नागेन्द्र ने किचिन में जाकर जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा, निस्तेज सी बैठी उर्मिला को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके ऊपर गर्म लोहा पिघला कर डाल दिया है…
“अहह..आह.” उर्मिला ने डरकर प्रतिक्रिया दी!
“अरे! क्या हुआ .. तुम ठीक तो हो…” लता ने उर्मिला का कंधा हिलाते हुए थोड़ी तेज़ आवाज में कहा
“आह…आह…आप …?” उर्मिला ने नजर घुमाकर देखा, तो लता उनके कंधे पर हाथ रखे हुए थीं, उर्मिला अपने अतीत के ख्यालों से तुरंत बाहर आ गईं!
“हाँ मैं…क्या हुआ …देखो तो चेहरे पर कितना डर है….कुछ डरावना देख लिया क्या ? या कुछ सोच रहीं थीं ?”
“कुछ नहीं…कुछ भी नहीं…बस्स यूँ ही…”
“कोई बात तो है, बताइए ना ? “
“कुछ नहीं, बस माँ..बाऊ जी की याद आ गयी थी…”उर्मिला को कुछ समझ नहीं आया तो टालने के लिए बोल दिया
“ओह्ह…तो ये बात है….अब माता-पिता की कमी तो कोई भी पूरी नहीं कर सकता दीदी…अच्छा ये लो चाय पी लो..”
“उर्मिला पलके झपकाती सी सिमट कर बैठ गयी और चाय का कप पकड़ लिया….
“मैं तो चाय ही लेकर आयी थी देखा तो आप आँखें छत पर टिकाए ना जानें कहाँ खोयीं थी..अच्छा मैं क्या कहती हूँ , चाय पीकर जल्दी तैयार हो जाओ”
“तैयार..??”
“अरे मन अच्छा नहीं ना आपका..चलो मंदिर ही घूम आते हैं…लौटते टाइम कुछ कहा लेंगे!” लता बात पूरी कर मुस्कुरायीं तो उर्मिला भी उनकी बात के समर्थन में मुस्कुरा दीं…और लता जैसे ही उनके कमरे से बाहर निकलीं, उर्मिला फिर लेट गयी।
बहुत थकान महसूस कर रही थीं, ख्यालों के लंबे सफर से जो लौटीं थीं, और संयत होने में वक़्त तो लगता ही है।
***
“कहाँ जा रहा है..?” रोहित को बैग में कपड़े रखते देख आकाश ने पूँछा!
“जा नहीं रहा..बल्कि जा रहें हैं..चल जल्दी कर” रोहित ने बात बात ठीक की
” क्या यार..हम जिस काम से आये थे वो अभी हुआ नहीं है!”
“बस्स…बहुत हुआ, उसे आना होता तो आ चुका होता…तू भी यार किस चक्कर में पड़ा है?…अच्छे इंसान की परख सबको नहीं होती…अगर उस आदमी को बुआ की कद्र होती तो ये नौबत ही नहीं आती. .मेरा तो खून जलता है…सामने आ भी गया तो मार डालूंगा मैं उसे…”
“क्या यार..एक ही टोन रहती है तेरी हमेशा ..”
“तो और क्या करूँ..तू ही बता, बुआ जैसी लड़कियाँ कहाँ मिलती हैं आजकल ? उसे अक्ल ही होती तो बात ही क्या थी, वो अपनी जिंदगी में कहीं मस्त होगा… लोग चार दिन पुरानी बात तक भूल जाते हैं..तुझे लगता है उसे, बुआ याद भी होंगी?”
“तू कुछ भी बोल मैं नहीं जाऊँगा…मेरा दिल कहता है वो आयेगा…”
“.ओह्ह हो..अब समझा…तू भला जाएगा भी क्यों…?”
“क्या मतलब.?.”
“मतलब तुझे तो उस शोरूम वाली को देखना होगा ना..” रोहित शरारत से मुस्कुराते हुए बोला तो आकाश भी मुस्कुरा दिया…
“एक बात बताएगा…? “
“हुम्म…
“तूने उससे ये क्यों कहा कि ‘तुम्हारे बाल मुझे पहले भी ऐसे ही छू रहे थे’…बता ना क्या सोच कर कहा”
“पता नहीं…खुद व खुद निकल गया मेरे मुंह से…मुझे खुद नहीं पता कैसे कह गया मैं” आकाश कहीं खोया सा बोला
“खुद व खुद…किसे बना रहा है?”
“मैं सच कह रहा हूँ यार ..कसम से…” आकाश ने अपने सिर पर हाथ रखकर कहा
“मैं नहीं मानता…फ्लर्टी है तू…..ऐसे तो कभी मैंने भी किसी लड़की से नहीं बोला”
रोहित उसकी ओर देखकर फिर मुस्कुराया, तो आकाश भी मुस्कुराया!
“मुझे तेरी फिक्र है यार…उस लड़की का पहले ही बॉयफ्रेंड है…मैं नहीं चाहता तुझे बाद में दुख पहुँचे…” रोहित एकदम गंभीर आवाज में बोला
“तुम्हे कैसे पता वो उसका बॉयफ्रेंड है, क्लासमेट भी हो तो सकता है, कॉलेज जाते समय छोड़ देता होगा, कितने ही फ्रेंड होते हैं आजकल, कॉलेज के अलग और सोशल मीडिया के अलग…” आकाश हल्के मूड से बोला
“हम्म…मतलब तू सीरियस है…सोच ले”
“सोच लिया…” आकाश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
“ठीक है फिर बाइक छोड़ कर जा रहा हूँ…काम आएगी तेरे, मैं बस से निकल जाता हूँ” रोहित ने बाइक की चाबी आकाश की ओर उछालते हुए कहा!
“जा ही क्यों रहा है ?”
“यहाँ इस खण्डहर मे मेरा मन नहीं लगता…ऊपर से दीक्षा ..ना जाने वो बंटी …उफ्फ…अच्छा सुन वो इंसान आये या उसका फोन, तो मुझे कॉल कर देना मैं आ जाऊँगा”
“ठीक है” आकाश ने कहा और रोहित उससे हाथ मिलाकर घर से बाहर निकल गया।
***
राई कॉलेज के बाहर खड़ी टैक्सी का इंतजार कर रही थी, तभी नीरज ने उसके आगे जाकर बाइक रोक दी…और पूँछा
“क्या हुआ..?”
“कुछ नहीं …टैक्सी का इंतजार कर रही हूँ”
“क्या…तुम्हें नहीं पता कि आज टैक्सी वालों की हड़ताल है..” नीरज आश्चर्य से बोला
“क्या?”
“हम्म…क्या मैं ड्राप कर दूँ तुम्हें?” थोड़ा धीमी आवाज में पूँछा नीरज ने तो राई नजर नीची करके कुछ सोचने लगी…
“ठीक है, टेंशन मत लो राई, मैं एक काम करता हूँ आगे जाकर कोई कैब भेज देता हूँ या कुछ करता हूँ..बस्स कुछ मिनट …”कहते कहते उसने बाइक में किक मारी ही थी कि राई उसकी ओर चलती हुई आयी और पिछली सीट पर बैठ गयी..इससे.नीरज का चेहरा खुशी से खिल गया..गुमान में भरते हुए उसने स्पीड बढ़ाते हुए बाइक सड़क की ओर मोड़ दी।
***
जब से आकाश ने आकांक्षा को देखा था, उसकी आँखो के सामने हर वक्त आकांक्षा का ही चेहरा घूमता रहता। अगली सुबह वो बाइक लेकर आकांक्षा के शोरूम के बाहर खड़ा हो गया….और थोड़ी देर बाद ही उसके चेहरे पर खुशी खिल गयी जब उसने सामने आकांक्षा को खड़े पाया
“अरे आप ….” आकांक्षा ने आकाश को खुद के शोरूम के बाहर खड़े देखा तो पूंछ लिया
“जी…कैसी हैं आप…?” आकाश ने खुश होकर पूँछा
“मैं ठीक हूँ …वो ड्रेस पसन्द आ गयी ना उन्हें… जिनके लिए आप लेकर गए थे?”
“आ..नहीं…”
“क्या नहीं पसन्द आयी ?”
“अरे ऐसा नहीं है..वो… मैंने अभी तक दी नहीं उन्हें”
“दी ही नहीं..क्यों?…ओह्ह शायद किसी खास मौके लिए ली थी आपने! है ना”
“जी..”
“ओह्ह…ओके..”
“ओह्ह…(सड़क की ओर ताकते हुए) यार ये अनी कहाँ रह गया…मैं कॉलेज जाने के लिए लेट हो रही हूँ…”
“आ …वो ..आ… ” आकाश बाइक की सीट पर हाथ रखते हुए अचकचा कर बोला
“क्या ये आपकी बाइक है…?”
“जी ..”
“क्या आप मुझे कॉलेज छोड़ सकते हैं…प्लीज” आकांक्षा के ये बोलते ही मानो आकाश को मन की मुराद मिल गयी..बहुत खुशी से उसने बाइक स्टार्ट की और बोला ” बिल्कुल …आइए बैठिए”
“थैंक यू, अच्छा आपको एस.एन.कॉलेज तो पता नहीं होगा ना कि कहाँ है…?”
“आ…आप परेशान मत होइए मैं आपको पहुँचा दूंगा”
“ऐसे कैसे? अच्छा मैं आपको गाइड करती हुई चलूँगी..उधर लेफ्ट …लेफ्ट चलिये”
“ओके…”
आकांक्षा उसे लगातार गाइड कर रही थी!
थोड़ी देर बाद आकांक्षा का कॉलेज आ गया..
“थेंग्स…”आकांक्षा बाइक से उतरकर आकाश से बोली
“अरे…..
“हे..आकांक्षा…आ गयी तुम” आकाश आगे बोल पाता इससे पहले ही एक मस्क्युलर लड़का आकांक्षा के पास आकर बोला!
“तुम मुझे लेने क्यों नहीं आये…” आकांक्षा ने शिकायती लहजे में पूँछा
“सॉरी यार …मैं “
“छोड़ो वो सब पहले इनसे मिलो…इन्होंने ही मुझे कॉलेज के लिए लिफ्ट दी.. ये हैं…क्या नाम है आपका…” आकांक्षा ने आकाश से पूँछा
“आकाश” आकाश के चेहरे से खुशी गायब हो गई थी!
“थेंग्स आकाश…”अनी ने आकाश से हाथ मिलाते हुए कहा..(फिर उसके कान के पास जाकर धीरे से बुदबुदाया) ये तुम्हारी पहली और आखिरी लिफ्ट होनी चाहिये आकांक्षा को..मेरी इस बात को याद रखना…”
“क्या हुआ…” आकाश के चेहरे पर गंभीरता देखकर आकांशा ने अनी से पूँछा
“ओह्ह कुछ नहीं…बस्स इसे थेंग्स कह रहा था…चलें?” अनी बोला, और आकांक्षा उसके साथ कॉलेज के अंदर चली गयी… कुछ कदम ही चली होगी…कि पीछे मुड़ी और आकाश को ‘बाय’ बोलकर मुस्कुरायी।
आकाश का चेहरा भी खिल गया
‘आखिरी लिफ्ट…हुम्म.ना जाने खुद को क्या समझ रहा है.’ बाइक में किक मारते हुए आकाश बुदबुदाया!
***
रात का समय हो गया था…एक तो घर की बुरी हालत और ऊपर से आज रोहित भी चला गया था…आकाश को अच्छा नहीं लग रहा था…लेकिन बुआ से जुड़े उस शख्स से मिलने की उम्मीद और अब आकांशा की ओर झुकाव इन दो वजहों के आगे ये समस्या उसे बड़ी छोटी लग रही थी..अपना बिस्तर ठीक करके वो लेट गया,
आँखो के सामने आकांशा की तस्वीर उभर आई…बिना कहे कैसे वो मेरी बात समझ गयी कि मैं उसे बाइक पर कॉलेज छोड़ना चाहता हूँ…लेकिन वो …हां अनी …आखिर अनी ने मुझे धमकी क्यों दे दी…क्या देख लिया उसने ऐसा जिससे उसे पता लग गया कि मैं आकांक्षा की ओर आकर्षित हूँ…कही वो आकांक्षा का बॉयफ्रेंड तो नहीं…ओह्ह.. नहीं ..नहीं… ये नहीं हो सकता…लेकिन ना हो ऐसा …इसकी कोई गारंटी भी तो नहीं…तब क्या मुझे आगे नहीं बढ़ना चाहिए? ओह्ह कितनी प्यारी लड़की है…मुस्कुराती हुई कितनी मासूम लगती है..अनी कहीं से उसके काबिल नहीं है…जब उसने मुझे धमकी दी..ना जाने क्यों चुप हो गया मैं? क्या मुझे उसी वक़्त मुझे नहीं कुछ बोल देना चाहिए था उससे..? हां मेरे बोलने से आकांशा को पता लगता कि वो अनी कितना छोटी मानसिकता का इंसान है…या फिर एक जोरदार चांटा उस अनी के मुँह पर रख़ देना चाहिए था…हाँ ये ठीक रहता…नहीं…नहीं…शायद आकांक्षा को बुरा लगता..उसे शांति पसन्द होगी..हम्म लगता तो यही है..
“छोड़ दो मुझे…रेशमा…मैंने कहा छोड़ दो मुझे…” राघव की चीखने की आवाज ने आकाश को उसके खयालों से बाहर ला दिया…और बिना एक पल गवाएं आकाश नीचे जाने वाली सीढ़ियों की ओर दौड़ गया।
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सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 9