वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI ! पार्ट 3
जबकि लता जी अपने पति को देखने का दावा कर रही थीं, लेकिन साहिल को दिखा सिर्फ एक काला बिल्ला ..क्या जाग गई वैदेही ? कमरे को खोला तो उसमें कोई नहीं, सिवाय एक काले बिल्ले के जो अपनी तेज़ चुभती आँखों से उसे घूर रहा था,साहिल थोड़ा सहम कर पीछे हट गया तभी वो काला बिल्ला वहाँ से भाग गया,साहिल वैसे ही गुस्से में प्रेमलता के पास आकर बोला ” कहाँ है पापा ? कमरें में तो कोई नहीं “ प्रेमलता ने सूनी आँखों से साहिल को देखा, और उसका हाथ पकड़ कर फिर कमरे तक ले गयीं,और बोलीं “यहीं थे,यकीन कर… यहीं थे,मारपीट कर रहे थे मेरे साथ,तुझे देख कर भाग गए होंगें”साहिल:-(झुंझलाते हुए)” पता भी है क्या बोले जा रही हो आप” इस पर प्रेमलता ने कुछ नहीं कहा, बस्स वो अपने हाथ सहलाने लगी, साहिल ने कहना जारी रखा” पापा दो दिन बाद आयेंगे,हुआ क्या है आपको,चलिये आप को डॉ को दिखा दूँ” साहिल,प्रेमलता को एक मनोचिकित्सक डॉ के पास ले गया,जिसने जब साहिल की और प्रेमलता की पूरी बात सुनी ,तो बोला “देखिये साहिल, आपकी माता जी किसी आशंका के चलते डरी हुई हैं,और डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं,कुछ दवाएं लिख देता हूँ,सब ठीक हो जाएगा “दवा लेकर जब साहिल और प्रेमलता दोंनो हॉस्पिटल से निकल रहे थे,तो मीनाक्षी दिख गयी,पास आते हुए बोली,”साहिल आप यहाँ (फिर प्रेमलता की ओर देखकर ) ये आपकी माँ हैं”“जी,नींद ना आने की समस्या से परेशान है,इसीलिए डॉ के पास लाया था,आप यहाँ कैसे?” “ऐसे ही पास में ही कुछ काम था” मीनाक्षी ने जवाब दिया “हम्म..(फिर प्रेमलता की ओर देखकर) मम्मी चलिये आपको घर छोड़ देता हूँ फिर शोरूम जाना है” “नहीं …साहिल, नहीं.. मैं अकेले नहीं रहूँगी उस घर में…बिल्कुल नहीं” वो बच्चों बिलखते हुए बोलीं “कैसी बात कर रहीं हैं आप,देखा ना डॉ ने क्या कहा, बस्स चिंता की वजह से आपको ऐसा लग रहा है” “तू कुछ भी बोल मैं अकेली नहीं रहूँगी” “क्या बात है,अगर आपको एतराज़ ना हो तो क्या मैं आपके घर आपकी मम्मी के साथ रुक सकती हूँ” मीनाक्षी ने साहिल की ओर देखते हुए पूछा,साहिल कुछ बोलता इससे पहले प्रेमलता जी बोल उठी “हाँ बेटी,तू चल मेरे साथ” साहिल ने मीनाक्षी की ओर देखा तो उसने हामी में सिर हिला दिया,उन दोनों को कार में बिठा साहिल घर छोड़ते हुए शोरूम चला गया,शाम को लौटकर आया तो दरवाजा मीनाक्षी ने खोला, “तुम अभी घर नहीं गयी अपने? चलो छोड़ आता हूँ” साहिल ने उसे देखते ही आश्चर्य से कहा“आप बेकार परेशान ना हों, मैं आज यहीं रुकूँगी जैसी कि आपकी माँ की भी इच्छा है”“माँ की इच्छा, कैसी हैं वो? और आप यहाँ ..कैसे ..मेरा मतलब आपके घरवाले”? वो अचरज से बोला “आपकी माँ ठीक हैं और सो रही है, चिंता मत कीजिये,मैंने अपने घर बता दिया है,और मेरी माँ को कोई एतराज नहीं है बल्कि वो अपने साथ की औरतों के साथ ज्यादा खुश हैं” वो मुस्कुरा कर बोली उसे मुस्कुराता देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी,वो अंदर गया और चेंज कर के डाइनिंग टेबिल पर बैठ गया, और गोबिंद (रसोइया) को आवाज लगाई”गोविंद खाना लगाओ”उसने देखा कि मीनाक्षी खाना लगाने लगी“गोविंद कहाँ है,..आप ..आप क्यों लगा रही हैं खाना”?“गोविंद की तबियत ठीक नहीं थी,तो घर चला गया” वो प्लेट में खाना लगाते हुए बोली“(आश्चर्य से) अच्छा.. आप रहने दीजिए मैं अपने आप लगा लूँगा” कहते हुए उसने मीनाक्षी के हाथों से प्लेट लेने लगा,वो बोली,”मैं लगा दूँगी ना” “नहीं मैं लगा लूँगा” और इस प्लेट के पकड़ने और पकड़ाने में साहिल की ऊँगलियाँ मीनाक्षी की उंगलियों को छू गयी..और मीनाक्षी ने प्लेट छोड़ दी साथ ही अचानक हुए इस एहसास को साहिल भी नहीं संभाल पाया,और उसने भी प्लेट से हाथ हटा लिया,नतीजा.. प्लेट टेबिल पर गिरी और उसमें रखा खाना भी फैल गया, साहिल ने नजरें चुरा कर मीनाक्षी की ओर देखा,जो अपना निचला होठ दाँतों से दवाएं अतिरिक्त पलकें झपकाती हुई जड़वत बैठी थी, उसे ऐसे देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी और जल्द ही हँसी में तब्दील हो गयी,उसे हँसता देख मीनाक्षी भी हँसने लगी,दोनों की हँसी की आवाज सुन प्रेमलता अपने कमरे से बाहर आई,दोनों को हँसते देख खुश हुई और बापस अंदर चली गयीं..मीनाक्षी ने एक प्लेट उठाई और उसमें खाना लगा कर खाने लगी, साहिल:-“ये क्या आपने अब तक खाना नहीं खाया था मीनाक्षी :-“मुझे अकेले खाना पसंद नहीं, और आँटी जी ने जब खाना खाया उस वक़्त मुझे बिल्कुल भूख नहीं थी ..तो” साहिल:-(अफसोस में आते हुए) “ओह्ह ये तो बड़ी तकलीफ उठानी पड़ गयी आपको मेरी माँ की वजह से” मीनाक्षी :-“बिल्कुल भी नहीं, बल्कि मुझे उनके साथ समय बिताना पसंद आया,आपको पता है वो पूरे समय आपके बारे में ही बात करती रही,(फिर गंभीर होकर) और जब उन्होंने रुकने को बोला ,तो मुझे एक सेकंड को भी नहीं सोचना पड़ा मेरे मन ने फटाफट मंजूरी दे दी” “ये भरोसा ही नहीं इज़्ज़त अफजाई भी है मेरे लिए,थैंक यू मीनाक्षी, मुझ पर इतने भरोसे के लिए ” साहिल ने मुँह में खाने का निवाला रखते हुए कहा “आपने मेरी जान बचाई,मुझे जॉब दी,वो भी बिना मेरी काबलियत जाने भला आपसे ज्यादा भरोसे के लायक कौन हो सकता है मेरे लिए” अपनी बात पूरी कर मीनाक्षी ने पानी का ग्लास उठाया और धीरे से ऐसे घूँट भरा मानों गर्म कॉफ़ी हो,साहिल को लगा जैसे उसके पेट में तितलियाँ सी उड़ रही है, मन किया कि बैठा रहे ,लेकिन अजीब सी इस खुशी की वजह से चेहरे पर रह रह कर मुस्कान सी आये जा रही थी तो फौरन ख्याल आया कि ऐसे उसे देखने से ना जाने मीनाक्षी क्या सोचे इसलिए उठ गया, और मुँह फेरते हुए बोला,”मीनाक्षी,पूरे घर मे तुम्हें जहाँ अच्छा लगे आराम से और बेफिक्री से सो सकती हो,मुझे तो नींद आ रही है तो मैं चला आने कमरे में,गुड नाइट” “मैं आपकी माँ के पास ही सोऊँगी ,गुड नाइट “ साहिल तेज़ कदमों से अपने कमरें में गया,और दरवाजा बंद कर लिया, खुद से बोला ‘कोई अजनबी.. सो भी लड़की भरोसा कर रही है मुझ पर,अगर रात को बाहर निकला तो देखकर कहीं असहज ना हो जाये,(फिर उठकर गेट लॉक कर