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क्या अनामिका बापस आएगी ? पार्ट –

पार्ट -6 by Sonal Johari Summery अंकित अपने मन में …”ये क्या है यार…इतना अच्छा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता मैं…तो .अब ? मुझे लगता है जो ड्रेस मैंने इसके लिए खरीदी..वो मुझे इसे गिफ्ट कर देनी चाहिए …कहीं नाराज हो गयी तो? सीधा जीरो पर चला जायेगा…और नहीं बताया तो ?…ये मौका हाथ से चला जायेगा …और इसी बीच कहीं वो मस्कुलर आ गया तो .??? नहीं नहीं “ Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt राव इंडस्ट्री के बाहर मीडिया के भीड़ लगी थी,बड़ी मुश्किल से अंकित भीतर जा पाया,सामने ही राव सर नाईट सूट में एक पुलिस इंस्पेक्टर के साथ खड़े थे,उसे देखा तो हाथ का इशारा देकर बुला लिया… “सर …संपत लाल का फ़ोन आया था….वो कह रहा था कि…” अंकित ने डरते हुए बड़ी मुश्किल से पूछा “सही सुना तुमने ….राखी नहीं रही…”उन्होंने अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “क्या ….ये नहीं हो सकता सर्… कैसे हो सकता है ऐसा” राव सर ने उसे अंदर जाने का इशारा किया और अंकित भारी कदमों से अंदर गया तो सामने ऑफिस का लगभग सब स्टाफ़ मौजूद था,पास पहुंचा तो दृश्य देख कर हिल गया,राखी निस्तेज जमीन पर नीचे पड़ी थी,उसकी आंखें अब भी खुली थी …थोड़ी दूरी पर ही उसके माता -पिता सदमे की अवस्था मे थे…. “रा…खी ….(सुबकते हुए) …ये क्या हो गया,कैसे हो गया …हम तो आज कॉफी पीने जाने वाले थे…आंखे खोलो …उ…ठो” अंकित बहुत दुख में बोला “अंकित सर….संभालिये खुद को” नीरू ने कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “नीरू …कैसे हुआ ये सब” “मुझे खुद हैरत है….कि ये सब कैसे हो गया….मुझे कुछ नहीं पता…बस्स संपत का फ़ोन आया था…और” नीरू रोने लगती है “हम्म संपत… सम्पत …कहाँ है “अंकित ,संम्पत को ढूंढ़ते हुए बाहर आता है तो देखता है कि संम्पत ,राव सर और उस इंस्पेक्टर के पास खड़ा कुछ बता रहा है,अंकित भी वही खड़ा होकर संम्पत की बात सुनने लगा “ऐसे नहीं… सिलसिलेवार बताओ कि क्या हुआ था कल” इंस्पेक्टर ने अपना काला चश्मा उतारते हुए पूँछा “राब सर कल लगभग साढ़े पांच बजे ऑफिस से निकलते हुए बोले कि ‘संम्पत ,राखी को कुछ काम है वो लेट घर जाएगी,ऑफिस में ही रहना और उसके जाने के बाद ही जाना…” संपत थूक गटकते हुए चुप हो गया.. “फिर क्या हुआ” इंस्पेक्टर ने गरजते हुए पूंछा “मैने लगभग पौने सात बजे ,राखी मैडम से पूंछा कि वो कब जाएंगी,उन्होंने कहा लगभग बीस मिनट और लगेंगे…मैं पड़ोस की बनी बिल्डिंग में चला गया,उस बिल्डिंग के गार्ड दाताराम के साथ मैं कभी -कभी बीड़ी पी लेता हूँ,…सोचा, तब तक उसी के पास बैठ लूं,थोड़ी देर में बापस आया तो मैडम की सीट पर अंधेरा था,मैंने राखी मैडम को आवाज दी ….लेकिन कोई जवाब नहीं मिला…. “फिर”? “फिर मैंने …मेंन स्विच से लाइट जलाई तो देखा वो सीट पर नहीं थी…तो यही लगा कि वो चली गयी होंगी.. फिर मैंने ताला लगाया और मैं भी चला गया….जब सुबह तड़के राब सर और राखी के पिताजी, ने मेरे कमरे पर आकर दस्तक दी ..तब हम यहाँ आये,देखा तो ….राखी मैडम ….अपनी मेज…. के पीछे ही “संपत लाल का गला रुंध आया “साले …यहाँ… नौकरी करने आता है..या…पड़ोसी से गप्पे हांकने ..” उसने सम्पत पर हाथ उछाला ही था कि राव सर उसे रोकते हुए बोले “नवीन ……माइंड योर बिहेवियर” “सॉरी सर…वो जरा…” इंस्पेक्टर नवीन ने जब अपनी तेज़ आवाज को संयत किया “मैं संपत को, इसके बचपन से जानता हूँ,इस पर शक करने का मतलब बस्स समय की बर्वादी है, इसका ये व्यवहार सामान्य है..क्योंकि अब हादसा हो गया है ,इसलिए इसकी गलती नजर आती है..राखी की डेस्क आगे से बंद (कबर्ड ) है …इसीलिए उसके पीछे कुछ नही दिखता …जब तक कि आप बिल्कुल पास ना चले जाओ .. “जी …राव सर मुझे आपका बयान भी चाहिए होगा” “हम्म…आप तो जानते है,कल मौसम खराब था,क्योंकि राखी कई बार पहले भी… मेरे, आऊट हाउस में रुक चुकी है…उन्हें लगा वही रुक गयी होगी…..राखी के पिता ने मुझे कई बार फ़ोन किया लेकिन उनका फ़ोन कनेक्ट नहीं हुआ,..फिर उन्हें चिंता हुई ,और लगभग साढ़े तीन या चार बजे के आसपास वो मेरे घर आ गए…फिर मैं उनके साथ आउट हाउस आया …वहाँ सिर्फ संम्पत था..उससे पूछने के बाद हम यहाँ आये….देखा…तो राखी….और फिर आपको फ़ोन कर दिया” अपनी बात पूरी करने के बाद राव सर वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ गए, “हम्म …” और अंकित की ओर इशारा कर “ये कौन है” “ये अंकित है ,मेरे पी. ए., हाल ही मैं जॉइन किया है,राखी इन्हें ट्रेंड कर रही थी” “मुझे इनका भी बयान लेना है” इंस्पेक्टर नवीन ने कहा “आप को जो करना है कीजिये,बस्स जल्द से जल्द राखी की मौत का पता पता लगाइए, फिर अंकित से..”.इन्हें बयान देने के बाद घर चले जाना और सबको भी जाने को बोल देना …कल देखते हैं” अंकित ने हाँ में सिर हिलाया और इंस्पेक्टर उसे एक साइड में ले गया पूछ -ताछ करने …. राखी की बॉडी को पोस्ट मार्टम के लिए ले जाया गया और … अपना बयान देने के बाद अंकित बापस अपने घर आ गया … *** उदास और परेशान अंकित पहुंच गया अनामिका के घर ,वो बाहर ही खड़ी दिख गयी ,अंकित को देखते ही बोली “आइये…बैठिये …में बस्स अभी आयी ” बोलकर चली गयी और कॉफ़ी ले कर लौटी “आपको पता लगा…”? अंकित ने बड़ी धीमी आवाज में पूछा “हम्म….न्यूज में देखा ….बहुत बुरा हुआ ” अनामिका ने अफसोस जताते हुए कहा “राखी एकमात्र दोस्त थी मेरी…वो मुझसे छोटी थी,फिर भी बेहद होशियार …हमेशा मेरी मदद करती रहती…वो भी बिना किसी अपेक्षा के …कल उसने कॉफ़ी के लिए बोला था,लेकिन मैं …कितना बुरा हूँ… जो मैंने उसे मना कर दिया…हम आज कॉफी पर जाने वाले थे” अंकित ने अपने आँसू पोछते हुए कहा “सब्र रखिये…क्या हो सकता है” थोड़ी देर चुप रहने के बाद…. “अनामिका जी,मैं कॉफ़ी नहीं पिऊंगा” अंकित ने अपने हाथों को आपस मे कसकर पकड़ते हुए कहा “क्यों… भला” “राखी को कॉफी बहुत पसंद थी…में उसे भुला नहीं पा रहा” अंकित ने दुखी स्वर में कहा “आप उसे भुलाना चाहते ही क्यों हैं..वो आपकी दोस्त थी …उसे दोस्त बनाये रखिये,भुलाना क्यों “? अनामिका

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट-

पार्ट -5 by Sonal Johari Summery आपको तो पता ही होगा,कि कैसे जब संयोगिता ने पृथ्वीराज के पुतले के गले मे माला डाली तो उसके पीछे छिपे पृथ्वीराज ने संयोगिता का हाथ पकड़ा ,घोड़े पर बिठाया और सबके सामने उन्हें ले आये…कितना रोमेंटिक है ना”? अनामिका का यू खुशी से चहकना अंकित के चेहरे पर भी स्माइल ले आया ,और मन ही मन उसने कहा ,”बात तो ये पृथ्वीराज जी की कर रही है,लेकिन इसका , उन्हें ,इतना पसंद करना…मुझे जलन हो रही है   Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt राव इंडस्ट्री का ऑफिस ठीक सामने राखी बहुत बिजी दिखी …नीरू को कुछ सलाह दे रही थी…अंकित सीधा उसके पास जाकर “गुड़ मोर्निंग, आज सुबह सुबह ही बिजी हो “ “हे अंकित,गुड़ मॉर्निंग …पता है हम एक नया क्लॉज़ ऐड कर रहे हैं,एच आर के नियम में “ अंकित:-अच्छा …क्या? राखी:-“ये …कि कोई भी कैंडिडेट जिसका बैकग्राउंड टीचिंग है,एक महीने की इंटर्नशिप करनी होगी ,इसी ऑफिस में, चाहे किसी भी पोस्ट पर आए….बाय गॉड …एक और टीचर नहीं झेल सकती में इस ऑफिस में…सबको लेक्चर देने की आदत होती है अंकित:-हा हा हा ओह्ह ..बहुत परेशान किया मैंने तुम्हें,माफ करना यार” राखी :–माफ कर सकती हूं,एक शर्त पर… अंकित:– शर्त बोलो राखी:–शर्मा कैफ़े की कॉफी पिलवाओ अंकित :–(कुछ सोचते हुए) कॉफी अभी ? अ अ …शाम को चले..कुछ फैक्स करने हैं अभी” राखी :–“ओह्ह हाँ सही कहा …काम करो तुम,…अच्छा शाम को नहीं… मुझे शाम को सांस लेने की भी फुरसत नहीं ,आज तो देर तक रुकना भी है, और तुम जल्दी निकलते हो…एक काम करते हैं…कल चलते हैं” अंकित:–“ठीक है ..कल.पक्का” राखी :– “अच्छा सुनो ,राव सर आ गए है आज जल्दी,…रोज़ फ्रूट्स सैलेड मंगाते हैं,पर कभी नहीं खा पाते,ये काम तुम्हे करना है, “मुझे कैसे “ “रिक्वेस्ट करके ,या बोल कर जैसे भी …तुम जानो… अब जाओ और प्रूब करो कि तुम्हे काम करना आ गया है ,और मुझे मुक्ति मिले …एक्स्ट्रा काम करने से” राखी ने हाथ जोड़कर नाटकीयता से कहा,तो अंकित को हँसी आ गयी,वो हँसता हुआ केविन में जाता है तो सैलेड की प्लेट देखकर “वाओ,सैलेड ,गुड़ मोर्निग सर,अगर आप इज़ाज़त दे तो खा लू”? और इससे पहले कि राव सर कुछ बोलें, अंकित ने खाना शुरू कर दिया,उसे ऐसे खाता देख राव ने अपनी फाइल साइड में रखी,और उन्होंने भी खाना शुरू कर दिया, अपना प्लान को काम करते देख अंकित खुश हो गया राव सर:-“क्या शेड्यूल है आज का”? अंकित:–आपके दोस्त और बिजनेस फ्रेंड के यहाँ एक सेमिनार है,और उसके बाद तीन मीटिंग्स राव सर:–“श्रीवास्तव के यहाँ ना “? ” जी” “हाँ फ़ोन आ गया था मुझे,उससे मेरी बड़ी जमती है,जल्दी ही लौट पाना मुश्किल है,मीटिंग कैसे होंगी” “इसीलिए… पहली मीटिंग मैंने 2 बजे रखी है सर” “हम्म…बहुत अच्छे”(मुस्कुराते हुए बोले ) “थैंक यू सर्.. अभी आता हूँ …कुछ फैक्स करने हैं” “और सैलेड?”उन्होंने प्लेट की ओर इशारा करते हुए कहा “बस्स,हो गया सर”कहते हुए अंकित ,केविन से बाहर आ गया *** सफेद शर्ट जानबूझकर पहनी अंकित ने, और पहुंच गया अनामिका के घर, सामने ही बैठी कुछ पेपर उलट-पलट रही थी,पास ही पड़े सोफे पर बैठ गया, “हेलो अनामिका जी ,क्या पढ़ रही हैं”? “हेलो,आइये…बस्स कुछ पुराने नोट्स में पृथ्वीराज चौहान के नोट्स दिखे तो पढ़ने लगी…मुझे पूरी हिस्ट्री में बस्स यही एक इंसान पसंद आया” “अच्छी बात है कोई तो पसंद आया आपको हिस्ट्री में,वैसे क्या पसंद है आपको इसमें”? “बहादुर होना,आपको तो पता ही होगा,कि कैसे जब संयोगिता ने पृथ्वीराज के पुतले के गले मे माला डाली तो उसके पीछे छिपे पृथ्वीराज ने संयोगिता का हाथ पकड़ा ,घोड़े पर बिठाया और सबके सामने उन्हें ले आये…कितना रोमेंटिक है ना”? अनामिका का यू खुशी से चहकना अंकित के चेहरे पर भी स्माइल ले आया ,और मन ही मन उसने कहा ,”बात तो ये पृथ्वीराज जी की कर रही है,लेकिन इसका , उन्हें ,इतना पसंद करना…मुझे जलन हो रही है “कहाँ पृथ्वीराज…और कहाँ “हाँ …हाँ जानता हूँ,लेकिन …ऐसा मन कर रहा है,घोड़ा खरीद लूं” “और दौड़ाएगा कहां…सड़क पर”? “तो…अब कच्ची सड़क तो बनने से रही” “वही तो…अब जमाना गाड़ी का है,कार खरीदने की सोच” “कार”? “हाँ …अच्छी सेलेरी है,ले सकता है अब” “हम्म” “अनामिका जी….आपके पेरेंट्स नही आये अब तक”उसने अनामिका से पूंछा “आप को बड़ी फिक्र है,मेरे पेरेंट्स की,कुछ दिन और लगेंगे ,उन्हें कुछ काम है वहाँ” अंकित को लगा चिढ़ गयी है तो संभालने को बोला “इधर चोरी- चकारी बहुत होने लगी है,आप अकेली रहती हैं ना,इसीलिए पूंछा” “यहाँ बिना मेरी मर्ज़ी कोई नहीं आ सकता,आप तो ये बताइये कॉफी बनाना आया या नहीं “? अनामिका के इस जवाब से अंकित को तसल्ली हुई ,सोचा कि जब वो आता है तब जिस तरह से दरवाजा खुलता है वो इस बात का सुबूत है कि सिक्योरिटी मजबूत है.. हम्म..मतलब वो मस्कुलर नहीं आ सकता) …”अ …जी नहीं बहुत कोशिश की,नहीं बनी…” अनामिका:–“तो दूसरा तरीका बताऊ कॉफी बनाने का? अंकित का मन ‘ये तुझे कॉफी सिखाकर ही मानेगी… “तो मना कर दूँ?…नहीं बताने दे ,,ऐसे ही …कम से कम सामने तो रहेगी.. “हम्म ये भी सही है…” अंकित:-“जी जी जरूर …बताइये” अनामिका:–हम्म ..देखिए …एक कप में ,एक चम्मच कॉफ़ी पाउडर और चीनी ले लीजिये फिर @@@@@@@ अंकित का मन :-आंखे खूबसूरत है इसकी और चमकीली भी … हम्म और माँ की दी हुई नथ इस पर खूबसूरत लगेंगी…हम्म बेशक लगेगी अनामिका:-फिर थोड़ा फेंटना है @@@ और जब @@ फिर @@बस्स बन गयी अंकित:–“वाह ! क्या बनी है,बहुत टेस्टी ..बहुत ही..” अनामिका:-“आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे सच में टेस्ट की हो” अंकित :–“आप ने बताई ही इतनी अच्छी तरह…वैसे आपको कॉफी के अलावा और क्या पसंद है? अनामिका:–“मुझे नॉनवेज ,बहुत पसंद है” अंकित का मन :-“ये नॉनवेज खाती है यार…तुझे नॉनवेज खाने वाली लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं” “अंकित:–इसकी बात अलग है ..ये अनामिका है,इसे इतना प्यार दूँगा कि ये नॉनवेज छोड़ देगी “हम्म…ये भी. सही है” “और फिर नॉनवेज खाना कोई पाप तो नहीं” “हम्म …सही जा रहा है” अंकित:-“मेरे ऑफिस के पास ही शर्मा कॉफ़ी शॉप है,बहुत ही टेस्टी कॉफी है उसकी ..” अनामिका:–“अच्छा.’.. अंकित:-“ हाँ …वो तो भला हो राखी का जो मुझे वहाँ ले गयी …उसे भी कॉफी का बड़ा शौक है,…” “राखी…”अनामिका ने अपनी

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -4

पार्ट – 4 by Sonal Johari Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt जमीन पर गिरते ही होश में आया हो जैसे …सामने कोई आकृति सी दिखी ,अपनी पलकें बार -बार झपका कर देखने की कोशिश की पर कुछ नहीं दिखा ,रोशनी भी काफी हल्की थी..वो परझाई सामने आयी …”आंटी….आप?” अंकित के मुंह से निकला वो भौचक सा उन्हें देखता रहा,आंटी अभी तक हांफ रही थी..उन्होने हाँफते हुए पुछा .”क्या था ये…,मै पूछती हूँ.. छत से क्यों कूद रहा था तू”?अगर खाना लेकर सही वक्त पर नहीं आती तो ..तो .हे ईश्वर.. या तो तू..हॉस्पिटल में होता…. या ….नहीं …नहीं…बता मुझे,… क्या परेशानी है तुझे”,…उन्होंने अंकित के दोनों कंधे पकड़कर जोर से झिंझोड़ते हुए पूछा ..इतने में राधेश्याम आ गए ..पास ना जाकर थोड़ी दूरी पर खड़े रहे…उन्हें देखकर सरोज बोली “बोल…क्या घर के किराए की फिक्र है? अरे ..तुझे बेटा माना है मैंने ..जब तक तेरी मां जीवित है,तुझे इस घर से कोई नहीँ निकाल सकता…बोल… कोई और परेशानी है तो बता मुझे” उन्होंने अपनी आंखें अंकित पर टिकाते हुए पूछा “मुझे… कोई परेशानी नहीं.. बस्स मुझे लगा कि,मैं किसी को रोक रहा था और …और “और …क्या” “फिर मुझे लगा किसी ने मुझे पीछे की ओर खींच लिया …नहीं पता में यहाँ कैसे आ गया…सच” अंकित ने उठने की कोशिश करते हुए कहा तो सरोज बोलीं “मैंने पकड़ कर खींचा तुझे …तू तो जैसे कूदने पर आमादा था ….उनकी सांस अब तक तेज़ चल रही थी “क्या ???कूदने जा रहा था…छत से? मुझे सच मे कुछ याद नहीं.. लेकिन …लेकिन आप ने मुझे बचा लिया माँ” अंकित ने सरोज का हाथ पकड़ते हुए कहा ,तो सरोज उसके माथे पर हाथ रखते हुए बोली “हम्म ..समझ गयी” “क्या…” अंकित ने अपने कपड़े झाड़ते हुए पूछा “तुझे दिमागी बुखार हुआ है,कल ही सबेरे तुझे डॉ शाहदुल्ला को दिखाउंगी” “डॉ शाहदुल्ला..?” “हाँ… एक से एक दिमागी बुखार के बिगड़े केस उन्होनें ठीक किये हैं,तुझे तो चुटकी बजाते ठीक कर देंगे वो, अब ..चल नीचे ..जब तक ठीक ना हो जाये मैं तुझे अकेले नहीं रहने दूँगी” और वो अंकित की बांह पकड़ ले जाने लगीं “सुनिए तो…मैं यहीं ठीक हूँ ,अंकल जी नाराज होंगे…आप तो जानती ही हैं “अंकित ने हाथ छुटाते हुए कहा, तो वो बोली “मैं भी देखती हूँ, कैसे वो कुछ बोलते हैं..तू चल नीचे” और अंकित को पकड़ ले जाने लगीं ,बैठी हो तो उठने में ही जिन्हें कई बार तो मिनट तक का वक़्त लग जाता है ,वही सरोज ,एक हाथ से अपनी साड़ी की प्लीट्स थोड़ा ऊपर पकड़े और दूसरे हाथ से अंकित को ऐसे खींचे हुए ले जा रहीं थी जैसे वो चार या पांच साल का बच्चा हो …उसे बेड पर लिटा वो ठंडे पानी की पट्टी रखने लगीं, राधेश्याम मूक दर्शक बनें सब देख रहे थे,वही आंगन में टहलने लगे ,सरोज ने कुछ कहना चान्हा तो उन्होंने हाथ का इशारा कर उन्हें आश्वस्त किया कि वो जो कर रहीं हैं,उससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं ….सुबह ही सरोज ,अंकित को डॉ शाहदुल्ला को दिखा लाई और थोड़ी देर में ही अंकित को सामान्य लगने लगा,जैसे कुछ हुआ ही ना हो,और वो ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा ,तभी सरोज ने टोक दिया “कहाँ जा रहा हैं, कहीं जाने की जरूरत नहीं..आराम कर आज” “मां …नई जॉब लगी है ,जाना जरूरी है,…आपने इतना ख्याल रखा है,कि बिल्कुल नहीं लग रहा …कोई परेशानी थी भी …जाने दीजिए ना… जल्दी आ जाऊंगा” “अच्छा …बहुत जरूरी है क्या? एक मिनट रुक तो ..” और सामने आकर उसकी जेब मे एक हजार रूपए रख दिये,अंकित ने रुपये देखे तो भावविभोर होकर उसने सरोज की ओर देखा और रुपये लौटाते हुए बोला “आप बहुत अच्छी हैं, लेकिन मुझे पैसों की जरूरत नहीं है” “खबरदार,जो कुछ बोला,चुपचाप रख ले,और हाँ जल्दी आना शाम का खाना तेरे साथ ही खाऊँगी” सरोज ने झूठ मुठ का डाँटते हुए बोला “ठीक है माँ” अंकित ने कहा और बाहर निकल गया *** ऑफ़िस पहुँचा तो देखा,गैलरी में राखी चुपचाप अकेली खड़ी थी तो उस ओर ही चला गया,राखी को सिगरेट पीते देख बापस लौटने लगा तो राखी ने आवाज दे दी “अंकित,क्यों बापस जा रहे हो …आओ ना” जब से वो दोनों नीरू के साथ मॉल रोड घूमने गए ,तब से,फॉर्मेलिटी खत्म हुई और दोंनो “आप’ से “तुम “पर आ गए थे “कुछ नहीं ऐसे ही” “कोई लड़का सिगरेट पी रहा होता,तब भी यूँ ही चले जाते” उसने धुँआ छोड़ते हुए पूछा “शायद नहीं..” “वही तो …लड़के सिगरेट पिये तो कोई प्रॉब्लम नहीं, लड़की पी ले तो… प्रॉब्लम ..सब स्त्री सशक्तिकरण की बात ही करते हैं सिर्फ ” उसने ताने वाली हँसी के साथ कहा “.हम्म …स्त्री सशक्तिकरण … मतलब…उठाइये तलवार और काट दीजिये वो बेड़िया जो आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं, आप को ,आपकी बिल्कुल निजी इच्छाओं को मारने पर मजबूर करती हैं ..और इसमें खुद के पैरों पर खड़े होना सबसे बड़ी भूमिका निभाता है,शशक्त कीजिये खुद के मन को..ताकि वो बिना डर आपको जीना सिखाये… लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है …कि तुम जैसी ही जाने कितनी पढ़ी लिखी लड़कियो ने इसका मतलब ये समझा है, कि बस जो लड़का सामने पड़े उसे मार दो उसी तलवार से… राखी उसे यूँ रौ में बोलते हुए देख रही थी रही बात सिगरेट पीने की ..तो ये बुरी लत जरूर है ,लेकिन पाप नहीं …समझदार हो, पीना चाहो तो बेशक पियो, लेकिन इसके पीछे अगर ये सोच है,लड़के पी सकते है तो लड़कियां क्यों नहीं…तो खुद की इंसल्ट के अलावा कुछ नहीं… क्योंकि भगवान ने दुनियाभर की खूबियों के साथ लड़कियों को इस दुनिया मे भेजा है,तो मुठ्ठीभर लोगों के बोलने या सोचने से कोई फर्क नहीं पड़ता…वो बेहतर थीं …और हमेशा रहेंगी “ और

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -3

पार्ट -3 by Sonal Johari Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt “राव इंडस्ट्रीज “के ठीक सामने खड़ा था अंकित..सारी ताकत बटोर गेट के अंदर कदम रखा ,नाम और अड्रेस फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद रिसेप्शन एरिया में गया तो कुछ ही लोग चलते-फिरते दिखे ,और सामने ही,आंखों पर चश्मा लगाए,प्रोफेशनल एटीट्यूड के साथ एक़ लड़की कुछ फाइलों में उलझी हुई सी..शायद यही मदद कर सके, “एक्सक्यूज़ मी,मुझे राव सर से मिलना है” “वाट्स योर नाम,डू यु हेब एनअप्पोइन्टमेन्ट”? उसने एक नज़र अंकित को देखा और फिर कुछ टाइप करने लगी “आई डोन्ट हेब एनी अप्पोइन्टमेन्ट,स्टिल आई वांट टू मीट हिम” “व्हॉट”? उसने चिढ़ते हुए कहा इतने में एक साठ-बासठ साल की उम्र के एक दुबले पतले लेकिन स्मार्ट से आंखों पर सुनहरी फ्रेम का चश्मा पहने राव सर ,फ़ोन पर बात करते हुए उस डेस्क के पास आये, “राखी, फैक्स नहीं किया क्या अभी तक..श्रीवास्तव को?” “आइ एम सॉरी सर,बस्स करने ही वाली थी कि ,ये…ये आपसे बिना अपॉइंटमेंट मिलना चाहते थे” राखी ने इशारा कर बताया तो राव सर ने अंकित से खुद पूछ लिया “हाँ कहिए …वैसे कहाँ से आये हैं आप?” “सर् …बस्स दो मिनट बात करनी थी” अंकित ने रिक्वेस्ट की,लेकिन राव सर फ़ोन पर किसी को जवाब देने लगे ‘हाँ ..हाँ श्रीवास्तव जी,इतने भी क्या अधीर हो रहें हैं आप,बस्स करने ही वाली हैं राखी आपको फेक्स…हाँ सही कहा ..हा ..हा आपने ,बहुत जरूरत है पर्सनल असिस्टेंट की..कल रखवाए हैं इंटरव्यू ,देखो ..कोई अच्छा सा कैंडिडेट मिले…” फिर अंकित की तरफ देखकर उन्होंने अंदर आने का इशारा किया और केविन में चले गए…पीछे पीछे अंकित भी, …..वो जिस कमरे में रहता है उससे तो तीन गुना बड़ा राव सर का केविन ही था,उनकी सीट के ठीक पीछे एक नेचुरल सीन की पूरी दीवार पर उभरी हुई सीनरी बनी थी जोकि बहुत खूबसूरत थी,झरने से बहता हुआ पानी बिल्कुल असली सा लग रहा था,बाई तरफ जहां एक बड़ा सा असली फूलों का फूलदान लगा था,तो दूसरी तरफ गौतम बौद्ध का बड़ा सा स्टेचू ,राव सर अब भी फ़ोन पर बात कर रहे थे,बड़ी सी टेबल पर कुछ फाइलें और एक कंप्यूटर भी रखा था,और वहीं पड़ी चार खूबसूरत कुर्सियों में से एक पर वो बैठा था,कुर्सियों के पीछे फिर एक बड़ा सा सोफा और छोटी सी टेबिल… “आपने बताया नहीं, कहाँ से आये हैं आप ?” राव सर ने अपना फोन रखते हुए कहा “सर,एक वेकेंसी है आपके यहाँ.. पर्सनल असिस्टेंट की..मैं.. आपका असिस्टेंट बनना चाहता हूँ” “व्हाट नॉनसेंस.. ये क्या तरीका हुआ,कल से इंटरव्यूज हैं आप तरीके से आइये, आप ऐसे कैसे ? ..मुझे लगा आप किसी कंपनी से आये हैं” राव सर ने गुस्से में कहा “सर प्लीज़ अब जब ऐसे अंदर आने का मौका आपने दे ही दिया है तो बस दो मिनट दे दीजिए,मै खुद चला जाऊंगा” “ठीक है बोलिये “उन्होंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा “कल बहुत केंडिडेट आएंगे मेरा नम्बर आते आते या तो आप पहले ही एक राय बना लेंगे,या फिर बोझिल हो जाएंगे तब तक,और मुझे बोलने का मौका नहीं मिलेगा,में हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुऐट हूँ ,दो साल का इंग्लिश मीडियम स्कूल में इंटरमीडिएट तक बच्चों को पढ़ाने का अनुभव है,मतलब मुझे इंग्लिश आती है लोगों के बीच काम कर सकता हूँ, मैं घड़ी के मुताविक काम नहीं करूंगा बल्कि बिना टाइम देखे काम करूंगा,जो सैलरी मिलेगी वो बड़ी खुशी से स्वीकार करूंगा, अनुभव जरूरी है लेकिन जहाँ काम की काबलियत, जुनून ईमानदारी के साथ हो तो अनुभव से भी बढकर होता है में जल्दी सीखता हूँ तो ट्रेनिंग की भी जरूरत नही है ,मुझे ये जॉब चाहिए ही चाहिए सर” “हम्म..हो गया…समय पूरा हो गया..और आपकी बात भी,अब आप जा सकते हैं” उन्होंने बड़े शांत भाव से कहा,ये सुनकर अंकित निराश हो गया,और सिर झुकाए बाहर जाने लगा जैसे ही गेट पर पहुंचा कि राव सर ने आवाज लगा दी “रुकिए,अगर मेरा ख्याल भी रखना पड़े तो ,रख पाएंगे ? राव सर ने मुस्कुराते हुए कहा तो अंकित के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी,उन्होंने कहना जारी रखा, “पांच दिन ट्रायल पर रखूंगा तुम्हे,और अगर तुम खरे नहीं उतर पाए तो, ऐसे ही मुस्कुराते हुए बापस जाओगे , क्या ये वादा कर सकते हो?” “बिल्कुल सर्, लेकिन मुझे यकीन है..ऐसी नौबत नहीं आयेंगी” “वेलकम इन राव इंडस्ट्रीज मिस्टर अंकित..” “थैंक यू वेरी मच सर ,मुझपर भरोसा करने के लिए भी बहुत धन्यबाद” उसने बहुत खुश होकर हाथ मिलाया ” आपकी सैलेरी पांच दिन बाद तय करुंगा, कल 9 बजे आप, यहीं मिलेंगे मुझे…बाकी फॉर्मेलिटीज राखी बताएंगी आपको, उससे मिलते हुए जाना..गुड़ लक” “बाहर आकर राखी से बात की अंकित ने, और लगभग दौड़ते हुए मेंन गेट से बाहर आ गया…. फिर दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा उसे यकीन नहीं हो रहा था,कि उसे अभी अभी जॉब मिली है,मन ही मन अपनी माँ को याद करते हुए ,उसने सोचा कि मिठाई लेनी चाहिए दुकान पर जाकर खुद में बुदबुदाया’क्या लूं, ना जाने अनामिका को क्या पसंद हो’ “लड्डू” अनामिका की आवाज सुनाई दी हो जैसे पीछे मुड़कर देखा कोई नहीं दिखा, उसने सोचा मन कि आवाज है सो दो जगह लड्डू ही पैक करा लिए ,एक सरोज आंटी के लिए और दूसरा अनामिका के लिए ,एक बार को दिमाग मे आया कि पैसे नहीं बचेंगे,लेकिन मिठाई लेनी ही थी सो लेकर दौड़ गया अनामिका के घर हर बार की तरह गेट खुद खुल गया,और खुशी से आवाज दी “अनामिका.. जी “ “हे..लगता है गुड़ न्यूज़ है” उसने चहकते हुए कहा,वो आज भी सफेद ड्रेस पहने थी.. “हम्म,अनामिका जी,समझ नहीं आता कैसे आपका शुक्रिया अदा करूँ, मुझे जॉब मिल गयी है,सब सपने जैसा लग रहा है,ये देखिए आपके लिए मिठाई लाया था” “आप डिसर्विंग हैं अंकित जी,मुझे तो पहले ही पता था,

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -2

Summery “हम्म” उसने कप में चीनी मिलाते हुए कहा,अंकित की नजर उसकी उंगलियों पर जा पड़ी,कितनी पतली और खूबसूरत हैं.. तभी अंदर से उसे कुछ लोगों के बातचीत करने की आवाज सुनाई दी…शायद दो या तीन लोग आपस मे बात कर रहे हो जैसे,उसे लगा कोई बाहर आने को है शायद, Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt                                                            2.  खूबसूरत झूमर ठीक सिर के ऊपर जगमगा रहा था,डिज़ाइन ऐसी कि जैसे पानी की बूंदे ठीक उसके ऊपर गिरने वाली हों,सफेद कलर से पेंट किया हुआ पूरा बंगला दूधिया रोशनी से नहाया हो जैसे… “क्या लेना पसंद करेंगे, चाय या कॉफी ?” अनामिका ने अगर ना टोका होता तो शायद उसी रोशनी में अभी और खोया रहता. “चाय”…उसने जवाब दिया और वो मुस्कुराते हुए, सामने बनी एक लंबी गैलरी में चली गयी, खूबसूरत झूमर के नीचे पड़े ,सेविन सीटर सोफे से उसने यूँ ही अंदाज लगाया कि बड़ा परिवार हो शायद ,सोफे के पीछे एक घुमावदार चौड़ी सी सीढिया ऊपर की ओर जाते हुए थीं..ऊपर कुछ बन्द गेट दिखे ..बेड रूम होंगे शायद ,और सीढ़ियों के पीछे एक लंबी सी गैलरी जहां अनामिका गयी है अभी ..तो किचन है वहाँ.. मन ही मन यूँ घर का निरीक्षण करने पर उसने हल्की सी डांट लगा दी खुद को.. “शुगर कितनी लेंगे आप “? अनामिका ने चाय की ट्रे गोल कांच की टेबल पर रखते हुए पूछा “दो चम्मच” उसे आश्चर्य हुआ कि अनामिका के आने का तनिक भान तक ना हुआ “दो च… म्मच मतलब टू स्पूनस ..आर यू श्योर? उसने अपनी आंखें बड़ी करते हुए पूछा “मुझे मीठा बहुत पसंद है” उसे फौरन लगा कि कम बताना चाहिए था “हम्म” उसने कप में चीनी मिलाते हुए कहा,अंकित की नजर उसकी उंगलियों पर जा पड़ी,कितनी पतली और खूबसूरत हैं.. तभी अंदर से उसे कुछ लोगों के बातचीत करने की आवाज सुनाई दी…शायद दो या तीन लोग आपस मे बात कर रहे हो जैसे,उसे लगा कोई बाहर आने को है शायद, अनामिका के पेरेंट्स हों शायद या कोई भी परिवारीजन ,वो खुद को संभाल के बैठ गया और गेट की तरफ ताकने लगा “क्या हुआ” अनामिका ने पूछा “शायद आपके पेरेंट्स या कोई फैमिली मेंबर अ ..वो मुझे लगा” उसने लॉबी की तरफ बने एक गेट की तरफ इशारा करते हुए कहा “पेरेंट्स…हा हा हा..वो .तो कजिन की शादी में गये हुए हैं ..घर मे तो कोई नहीं सिवाय मेरे” उसने हँसते हुए कहा “ओह ,लेकिन मुझे कुछ आवाज सी सुनाई दी अभी” अंकित ने अचरज से कहा क्यूँकि उसने साफ आवाज सुनी थी “आप को ऐसे ही लगा होगा, तो …कल से क्लास स्टार्ट करें” “जी बिल्कुल..वैसे क्या सबसे ज्यादा मुश्किल लगता है आपको हिस्ट्री में”?अंकित ने कप उठाते हुए पूछा,उसने मन ही मन कहा ,शायद वो आवाजें सुनना मन का वहम ही हो “जी ..रिलेटिड डेट्स ..कभी लगता है सारी डेट्स याद हो गयी हैं तो कभी ये आपस मे ऐसी मिक्स होती हैं कि मेरा सारा कॉन्फिडेंस ही लूज़ हो जाता है” “कमाल है,मैंने तो सुना लड़किया डेट्स याद रखने में बहुत एक्सपर्ट होती हैं,यहां तक कि किसी ने कब और कौन सी बात कही सब याद रहता है उन्हें” अंकित ने मुस्कुरा कर कहा, तो अनामिका बोली “ये सब बेकार की बातें हैं, किसने कहा आपसे?याद रहती हैं तो रहती हैं,और नही, तो नहीं ..इसमे भला लड़के या लड़की होने का क्या कनेक्शन?” “हम्म..बात तो ठीक है, बिल्कुल सही कहा आपने ,तो ..और क्या प्रॉब्लम होती है हिस्ट्री में” “राजा या बादशाह तो मुझे याद रहते हैं, लेकिन उनके डायनेस्ट्री से जुड़े छोटे लोग,दूसरी डायनेस्ट्री में मिक्स कर देती हूं मैं अक्सर” बड़े नाटकीय भरे अंदाज में उसने कहा तो अंकित को हँसी आ गई “और आसान क्या लगता है”? “बाकी की पूरी हिस्ट्री मुझे याद रहती है” “ठीक है,पहले हम डायनेस्ट्री पर ही काम करेंगे,ताकि आप बिना वीजा किसी को भी,किसी और की डायनेस्ट्री में ना भेजें” उसके इस तरह कहने पर अनामिका जोर से हंस दी,तेज़ रोशनी में उसकी हँसी और उसके मोतियों से दांत ,अंकित को बहुत खूबसूरत दिखे “ठीक ,तो कल से आपकी क्लास स्टार्ट, इसी वक्त, क्या.. यहीं? अंकित ने अटकते हुए पूछा “यहाँ कोई प्रॉब्लम है आपको”अनामिका बोली   “नहीं ..नहीं.. वो आप अकेली है तो शायद आपको या आपके पेरेंट्स को ऑकवर्ड आई मीन अ ..अ” “आप ज्यादा सोचते हैं..बेफिक्र रहिये किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं… आप को तो कोई प्रॉब्लम नहीं ना? आप भरोसे के लायक हैं ना”? उसने तनिक शरारत भरे अंदाज़ में मुस्कुराते हुए पूछा “बिल्कुल.. कैसी बात कर दी आपने,में यकीनन बहुत शरीफ हूँ “ अंकित मन ही मन ये सोचकर डर गया कि, उसे कहीं अनामिका ने खुद को देखते हुए जान तो नहीं लिया… “आपने फीस नहीं बताई” “प्लीज़ मुझे शर्मिंदा ना करें,जिस तरह से आपने मुझे सही वक़्त पर बचाया इसका एहसान तो जिंदगी भर ना चुका पाऊँगा, आपकी हरसंभव मदद करके, मुझे खुशी ही होगी” “फिर भी” “बाद में देखते हैं” अंकित ने बात लम्बी ना खींचने की वजह से ये बोल दिया,और लगभग दौड़ते हुए घर की ओर भागा जितने समय वो अनामिका के साथ रहा,उसे अपनी परेशानी याद भी न रही,कहीं आंटी,अंकल जी को ना मना पाई तो उसे कहीं रहने का इंतज़ाम करना होगा,और जेब मे वही अनामिका के दिये हुए हज़ार रुपये और कुछ चिल्लड़ ही पड़े हैं ,हे ईश्वर अंकल जी मान गए हों,अब वो खुद को संयत महसूस कर रहा है,कुछ काम करेगा ..कुछ भी..लेकिन अब खाली बैठ केवल दुख नहीं मनाएगा, ना जाने क्यों आज सा उत्साह खुद में उसने, मां की मौत के बाद पहली बार महसूस किया है…दौडता हुआ अंकित घर के बाहर पहुंच कर रुक गया…कोई सामान बाहर न दिखा उसे,जल्दी से डोर बेल बजाई तो घनश्याम जी ने दरवाजा खोला,चश्मा नाक पर टिकाये वो उसे बड़े गुस्से में दिख रहे थे “अंकल जी वो… मेरा सामान,अ ..आंटी जी कहाँ हैं”?अंकित ने डरते डरते पूछा “और कहाँ होंगी,खाना बना रहीं हैं अपने लाडले के लिए” वो खीजते हुए बोले और अंदर चले गए लेकिन जाते हुए जो बड़बड़ाए अंकित ने सुन लिया ‘ना

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क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट-1

पार्ट – 1 by Sonal Johari Summery आवाज उसके कानों में पड़ी तो नजर उधर ही घूम गयी ..जरा सी दूरी पर एक लड़की फ़ोन पर बात कर रही थी ..हिस्ट्री का नाम सुना तो उसके ठीक सामने चला गया..थोड़ी सी हील वाली सेंडिल और नीलेंथ स्कर्ट के साथ वाइट टॉप ..कमर से थोड़े ऊपर तक खुले बाल और मोबाइल हाथ मे लिए वो किसी से मनुहार कर रही थी…यूँ खुद की ओर एक लड़के को घूरते देखा तो Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt “दरवाजा खोल.. अंकित “ “मैं कहता हूँ ..खोल दरवाजा” बहुत देर से दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे घनश्याम लेकिन अंकित दरवाजा नहीं खोल रहा था। घनश्याम मकानमालिक थे और अंकित उनके यहां किरायेदार है और 6 महीने से किराया नही दे पाया था इसीलिए आज घनश्याम बहुत नाराज थे और उनकी ये नाराजगी समझ कर ही अंकित डर की वजह से गेट नहीं खोल रहा था. “ठीक है मत खोल ..मैं भी देखता हूँ कब तक गेट नही खोलता तू यही बैठा रहूँगा दरवाजे के बाहर ” घनश्याम बरामदे में पड़े एक स्टूल पर बैठ गए. “अरे ..कभी मेरी भी तो सुना करो ..इतनी गुस्सा अच्छी नहीं.. हालात तो समझो उसकी..अच्छा मैँ ही ऊपर आती हूँ” घनश्याम की पत्नी अंकित से खास स्नेह रखती थीं खुद का कोई बच्चा ना होने के कारण उसे खुद के बेटे जैसा मानती थीं “खबरदार, जो ऊपर आयीं ..अभी -अभी तो तुम्हारा पैर ठीक ही हुआ है..वही नीचे रहो..तुम्हारी शह से ही, इसके कान पर जूं नहीं रेंगती मेरे कुछ भी कहने की” घनश्याम ने डांटते हुए रोक दिया सरोज को,शरीर से गोल मटोल सरोज ने अपना पैर सीढ़ी पर रखा ही था कि पीछे हटा लिया, हाल ही में पैर में फ्रेक्चर होने की वजह से उन्हें दो महीने बेड रेस्ट पर रहना पड़ा और अभी चलना फिरना शुरू ही किया था “ठीक है नहीं आती ,पर तुम तो आओ नीचे” सरोज ने मनुहार करते हुए कहा “तुमने सुना नहीं शायद ..जब तक ये दरवाजा नहीं खोलेगा ..मुझे मेरे किराये के पैसे नहीं देगा ..नहीं आऊंगा” खीजते हुए घनश्याम को देख सरोज फुसफुसा कर बोलीं “शर्म नहीं आती तुम्हें,एक तो उसकी माँ नहीं रहीं और ऊपर से नौकरी चली गयी..और तुम हो…कि पैसे चाहिए” “पता है भागवान …लेकिन उनको गए पाँच महीने बीत गए हैं..तुम्हे तो कोई भी पागल बना दे..जरा प्यार से ये लड़का बात क्या कर लेता है तुमसे, तुम तो बेकार में ही भावुक हुई जाती हो ..ये नहीं समझ आता कि ये बेबकूफ़ समझता है तुम्हें” झुंझलाए से घनश्याम गले मे पड़े गमछे से पसीना पोछते हुए बोले… “हे राम बड़ी गर्मी है यहाँ”.. आज की रात और रह ले..कल तुझे बाहर न निकाला तो कहना” बोलते हुए घनश्याम जीने से नीचे उतर आए.पचपन छप्पन साल उम्र रही होगी .घनश्याम की..एक छोटी सी कपड़े की दुकान थी उनकी और स्वभाव से चिड़चिड़े और गुस्सैल थे वही उनकी पत्नी सरोज गेंहुए रंग की गोल मटोल सी शांत और भावुक महिला थीं.. अगले ही दिन घनश्याम एक तगड़े से आदमी को साथ ले आये जिसे देखकर सरोज ने प्रश्नवाचक निगाहों से घनश्याम की ओर देखा लेकिन घनश्याम ने अनदेखा कर दिया…और सीधे सीढ़ियों से ऊपर चले गए . “देख ये रहा कमरा… तोड़ इसे और जो भी सामान है निकाल कर फेंक दे” उसी तगड़े से आदमी को आर्डर सुना वो वहीं स्टूल पर बैठ गए…सरोज भी सीढिया चढ़ आ गयीं थीं.. “सुनो जी..ये ठीक नहीं ..वो अभी है भी नहीं और किसी के घर को उसकी अनुपस्थिति में खोलना.नहीँ ठीक नहीं” सरोज हर सम्भव कोशिश कर रही थीं लेकिन घनश्याम अपनी जिद पर थे “किसी का घर नहीं है ये सिवाय मेरे ..समझीं तुम..और तुम आयीं क्यों ऊपर ?..पूरे पांच हज़ार रुपये खर्च हुए हैं तुम्हारे पैर पर अब तक , लेकिन तुम्हे कोई फर्क नहीं” इतने में ही दरवाजा टूट गया..और अंकित का सामान फेंका जाने लगा अंकित ने सड़क से आते हुए जब ये देखा तो दौड़ता हुआ आया लेकिन सब नज़ारा देख ठिठक कर रह गया…कुछ नही बोला सामान के नाम पर कुछ खास था भी नहीं.. कुछ बर्तन ,एक छोटा सा सिलेण्डर,कुछ डिब्बे ..अंकित अपने कमरे में गया और बचे हुए कपड़े समेट एक चादर में बाँध कर पोटली बना ली और सरोज के पैर छूने झुका तो बिना बोले ही उन्होंने अपनी विवशता जताई..लाल बड़ी सी बिंदी के थोड़ा नीचे दोनों तरफ छोटी सी दो आंखों में उसने अपने लिए ममता देखी “आप ने हमेशा मेरी माँ ना होते हुए भी मेरी माँ का फ़र्ज़ निभाया..लेकिन मैं आपके लिए कुछ ना कर सका..आपसे मिलने आता रहूँगा और फ़ोन भी करूँगा” और ये बोल अंकित तेज़ कदमों से बाहर निकल गया ,सरोज ने घनश्याम की तरफ देख कर कहा “आज के बाद मुझसे बात मत करना ..हमेशा पैसा पैसा करते रहते हो ..हुम्” और नीचे उतर गयीं.. . ….घर के पास ही सारा सामान सड़क के किनारे रख अंकित ये सोच अफसोस में था कि अगर थोड़ी मनुहार कर ली होती तो घर के अंदर होता इस वक़्त ,ज्यादा पढ़ा लिखा इंसान कोई छोटा काम भी नहीं कर सकता और उसे झुकना भी नहीं आता.. क्या जरूरत थी इतना पढ़ने की पोस्ट ग्रेजुएट हिस्ट्री में…अपने समय का कॉलेज टॉपर और हालात ये कि दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं..यू तो एक प्राइवेट इंटर कॉलेज में जॉब चल रही थी उसकी.कि माँ का देहांत हो गया…घर गया तो पूरे महीने गम और अवसाद से बाहर ही ना आ पाया..और जब बापस हिमाचल आया तो, बिना सूचना इतनी लंबी छुट्टी के कारण उसे जॉब से बाहर निकाल दिया गया.और अब यहाँ बोर्ड के एग्जाम के बाद कॉलेज बन्द हैं… “प्लीज बात कीजिये ना..आप..मुझे लाना है.. गोल्ड मेडल हिस्ट्री में “ ये आवाज उसके कानों में पड़ी तो नजर उधर ही घूम गयी ..जरा सी दूरी पर एक लड़की फ़ोन पर बात कर रही थी ..हिस्ट्री का नाम सुना तो उसके ठीक सामने चला गया..थोड़ी सी हील वाली सेंडिल और नीलेंथ स्कर्ट के साथ वाइट टॉप ..कमर से थोड़े ऊपर तक खुले बाल और मोबाइल हाथ मे लिए वो किसी से मनुहार कर रही थी…यूँ खुद की ओर एक लड़के

कौन थे शिरडी के साई बाबा? Shirdi Sai Baba
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कौन थे शिरडी के साई बाबा? Shirdi Sai Baba

श्री साई सच्चरित्र  के अनुसार साई बाबा भगवान दत्तात्रेय अवतार हैं! दत्तात्रेय भगवान सयुक्त रूप से भगवान ब्रम्हा, विष्णु और शिव हैं! साई बाबा ( सी. 1838-15 अक्टूबर 1918 ) जिन्हें शिरडी साई बाबा के नाम से जाना जाता है! उनके भक्त/ अनुयायी उन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं! तो कुछ उन्हें संत कह कर सबोधित करते हैं! उन्होंने सब धर्मों को समान माना!शिरडी की टूटी- फूटी मस्जिद को द्वारकामाई का नाम दिया! और उसे ही निवास स्थान बनाया! वो जितने प्रेम से वो गीता और महाभारत के संस्कृत श्लोक सुनाते थे उतने ही प्रेम से कुरान की आयते पढ़ा  करते थे!  श्री साई सच्चरित्र और उनके बारे में लिखी सभी पवित्र किताबों, धारावाहिक और पिक्चरों के मुताबिक, अगर कोई शिव भक्त सच्ची निष्ठा से उनके दर्शन के लिए शिरडी पहुँच तो उसे साई बाबा में शिव के रूप में दिखे! तो किसी को राम के रूप में, किसी को ब्रम्हा तो किसी को कृष्ण के रूप , जिसने उन्हें भगवान के जिस रूप में देखना चाहा, बाबा उसे उसी रूप में दिखे! कितने ही भक्तों ने अपने अनुभव साझा किए जिसमें उन्होंने साई बाबा में अपने इष्ट देव के दर्शन किये! वो अपने कंधे पर कपड़े की एक झोली टांग कर रखते थे और हाथ में एक चिमटा और एक कटोरा रखते थे! हर दिन 5 घर भिक्षा मांगते थे और जो भी मिलता था उसमें से एक तिहाई सबसे पहले उपेक्षित पशु और पक्षियों को खिलाते थे जैसे -कौवा, कुत्ता आदि और उसके बाद में बचा हुआ भोजन वो खुद ग्रहण करते थे! उन्होंने द्वारकामाई में एक धूनी जलायी थी, जो आज तक प्रज्ज्वलित है! इसी धूनी की रख्या/ राख को वो अपने पीड़ित भक्तों को देते थे! जिससे असाध्य रोग और पीड़ा आश्चर्यजनक रूप से सही हो जाते थे! आज भी शिरडी में दर्शन के लिए पहुंचे भक्तों को उस धूनी की राख्या प्रसाद स्वरूप मिलती है! उनके भक्तों का विश्वास है कि पूर्ण श्रद्धा से इस पुण्य राख्या का प्रसाद ग्रहण करते ही किसी भी समस्या में तुरंत आराम मिल जाता है! साई बाबा को बागवानी का भी बड़ा शौक था! वो हर दिन पेड़ पौधों को सींचा करते थे! उन्होंने एक बागीचा भी बनाया था! ऐसा माना जाता है कि बाबा ने लेंडी बाग नामक एक बगीचे की देखभाल की थी, जिसका नाम लेंडी नामक एक नदी के नाम पर रखा गया था जो पास में बहती थी। साई बाबा का असली नाम/ Real name of Sai Baba साई बाबा का असली नाम तो आज भी अज्ञात ही है! कोई भी नहीं जानता! लेकिन, सन 1858 में, जब वो एक बारात के साथ शिरडी पहुंचे तो बारात का स्वागत खंडोवा मंदिर के पुजारी म्हालसापती ने किया, उनके मुंह से अनायास उन्हें देखकर ‘साई बाबा’ शब्द निकल गया! उसके बाद से उन्हें साई बाबा के नाम से ही जाना गया! “साई बाबा” का शाब्दिक अर्थ ‘पवित्र पिता’/ संत पिता’ होता है! -हालांकि कुछ सोर्स ये दावा करते हैं कि साई बाबा का असली नाम हरिबाबू भुसारी था -उनके पिता का नाम गंगाभाऊ या गोविंद भाऊ और माता का नाम देवकी अम्मा या देवगिरि अम्मा था -साईं बाबा के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के शिरडी में उनका एक विशाल समाधी मंदिर है. साई बाबा का जन्म और स्थान! ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि साई बाबा का जन्म महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गाँव में हुआ था! उनका जन्म एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था! बाद में एक सूफी फकीर ने उन्हे गोद ले लिया था!  यहाँ पर साई बाबा का एक मंदिर भी है! जिसमें उनके उपयोग किए कुछ बर्तन और सामान आदि भी रखे हुए हैं!  साई बाबा के जन्म और स्थान का सबसे प्रामाणिक आधार सत्य साई बाबा के द्वारा दिए गए बयान को माना गया है – सत्य साई बाबा को शिरडी साई बाबा का अवतार माना गया है! उनके अनुसार -साई बाबा का जन्म 27 सितंबर, वर्ष 1830 स्थान पाथरी गाँव में ही हुआ था!  ऐसे ही उनके जन्म की अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन साई बाबा संस्थान ट्रस्ट इसका विरोध करता है!  ट्रस्ट के अनुसार, साई बाबा के जीवन पर सबसे अधिक प्रामाणिक पुस्तक ‘श्री साई सच्चरित्र’ है! जो  गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखित है और इस पुस्तक में साई बाबा के जन्म और जन्मस्थान के बारे में कुछ नहीं लिखा ! इसलिए साई बाबा संस्थान ट्रस्ट पाथरी को साई बाबा का जन्मस्थान मानने से इनकार करता है! पूरे इतिहास में किए गए कई दावों के बावजूद, शिरडी साईं बाबा का जन्मस्थान और जन्मतिथि अज्ञात है। मूल श्री साईं सत चरित्र के चौथे अध्याय के ओवी संख्या 113  के अनुसार,  “कोई भी साईं बाबा के माता-पिता, जन्म या जन्म स्थान को नहीं जानता था।” इन वस्तुओं के संबंध में बाबा से कई बार पूछताछ और प्रश्न करने के बावजूद अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर या जानकारी नहीं मिल पाई है। कुछ भक्तों द्वारा जब साईं बाबा से उनके माता-पिता और मूल के बारे में पूछा गया तो बाबा ने यह कहते हुए निश्चित उत्तर देने में अनिच्छा व्यक्त कर दी कि जानकारी महत्वहीन है।  साई बाबा पर सबसे प्रमाणित पुस्तक! साई बाबा के जीवन पर सबसे अधिक प्रामाणिक पुस्तक ‘श्री साई सच्चरित्र’ है! जो  गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखित है! साई बाबा पर लेटेस्ट सीरियल! वैसे तो साई बाबा पर अनेक पिक्चर और धारावाहिक बन चुके हैं, लेकिन सबसे लेटेस्ट धारावाहिक मेरे साई है जिसे sony tv पर प्रसारित किया गया (सितंबर 2017 – जुलाई 2023) साई बाबा शिरडी में कब देखा गया ? कुछ कहानियों के अनुसार, वे 1854 में पहली बार शिरडी आए थे, तब वे सोलह वर्ष के थे! लेकिन फिर वे 3 वर्षों के लिए गायब हो गए, इन तीन वर्षों में वे कहाँ थे या उन्होंने क्या किया इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है!  कुछ कहानियों के अनुसार वो इस दौरान कई संत महात्माओं के साथ रहे उन्होंने बुनकर का कार्य भी किया! शिरडी में बापसी! साई बाबा 1858 में वापस लौटे। और फिर समाधि तक शिरडी में ही रहे! उन्होंने नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाना शुरू किया, ऐसा माना जाता है कि उस नीम की पत्तियों का स्वाद आज

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सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 18

18. “चलो मेरे साथ” गिरिराज ने आकाश का हाथ पकड़ा और उसे बाहर की ओर ले जाने लगे “अरर ” आकाश की प्रतिक्रिया को गिरिराज बिल्कुल अनसुना करके उसे खींचते हुए बाहर ले गये और लगभग धक्का सा मारते हुए उसे अपनी ओपन जीप में बैठा दिया और खुद स्टीयरिंग संभाल ली। “तुम्हें पता है ना, नागेन्द्र की लाश को कौन से कब्रिस्तान मे दफनाया है उर्मिला ने …. तो चलो रास्ता बताओ” गिरिराज की ये अकारण नाराज़गी आकाश के समझ से परे थी,  फिर भी वो चुपचाप बैठकर रास्ता बताने लगा “आगे से लेफ्ट लीजिये…..और चलते रहिये “अब इस गोल चक्कर से अन्दर की ओर “हाँ बस सीधे  “अब राइट लिजिये …यहाँ से बस्स 10 मिनट और “ बस्स यहीं रोक दीजिये…” कहने के साथ ही आकाश जीप से कूद कर से उतर गया, और भागकर एक कब्र के पास पहुँच गया, “ये …यहां दफनाया है नागेन्द्र की लाश को….रुकिये  (आकाश ने इधर-उधर देखा और एक फावड़ा उठाया, और वो उसे कब्र पर मारता उससे पहले ही, आगे बढ़कर गिरिराज ने उसे रोक दिया) “इसकी जरुरत नहीं, जो देखना था  मुझे, देख लिया….जिस आत्मविश्वास से तुम कह रहे हो…कोई शक की गुंजाइश ही नहीं कि नागेन्द्र की लाश इसी कब्र में है…” “तो अब?” “चलो, सबसे पहले मुझे उर्मिला के पास ले चलो …पहले ही बहुत देर कर दी है मैनें …अपने ही हाथों अपने प्रेम और खुशियों का गला घोंट दिया है मैनें …माफी का हकदार भी नहीं हूँ मैं” गिरिराज दुखी होकर बोले “वो माफ कर देंगी आपको, चिंता मत कीजिये.. “आकाश मुस्करा कर बोला। *** “बुआ जी…जल्दी बाहर आइये” आकाश ने घर में घुसते ही आवाज लगा दी “आकाश..आ गये…तुम तो मिलने गये थे लेकिन जैसे बश ही गये राघव के पास” उर्मिला सीढिय़ां उतरते हुए बोली और आकाश के गले लग गयीं, गले लगते ही उनकी नजर गिरिराज पर चली गयी जो आकाश के पीछे खड़े थे…उर्मिला हैरान सी आकाश से छिटककर थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गयीं “क्या हुआ..अच्छा…(गिरिराज की ओर इशारा करके) इन्हें देखकर हैरान हैं आप?.ये गिरि अंकल हैं, आपसे कुछ बात करने आये हैं” “मुझसे क्या बात करनी…मैं इन्हें जानती भी नहीं…मैं क्या बात करूँगी” उर्मिला घबरा कर बोलीं “घर के बाकी लोग कहाँ हैं” आकाश ने उनकी बात को अनसुना कर के पूँछा “रोहित किसी लड्की से मिलाने ले गया है सब को” “समझ गया…किससे मिलाने ले गया है..ठीक है, आइये गिरि अंकल आपको बुआ का कमरा दिखाऊं” बोलता हुआ आकाश ऊपर जाने वाली सीढियां चढ़ गया। उसके पीछे गिरिराज भी चला गये। “अरे मेरा कमरा क्यों? बोलती हुई उर्मिला भी उनके पीछे-पीछे आ गयी। गिरि यहां आकाश के साथ कैसे?  उनके दिमाग में ये बात घूम रही थी, उनके ऊपर जाते ही आकाश उनके कमरे से बाहर निकला और छत के कोने में जाकर खड़ा हो गया। “कैसी हो उर्मिला?” गिरिराज ने पूँछा “तुम यहां कैसे…आकाश को क्या बताया है तुमने…और तुम जो हमेशा दूर भागते रहे हो मुझसे, आज यहां आकर मेरा हाल पूँछ रहे हो….मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा” “हम्म जानता हूँ बहुत से सवाल हैं तुम्हारे पास, लाजिमी भी है, देखो उर्मी “ अपने लिये सालों बाद गिरिराज से खुद के लिये उर्मी सुनकर उनके दिल की धड़कन बढ़ गयी…गिरिराज इसे भांप भी गये..और आगे बोले “हाँ उर्मी, पहले ही बहुत देर हो चुकी है…पागल था उस वक़्त जो आँखो से देखा सच मान लिया और भाग गया, तुम अकेली हर परिस्थिती से लड़ती रही..फिर भी…जब भी मौका मिला तुम मुझे समझाने की कोशिश भी करती रहीं…लेकिन मैं तुम्हारे छिन जाने का गम ही मनाता रहा…और इस गम में इतना डूबा कि कुछ और देखा ही नहीं…ना सुना …जो काम मुझे करना चाहिये था तुमने किया…तुमने उस जानवर को मारा…जबकि उसे मुझे मारना चाहिये था उस…उस नागेन्द्र को “ “तुम्हें कैसे पता कि नागेन्द्र को मैनें मारा…. ” उर्मिला घबराई सी बोली “मुझे सब पता चल गया है” “लेकिन कैसे?” “बस्स ये समझो कि ईश्वर की मर्जी है हमें मिलाने की…और उसने जरिया बनाया है आकाश को…” “आकाश को?” “हाँ! मैं नहीं जानता कैसे ..उसकी कोई तीसरी आँख खुली है या उसे ईश्वर ने सपने में सब दिखाया  ..वो खुद नहीं जानता! लेकिन ये चमत्कार है कि उसने सब अपनी आँखो से देखा है…..नहीं पता कैसे… लेकिन उसी ने मुझे खोज निकाला और मेरी गलती का एहसास दिलाया और सब सच बताया” “क्या ?” उर्मिला ये सुन कर भौचक थीं। “हम्म…देखो उर्मिला!  मैं माफी तो नहीं मांगता क्योंकि मेरी गलती माफी के लायक ही नहीं …बस्स ये समझो कि लाख नाराजगी सही लेकिन प्रेम तुम्हीं से किया और तुमसे वफादारी भी निभायी..तुम नहीं मिली तो किसी और को भी नहीं अपनाया … मुझे स्वीकार कर लो” “अब ???” वो सवालिया नजरों से गिरिराज को देखते हुए बोली “जानता हूँ तुम्हारी नाराजगी… और तुम्हारे सभी गिले -शिकवे सुनना भी चाहता हूँ …साल दो साल तो नाराजगी सुनने में ही निकल जायेंगे…तुम कहती रहना मैं सुनता रहूँगा…सोचता हूँ क्यों ना गिरीश और राघव से बात करके शादी कर लें?” खुशी से ओत- प्रोत गिरिराज बिना रूके सब बोलते जा रहे थे!  “शा …दी?” “हाँ शादी …देखो ना इस वक़्त भी तुम्हारे दिमाग में यही आ रहा होगा कि कहीं आकाश ना जाये ..कहीं सब लोग लौट ना आये …अगर किसी ने मुझे यहां देख लिया तो क्या होगा… है ना ? तो तुम शिकायत भी कैसे कर पाओगी और कैसे मैं सुन पाऊंगा! तो शादी करके रहते हैं ना” “नहीं गिरि…तुमने सोचा भी कैसे? कि मैं तुमसे शादी करूँगी” उर्मिला से ये सुनते ही गिरिराज का दिल डूब गया “माफ नहीं कर पाओगी ….है ना?” उसने डूबे स्वर में पूँछा “हुम्म…कभी नाराजगी ही नहीं रही तो माफी कैसी?” “क्या…तुम्हें कभी कोई नाराजगी नहीं रही मुझसे?” गिरिराज  ने हैरानी से पूँछा “हाँ ..नहीं रही…. होती तो जब-जब तुम्हे देखा यूँ पीछे-पीछे क्यो दौड़ती? मैं तो बस्स इतना चाहती थी जो गलतफहमी है तुम्हारे मन में वो कैसे भी खत्म कर सकूँ, तुम्हें सच बता सकूँ बस्स” “जो हुआ बहुत बुरा हुआ..सब मेरा कसूर था…जो वक़्त चला गया वो तो बापस नहीं आ सकता …लेकिन हम अपना आज तो जी सकते हैं ना उर्मिला…जिंदगी के ये बचे

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सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट: 8

“तूने उससे ये क्यों कहा कि ‘तुम्हारे बाल मुझे पहले भी ऐसे ही छू रहे थे’…बता ना क्या सोच कर कहा”“पता नहीं…खुद व खुद निकल गया मेरे मुंह से…मुझे खुद नहीं पता कैसे कह गया मैं” आकाश कहीं खोया सा बोला“खुद व खुद…किसे बना रहा है?”“मैं सच कह रहा हूँ यार ..कसम से…” आकाश ने अपने सिर पर हाथ रखकर कहा“मैं नहीं मानता…फ्लर्टी है तू.” नागेन्द्र ने किचिन में जाकर जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा, निस्तेज सी बैठी उर्मिला को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके ऊपर गर्म लोहा पिघला कर डाल दिया है… “अहह..आह.” उर्मिला ने डरकर प्रतिक्रिया दी! “अरे! क्या हुआ ..  तुम ठीक तो हो…” लता ने उर्मिला का कंधा हिलाते हुए थोड़ी तेज़ आवाज में कहा “आह…आह…आप …?” उर्मिला ने नजर घुमाकर देखा, तो लता उनके कंधे पर हाथ रखे हुए थीं, उर्मिला अपने  अतीत के ख्यालों से तुरंत बाहर आ गईं! “हाँ मैं…क्या हुआ …देखो तो चेहरे पर कितना डर है….कुछ डरावना देख लिया क्या ? या कुछ सोच रहीं थीं ?” “कुछ नहीं…कुछ भी नहीं…बस्स यूँ ही…” “कोई बात तो है, बताइए ना ? “ “कुछ नहीं, बस माँ..बाऊ जी की याद आ गयी थी…”उर्मिला को कुछ समझ नहीं आया तो टालने के लिए बोल दिया “ओह्ह…तो ये बात है….अब माता-पिता की कमी तो कोई भी पूरी नहीं कर सकता दीदी…अच्छा ये लो चाय पी लो..” “उर्मिला पलके झपकाती सी सिमट कर बैठ गयी और चाय का कप पकड़ लिया…. “मैं तो चाय ही लेकर आयी थी देखा तो आप आँखें छत पर टिकाए ना जानें कहाँ खोयीं थी..अच्छा मैं क्या कहती हूँ , चाय पीकर जल्दी तैयार हो जाओ” “तैयार..??” “अरे मन अच्छा नहीं ना आपका..चलो मंदिर ही घूम आते हैं…लौटते टाइम कुछ कहा लेंगे!” लता बात पूरी कर मुस्कुरायीं तो उर्मिला भी उनकी बात के समर्थन में मुस्कुरा दीं…और लता जैसे ही उनके कमरे से बाहर निकलीं, उर्मिला फिर लेट गयी।  बहुत थकान महसूस कर रही थीं, ख्यालों के लंबे सफर से जो लौटीं थीं, और संयत होने में वक़्त तो लगता ही है। *** “कहाँ जा रहा है..?” रोहित को बैग में कपड़े रखते देख आकाश ने पूँछा! “जा नहीं रहा..बल्कि जा रहें हैं..चल जल्दी कर” रोहित ने बात बात ठीक की ” क्या यार..हम जिस काम से आये थे वो अभी हुआ नहीं है!” “बस्स…बहुत हुआ, उसे आना होता तो आ चुका होता…तू भी यार किस चक्कर में पड़ा है?…अच्छे इंसान की परख सबको नहीं होती…अगर उस आदमी को बुआ की कद्र होती तो ये नौबत ही नहीं आती. .मेरा तो खून जलता है…सामने आ भी गया तो मार डालूंगा मैं उसे…” “क्या यार..एक ही टोन रहती है तेरी हमेशा ..” “तो और क्या करूँ..तू ही बता, बुआ जैसी लड़कियाँ कहाँ मिलती हैं आजकल ? उसे अक्ल ही होती तो बात ही क्या थी, वो अपनी जिंदगी में कहीं मस्त होगा… लोग चार दिन पुरानी बात तक भूल जाते हैं..तुझे लगता है उसे, बुआ याद भी होंगी?” “तू कुछ भी बोल मैं नहीं जाऊँगा…मेरा दिल कहता है वो आयेगा…” “.ओह्ह हो..अब समझा…तू भला जाएगा भी क्यों…?” “क्या मतलब.?.” “मतलब तुझे तो उस शोरूम वाली को देखना होगा ना..” रोहित शरारत से मुस्कुराते हुए बोला तो आकाश भी मुस्कुरा दिया… “एक बात बताएगा…? “ “हुम्म… “तूने उससे ये क्यों कहा कि ‘तुम्हारे बाल मुझे पहले भी ऐसे ही छू रहे थे’…बता ना क्या सोच कर कहा” “पता नहीं…खुद व खुद निकल गया मेरे मुंह से…मुझे खुद नहीं पता कैसे कह गया मैं” आकाश कहीं खोया सा बोला “खुद व खुद…किसे बना रहा है?” “मैं सच कह रहा हूँ यार ..कसम से…” आकाश ने अपने सिर पर हाथ रखकर कहा “मैं नहीं मानता…फ्लर्टी है तू…..ऐसे तो कभी मैंने भी किसी लड़की से नहीं बोला” रोहित उसकी ओर देखकर फिर मुस्कुराया, तो आकाश भी मुस्कुराया! “मुझे तेरी फिक्र है यार…उस लड़की का पहले ही बॉयफ्रेंड है…मैं नहीं चाहता तुझे बाद में दुख पहुँचे…” रोहित एकदम गंभीर आवाज में बोला “तुम्हे कैसे पता वो उसका बॉयफ्रेंड है, क्लासमेट भी हो तो सकता है, कॉलेज जाते समय छोड़ देता होगा, कितने ही फ्रेंड होते हैं आजकल, कॉलेज के अलग और सोशल मीडिया के अलग…” आकाश हल्के मूड से बोला “हम्म…मतलब तू सीरियस है…सोच ले” “सोच लिया…” आकाश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया “ठीक है फिर बाइक छोड़ कर जा रहा हूँ…काम आएगी तेरे, मैं बस से निकल जाता हूँ” रोहित ने बाइक की चाबी आकाश की ओर उछालते हुए कहा! “जा ही क्यों रहा है ?” “यहाँ इस खण्डहर मे मेरा मन नहीं लगता…ऊपर से दीक्षा ..ना जाने वो बंटी …उफ्फ…अच्छा सुन वो इंसान आये या उसका फोन, तो मुझे कॉल कर देना मैं आ जाऊँगा” “ठीक है” आकाश ने कहा और रोहित उससे हाथ मिलाकर घर से बाहर निकल गया। *** राई कॉलेज के बाहर खड़ी टैक्सी का इंतजार कर रही थी, तभी नीरज ने उसके आगे जाकर बाइक रोक दी…और पूँछा “क्या हुआ..?” “कुछ नहीं …टैक्सी का इंतजार कर रही हूँ” “क्या…तुम्हें नहीं पता कि आज टैक्सी वालों की हड़ताल है..” नीरज आश्चर्य से बोला “क्या?” “हम्म…क्या मैं ड्राप कर दूँ तुम्हें?” थोड़ा धीमी आवाज में पूँछा नीरज ने तो राई नजर नीची करके कुछ सोचने लगी… “ठीक है, टेंशन मत लो राई, मैं एक काम करता हूँ आगे जाकर कोई कैब भेज देता हूँ या कुछ करता हूँ..बस्स कुछ मिनट …”कहते कहते उसने बाइक में किक मारी ही थी कि राई उसकी ओर चलती हुई आयी और पिछली सीट पर बैठ गयी..इससे.नीरज का चेहरा खुशी से खिल गया..गुमान में भरते हुए उसने स्पीड बढ़ाते हुए बाइक सड़क की ओर मोड़ दी। *** जब से आकाश ने आकांक्षा को देखा था, उसकी आँखो के सामने हर वक्त आकांक्षा का ही चेहरा घूमता रहता। अगली सुबह वो बाइक लेकर आकांक्षा के शोरूम के बाहर खड़ा हो गया….और थोड़ी देर बाद ही उसके चेहरे पर खुशी खिल गयी जब उसने सामने आकांक्षा को खड़े पाया “अरे आप ….” आकांक्षा ने आकाश को खुद के शोरूम के बाहर खड़े देखा तो पूंछ लिया “जी…कैसी हैं आप…?” आकाश ने खुश होकर पूँछा “मैं ठीक हूँ …वो ड्रेस पसन्द आ गयी ना उन्हें… जिनके लिए आप लेकर गए थे?” “आ..नहीं…” “क्या नहीं पसन्द आयी ?”

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