘ सिर झटक कर आगे बढ़ा… अनामिका के घर के बाहर तो ,वही फिर पैर रखा …फिर नियत जगह से दाएं ..और बाएं ..थोड़ी दूरी पर …ये सोच कि शायद जगह भूल तो नहीं गया ..कई बार दोहराने के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो …अँधेरे में नजरें गढ़ा.. मोटी तने की कल वाली लकड़ी उठा ली ..अभी दरवाजे में मारी भी ना होगी कि तेज़ कानफोड़ू झींगुरों की आवाज ने ध्यान भंग कर दिया ..फिर लगा जैसे उसके पीछे से कोई गुजरा हो … वो तेज़ आवाज में बोला “अनामिका …अनामिका …”कोई उत्तर नहीं…उसने लकड़ी नीचे फेंक दी …और सिर उठाकर बंगले को ऊपर तक देखा …हमेशा रोशनी में जगमगाता ये बहुत वीरान और डरावना लगा…फिर खुद से बोला ‘दुखी हूं ना ..हर चीज़ बुरी लग रही है’ ….फिर उठा ली मोटी तने वाली लकड़ी और दे मारी दरवाजे में …कई वार… लगातार… एक ही जगह चोट पड़ने से दरवाजा खुल गया ..उसने लकड़ी नीचे फेंकी पूरी ताकत झोकते हुए दरवाजा खोल दिया .. अंदर धुप्प अंधेरा ,बस्स चांद की रोशनी ही थी जो खुली खिड़कियों से अंदर आ रही थी …उसी के सहारे वो आंखों पर पूरा जोर दे देकर देख रहा था …”अनामि…का “…..कहाँ हो तुम ” …देखो.. मैं …अंकित ….तुम्हारा अंकित आया है …” ऊपर लटकते झूमर पर नजर डाली …हमेशा रोशनी बिखेरता झूमर मानों मुंह बायें खड़ा हो ….फिर खुद से ही बोलते हुए …सब इतना सुनसान क्यों लग रहा है …किचिन …हां किचिन में देखता हूँ …किचिन में मानो किसी ने धूल झोंक दी हो …जाले और गंदगी से भरा हुआ..’ये ये क्या …अभी दो तीन पहले उसने मुझे खाना खिलाया था …हांफता सा बाहर आया सीढिया देखी तो उसे याद हो आया …यही …यहीं ..उसे बाहों में लिया था मैंने वो उसी सीढी पैर रख कर उसे महसूस करने लगा . ‘अनामिका …कहाँ …हो ….तुम …कहाँ…. हो “ वहाँ से आगे बढ़ा और टैरेस पर चला गया …जोर से बोला ‘यहाँ …मैंने तुम्हें प्रपोज किया था अनामिका …तुमने कितने प्यार से मेरे लिए खाना बनाया था….यहाँ…यहाँ टेबिल रखी थी ..यहाँ तुम बैठी थी…टेबिल …यहीं होगी (इधर उधर देखते हुए) टेबिल नहीं दिखती तो .. झाड़ और कबाड़ हटाते हुए देखता है …लेकिन कहीं नहीं दिखती …हताशा में उसकी आंखों से आँसू निकल आते हैं..ये सब है क्या …ना टेबिल …ना .. कुर्सी …अररे ….मैं भी कैसा पागल हूँ… उसने नीचे रख दी होगी ..हाँ यही होगा …फिर टैरेस से नीचे की ओर झाँकते हुए वहाँ …वहाँ …मैं तुम्हारे साथ बैठा था…तालाब के पास .., फिर सीढियों से उतरते हुए नीचे आता है ..और बंगले के पीछे की तरफ जाकर सबसे पहले तालाब तक जाता है ..हाथ से पानी छूने के लिए वो तालाब में हाथ डालता है लेकिन पानी की एक बूंद तक नहीं ..उसका आश्चर्य से मुँह खुल जाता है..”.ये …ये..क्या ..ये तो पानी से भरा हुआ था ..बत्तख थी इसमें …ना जाने कहाँ गए या शायद अंधेरे में …नहीं चाँद की रोशनी तो है …शायद मन ही दुखी है मेरा ….कि एकाएक नजर गमले पर चली जाती है …दौड़ते हुए गमले को उठा लेता है…उसे ऊपर की ओर उठा कर ..दूसरे हाथ को ऐसे मोड़ता है जैसे अनामिका को उठा लिया हो…फिर मुस्कुरा कर “देखो अनामिका.. सारी जिंदगी तुम्हे ऐसे ही उठाये रख सकता हूँ”… ‘हऊ ..ऊ ..ऊ ‘ करती सियारों की रोने

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट – 23

पार्ट – 23 by Sonal Johari Details Summery प्रोपर्टी के लिये लोग सालों साल घपला करते हैं …ये तो बस्स महीनों की बात है …वो दो दिन पहले ही मिला है उससे …पागल तो है नहीं अंकित …जो उसकी बात को झुठला दिया जाए …रही बात फाइल की..? बन्द फाइल को खोलने में देर कितनी लगती है..? Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt सुबह जल्दी से तैयार होकर सूरज ,अंकित को सोता छोड़ घर से निकल गया…अंकित भी जब उठा तो बिना वक़्त गवाए सीधे पुलिस स्टेशन पहुँच गया …जब पहुंचा तो सामने इंस्पेक्टर नवीन ही बैठा मिला …अंकित को देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी . बोला “आइये पी.ए.साहब ..कैसे आना हुआ “? अंकित :–(मन ही मन सोचते हुए ..इसे भी यहीं मिलना था अब किसी और इंस्पेक्टर के बारे में पूँछू तो चिढ़ जाएगा ..इसे ही बताना पड़ेगा )”नवीन सर ..मुझे आपकी मदद चाहिए ..” नवीन :–“मदद ….सो भी मेरी …कहो ” हँसते हुए बोला अंकित :-(अनामिका का फोटो दिखाते हुए) “ये दो दिन पहले तक अपने घर मे थी ..लेकिन अब नहीं है…मुझे डर है इनके साथ कोई हादसा ना हो जाये ..कृपया जल्दी ढूंढने में मेरी मदद करेंगे ?.” नवीन :-“कहीं देखी हुई सी लग रही है कौन है ये “? अंकित :-“मेरी प्रेमिका है ..प्लीज़ सर मदद कीजिये ना.. नवीन :-“झगड़ा किया होगा आपस मे …चली गयी होगी और हमारे पास पच्चीस काम और भी हैं …अब हम घर के झगड़े भी सुलझाएं ? जाओ यहाँ से “ अंकित :-“एक मिनट के लिए भूल जाइए ..कि आप इंस्पेक्टर हैं..आपने भी किसी से प्यार किया होगा…हमारा कोई झगड़ा नहीं हुआ है …इसकी जान खतरे में है …प्लीज़ मेरी मदद कीजिये “ नवीन :-(एकदम गंभीर बनते हुए )”हम्म …तेरी बात पसंद आई मुझे …मदद करूँगा तेरी …अच्छा ला फ़ोटो दिखा …” अंकित ने फ़ोटो दिया तो गौर से देखने के बाद उसके माथे पर बल पड़ गए …फिर अपना निचला होठ चबाते हुए “कहीं देखा है मैंने इसे …लेकिन याद नहीं आ रहा …चलो छोड़ो …ये बताओ किसी पर शक है तुम्हे “ अंकित :-“हाँ …राहुल पर “? नवीन :–“कौन राहुल “? अंकित :– (गुस्से में ) “राव सर का भतीजा “ नवीन :–(चुटकी बजाते हुए …जैसे याद आ गया हो ) अररे हाँ …याद आया …ये तो राहुल की होने वाली पत्नी का फोटो है …और इसकी तो .मौत …उन दिनों यहां नही था मै …बाद में अखवारों में फ़ोटो देखी थी इसकी….एक मिनट… तुम तो कह रहे थे ये तुम्हारी प्रेमिका है …क्या सुबह से कोई और नहीं मिला तुम्हें “ अंकित :-“(उत्तेजित होते हुए )झूठ है ये सब …बकवास है.उन लोगों ने ही गायब कराया है इसे…अच्छी भली है ..और ..जीवित है नवीन :–“क्या ? जीवित है “ अंकित :-“परसों मिला हूँ मैं इससे “ नवीन :–“कहाँ पर मिले हो” अंकित :-“उसके घर पर “ नवीन :- ” घर …वो ..वो मोड़ वाला बंगला “? अंकित :- “हाँ “ नवीन :-“क्या बकवास है ये ?…उस तरफ कोई जाता तक नहीं ..” अंकित :-“मैं सच कह रहा हूँ” नवीन :-“मुझे यकीन नहीं …लेकिन तुम्हारी बात और इस विश्वास की खातिर तफ्तीश करता हूँ…मदद का वादा जो किया है …एक दिन की मोहलत दो …राव सर हों या उनका भतीजा ..गुनाहगार हैं तो बचेंगे नहीं …ये एक दोस्त का वादा है ,…राव …हम्म ..शक तो उस पर था मुझे (बुदबुदाते हुए )कोई भला एम्प्लोयी के लिए रिश्वत देगा …लेकिन जब उसने मुझे नोटों का बैग दिया …तो लगा मेरी गलतफहमी होगी …लेकिन अब …..हम्म .. अंकित :- “क्या… क्या दिया आपको “? नवीन :–“कुछ नहीं …कल मिलो मुझसे इसी वक्त “ अंकित :-“बहुत धन्यवाद आपका ..कल मिलता हूँ” *** अंकित जब बापस आया तो …सूरज को बैठे हुए पाया .सूरज :-” कहाँ गए थे तुम “ अंकित :-“पुलिस स्टेशन “.. सूरज :- “कुछ हुआ “? अंकित :- “नवीन मिला..बहुत प्यार से बात की उसने मुझसे” सूरज :- “तुमने तो बताया था …सुरुचि के केस के वक़्त बहुत चिड़ा हुआ था वो तुमसे “ अंकित :-“हम्म …आज मैंने उसे उसके प्रेम का वास्ता दिया …तो दोस्त बनाते हुए उसने मदद का वादा किया है कल तक का समय लिया है ….तुम कहाँ गए थे “? सूरज :-“भाभी के कॉलेज गया था “ अंकित :- “कुछ पता लगा “? सूरज :–” (दुखी होते हुए “)हम्म” अंकित :–” क्या …तो बताओ ना “ सूरज :–“भाभी बहुत होशियार थी “ अंकित : -” थीं नहीं …हैं “ सूरज :–“पहली और दूसरी दोनो सालों में उन्होंने टॉप किया था “ अंकित :–“हम्म “ सूरज :–“कॉलेज के बहुत बच्चों की फीस वो भर दिया करती थी ..मदद करती रहीं थी सबकी “ अंकित :–(खीजते हुए )”तुम पता करने क्या गए थे? उसके बारे में या उसके ऐकडेमिक बैकग्राउंड के बारे में”? सूरज :-” पता तो लगा है लेकिन पहले वादा करो कि तुम धैर्य से काम लोगे ?” अंकित :-” हाँ …हाँ बोलो भी …” सूरज :-” लगभग हर प्रोफेसर से मिला होऊंगा …सब उनकी तारीफ करते हुए यही कहते हैं कि वो लगभ पांच महीने पहले इस दुनिया से चली गयी हैं “ अंकित :- “(गुस्से में ) सू….र…ज “ अंकित :- “हाँ “ नवीन :-“क्या बकवास है ये ?…उस तरफ कोई जाता तक नहीं ..” अंकित :-“मैं सच कह रहा हूँ” नवीन :-“मुझे यकीन नहीं …लेकिन तुम्हारी बात और इस विश्वास की खातिर तफ्तीश करता हूँ…मदद का वादा जो किया है …एक दिन की मोहलत दो …राव सर हों या उनका भतीजा ..गुनाहगार हैं तो बचेंगे नहीं …ये एक दोस्त का वादा है ,…राव …हम्म ..शक तो उस पर था मुझे (बुदबुदाते हुए )कोई भला एम्प्लोयी के लिए रिश्वत देगा …लेकिन जब उसने मुझे नोटों का बैग दिया …तो लगा मेरी गलतफहमी होगी …लेकिन अब …..हम्म .. अंकित :- “क्या… क्या दिया आपको “? नवीन :–“कुछ नहीं …कल मिलो मुझसे इसी वक्त “ अंकित :-“बहुत धन्यवाद आपका ..कल मिलता हूँ” *** अंकित जब बापस आया तो …सूरज को बैठे हुए पाया .सूरज :-” कहाँ गए थे तुम “ अंकित :-“पुलिस स्टेशन “.. सूरज :- “कुछ हुआ “? अंकित :- “नवीन मिला..बहुत प्यार से बात की उसने मुझसे” सूरज :- “तुमने तो बताया था …सुरुचि के केस

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट – 22

पार्ट – 22 by Sonal Johari Summery ना जाने क्या कहना चाहती थीं तुम …नहीं जी पाऊंगा तूम्हारे बिना …नहीं जी ….पा..ऊँगा …नहीं …..अनामिका ….अना ….मि ….का …..मैं …क्यों…रुका नहीं ….अना ….मि …..का….न …ही …..जी ….पा …पा …ऊँगा…..अहह …. न …नहीं Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt पीछे -पीछे चल रहे सूरज ने जैसे ही रोड से उतरकर पैर रखा एक ‘चर्र ‘ की आवाज ने ध्यान आकर्षित कर लिया ..नीचे सूखी पत्तियां थी ..ऊंचे पेड़ इतने घने थे कि बाहर की रोशनी तक नहीं आ पा रही थी.. जिस वजह से धुप्प अंधेरा छाया था..बेहद झाड़ खंखाड फैले थे .. सूरज ने अंकित की ओर देखा तो वो बदहवास सा आगे बढ़ा जा रहा था ..इतने में ही किसी चीज में पैर उलझा सूरज का ,और वो नीचे गिर पड़ा ..गिरते ही नजर सामने पड़ी तो… दो चमकती आंखे उसे, खुद को घूरते हुए दिखी ..बहुत गौर से देखने पर भी उसे नहीं समंझ आया कि है क्या …अंकित को आवाज दी ..लेकिन वो दूर निकल गया था …सो हिम्मत कर के उठा और तेज़ चलते हुए आगे बढ़ गया …अंकित के पास पहुंचते ही ..”अंकित ..तुम्हें पक्का पता है ,भाभी य…हाँ रहती है..”उसने पीछे की तरफ देखकर ..डरते हुए पूछा “तुम्हें नहीं लगता… ये बेतुका प्रश्न है ” अंकित ने जवाब दिया.. अंकित का हाल देख ,आगे बात ना बढ़ाना ही सूरज ने ठीक समझा..और बोला “अंकित तुम बेकार में ही परेशान हो यार …बंगला बिका भी है तो भाभी को पता होगा..वैसे भी ये उनका पारिवारिक मामला है ..हो सकता है झिझक के कारण तुम्हे ना बताया हो “ “हम्म ..हो सकता है ..मुझे बस्स चिंता अनामिका की है एक बार उसे देख लूं तो चैन आ जाये “.. अंकित ने जवाब दिया और कुछ देर और पैदल चलने के बाद अंकित रुक गया और खुश होते हुए बोला “लो पहुंच गए “ सूरज आंखे फाड़े उस बंगले को देख रहा था …देखने से लगता था कि यहां शायद ही कोई रह रहा हो..वारिश और वक़्त की मार से उतरा हुआ बंगले का रंग रोगन….जींगुरों की कानफोड़ू आवाज और रोशनी के नाम पर जुगनू की चमक तक नहीं….अजीव सा दमघोटू माहौल …सूरज ने घबराकर अंकित का हाथ पकड़ लिया “अंकित चल यहाँ से …ये जगह मुझे ठीक नहीं लग रही यार “ “क्या यार ..मैं उससे मिले बिना …कहीं नहीं जाऊंगा ” अंकित ने सूरज का हाथ हटाते हुए कहा ..और जहाँ पैर रखता था हमेशा वहीं पैर रख दिया ..और दरवाजे की ओर देखने लगा ..जब नहीं खुला तो उसने ,फिर वही प्रक्रिया दोहराई …सूरज बड़े ध्यान से ये सब देख रहा था …फिर घबराहट में उसने एक सिगरेट जलाई और पीने लगा .अंकित के कई बार दोहराने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला ..गुस्से और हताशा में वो तेज़ी से चिल्लाया “अ …ना…मि …का…” गूंजती हुई आवाज गु म हो गयी…एक बार ,दो बार ,तीन बार …लेकिन अनामिका का कोई उत्तर नहीं …अंकित ने अंधेरे में वही पड़ा एक भारी सा पेड़ का तना उठाया और दरवाजे में दे मारा “ये क्या कर रहे हो अंकित “? सूरज ने घबराहट में पूछा “वो… मुसीबत में है …सूरज …उसे बचाना होगा ” दरवाजे पर चोट करते हुए अंकित बोला..उस ‘सायं …सांय से करते वातावरण में दर्जनों चमकती हुई आंखे सूरज को दिखी ..तो वो डर गया …अपनी सिगरेट फेंकी और अंकित को खींचते हुए बोला “गेट तोड़ देने से भाभी नहीं मिलेगी …जरा देखो तो ..यहाँ का हाल ..तुम्हे लगता है वो अंदर होंगी “ “वो यही रहती है ” अंकित ने कहने के साथ ही एक जोरदार टक्कर दरवाजे में फिर मारी ..लेकिन दरवाजा नहीं खुला “दरवाजा टूट भी जाये, तो इतने अंधेरे में ढूंढोगे कैसे …चलो ..पुलिस को लेकर आएंगे कल दिन में ” सूरज ने उसके हाथ से वो मोटा से तना फ़ेंकते हुए कहा,तो अंकित ने दरवाजे में तेज़ी से धक्का देते हुए कहा”मैं कहीं नहीं जाऊंगा …सूरज …तुम्हे जाना है …तो तुम जाओ ” अंकित की हालत से बाक़िफ़ सूरज ने उसे अपने डर के बारे में ना बताते हुए ,पूरी ताक़त से पकड़ा और पीछे की ओर धकेलता सा बाहर की ओर खींचने लगा “मैंने कहा छोड़ दो…. मुझे …सूरज ” सूरज की पकड़ से छूटने की कोशिश करता अंकित चीखते हुए बोला …लेकिन तनाब और कमजोरी के चलते खुद को छुटा नहीं पाया …उसके कई बार बोलने पर भी सूरज ने अपनी पकड़ ढीली नहीं की और उसे वहाँ से निकाल रोड तक ले आया ..जल्दी ही टैक्सी पकड़ दोनों उसमे बैठे …तो अंकित ने गुस्से से सूरज की ओर देखा लेकिन उसे काँपता …और घबराया हुआ देख …वो शांत हो गया और पूंछा ” तुम इतने घबराये क्यों हो ..क्या हुआ “? “पूछ तो ऐसे रहे हो …जैसे कुछ पता ना हो ” फिर अंकित के हालात को याद करते हुए खुद ही बोला “बस्स ठंड लग रही है …एक बोतल लें लेता हूँ” “कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा..जाओ…लो जाकर ” अंकित चिढ़ता हुआ सिर झटककर बोला सूरज ने बीयर शॉप से एक बोतल ली और दोंनो अंकित के घर आ गए और..बेड पर बैठते ही अंकित हताशा में अपने सिर के बालों को खींचते हुए बोला “मेरी कुछ समंझ में नही आ रहा …कुछ नहीं …अनामिका कहाँ हो तुम … कहाँ ढूंढू… मैं तुम्हें ” फिर अचानक उठकर जाने लगा “कहाँ जा रहे हो ” सूरज ने पूछा अंकित :–“पुलिस स्टेशन “ सूरज :–तुम्हें लगता है..इस वक़्त पुलिस मदद करेगी हमारी इतनी रात गए”? अंकित :–“पुलिस स्टेशन हमेशा खुला रहता है “ सूरज :–“काम करने वाले हैं तो आदमी ही हैं यार ..झुठी तसल्ली और कुछ लेक्चर के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला ..बेहतर है हम सुबह तक का इंतजार करें “ अंकित :- “कहीं सुबह तक उन लोगों ने उसे कुछ कर दिया तो “? सूरज :-“पहले ये बताओ हम आज जहाँ गए थे ..पक्का यकीन है तुम्हें ..वो वहीं रहती है “ अंकित :- “तुम्हारी परेशानी क्या है सूरज …तुमने अगर ये सवाल फिर पूछा तो… मुझसे बुरा कोई ना होगा ” अंकित चिढ़ते हुए बोला सूरज :–“माफ करना यार ( कुछ सोचते हुए )भगवान करे मैं गलत होऊ लेकिन अभी जो देखा

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट- 21

पार्ट – 21 by Sonal Johari Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt अंकित को बाहर निकलते देखकर सूरज उसके पास दौड़ते हुए आया ..”कहाँ जा रहे हो ..इतनी जल्दी में यार” “सूरज … ..बाद में बात में बात करता हूँ” “हुआ क्या है…. यार ? “ “कहा ना…. बाद…. में ” अंकित ने दांत भीचते हुए कहा..जैसे ही सूरज ने उसकी गुस्से में लाल आंखे देखी तो चुप हो गया ,भागता हुआ अंकित अनामिका के घर पहुंचा …देखा दरवाजा बंद था …पैर वहीं रखे ..जहाँ कदम रखते ही दरवाजा खुल जाता लेकिन इस बार दरवाजा नहीं खुला …तो गुस्सा और बढ़ गया एक बार …दूसरी बार ..वही प्रक्रिया अपनाई लेकिन नहीं खुला दरवाजा ..वो जोर से चीखा “अ …ना.. मि …का …दरवाजा खोलो ..मैं कहता हूँ …खोलो दरवाजा …” कई बार उसने डरवाजे पर पैर रखा… कई आवाजे लगायी लेकिन ना तो अनामिका का जवाब मिला ना दरवाजा खुला …हताश अंकित वहीं उसके दरवाजे के बाहर सीढियों पर बैठ गया …और बहुत देर तक बैठा रहा..पहले गुस्सा बढा फिर हताशा और चिढ़ …और आखिर में उसने खुद को ये बोलकर समझाया कि किसी काम से शायद कहीं गयी हो..मुझे उससे तसल्ली और आराम से बात करनी चाहिए…और इंतजार करते करते ..लगभग दो घण्टे बीत जाने के बाद बापस घर आया और सोच विचार में डूबा सो गया … सुबह उठा तो खुद से ही बोला अच्छा रहा अनामिका उस वक़्त मुझे नहीं मिली ..ना जाने गुस्से में क्या करता मैं.. और उसे भी लगता कि अंकित को भरोसा तक नहीं मुझ पर…. नही नहीं ..बहुत गलत हो जाता… आज जाकर राहुल से ही पूछुंगा शांति से …लेकिन कल तो इतनी बड़ी बात हो गयी है..हाँ ठीक है इस बारे में उससे कोई बात नहीं करूंगा ..शांति और प्यार से अनामिका से ही पूछ लूँगा आज शाम को जब मिलने जाऊंगा …हाँ यही ठीक रहेगा…मन ही मन ये तय करके वो ऑफिस चला गया.. .*** जाते ही राव सर ने बुला लिया ..कुछ एक लेटर टाइप कराकर …उन्होंने राहुल को भी वही बुला लिया वो अपने हाथ में एक फोल्ड किया हुआ बड़ी सी फ़ोटो पकड़े हुए था..राव सर उससे बोले “राहुल …काम कहाँ तक पहुंचा … “समझिये हो गया… कल या परसों से ही उस बंगले को तोड़ना शुरू कर देंगे …बस्स ये समंझ नहीं आ रहा बाहर की साइड क्या करे …कौन सा डिजाइन बनवाऊं..” “हम्म .जरा दिखाओ तो ..कौन सी जगह की बात कर रहे हो “? “जी “ कहते हुए उसने वो तस्वीर खोल कर उनकी टेबिल पर रख दी ……इतने में राव सर का फ़ोन बजा और वो केविन से बाहर निकल गए.. ये …ये तो अनामिका का बंगला है ..अंकित के मुंह से निकला…वो आंखे फैलाये ..आश्चर्य से कभी उस तस्वीर को देखता तो कभी राहुल को… “अंकल ने भी ना..पागलों की फौज इकट्ठी कर रखी है इस ऑफिस में ” राहुल खीज़ता हुआ बुदबुदाया “ये तस्वीर तुम्हारे पास कैसे …ये तो अनामिका का घर है ना” ?अंकित ठीक राहुल के सामने आकर बोला राहुल :–” हाँ तो…हम मॉल बना रहे हैं वहाँ ..इस बंगले को तोड़ कर …और ये बात तुम्हे पता तो है ..तो फिर ये सब… “ अंकित :-“क्या ..तुम लोग ऐसा कैसे कर सकते हो “? राहुल :-“क्यों ..क्यों नहीं कर सकते …हमने खरीदी है ये जगह “ अंकित :- ( सोचते हुए ..अगर ये बंगला बिक चुका है तो उसने बताया क्यों नहीं ) राहुल ..उसके पेरेंट्स भी अभी बाहर हैं..वो अकेली है “ राहुल :-“कौन अकेला है …किसकी बात कर रहे हो “? राहुल ने झुंझलाते हुए कहा अंकित :-“अनामिका अकेली है …अभी …” राहुल :-” पागलपन की भी कोई हद होती है ” वो झुँझलाया अंकित :- “अब मैं समंझा ..तो असल वजह ये है ..तुम लोगों की नजर उसके बंगले पर है ” राहुल :-“बस्स बहुत हुआ पागलपन ..अंकित …निकल जाओ यहाँ से” राहुल ने अंकित को धक्का मारते हुए कहा “जब तक मैं जीवित हूँ ..उसका और उसके परिवार का कोई कुछ…. नहीं ….बिगाड़ …सकता समझे …तुम” और ये बोलने के साथ ही अंकित ने राहुल का कॉलर पकड़ लिया …राहुल गुस्से से भर गया …आंखे लाल ही गयी ..चेहरा कांपने लगा और उसने “तुम्हारी इतनी …हिम्मत ..” बोलने के साथ… ही अपने सीधे हाथ से अंकित के गाल पर एक झापड़ रसीद कर दिया ,झापड़ पड़ने से गुस्से में अपना आपा खो बैठा अंकित …और एक जोरदार पंच रसीद कर दिया राहुल के मुंह पर . .”इसी मुंह से नाम लेता है ना …तू उसका “ “कल तुझे छोड़कर …गलती कर दी मैंने …” दाँत भीचते हुए राहुल बोला, और बोलने के साथ ही उसने जोरदार पंच अंकित के मुंह पर मारा ..बेलेंस ना रख पाने से अंकित जमीन पर गिर गया ..और राहुल ने पास जाकर उसे कॉलर पकड़ते हुए उठाया …तभी “क्या हो रहा है …मैं पूछता हूँ ….हो क्या रहा है ….ये ” राव सर ने ऊंची आवाज में पूछा ..वो केविन में बापस आ गए थे…दोंनो चुपचाप और शांत हो गए थे …लेकिन उन दोनों को देखकर राव सर आसानी से समंझ गये ..कि दोनों के बीच मारपीट हुई है “हुआ क्या है …कोई बताएगा मुझे …तुम लोग यूँ बच्चों की तरह …हद्द है ..(फिर अपनी सीट पर बैठकर वो कुछ पल चुप रहे फिर बोले) राहुल …अंकित …यहाँ सामने आकर बैठो ..जल्दी दोंनो कुर्सियों पर बैठ गए ..राव सर अंकित की ओर देखकर बोले “अंकित तुम बताओ …बात क्या है “? “सर ..बात ये है कि मैं एक लड़की से प्यार करता हूँ..और वो मुझसे …लेकिन कल राहुल ने कहा कि वो उसी लड़की से अगूंठी पहन चुका है..मुझे यकीन है कि ये झूठ है”? राहुल : अंकल ….सुन रहे हैं आप ?

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