सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 13

 उसका शरीर भी उस किवाड़ में समाने लगा ....और...उसका पूरा शरीर दिखना बन्द हो गया ..सिवाय उस हाथ के जिससे वो आकाश को बुला रही थी..ना जाने क्या सूझा आकाश को कि उसने लपक कर उसके उस हाथ को पकड़ना चांन्हां ...तभी..एक तेज "भड़ाक" की आवाज के साथ कमरे का वो जाम पड़ा किवाड़ खुला और हवा का ठंडा बबन्डर कमरे में भर गया...आकाश का ध्यान एक पल को उस एकमात्र दिख रहे हाथ से हटकर इस ओर गया ही था ...कि अगले पल.... आकाश को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे तेजी से खींच लिया हो....काले धुप्प अन्धेरे में मानो उसे कोई गहरी गुफ़ा में खींचे लिया जाता हो!

13.

“कौन हो तुम?”नीरज ने जमीन पर पड़े-पड़े ही उससे पूँछा जो गुस्से में फुफकारता उसके सामने खड़ा था, और जवाव में उसने एक जोरदार लात नीरज के मुँह पर दे मार दी जिससे नीरज कराह उठा !

“अरे वो तो छोटे मालिक हैं ना …” थोड़ी दूरी पर खड़ा कोई नीरज को देख कर तेज आवाज में बोला और आस-पास खड़े तीन-चार लोग उसी ओर दौड़ पड़े और नीरज को पीटने वाले लड़के को पकड़ लिया।

“रुको कोई उसे कुछ नहीं करेगा” नीरज ने उन लोगों को हुक्म दिया इतने में एक आदमी ने आगे बढ़कर नीरज को उठने में सहारा दिया और उन लोगों से बोला ” इसे पुलिस स्टेशन ले जाओ…(फिर नीरज से ) और छोटे मालिक आपको इसी वक़्त घर चलना होगा”

“नहीं …मुझे इससे बात करनी है” नीरज गुस्से में बोला

“समझने की कोशिश कीजिये, इलेक्शन नजदीक हैं अगर  ऐसे हुलिये में किसी ने आपकी एक तस्वीर भी खींचकर अखबार में निकाल दी, तो बड़े मालिक की छवि पर असर पड़ सकता है…घर चलिये अपना हुलिया ठीक कर लिजिये… फिर मैं खुद आपको पुलिस स्टेशन लेकर आऊँगा …मौके की नजाकत समझिये” नीरज के पिता के बेहद नजदीकी इस आदमी ने जब नीरज को ये कहा तो नीरज से कुछ कहते ना बना और वो चुपचाप जाकर कार में बैठ गया। और वो तीन आदमी उस लडके को नजदीकी पुलिस स्टेशन ले गए।

“हिम्मत है तो छोड़कर दिखाओ मुझे …साले के दाँत ना तोड़ दूं तो कहना…अबे भागता कहाँ है” वो लड़का चीखते हुए बोला।

***

“साला अमीर बाप की बिगड़ी औलाद…छोड़ो मुझे मार डालूंगा उसे” वो पुलिस स्टेशन में घुसते हुए भी जोर से चीख रहा था …सिपाहियों ने उसे जेल ले जाकर बैरक में डाल दिया। इतने में ही उसका फोन बजा

“हैलो, पता है यहाँ क्या हुआ है?”उधर से आकाश की आवाज आयी

“मेरे भाई पहले तू सुन कि यहाँ क्या हुआ है, तेरा भाई जेल में है”

“क्या ? जेल में …जेल में क्या कर रहा है तू?”आकाश हैरत से बोला

“पिकनिक मनाने आया हूँ “

“रोहित! क्या बकवास किये जा रहा है यार तू”

“शुरुआत किसने की ?”

“ठीक है मेरी गलती… अब ये बता हुआ क्या?”

“वो कमीना… वो वंटी “

“कौन वंटी?”

“अरे वही विधायक का आवारा लड़का और कौन…तुझे बताया तो था उसके बारे में” रोहित खीजा

“ओह्ह हाँ याद आया…वो जो तेरी दीक्षा के साथ घूम रहा था” आकाश याद करते हुए बोला

“हाँ वही कमीना …पहले वो दीक्षा के साथ घूम रहा था और अब…अब राई के साथ…

“क्या?” आकाश हैरत से बोला

“हाँ “

“यकीन नहीं होता .. “

“मुझे कुछ हो जाये, तो संभाल लेना, क्योंकि उसका खून तो मैं करके ही रहूँगा ” रोहित दाँत पीसता हुआ बोला

“पागल हुआ है क्या? कोई भी पागलपन मत करना, मैं आ रहा हूँ “

“तू? तुझे गढ़े मुर्दे उखाड़ने से फुर्सत मिले तब ना…”रोहित फिर खीजा

“मैनें कहा ना आ रहा हूँ,…मैं इसी वक़्त यहाँ से निकल रहा हूँ “

“ठीक है” कहकर रोहित ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया।

***

आकाश और नीरज के पुलिस स्टेशन पहुँचने का समय एक ही रहा। इस वक़्त तीनों ही एक दूसरे को घूर रहे थे शायद इस असमंजस में कि बोलने में कौन पहल करे। रोहित, नीरज को देखकर दाँत पीस रहा था, वहीं नीरज उसे ऐसे देख रहा था जैसे देखने भर से याद आने वाला हो कि वो है कौन, और आकाश एक बार रोहित को देखता तो दूसरी बार नीरज को…

“तुम ही बँटी हो ?”आखिरकार आकाश ने पहल की

“हाँ …लेकिन आपको मेरा ये नाम कैसे पता?” नीरज आश्चर्य  से बोला

“क्यों ? तू मिनिस्टर है क्या साले?”रोहित गुस्से में चीखा फिर आकाश की ओर देखकर बोला “मुझे बाहर निकलवा यहाँ से फिर देखता हूँ इसे”

“राई को कहाँ लेकर गये थे तुम?” आकाश ने प्रश्न दागा

“कहीं भी लेकर जाऊँ मेरी मर्जी…तुम लोगों को क्यों बताऊँ? और एक मिनट तुम लोगो का राई से क्या कनेक्शन है? और इसने …मुझे मारा क्यों?” नीरज भी जोर से बोला

“मार ही तो नहीं पाया तुझे…निकलने दे यहाँ से फिर देख …अरे आकाश इससे बहस मत कर मुझे बाहर निकलवा यहां से यार”

“एक मिनट! चुप रहेगा” आकाश ने रोहित को चुप कराया और नीरज से बोला “हम राई के भाई हैं …अब बोलो कहाँ ले गये थे तुम उसे…”

“ओह्ह… तो आप लोग राई के भाई हैं…”नीरज ने आश्चर्य और राहत की मिली-जुली प्रतिक्रिया दी

“कुछ पूछा गया है तुमसे?”आकाश ने चुभती नजर से नीरज की ओर देखते हुए कहा

“राई को मैनें कॉलेज से पिक करके घर छोड़ा…”

“क्यों …किसलिए…तू होता कौन है उसे घर छोड़ने वाला?”रोहित चीखा

“एक मिनट मैं बात कर रहा हूँ ना” आकाश ने रोहित को फिर रोका

“जूठ नहीं कहूँगा …मैं राई से प्यार करता हूँ ..आप लोग उसके भाई हैं..जैसे चाहे आजमा लें मुझे…मैं हर तरह से उसके लायक हूँ और इसे साबित करने के लिये कोई भी परीक्षा देने के लिये तैयार हूँ ” नीरज अपना बोलने का लहजा नर्म करते हुए आत्मविश्वास से बोला

“तेरी इतनी हिम्मत…मार डालूंगा मैं इसे …निकालो मुझे यहां से बाहर” रोहित बैरक की सलाखों को हिलाते हुए बोला।

“शर्म नहीं आती आं …एक तरफ राई से प्यार का रिश्ता बता रहा रहे हो और दूसरी तरफ दीक्षा के साथ घूमते फिरते हो..मैं तो ये सोचकर हैरान हूँ .. इतनी बेशर्मी तुम जैसे लोगों में आती कहाँ से है… आकाश गुस्से से बोला

“आप दीक्षा को कैसे जानते हैं?” नीरज ने हैरानी से पूँछा

“अरे यार..इसको कैसे जानते हैं?उसको कैसे जानते हैं?…सुनो कान खोलकर …दीक्षा इसकी गर्लफ्रेंड है ये जो दिख रहा है ना इस जेल के अन्दर इसकी…राई इसकी बहिन है..और ये दोनों कजिन है मेरे..और तू इस शहर के विधायक का बेटा है तो तुझे लगता है तू कुछ भी करेगा मतलब तू एक साथ दो-दो लड़कियों को धोखा दे….

“रुक जाइये..क्या बोलते जा रहे हैं आप” नीरज ने आकाश को बीच में ही टोक दिया “

“दीक्षा मेरी बहिन है…”नीरज थोडी तेज में बोला तो रोहित और आकाश ने हैरत से एक दूसरे की ओर देखा

“हें …लेकिन वो तो उस पी जी में रहती है, उसने कभी भी बताया नहीं मुझे कि …” रोहित हैरानी से बोल ही रहा था कि”

“पहले तुम बताओ क्या दीक्षा तुम्हें पसंद करती है? करते क्या हो तुम…तुम तो …तुम तो कितने आवारा हो…बोलने तक की तमीज नहीं है तुममे?” नीरज का लहजा एकदम गुस्सेवाला हो गया था।

हे भगवान और मैं समझता रहा कि दीक्षा इस बँटी के साथ घूमती फिरती है वो भी इसलिये कि ये पैसे वाला है

मैं इतना गलत समझता रहा…और अब ये …एक बार पूँछ ही लेना था …क्या करुँ अपने गुस्से का -रोहित मन ही मन खुद से बोला

‘ये साला, बेकार मे ही तिलमिलाया रहता है, खुद का भी दिमाग खराब करता है और मेरा भी-आकाश गुस्से में रोहित को घूरते हुए मन ही मन बोला,

जैसे ही रोहित और आकाश की नजर एकदूसरे से टकराई, आकाश ने बात सम्भालने के इरादे से नीरज से पूँछा

“तुम्हारी इमेज एक बिगड़ैल लड़के की है इनकी नजर में, और ऐसे में जब तुम्हारी बाइक पर कोई भी खुद की बहिन को देखेगा तो जाहिर है उसे गुस्सा आएगा ही…वैसे ये सी.ए.की तैयारी कर रहे हैं…(फिर तीर सी चुभती नजर से रोहित की ओर देखते हुए) और काफी शान्त स्वभाव के शरीफ हैं ये जनाब”

“ये और शान्त स्वभाव हुम्म? …मुझे दीक्षा से बात करनी ही होगी” नीरज गुस्से में बोला

“सुनो नीरज यहां जरा साइड मे आओ…” आकाश नीरज को थोड़ा साइड मे ले गया और उसके कन्धे पर हाथ रखकर बोला ” जानते हो कभी-कभी पहली मीटिंग अच्छी नहीं होती…और फिर जिस हालत में उसने तुम्हें देखा, गुस्सा आना लाजिमी है…”

“लेकिन….?”

“सुनो तो…वो अच्छा लड़का है सबसे अच्छी बात वो दीक्षा से सच्चा प्यार करता और तुम बड़ी आसानी इसकी सच्चाई पता कर सकते हो”

“कैसे?”

“राई से…जरा देखो ये कितना शानदार संयोग है कि तुम उसकी बहिन से प्रेम करते हो और वो तुम्हारी …एकदूसरे को समझना कितना आसान हो जायेगा….और इतना ही नहीं तुमने तो वो जुमला सुना ही होगा, सारी खुदाई एक तरफ, लड़की का भाई एक तरफ….ऐसे में लड़की का भाई खुद तुम्हारी मदद करेगा…ताकि तुम उसकी शादी मे कोई अड़चन ना डालो…”

आकाश से ये सुनकर नीरज का गुस्सा जाता रहा….

“खैर, एक बात बताओ दीक्षा पी. जी. में क्यों रहती है?

“हमारे पिता राजनीती में हैं …और इस दलदल में इतने गहराई से जम गये हैं कि ना चाहते हुए भी कई बार उन्हें ऐसे कामों में हिस्सेदारी निभानी होती है जो गैरकानूनी होते है…इससे दीक्षा को बहुत तकलीफ होती है और इसी वजह से उन दोनों में कई बार बहस भी हो चुकी है और ऐसे ही एक दिन तेज बहस के बाद गुस्से में दीक्षा ने घर छोड़ दिया ..और पी.जी.  मे रहने लगी।.लेकिन मैं तो उसका भाई हूँ ना, जब भी उसे जरुरत होगी मैं उसके पास ही रहूँगा

 (फिर रोहित की ओर देखते हुए) फिलहाल मैं इन्हें यहां से निकलवाने का इन्तज़ाम करता हूँ ” नीरज का गुस्सा गायब हो गया था।

“कुछ और बोलने की जरुरत रह गयी है क्या ?” आकाश गुस्से में रोहित को घूरते हुए पूँछा 

“अब मुझे क्या पता था कि कहानी कुछ और ही है …”रोहित बहुत धीमी आवाज में बोला

इतने में एक सिपाही वहाँ आया और ताला खोलकर रोहित को वहाँ से निकाल दिया।

“हम्म चलो जो हुआ अच्छा हुआ…तुम दोनो ही एक दूसरे की बहनों से प्यार करते हो…इसलिये आपस में समय बिताओ..ताकि एक दूसरे के बारे में जान सको…और फिर एक दूसरे की मदद कर सको अपनी-अपनी प्रेम कहानी पूरी करने में ठीक है ना” आकाश ने कहा तो रोहित उसे थोड़ा दूर ले गया 

“ये सब मेरी समझ के बाहर है” रोहित अचकचा कर बोला

“नहीं ..बल्कि बढ़िया मौका है…दिखने में ये नीरज अच्छा लग रहा है…और अच्छे घराने से भी है, पैसे वाला है…अगर राई भी इसे पसंद करती है तो क्या बुराई है, बल्कि अच्छा ही है, ये तेरी शादी में मदद करेगा तू इसकी करना “

” ठीक है… तो फिर तू जाँच परख इसे”

“नहीं ये तुझे खुद करना पड़ेगा…मुझे बापस जाना है”

“क्या..गढ़े मुर्दे उखाड़ने का भूत उतरा नहीं तेरा?”

“बहुत कुछ हुआ है, पता है वो …इन्सान आया था”

“कौन ? वो तस्वीर वाला?”रोहित ने हैरत से पूँछा

“हाँ …उनका नाम गिरिराज है, और इतना ही नहीं…बुआ की शादी उनसे किसी नागेन्द्र की वजह से नहीं हो पायी”

“क्या? कौन है नागेन्द्र … ?”

“अब तक नहीं पता….

“तो फिर?”

“फिर क्या…अब यहाँ तक पहुंचकर बापस लौटने का कोई मतलब नहीं  ..पूरा पता लगाना ही पड़ेगा “

“हम्म्म्म  “

“रोहित ?”

“हम्म”

“याद है तुझे वो राघव चाचा उस दिन अकेले मे किसी से बात कर रहे थे जिस दिन हम पहली बार गए थे उस घर में”

“याद है” रोहित उस दिन की याद करके मुस्कुराया

“जानता है वो किसी से बहुत गहरायी से प्रेम करते हैं…और ख्यालो में उन्हीं से बाते करते हैं

“क्या”

“हाँ, रेशमा नाम है उनका…किसी साजिश के तहत उन्हे रातोरात गायब करा दिया गया था”

“क्या? बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा तुझे ये सब कैसे पता लग गया यार “रोहित हैरत से बोला

“बस्स लम्बी कहानी है…फिर कभी सुनाऊंगा … फिलहाल तू यहां संभाल और मैं वहाँ..चलता हूँ ” आकाश ने रोहित का कन्धा थपथपाया और वहाँ से निकल गया।

***

“लगता है अनी आज आएगा ही नहीं…ओह्ह” आकांक्षा ने ने खुद से ही कहते हुए आकाश की ओर देखा जो उसी की ओर देख रहा था

“क्या बाइक लाये हो आज, आकाश.?.. “आकांक्षा ने जैसे ही आकाश से पूँछा तो जवाब देने की जगह हुआ ये कि वो फुर्ती से अपनी कुर्सी से उठा और बाहर की ओर निकलने लगा

“अरे क्या हुआ?” आकांक्षा ने हैरानी से पूँछा

“बाइक स्टार्ट कर रहा हूँ आपको कॉलेज छोड़ना है ना”

आकाश अपनी खुशी छिपाते हुए कहा

“मैनें कब कहा कि मुझे कॉलेज छोड़ दो?”आकांक्षा ने उसे टीज करने के लिए कहा, तो आकाश शरमा कर रह गया

“अच्छा चलो प्लीज मुझे कॉलेज तक छोड़ दो” आकांक्षा मुस्करा कर बोली, आकाश ने फुर्ती से बाइक स्टार्ट की और आकांक्षा बैठ गयी। 

आकाश मुस्कराते हुए बाइक चलाने लगा….बाइक सड़क पर दौड़ाते हुए बहुत खुश था। दोनों ही चुप थे..कुछ पल ऐसे ही बीते होंगे।

“अरे ये क्या बारिश आने वाली है, थोड़ा तेज चलाओ ना प्लीज” आकांक्षा बोली

“हाँ …हाँ …”कहते हुए आकाश ने बाइक की स्पीड बढ़ा दी।

और मुश्किल से पाँच मिनट में ही बारिश इतनी तेज होने लगी  कि आकाश का बाइक चलाना मुश्किल हो गया, वो बार-बार अपनी आँखे पोंछने लगा।

“आकाश, बाइक कहीं रोक लो, रुक जाते हैं…”आकांक्षा बोली

“लेकिन.वो आपका कॉलेज..”

“आज कोई भी इम्पोर्टेड लेक्चर नहीं है….”आकांक्षा मुस्कुरा कर बोली तो आकाश ने इधर -उधर देखा कि बाइक फिर एक छोटी सी दुकान के पास उसने बाइक रोक दी।

“यहाँ?” हैरत से आकांक्षा बोली।

उस छोटी सी दुकान में बैठने के लिये एक कुर्सी तक नहीं थी…बस एक गैस और गिने-चुने कुछ डिब्बे और बैठने के लिये मिट्टी की एक मुन्डेर जिस पर एक पोलीथिन पड़ी थी। और उसी मुन्डेर के ऊपर भी बस्स वैसी ही पॉलीथीन कुछ डंडियों के सहारे छत की रूप में बना दी गयी थी।.. जो नाममात्र की ही थी …आकाश उस मिट्टी की मुंडेर पर वहीं बैठ गया, तो आकांक्षा को भी वहीं बैठना पड़ा।

“बाबू जी चाय बना दूँ ?” दुकानदार ने उन दोनो के बैठते ही पूँछा

“हाँ जरुर। बनाओ तो दो कप बढ़िया सी चाय”आकाश मुस्कुरा कर बोला और एक नजर उसने आकांक्षा पर डाली, जो सड़क की ओर इस इच्छा से देख रही थी कि कब बारिश बन्द हो और कब वो चली जाये।

तेज हवा के साथ पानी की बून्दें बहुत खूबसूरत लग रही थी.

बार -बार बारिश के झोंके आ रहे थे…और ऐसा झोंका जब भी आ रहा था आकाश को भिगो रहा था…वो हर बार मुस्कुरा उठता…’बारिश इतनी अच्छी कभी नहीं लगी मुझे’-आकाश मन ही मन खुद से बोला…और आकांक्षा कभी इधर देखती तो कभी दूसरी ओर…

“आकांक्षा चाय ले लो” आकाश ने उसे टोका, दुकानदार चाय का कप उसकी ओर बढाये खड़ा था, जैसे ही आकांक्षा ने चाय का कप पकड़ा, तभी, पानी की एक बूंद उसके कप में गिरी .’टिप्प’..और आकांक्षा का चेहरा तमतमा गया।

लेकिन, आकाश खिलखिला कर हँसा

“इसमें हँसने जैसा क्या है?” आकांक्षा चिढ़ कर बोली

“इसमें हँसने जैसा है….देखो ना कितना सुन्दर मौसम है आज से पहले कब देखा था तुमने ऐसा मौसम …क्या याद है…”

इतना सुनकर आकांक्षा के चेहरे पर से तनाव घट सा गया, और वो फिर आसमान की ओर देखने लगी

“यकीन करो ये समय तुम्हें बड़ा याद आने वाला है.. और ये चाय बड़ी स्वादवाली है पीकर देखो तो…

“ये चाय?इसमें बारिश की बूंद गिरी है इसे कैसे पी सकती हूँ 

“बारिश की बूंदों से साफ भी भला क्या होगा” आकाश ने बाहर की ओर हाथ निकलकर अपनी हथेली खोलकर कुछ बूंदे लेकर मुट्ठी ऐसे बन्द की जैसे पानी की बूंदे ऐसे ही रहेंगी। ये देखकर आकांक्षा ने चाय का एक घूँट भरा और आँखे मूंद ली

“वाह क्या बात है…सब कितना सुन्दर है। है ना?” आकाश चहक कर बोला

“हमम्म..सही कहते हो…वैसे तो इस जगह मैं कभी भी चाय पीने ना आती। और सही मायनों में तो इस चाय का स्वाद रेस्तराँ की चाय से भी बढ़िया है”

“तभी तो कहा ये चाय याद आयेगी तुम्हें ” आकाश बोल ही रहा था कि चाय वाला कप उठाने के लिये पास आ गया

“और ये चायवाला भी” जैसे ही आकाश ने ये बात बोली

आकांक्षा को हँसी आ गयी ! आकाश ने उसका साथ दिया

“चायवाला भी हां क्यों नहीं””आकांक्षा हस रही थी!

“आकांक्षा….?” 

“हाँ आकाश”

“अगर अनी होता तो तुम्हें ज्यादा अच्छा लगता है ना?” आकाश ने आकांक्षा का मन जानने के लिये बोला

“ऐसा तो कुछ नहीं, मुझे अनी के होने या ना होने से इतना फर्क नहीं पड़ता?”

“वो तो तुम्हारा बॉयफ्रेंड है ना ?”

“किसने कहा?”आकांक्षा ने चौंककर पूँछा

“मुझसे कौन कहेगा?”

“तो फिर?”

“मुझे लगा …बस्स तो …ऐसे ही”

“…..” कुछ ना बोलकर आकांक्षा ने चाय का एक घूंट भरा

“तो मतलब….अनी तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं?” आकाश मन की खुशी छिपाते हुए बोला

“है या नहीं… तुम्हें क्यों बताऊँ?” आकांक्षा ने कन्धे उचकाकर कहा

“हाँ ये भी है…अच्छा मूड मत अपसेट कर लेना मेरी इस बात से…मुझे नहीं पूछना था”

“नहीं ऐसा कुछ नहीं है…अच्छा आकाश?”

“हम्म”

“एक -एक कप चाय और ले क्या?” आकांक्षा खुश होकर बोली

“हाँ हाँ क्यों नहीं…बनाइये तो बाबू जी दो कप और बढ़िया सी चाय” आकाश ने चाय वाले से कहा

“ऐसी हवा जैसी बहती बारिश पहली बार देख रही हूँ ….या शायद ध्यान ही नहीं दिया कभी” बिजली की हल्की धमक से चौंकते हुए आकांक्षा खुशी से बोली

“हम्म्म्म ….” आकाश आकांक्षा को देखते हुए बोला और दोनों कुछ देर चुप रहे। आकांक्षा बाहर की ओर देख रही थी

और आकाश सोच रहा था ‘शुक्र है नाराज नहीं हुई’

थोड़ी देर में चायवाले ने चाय के दो कप उन दोनों के सामने रख दिये। और दोनों बारिश देखते हुए चाय पीने लगे

“हे देखो वारिश हल्की हो गयी है हम चल सकते हैं” कुछ देर बाद आकांक्षा चाहकते हुए बोली।

“ओहहह .अच्छा…अह्ह….चलो चलते हैं” अनमने मन से आकाश उठा और चाय वाले को पैसे देकर बाहर निकल आया।

“अनी बस्स दोस्त है मेरा….”बाहर निकलते ही आकांक्षा बोली

“अच्छा…”आकाश मुस्कुरा दिया।

“मेरा बॉयफ्रेंड तो कोई ऐसा होगा, जो ऑडी से उतरेगा और स्टबर्न दाढ़ी में सिगरेट पीता हुआ मुझे देखेगा और जैसे ही मुझे देखेगा तो मेरे आगे झुककर अपने प्यार का एजहार करेगा.” आकांक्षा खुश होते हुए कहीं खोयी सी बोली

आकाश उसे ध्यान से देखता रहा…हाँ अब उसके चेहरे से खुशी गायब हो गयी थी। उसने बाइक स्टार्ट की और बाइक की आवाज सुनकर आकांक्षा जल्दी से पिछ्ली सीट पर बैठ गयी!

‘इसको ऑडी वाला चाहिये, एक तू है आकाश जिसके पास ये बाइक है ….सो भी खुद की नहीं…और तू करता क्या है …मैनेजर की जॉब..उफ्फ ये भी कोई जिंदगी है…कुछ कर आकाश ..कुछ कर …कुछ कर’ बाइक स्टार्ट हो गयी थी और आकाश इसी सोच में गुम कहीं खोया सा खड़ा था। आकांक्षा पिछ्ली सीट पर आकर बैठ गयी थी।

“क्या हुआ चलो ना आकाश” आकांक्षा थोड़ा चिढ़कर बोली

“आ …हां… हां…”अपनी सोच से बाहर आकर आकाश ने प्रतिक्रिया दी और बाइक आगे बढ़ा दी।

***

“आकाश, कल से वो लोग इस घर की मरम्मत का काम शुरु करेंगे तुम रात में ही सामान निकाल देना, सुबह तो तुम्हें समय मिलेगा नहीं” राघव ने आकाश से कहा

“ठीक है चाचा जी” बोलते ही आकाश के दिमाग में वही छाया घूम गयी जो उसे दो बार दिख चुकी थी

‘पता लगा कर ही रहूँगा आखिर माजरा क्या है…मेरे मन का भ्रम…या सच्चाई..नहीं इस बार होश नहीं खोऊँगा… आखिर ये है क्या…कौन सी बला है ये..उफ्फ कहीं मुझे कोई दिमागी बीमारी तो नहीं हो गयी’-आकाश सोच रहा था।

***

‘भढ़ाक’ की आवाज के साथ आकाश ने कमरे का दरवाजा खोला और पूरे आत्मविश्वास के साथ कमरे मे दाखिल हुआ, और कमरे की लाइट जला दी। साथ ही बैटरी की एक लाइट कमरे के बीचो-बीच रख ली। 

‘लो भई हो गया सारा इन्तज़ाम अगर बिजली चली भी गयी तो ये बैटरी की लाइट जला लूँगा, लो देखो आकाश कोई भी नहीं है इस कमरे में तुम बेकार ही डर रहे थे….आकाश खुद का ही आत्मविश्वास बढ़ा रहा था।

‘हम्म तो पहले ये क्यों ना देखा जाये कि वहाँ से रास्ता अब भी दिखता है क्या?’ ये बात दिमाग में आते ही आकाश कमरे में बने दूसरे दरवाजे की ओर लपका और उसे खोलने की कोशिश करने लगा 

‘ओह्ह ये तो …खुल ही नहीं रहा ….आह शायद जाम हो गया है’ पूरी ताकत से वो किवाड़ को अपनी ओर खींचते हुए जोर से बोला। तभी कमरे की सारी लाइटें एकसाथ बन्द हो गयीं। वो पलट गया ‘फिर वही… साला….आज देख ही लेता हूँ….’ कहते हुए वो कमरे के बीचो-बीच रखी बैटरी की लाइट को जलाने के लिये दौड़ा और लाइट जलाने की कोशिश करने लगा …लाइट नहीं जल पा रही थी…और अनजानी आशंका उसके चेहरे पर दिख्ने लगी थी। ….

उसी वक़्त उसे छन -छन की आवाज सुनायी दी…वो आवाज उसके पास आती जा रही थी। …वो उठ कर खड़ा हो गया फिर ऐसा लगा जैसे कोई बिल्कुल पास खड़ा हो…और ये क्या। उस घोर अन्धेरें में भी वो दो आँखे उसे घूर रही थी…ये बड़ी छाया थी और आज वो छोटी छाया इस बड़ी छाया के पीछे खड़ी थी। आकाश आँखें फ़ाड़े उसे देख रहा था…आज ये सजीव दिख रही थी और छाया मात्र नहीं, सशरीर वो उसे दिख रही थी…हल्की हवा की वजह से उसके बाल हिल रहे थे…कान में पड़ा झुमका भी हल्का सा हिल रहा था…सफेद मलमल सा लेह्ंगा पहने वो एक दम शान्त खड़ी उसे देख रही थी..उसके.सुन्दर चेहरे पर कोई भाव नहीं था आकाश को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक इतनी खूबसूरत लड़की भला इस कमरे मे आ कहाँ से गयी…इस सीलन भरे …धुप्प अन्धेरे कमरे में …जिसमें पास रखी हुई चीज़ तक देखना मुश्किल हो उसमें वो उसे एकदम साफ दिख रही थी…फिर नजर उसके पास खड़ी छाया पर चली गयी…जो उसे पहले दो भी बार दिख चुकी थी…और आकाश के देखते-देखते वो साकार रूप में परिवर्तित होने लगी ….अब वो उसे एक मासूम बच्चा दिख रहा था… जो जमीन से थोड़ा ऊपर हवा में उठा निस्तेज आँखों से उसे देख रहा था।

‘हे भगवान क्या ये कोई भयानक सपना है…या.. स ….च है’ आकाश ही मन खुद से बोला

इतने में वो बच्चा उस बड़ी छाया से खुद का हाथ छुड़ा कर कमरे के उस दूसरे दरवाजे की ओर भागा…

“####” कोई अजीव सी आवाज उस बड़ी छाया ने की जो आकाश के समझ से बाहर थी..और वो उस बच्चे के पीछे जाने लगी….बच्चा कमरे के उस दरवाजे तक गया और  दरवाजे में ऐसे समा गया …जैसे धुँआ किसी दरवाजे में से निकल गया। ये देख कर आकाश का मुँह डर और आश्चर्य से खुल गया..फिर.बड़ी छाया भी उस दरवाजे की ओर जाने लगी और थोडी दूर जाकर उसने एक हाथ हवा में उठाकर आकाश को खुद के पास आने का इशारा किया…आकाश को लगा जैसे उसके शरीर का सारा खून डर से जम गया हो …. ..वो अपनी जगह से हिला भी नहीं…उस छाया ने उसे हाथ के इशारे से फिर से बुलाया…….और अगले ही पल जैसे किसी खिलौने में चावी भर दी गयी हो…आकाश मुर्तिवत सा उसके पास जाने लगा……वो किवाड़ के पास खड़ी थी….और आकाश उसके पास जा रहा था…जैसे ही आकाश उसके नजदीक पहुँचा…वो उल्टे पैरों से दरवाजे की ओर बढ्ने लगी……अब उसका शरीर भी उस किवाड़ में समाने लगा ….और…उसका पूरा शरीर दिखना बन्द हो गया ..सिवाय उस हाथ के जिससे वो आकाश को बुला रही थी..

ना जाने क्या सूझा आकाश को कि उसने लपक कर उसके उस हाथ को पकड़ना चांन्हां …तभी..एक तेज “भड़ाक” की आवाज के साथ कमरे का वो जाम पड़ा किवाड़ खुला और हवा का ठंडा बबन्डर कमरे में भर गया…आकाश का ध्यान एक पल को उस एकमात्र दिख रहे हाथ से हटकर इस ओर गया ही था …कि अगले पल…. आकाश को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे तेजी से खींच लिया हो….काले धुप्प अन्धेरे में मानो उसे कोई गहरी गुफ़ा में खींचे लिया जाता हो …..

“आह्ssssssssssssssssss” आकाश पूरी ताकत से चीखा।

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट:14

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