सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 23

"अच्छा खासा हूँ, ठीक-ठाक दिखता भी हूँ, तुम्हें पसंद भी हूँ तो फिर ना करने का क्या मतलब? एक्सेप्ट करों ना मेरा लव प्रपोजल... हां बोलो ना आकांक्षा" अनी मनुहार करता हुआ बोला "ओके आई एक्सेप्ट..बस्स" आकांक्षा ने मुस्कुराते हुये कहा और आकांक्षा की इस मुस्कान ने आकाश के मन को गुस्से के उबाल से भर दिया!

23. 

आकाश शोरूम के बाहर खड़ा था, अनी को आकांक्षा के साथ देखकर उसका वो उत्साह खत्म हो गया था, जिस उत्साह से वो आया था !

आखिर ये अनी का बच्चा इतना मुस्कुरा क्यों रहा है? ऐसा क्या कह रहा है, जिसे सुनकर आकांक्षा भी मुस्कुरा रही है? आकाश बाहर खड़े होकर सोच रहा था! बाहर से बस्स देखा ही जा सकता था, सुना नहीं!

आकाश के हाथ का प्रेशर शोरुम के दरवाजे पर लगे हैंडल पर बढ़ता जा रहा था। अगले ही पल वो हैंडल टूट कर उसके हाथ में आ गिरा।

‘इसकी तो’ दाँत पीसता सा वो शोरूम के अंदर दाखिल हुआ! लेकिन, लेकिन उसी वक्त आकांक्षा को बोलते देख चुपचाप खड़ा हो गया।

“अनी …तुम समझते क्यों नहीं?” आकांक्षा के लहजे में बनावटी खीज थी!

“मुझे अब कुछ नहीं समझना बस्स तुम्हारी हां सुननी है, अच्छा खासा हूँ, ठीक-ठाक दिखता भी हूँ, तुम्हें पसंद भी हूँ तो फिर ना करने का क्या मतलब? एक्सेप्ट करों ना मेरा लव प्रपोजल… हां बोलो ना आकांक्षा” अनी मनुहार करता हुआ बोला

“ओह्ह! अच्छा! ओके आई एक्सेप्ट..बस्स” आकांक्षा ने मुस्कुराते हुये कहा और आकांक्षा की इस मुस्कान ने आकाश के मन को गुस्से के उबाल से भर दिया, वो बौखलाया सा वहाँ से बाहर निकला और बाइक में किक मारकर वहां से निकल आया !

 “हे कौन था यहाँ!” आकांक्षा  दरवाजे की ओर  बढ़ी

“कोई भी तो नहीं” अनी चिढ़ गया था! उसे इस वक़्त किसी भी इन्सान तो क्या कीट- पत्ंगे तक की मौजूदगी मंजूर नहीं थी।

” मुझे लगा शायद! शायद आकाश था…” वो डूबी आवाज में बोली

“हो भी तो क्या फर्क पड़ता है” अनी खीज गया था।

सही तो कहता है अनी, हो भी आकाश … तो क्या फर्क पड़ता है? अगर सुन भी लिया हो तब भी कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिये लेकिन …लेकिन

“कल मिलते हैं आकांक्षा!” अनी शोरूम से बाहर निकलने से पहले बोला, उसकी आवाज से आकांक्षा चौंक गयी।

“अ हाँ ठीक है” वो खोई सी बोली

“तुम ठीक तो हो?”

” हां अनी …कल मिलते हैं ना”वो जबर्दस्ती मुस्कराई

” साला ..” बाहर निकलते वक़्त दरवाजे को जोर से मारता हुआ अनी बुदबुदाया।

***

आकाश की बाइक तेज स्पीड में सड़क पर दौड़ रही थी, लेकिन आकाश की आँखों में आकांक्षा की वो तस्वीर छप गयी थी जिसमें आकांक्षा, अनी की ओर देखकर मुस्कुरा रही थी।

तभी एक जोरदार टक्कर की आवाज हुई।

और आकाश कुछ समझ पाता इससे पहले ही आकाश की बाइक घिसटती हुई सड़क के किनारे जा लगी।

“आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” हाँफते हुए आकाश ने बामुश्किल बाइक को खुद के ऊपर से हटाया। और जैसे ही लड़खड़ाते हुआ उठा कि खुद की पीठ पर एक जोरदार बार मेहसूस हुआ।

“आह”वो पलटा, तीन लड़के उसी की ओर गुस्से में घूर रहे थे।

“क्यों बे ज्यादा चर्वी चढ़ी है तुझे हां, तेज स्पीड बाइक में अचानक ऐसे ब्रेक कौन मारता है वे?”तीनों लड़कों में सबसे आगे खड़े लड़के ने गुस्से में बोलते हुए आकाश का कॉलर पकड़ लिया।

“तेरी वज़ह से नई कार पे डेन्ट पड़ गया है!” पास ही खड़े दूसरे लड़के ने दाँत पीसते हुए आकाश के मुँह पर पंच मारने को हाथ  बढ़ाया ही था कि, आकाश ने फुर्ती दिखाते हुए उसका हाथ पकड़ लिया।

अब तक वो संभल गया था और पूरा माजरा भी समझ गया था, तेज स्पीड में चलती अपनी बाइक की ना तो उसने लेन बदली थी ना ही स्पीड कम की थी, उसे तो ये तक नहीं पता था कि वो जा कहाँ रहा था।

“चर्वी मुझे नहीं! तुम लोगों को चढ़ी है इसलिए गलती खुद की है और थोप मुझ पर रहे हो” आकाश ने बोलते-बोलते एक लात दे मारी थी उस हाथ उठाने वाले लड़के को इतने में कॉलर पकड़े हुए लड़के ने आकाश का गला और कस लिया और इससे पहले कुछ वो कुछ कर पाता, आकाश ने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए खुद के गले तक आती हुई उसकीं बांहो में बीच में करके पूरी ताकत से झटक दिये। लड़का कराहता हुआ अलग हट गया।

अब तक चुपचाप खड़े तीसरे  लड़के ने होशियारी दिखाते हुए पास ही पड़ी एक पेड़ की लकड़ी उठायी और आकाश की ओर उछाली, आकाश ने दोनों हाथों से उस लकड़ी को पकड़ा और उसी लड़के की ओर धक्का देने लगा। इस मौके का फायदा बाकी दोनों लड़कों ने उठाया और दोनों ओर से आकाश पर लात-घूंसे बरसाने लगे।

आकाश ने जोर से धक्का देकर उस लड़के को नीचे गिराया लेकिन वो लकड़ी नहीं फेन्की, दायें तरफ वाले लड़के की पीठ पर उसी लकड़ी से लड़के की पीठ पर एक जोरदार चोट की जिससे वो छिटक  कर दूर हट गया।

आकाश ने लकड़ी फेंक दी। और वो उस लड़के की ओर बढ़ा, ना जाने क्यों उसे उसमें अनी का चेहरा दिखने लगा और आकाश को इस वक़्त अपने अंदर बहुत ताकत भी महसूस हो रही थी।

“दूर रह उससे..वो मेरी है…सुना मेरी है वो” गुस्से में चीखते हुए आकाश ने उस लड़के पर थप्पड़ों की बरसात सी कर दी थी।

वहाँ अब इतनी भीड़ जुट गयी थी। वाहनों का निकलना मुश्किल हो गया था।

“क्या हुआ इतनी भीड़ क्यो लगी है?” अचानक टैक्सी रुक्ने पर उसमें बैठे गिरिराज ने ड्राइवर से पूँछा।

“पता करके आता हूं ” ड्राइवर टैक्सी से निकलते हुए बोला

“सुनिये भाई साहब? यहां इतनी भीड़ क्यों जुटी है क्या हुआ है?” गिरिराज ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए एक आदमी से पूँछा

“भाई साहब कुछ लड़के आपस में मारपीट कर रहें हैं ये आजकल के लड़के भी…ना जाने क्या हो गया है आजकल की जेनरेशन को” गहरे अफसोस के साथ उस आदमी ने जवाब दिया। 

और गिरिराज टैक्सी से निकलकर उसी ओर बढ़ गये जहाँ ये मारपीट हो रही थी।

“तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे प्रपोज करने की” आकाश अब तक हावी था उस लड़के पर, और बाकी के दोनो लड़कों ने इस बार एकसाथ वार करने को ठान ली थी। इसलिए दोनों उस लकड़ी के साथ आकाश की ओर बढ़ रहे थे। वो कुछ कर पाते इससे पहले ही!

“रुको!” एक जोरदार आवाज गूँजी, दोनों लड़कों के साथ-साथ आकाश भी रुक गया।

“खबरदार जो एक कदम भी आकाश की ओर बढ़ाया तो” गिरिराज बिल्कुल आकाश के सामने आते हुए जोर से बोले

“अंकल” गिरिराज को देखकर आकाश को बड़ी तसल्ली हुई और उसी वक़्त उसके शरीर से सारी ताकत जैसे गायब हो गयी,

गुस्से में महसूस की गयी ताकत टेंपरेरी ही तो होती है।

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 24

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