सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 28

"वैशाली ने अपने हाथ देखे...हाथों में उसके नन्हे से बेटे की मौत का खून अभी भी लगा था लेकिन सूख गया था। क्या करे वो? पति के मरने का दुख मनाये या बेटे के कातिल को मारे जाने पर तसल्ली महसूस करे। वो शांत थी लेकिन दिमाग अब भी काम कर रहा था।

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अनी के दादा जी को अपनी ओर ऐसे आश्चर्य से देखते हुए आकांक्षा असमंजस से अनी की ओर देखती है।

“क्या हुआ दादू? आपने आकांक्षा को पहले कहीं देखा है क्या?”अनी ने पूँछा

“यकीन नहीं होता! कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा?” वो बुदबुदाये!

“दादू?” अनी ने फिर कहा 

“बेटी!क्या नाम है तुम्हारा?” उन्होंने आकांक्षा से पूँछा 

“आकांक्षा” आकांक्षा मुस्कराई।

“हम्म्म..बहुत प्यारा नाम है, जाओ अनी, आकांक्षा को अपनी मां से मिलवाओ”

“जी दादू” अनी खुशी से उछला, और आकांक्षा का हाथ पकड़ कर घर के अंदर जाने को मुड़ गया। 

तभी, उसके दादू ने उसे आवाज लगा दी!

“अनी! सुनो जरा!” 

“हाँ  दादू” भागते हुए उन तक आया अनी

“ये लड्की सिर्फ तुम्हारी दोस्त ही है या फिर?” पूंछने के साथ ही उन्होंने अपनी अनुभवी आँखें अनी के चेहरे पर टिका दीं।

“वो दादू!” अनी नजरें नीची कर शरमाया।

“जीते रहो…अच्छी लड्की है! मन की बात कहने में देर मत लगाना” उनकी अनुभवी आँखे ताड़ गई थीं! अनी खुशी से छलाँगे सी भरता आकांक्षा के पास जाकर खड़ा हो गया।

“चलो अंदर! मॉम से मिलवाता हूँ! “उसने तेज आवाज लगायी “मॉम!” जिसे सुनकर वैशाली सामने आ गयी।

“मॉम ये आकांक्षा! मेरी दोस्त” अनी ने परिचय कराया, आकांक्षा ने नमस्ते की मुद्रा में हाथ जोड़ दिये।

“खुश रहो बेटी, बहुत सुन्दर हो तुम…”

“थैंक यू आँटी”

“अनी! आकांक्षा को अपना घर नहीं दिखाओगे?” वैशाली ने अनी से कहा।

“श्योर मॉम”

“तब तक मैं कुछ खाने का इन्तजाम करवाती हूँ ” वैशाली वहाँ से निकलकर किचिन तक गई, कुक को कुछ अच्छा पकाने की हिदायत दे ही रही थीं कि तेज आवाज हुई और वो चौंक कर लॉवी की ओर दौड़ी।

***

“थोड़ा बहुत अजीब हो तो झेल भी लूँ ..लेकिन ये…खुद को ऐसा बेबस पंछी महसूस कर रहा हूँ जो जितना जाल से निकलने की कोशिश करता है…उतना ही फँसता जाता है”

बुरी तरह से झल्लाया हुआ आकाश अपनी सारी खिसियाहट  गिरिराज के सामने निकाल रहा था। वो गिरिराज से मिलने उनके घर ही आया था और इस वक़्त दोनों छत पर खड़े थे।

“शोरूम क्यों नहीं जाते तुम आजकल?” पूरी तरह से आकाश की बात को अनसुना करने का नाटक करते हुए गिरिराज ने धीरे से पूँछा।

“सचमुच ये आप ही हैं ना?” आकाश उनके इस रवैये से हैरान रह गया  “क्या करुँ वहाँ जाकर ? अपनी मोहब्बत का जनाजा देखूँ?

फिर एकाएक आकाश की तेज आवाज धीमी हुई…और वो बुदबुदाया “कोई उम्मीद नहीं बची…मैं जिन्दा क्यों हूँ?”

“तुम समझते क्योँ नहीं आकाश?” अब तक उसकी ओर पीठ करके खड़े हुए गिरिराज पलटे। लेकिन देर हो गयी थी। गिरिराज का कलेजा मुंह को आ गया!

आकाश ने छत से छलांग लगा दी थी!

“आ….काश! ” गिरिराज जोर से चीखे और तेजी से नीचे की ओर दौड़े।

***

वैशाली ने देखा, ड्राइंग रुम में लगी राहुल की तस्वीर नीचे गिर गयी थी…कांच टूट गया था इसी की तेज आवाज हुई थी।

“मैडम जी! वो तेज हवा चल रही है ना.. इसी वज़ह से गिर गयी होगी” कुक भी वैशाली के साथ दौड़ता हुआ ड्राइंग रुम तक आ गया था।

“हम्म” वैशाली ने राहुल की तस्वीर उठायी और बापस दीवार पर टाँग दी। कुक ने फर्श पर गिरा कांच साफ करना शुरू कर दिया। इस समय राहुल की तस्वीर सामने आना वैशाली को अतीत में खींच ले गया।

वो मंजर उसकी आँखों के सामने घूम गया जब राहुल जीवित था और अंततः उससे शादी के लिये राजी हो गया था।

## (पार्ट 2 का हिस्सा)

“सब लोग जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ, रिसेप्शन में कोई कमी नहीं रहनी चाहिये..और अभी तो कितना काम बाकी है ..” राव सर इंतज़ाम देखते हुए तेज़ आवाज में बोले…

“आप चिंता मत कीजिये सर, सारा काम रिसेप्शन से पहले खत्म हो जाएगा” मैनेजर उन्हें आश्वासन देता हुआ बोला।

राहुल को टैरिस पर अकेले खड़ा देखकर, वैशाली ने पूँछा,

“यहाँ ऐसे चुपचाप अकेले क्यों खड़े हो” 

“यूं ही…ऐसे अचानक कोर्ट में शादी हो जाएगी सोचा नहीं था”  राहुल ने वैशाली की ओर बिना देखे कहा

“शादी कोर्ट में हो या मंडप में क्या फर्क पड़ता है…हम्म लेकिन धूमधाम से शादी नहीं हो पायी .. उसका अफसोस हो रहा होगा… है ना?”

राहुल ने वैशाली की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया..तो वैशाली फिर बोली

“इस बात की फिक्र मत करो राहुल…कल का रिशेप्शन बहुत धूमधाम वाला होगा तुमने देखा ना.. अंकल कितनी खुशी से रिशेप्शन की तैयारी कर रहे हैं…” वैशाली खिलखिलाने लगी।

“हम्म सो तो है…अंकल बहुत खुश हैं…और देख रहा हूँ.. तुम भी बहुत खुश दिख रही हो” राहुल चुभती नजर से वैशाली को देखते हुए बोला..राहुल की ऐसी चुभती नजर से वैशाली घबरा गई

“राहुल जो हुआ सो भूल जाओ ना…चलो एक नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करते हैं” वैशाली की मनुहार ने राहुल को शान्त कर दिया। राहुल ने उसे एक सरसरी नजर से देखते हुए कहा, “हम्म …सही कहती हो…”

“क्या… सच..?.” वैशाली को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बात राहुल इतनी आसानी से मान जाएगा

“हम्म एकदम सच…आओ तुम्हें हमारा कमरा दिखाता हूँ”

राहुल को ऐसे सामान्य देखकर वैशाली ने तसल्ली की सांस ली ओह्ह अब सब सही हो जायेगा सोचते हुए वो उसके साथ चल दी।

“देखो अंकल ने हमारे लिये ये रुम कितनी खुबसूरती से डेकोरेट कराया है” राहुल कमरे का दरवाजा खोलते हुए बोला

“वाह! बहुत सुन्दर” रोशनी और फूलों से सजे हुए कमरे को देखकर वो अपनी ऐड़ियों पर घूम गयी।

“आओ इस शाम को यादगार बना दें” राहुल ने उसे अपनी ओर खींचा

“नहीं राहुल! अभी नहीं…रिशेप्शन हो जाने दो…” वो खुद को पीछे की ओर धकेलते हुए बोली।

“..जब कोर्ट में शादी हो चुकी है तो क्या फर्क पड़ता है आज या फिर कल” राहुल ने आगे बढ़कर लाइट बन्द कर दी।

“लेकिन…राहुल”

“श्हहह चुप रहो” राहुल ने पास आते हुए उसका हाथ तेजी से पकड़ लिया। 

***

कौन जानता था कि अगले दिन ऐसी मनहूसियत आने वाली है…उसका बेटा जो कि एक नन्ही सी जान था। छत से फेंक दिये जाने से ऐसे मांस के लोथड़ों में तब्दील हो जायेगा।

ना जाने कितने ही घंटें वो गम में डूबी बैठी रही थी। उसे यकीन था सब सही हो गया है लेकिन राहुल अपने बच्चे को ऐसे छत से फेंक कर मार देगा। उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी।

फिर वो भी कहां समस्याओं का अन्त था? कितनी ही अनहोनियां होना बाकी था अभी।

“वैशाली जी! एक और बुरी खबर है?” सूरज ने जब आकर कहा तो घंटों बाद उसकी पथरीली आँखों में हरकत हुई थी। कुछ नहीं बोल पायी सिवाय सूरज की ओर देखने के।

” राहुल नहीं रहा! किसी ने गोली मार दी है उसे” बड़ी मुश्किल से कह पाया सूरज, वैशाली ने अपने हाथ देखे…हाथों में उसके नन्हे से बेटे की मौत का खून अभी भी लगा था लेकिन सूख गया था। क्या करे वो? पति के मरने का दुख मनाये या बेटे के कातिल को मारे जाने पर तसल्ली महसूस करे। वो शांत थी लेकिन दिमाग अब भी काम कर रहा था।

“आपको हॉस्पिटल चलना पड़ेगा। राव सर आई सी यू में हैं, आप पर दुखों का पहाड़  टूटा है…और आपके पास रोने का भी समय नहीं है…चलिये” सूरज लगभग फुसफुसा कर बोला

“इस समय जरुरी ये है कि जो जीवित है उसे बचाया जाये…सिवाय हिम्मती होने के कोई और ऑप्शन नहीं है आपके पास” इंस्पेक्टर नवीन ने बहुत सहानूभूति के साथ कहा तो वैशाली उठी और मशीनगत सी सूरज के पीछे-पीछे चल दी।

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वो जैसे ही हॉस्पिटल पहुँचे। डॉक्टर, राव सर के रुम से बाहर निकले।

“ये क्या है ? कहाँ थे आप लोग? कोई मरीज के पास ही नहीं है!” डॉक्टर झुँझलाया।

“वो डॉक्टर! ये उनकी बहू हैं! और आज ही बदकिस्मती से मरीज के बेटे और पोते दोनों एक्सपाइर हो गये हैं।” सूरज ने डॉक्टर को बताया।

“ओह्ह माई गॉड” डॉक्टर ने गहरी साँस छोड़ी

“पेशेंट को होश कब तक आएगा? बेटे की अन्तिम क्रिया के लिये…राव सर का होश में आना….” इंस्पेक्टर नवीन ने इतना ही कहा ही था कि

“व्हाट नॉनसेंस! आप जानते हैं उनकी हालत कितनी गंभीर है…पहले तो वो होश में ही नहीं और होते भी तो मैं इसकी परमीशन कभी नहीं देता। ये पेशेंट को मौत के मुँह में धकेलने जैसा होगा” डॉक्टर ने डांटते हुए कहा।

“सूरज जी! नवीन जी! आपसे हाथ जोड़कर विनती करती हूँ कि राहुल और मेरे बेटे की अन्तिम यात्रा और मुखाग्नि का कार्य आप दोनो कर दीजिये”

वैशाली ने अपने हाथ जोड़कर विनती की तो दोनों ने सहमति में अपना सिर हिलाया और वैशाली को वहाँ छोड़कर दोनों घर की ओर निकल गये।

उस दिन तो क्या अगले तीन्ं महिने तक भी राव सर को होश नहीं आया था। वो कोमा में चले गये थे। वैशाली ने सचमुच बहुत हिम्मत दिखायी थी। वो यंत्रवत घर से हॉस्पिटल और हॉस्पिटल से घर के चक्कर लगाती रहती। साथ ही ऐसे हालात में उसे कम्पनी से जुड़ी समस्याओं से जूझना था जिसकी उसे कोई नॉलेज नहीं थी!

लेकिन सब कुछ बर्वाद तो नहीं होने दे सकती थी। इसलिये उसने एक वकील की मदद से कुछ पेपर तैयार कराये जिनके मुताबिक सूरज कंपनी से जुड़े निर्णय तो ले सकता था लेकिन  वैशाली की सहमति के बिना नहीं। बेशक उसे विजनेस का अनुभव ना हो…लेकिन पेपर पढ्ना आता है। चाहें जो परिस्थति रही हो लेकिन राव सर उसके लिये देवता हैं! जीवनदाता है! और उसके ससुर भी हैं, उनके साथ कुछ भी गलत ना होने देना उसकी जिम्मेदारी और फर्ज दोनों हैं।

“मैं इस कम्पनी की जिम्मेदारी आपके हाथो सौंप रही हूँ सूरज जी। मुझे कानून या बिजनेस का कोई अनुभव नहीं। लेकिन भरोसा पूरा है आप पर ” उसने हाथ जोडते हुए उन पेपरों की फाइल सूरज को सौंप दी।

“फिक्र मत कीजिये। आपके इस भरोसे में और राव सर के बिजनेस में एक पाई की भी बेईमानी नहीं होने दूँगा।” सूरज ने पेपर पढ़कर उसपर साइन किये और फाइल बापस वैशाली को सौंप दी।

ना सही फॉर्मल तौर पर! लेकिन वो राव सर के बापस आने तक कम्पनी का सी. ई. ओ. बन गया था। ठीक उसी तरह जिस तरह वैशाली इस घर की बहू और इकलौती मालकिन बन गयी थी।

कहने को इस निर्णय पर लोगों द्वारा सवाल उठाए जा सकते थे! लेकिन राव सर की जिन्दगी भर की नेकी और दरियादिली का सुखद परिणाम मिला। किसी ने कोई प्रश्न नहीं उठाया। विजनेस अच्छा संभाला सूरज ने। और वैशाली ने घर।

तीन महिने की उसकी सेवा और प्रार्थना उस दिन रंग लायी। जिस दिन डॉक्टर ने उसे एक सुखद खबर सुनाई।

“क्या?” जिस खबर को सुनने के लिये रोज प्रार्थना कर रही थी उसी खबर को सुनकर आश्चर्यचकित थी।

सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 29

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