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वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI ! पार्ट 3

जबकि लता जी अपने पति को देखने का दावा कर रही थीं, लेकिन साहिल को दिखा सिर्फ एक काला बिल्ला ..क्या जाग गई वैदेही ? कमरे को खोला तो उसमें कोई नहीं, सिवाय एक काले बिल्ले के जो अपनी तेज़ चुभती आँखों से उसे घूर रहा था,साहिल थोड़ा सहम कर पीछे हट गया तभी वो काला बिल्ला वहाँ से भाग गया,साहिल वैसे ही गुस्से में प्रेमलता के पास आकर बोला ” कहाँ है पापा ? कमरें में तो कोई नहीं “ प्रेमलता ने सूनी आँखों से साहिल को देखा, और उसका हाथ पकड़ कर फिर कमरे तक ले गयीं,और बोलीं “यहीं थे,यकीन कर… यहीं थे,मारपीट कर रहे थे मेरे साथ,तुझे देख कर भाग गए होंगें”साहिल:-(झुंझलाते हुए)” पता भी है क्या बोले जा रही हो आप” इस पर प्रेमलता ने कुछ नहीं कहा, बस्स वो अपने हाथ सहलाने लगी, साहिल ने कहना जारी रखा” पापा दो दिन बाद आयेंगे,हुआ क्या है आपको,चलिये आप को डॉ को दिखा दूँ” साहिल,प्रेमलता को एक मनोचिकित्सक डॉ के पास ले गया,जिसने जब साहिल की और प्रेमलता की पूरी बात सुनी ,तो बोला “देखिये साहिल, आपकी माता जी किसी आशंका के चलते डरी हुई हैं,और डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं,कुछ दवाएं लिख देता हूँ,सब ठीक हो जाएगा “दवा लेकर जब साहिल और प्रेमलता दोंनो हॉस्पिटल से निकल रहे थे,तो मीनाक्षी दिख गयी,पास आते हुए बोली,”साहिल आप यहाँ (फिर प्रेमलता की ओर देखकर ) ये आपकी माँ हैं”“जी,नींद ना आने की समस्या से परेशान है,इसीलिए डॉ के पास लाया था,आप यहाँ कैसे?” “ऐसे ही पास में ही कुछ काम था” मीनाक्षी ने जवाब दिया “हम्म..(फिर प्रेमलता की ओर देखकर) मम्मी चलिये आपको घर छोड़ देता हूँ फिर शोरूम जाना है” “नहीं …साहिल, नहीं.. मैं अकेले नहीं रहूँगी उस घर में…बिल्कुल नहीं” वो बच्चों बिलखते हुए बोलीं “कैसी बात कर रहीं हैं आप,देखा ना डॉ ने क्या कहा, बस्स चिंता की वजह से आपको ऐसा लग रहा है” “तू कुछ भी बोल मैं अकेली नहीं रहूँगी” “क्या बात है,अगर आपको एतराज़ ना हो तो क्या मैं आपके घर आपकी मम्मी के साथ रुक सकती हूँ” मीनाक्षी ने साहिल की ओर देखते हुए पूछा,साहिल कुछ बोलता इससे पहले प्रेमलता जी बोल उठी “हाँ बेटी,तू चल मेरे साथ” साहिल ने मीनाक्षी की ओर देखा तो उसने हामी में सिर हिला दिया,उन दोनों को कार में बिठा साहिल घर छोड़ते हुए शोरूम चला गया,शाम को लौटकर आया तो दरवाजा मीनाक्षी ने खोला, “तुम अभी घर नहीं गयी अपने? चलो छोड़ आता हूँ” साहिल ने उसे देखते ही आश्चर्य से कहा“आप बेकार परेशान ना हों, मैं आज यहीं रुकूँगी जैसी कि आपकी माँ की भी इच्छा है”“माँ की इच्छा, कैसी हैं वो? और आप यहाँ ..कैसे ..मेरा मतलब आपके घरवाले”? वो अचरज से बोला “आपकी माँ ठीक हैं और सो रही है, चिंता मत कीजिये,मैंने अपने घर बता दिया है,और मेरी माँ को कोई एतराज नहीं है बल्कि वो अपने साथ की औरतों के साथ ज्यादा खुश हैं” वो मुस्कुरा कर बोली उसे मुस्कुराता देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी,वो अंदर गया और चेंज कर के डाइनिंग टेबिल पर बैठ गया, और गोबिंद (रसोइया) को आवाज लगाई”गोविंद खाना लगाओ”उसने देखा कि मीनाक्षी खाना लगाने लगी“गोविंद कहाँ है,..आप ..आप क्यों लगा रही हैं खाना”?“गोविंद की तबियत ठीक नहीं थी,तो घर चला गया” वो प्लेट में खाना लगाते हुए बोली“(आश्चर्य से) अच्छा.. आप रहने दीजिए मैं अपने आप लगा लूँगा” कहते हुए उसने मीनाक्षी के हाथों से प्लेट लेने लगा,वो बोली,”मैं लगा दूँगी ना” “नहीं मैं लगा लूँगा” और इस प्लेट के पकड़ने और पकड़ाने में साहिल की ऊँगलियाँ मीनाक्षी की उंगलियों को छू गयी..और मीनाक्षी ने प्लेट छोड़ दी साथ ही अचानक हुए इस एहसास को साहिल भी नहीं संभाल पाया,और उसने भी प्लेट से हाथ हटा लिया,नतीजा.. प्लेट टेबिल पर गिरी और उसमें रखा खाना भी फैल गया, साहिल ने नजरें चुरा कर मीनाक्षी की ओर देखा,जो अपना निचला होठ दाँतों से दवाएं अतिरिक्त पलकें झपकाती हुई जड़वत बैठी थी, उसे ऐसे देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी और जल्द ही हँसी में तब्दील हो गयी,उसे हँसता देख मीनाक्षी भी हँसने लगी,दोनों की हँसी की आवाज सुन प्रेमलता अपने कमरे से बाहर आई,दोनों को हँसते देख खुश हुई और बापस अंदर चली गयीं..मीनाक्षी ने एक प्लेट उठाई और उसमें खाना लगा कर खाने लगी, साहिल:-“ये क्या आपने अब तक खाना नहीं खाया था मीनाक्षी :-“मुझे अकेले खाना पसंद नहीं, और आँटी जी ने जब खाना खाया उस वक़्त मुझे बिल्कुल भूख नहीं थी ..तो” साहिल:-(अफसोस में आते हुए) “ओह्ह ये तो बड़ी तकलीफ उठानी पड़ गयी आपको मेरी माँ की वजह से” मीनाक्षी :-“बिल्कुल भी नहीं, बल्कि मुझे उनके साथ समय बिताना पसंद आया,आपको पता है वो पूरे समय आपके बारे में ही बात करती रही,(फिर गंभीर होकर) और जब उन्होंने रुकने को बोला ,तो मुझे एक सेकंड को भी नहीं सोचना पड़ा मेरे मन ने फटाफट मंजूरी दे दी” “ये भरोसा ही नहीं इज़्ज़त अफजाई भी है मेरे लिए,थैंक यू मीनाक्षी, मुझ पर इतने भरोसे के लिए ” साहिल ने मुँह में खाने का निवाला रखते हुए कहा “आपने मेरी जान बचाई,मुझे जॉब दी,वो भी बिना मेरी काबलियत जाने भला आपसे ज्यादा भरोसे के लायक कौन हो सकता है मेरे लिए” अपनी बात पूरी कर मीनाक्षी ने पानी का ग्लास उठाया और धीरे से ऐसे घूँट भरा मानों गर्म कॉफ़ी हो,साहिल को लगा जैसे उसके पेट में तितलियाँ सी उड़ रही है, मन किया कि बैठा रहे ,लेकिन अजीब सी इस खुशी की वजह से चेहरे पर रह रह कर मुस्कान सी आये जा रही थी तो फौरन ख्याल आया कि ऐसे उसे देखने से ना जाने मीनाक्षी क्या सोचे इसलिए उठ गया, और मुँह फेरते हुए बोला,”मीनाक्षी,पूरे घर मे तुम्हें जहाँ अच्छा लगे आराम से और बेफिक्री से सो सकती हो,मुझे तो नींद आ रही है तो मैं चला आने कमरे में,गुड नाइट” “मैं आपकी माँ के पास ही सोऊँगी ,गुड नाइट “ साहिल तेज़ कदमों से अपने कमरें में गया,और दरवाजा बंद कर लिया, खुद से बोला ‘कोई अजनबी.. सो भी लड़की भरोसा कर रही है मुझ पर,अगर रात को बाहर निकला तो देखकर कहीं असहज ना हो जाये,(फिर उठकर गेट लॉक कर

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वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI ! पार्ट 2

साहिल को लगा कि भला इन्हें कैसे पता कि कल लड़की का एक्सीडेंट हो गया है,अभी वो सोच ही रहा था कि वो बोल उठे,”अखिल के पिता मेरे दोस्त हैं, तो उनसे ही पता लगा”  साहिल ने सिर झुकाकर हामी में सिर हिला दिया,और बोला “अंकल,प्लीज़ पापा को..” बात पूरी भी ना कर पाया था कि जैसे वो  समझ गए और बोले “मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊँगा,चिंता मत करो” साहिल का कंधा थपथपाते हुए वो आगे बढ़ गए,और साहिल चैन की सांस लेकर, घर की ओर निकल गया****सुबह लगभग 10 बजे साहिल के मोबाइल पर फ़ोन आया,साहिल :-“हेलो“हैलो, जी मैं मीनाक्षी”साहिल:-“मीनाक्षी ..हाँ हाँ बोलो “मीनाक्षी :-“जी आपने जॉब के लिए कहा था,तो कब आ जाऊँ”साहिल:-“एक काम करो तुम शोरूम वाले एड्रेस पर आ जाओ,मैं वहीं मिलूंगा तुम्हें ठीक है”मीनाक्षी:-“जी ठीक है”साहिल:-“हम्म” बोलकर उसने फ़ोन रख दिया साहिल जल्दी से तैयार हुआ और अपने शोरूम पहुँच गया,मीनाक्षी बाहर ही खड़ी मिली,उसे देख साहिल बोला“अरे आप बाहर क्यों खड़ी हैं ,अंदर जाना था ना,मीनाक्षी -“वो मुझे लगा कि …वो “ साहिल:-“आइये मेरे साथ “कहता हुआ वो भीतर की ओर मुड़ गया,मीनाक्षी आँखे फाड़े चकाचौंध से भरे शोरूम को देख रही थी और वहाँ काम कर रहे लोगों को भी जो एक जैसी ड्रेस पहनें थे,वो उसे लेकर एक लड़की के पास आया और बोला “नीलम किसी फ्रेशर को सेल्स में एक्सपर्ट कितने दिनों में कर सकती हो तुम”नीलम सेल्स में ही थी दिखने में हँसमुख लग रही थी तपाक से बोली “वैसे तो आठ दिन में लेकिन कोई जल्दी सीखना चाहे तो शायद 4 दिनों में” साहिल :-“बहुत बढ़िया, इनसे मिलो ये मीनाक्षी है इन्हें 4 दिनों में  सेल्स में एक्सपर्ट बनाओ”नीलम :-“ठीक है सर,बना दूँगी” वो बड़े खुश होकर बोलीसाहिल :-“मीनाक्षी,नीलम की हर बात मानना ये मैडम ना जाने कितने लोगों को एक्सपर्ट बना चुकी हैं “मीनाक्षी ने मुस्कुरा कर हांमी भर दी और साहिल वहाँ से हटकर अपने केविन में आ गया, जहाँ जितेंद्र पहले से बैठा सी.सी. टी.वी. कैमरे डैस्कटॉप  में झाँक रहा  था,“अब क्या स्क्रीन के अंदर घुस जाएगा यार” साहिल के बोलने से जितेंद्र हल्का सा चौकते हुए बोला ” नहीं यार  बस्स सोच रहा था,कि देखो कितनी अच्छी लड़की है और चली थी आत्महत्या करने अगर उस दिन …”साहिल ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला“तूने उस दिन जो एहसान किया ,कभी भूलूँगा नहीं यार “जितेन्द्र:-“मैंने कोई एहसान नहीं किया,हाँ तूने उसे जॉब देकर बहुत अच्छा किया,वैसे मीनाक्षी अच्छी है ना “साहिल :-“हाँ ठीक ही है”जितेंद्र :-“बस्स ठीक “वो छेड़ते हुए बोलासाहिल :-“क्या यार तू भी,चल फिर मिलते हैं अभी घर जाना है” बोलते हुए साहिल बाहर आ गया,और जितेंद्र भी चला गया ****साहिल ने घर मे कदम रखा तो देखा उसके माता पिता में हल्की सी बहस हो रही थीविक्रांत सिंह:-“बच्चों जैसी बातें मत करो लता,कोई पहली बार नहीं जा रहा हूँ शहर से बाहर ” वो बैग लगाते हुए बोले प्रेमलता:-“लेकिन मेरा मन इतना कभी घबराया नहीं पहले,सुनिए मान जाइये और भी मौके आएंगे आगे “ विक्रांत सिंह :-“अच्छा बन्द करो ये पागलपन,जाहिल औरतों की तरह पेश मत आओ,बड़ी बिजनेस डील हो सकती है (फिर साहिल की ओर देखकर) साहिल अपनी माँ का ख्याल रखना ,सत्यजीत ने बहुत अच्छी डील फिक्स की है, मीटिंग के लिए जा रहा हूँ ,सब अच्छा रहा तो दो से तीन दिन लग जाएंगे लौटने में “ साहिल :-“ठीक है पापा ” साहिल ने इतना बोला और विक्रांत तेज़ क़दमों से घर से निकल गए,मशीनबत दो दिन सामान्य निकल गए..****दो दिन बाद,रात 1 बजे “साहिल…साहिल …जल्दी दरवाजा खोल”  प्रेमलता, साहिल के कमरे के दरवाजे पर अपने दोनों हाथ तेज़ी से मारते हुए बोलींसाहिल हड़बड़ा कर उठा और दरवाजा खोला“क्या हुआ मम्मी सब ठीक तो है”“कुछ ठीक नहीं हैं, तेरे पापा छत पर हैं और बड़ी तेज़ आवाज में हँस रहे हैं”“क्या ..छत पर ? कब आये वो बापस “साहिल ने आश्चर्य से पूछाप्रेमलता:-“मुझे खुद नहीं पता,मैंने कई आवाजें दी,लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया ,तू चल छत पर चल”साहिल  दौड़ता हुआ छत पर  गया और पीछे-पीछे प्रेमलता ,पूरी छत पर नजर दौड़ा दी लेकिन कोई नहीं, साहिल प्रेमलता के पास आकर उन्हें समझाते हुए बड़े प्यार से बोला “माँ मुझे लगता है आपने सपना देखा है “ “नहीं नहीं …यकीन कर मैंने उन्हें यहीं देखा था वो हँस रहे थे ,बरामदे के जाल से वो दिख रहे थे मैंने उन्हें कई आवाजें दी लेकिन सुना ही नहीं उन्होंने” साहिल:-“आप चिंता मत कीजिये मैं कल पता कराता हूँ कि वो बापस कब आ रहें हैं”प्रेमलता :-“फोन भी तो नहीं उठा रहे क्या करूँ” वो रोती हुई बोलींसाहिल उन्हें नीचे ले गया और अपने कमरे में लिटा उनकी सिर की मालिश करने लगा,ताकि उन्हें नींद आ जाये,लेकिन वो बुदबुदाती रहीं“जरूर वो किसी मुसीबत में हैं ,जरूर किसी मुसीबत में हैं”साहिल ने फ़ोन उठाकर अपने पिता को मिलाया लेकिन कनेक्ट नहीं हुआ.. ****अगले दिन ,साहिल शोरूम में सत्यजीत के सामने जाकर बोला “अंकल,आप पापा जी के साथ गए थे ना,वो बापस क्यों नहीं आये अब तक “? सत्यजीत :-“मैं कल रात ही बापस आया हूँ, उन्होंने मुझे ये बोलकर बापस भेज दिया कि किसी खास काम से वो नाहरगेंडा जा रहे हैं,जहाँ उन्हें अकेले ही जाना है” साहिल :-(असमंजस से) “नाहरगेड़ा,बड़ी अजीव बात है इस बारे में उन्होंने कुछ नही बताया,और उनका फ़ोन भी नहीं लग रहा है” सत्यजीत:-“(मुस्कुराते हुए) वहाँ नेटवर्क नहीं है,उन्होंने कहा था कि घर जाकर बता दूँ तुम्हें और मैडम को,मैं आने ही वाला था,परेशान मत होओ साहिल, आ जायेंगे वो एक दो दिन में”साहिल :-“हम्म ठीक है”                                                   थोड़ा उलझा सा आकर वो अपने केविन में बैठ गया,नजर सी सी टी वी मॉनिटर पर चली गयी ,नीलम किसी कस्टमर को नैकलेस दिखा रही थी,और मीनाक्षी पास ही बैठी उसे ध्यान से देख रही थी,शायद सेल्स समझने की कोशिश कर रही थी,साहिल ने थोड़ा बहुत काम करने की कोशिश भी की, लेकिन नहीं हो पाया, फिर भी इधर उधर के काम और कुछ दोस्तों को कॉल करता रहा फिर घड़ी देखी तो साढ़े 6 बजे का समय हो रहा था,मन नहीं लग रहा था,उठ कर बाहर आ गया, थोड़ी देर टहलता रहा फिर गाड़ी में बैठ उसे स्टार्ट कर लिया,उसी पल मीनाक्षी बाहर निकली और सड़क की

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वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI !

किसी और ने नहीं उसके पिता ने जगाया है उसे मौत की नींद से. . .उसका बदला लेने के लिए नहीं .. किसी और का बदला लेने के लिए! एक रेंगलर जीप ..तेज़ स्पीड से सड़क पर दौड़ती जा रही थी ,और साहिल (उम्र-30,गेंहुआ रंग ,गहरी बादामी आँखे,तीखी पतली नाक ,थोड़े चौड़े होंठ और बालों की फिलिक्स स्टाइल,लम्बाई -6 फ़ीट,शिक्षा-एम.बी.ए.) अपने दो दोस्तों के साथ जीप की खुली छत में दोनों हाथ ऊपर किये तेज़ म्यूजिक पर झूम रहा था.. एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में बीयर की कैन,उसके पास ही खड़ा जितेंद्र (उम्र 30,गोरा रंग,औसत नैन नख़्स,घुँघराले बाल ,लम्बाई-5 फ़ीट 11 इंच,शिक्षा-एम.बी.ए.)भी झूमता हुआ उसका साथ दे रहा था उसके हाथ मे भी बीयर कैन थी..और अखिल (उम्र -31,गेंहुआ रंग,लम्बाई -5 फ़ीट 10 इंच,शिक्षा -एम.बी.ए.,तीखी नाक औसत होंठ,औसत काली आंखे,छोटे बाल ) जीप ड्राइव कर रहा था…अचानक मस्ती में झूमता साहिल तेज़ आवाज़ में बोला” अखिल…क्या यार बैलगाड़ी जैसी स्पीड से चला रहा है..तेज़ कर ना स्पीड “ मुस्कुरा कर अखिल ने एक नजर उन दोनों को देखा, और तेज़ आवाज में कहा”साहिल …पहले ही स्पीड तेज़ है यार “ “नहीं यार …स्पीड तेज़ कर ना” इस बार जितेन्द्र बोलाऔर अखिल ने जीप की स्पीड और तेज़ कर दी..काफी देर से झूम रहे साहिल और जितेंद्र को देखकर अखिल तेज़ आवाज में बोला “बस्स..यार अब तुम दोंनो में से कोई यहाँ आकर ड्राइव करो..कुछ देर मुझे भी तो एन्जॉय करने दो “ “ओके ,मैं ड्राइव करता हूँ..”साहिल उत्साह में बोला और नीचे ड्राइविंग सीट पर आकर बैठने लगा..तो जितेन्द्र ने उसे टोक दिया …”नहीं यार तू पिये हुए है…जितेंद्र तू ड्राइव कर” “क्या यार …तू तो ऐसे बोल रहा है,जैसे मैंने शराब पी ली हो ,बीयर ही तो है …चल हट करने दे ड्राइव ” साहिल सीट पर बैठते हुए बोला …अब जितेन्द्र और अखिल खुली जीप में उत्साह से “युहुऊ “की आवाजें निकालते हुए खुश हो रहे थे और साहिल अपनी गहरी बादामी आँखे सामने के शीशे पर गढ़ाये तेज़ स्पीड में ड्राइव कर रहा था..कुछ ही मिनट बीते होंगे ..कि सामने से आ रही किसी आकृति को देखकर साहिल ने जीप की स्पीड धीमी कर दी…देखा वो सड़क के बीचों बीच ही चलती आ रही थी .. अब दिख लगने लगा था कि कोई लड़की है , “कौन है यार ये पागल.. साइड में क्यों नहीं हो रही ..”वो झल्लाता हुआ बुदबुदाया ..इतना बोल ही पाया था,कि ठीक सामने से एक कार तेज़ स्पीड से निकली,और उसकी फ्रंट लाइट्स की रोशनी से एक पल के लिए साहिल की आंखे चौंधिया गयी…एक जोरदार “धम्म” ….की आवाज के होते ही साहिल ने जोरदार ब्रेक लगाए..और अगले ही पल तीनों दोस्त जीप से नीचे खड़े थे… उनकी जीप से टक्कर खाई लड़की बेहोश पड़ी थी..मुँह के एक साइड से खून बह रहा था ,उसका..एक हाथ उसके पेट पर रखा था और दूसरा जमीन पर …खुले बाल थोड़े से उसके चेहरे पर और बाकी सड़क पर थे , तीनों के दिमाग मे एक साथ ..पुलिस, माता -पिता की डाँट और चिंता, खुद के हाथों में हथकड़ियां सब दिख गया, “मना किया था ना मैंने..कि बीयर पीकर गाड़ी मत चला…ये क्या कर दिया तूने”…अखिल गुस्से और डर से साहिल पर चिल्लाते हुए बोल“मैंने कुछ नहीं किया …ये खुद सामने से आकर टकराई है ..”साहिल गुस्से में बोला “कौन मानेगा ये …जरा बता तो …बड़ा शौक है ना .. तेज़ स्पीड में गाड़ी चलाने का …नतीजा देख .”.अखिल ने अपना हाथ सिर पर रखते हुए कहा “बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे पहली बार बीयर पीकर गाड़ी चलाई हो..कितनी ही बार ट्रिप पर भी तेरे साथ जाने कहाँ-कहाँ नहीं गया तब तो तुझे कोई दिक्कत नहीं हुई..और आज जब ये हो गया …तो तू भी …” “बस्स, ..बस्स करो तुम लोग ,ये लड़ने का वक़्त नहीं है बल्कि ये सोचने का है, कि कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलें” लगभग चीखते हुए जितेंद्र ने साहिल को बीच में रोकते हुए बोला और आगे बढ़कर“एक मिनट जरा देखने दो …ये जिंदा भी है ..या नहीं”जितेंद्र ने उसके हाथ की नव्ज़ देखी और बोला …”सुनों …ये लड़की जीवित है,हमें जल्दी से इसे हॉस्पिटल लेकर चलना चाहिए” “पागल हुआ है क्या…सीधे सीधे आ बैल मुझे मार वाली सलाह दे रहा है तू…पुलिस का लफ़ड़ा हो जाएगा..” साहिल ने अपने सिर के बाल नोंचते हुए कहा “मुझे लगता है..साहिल ठीक कह रहा है..हमें भाग जाना चाहिए यहाँ से” अखिल ने साहिल की बात का समर्थन किया “कैसी बात कर रहे हो तुम लोग …ये जिंदा है..छोड़ कर भागे तो ये निश्चित मर जाएगी ” जितेन्द्र आश्चर्य से बोला “तो मर जाए मेरी बला से…वैसे भी मुझे यकीन है ये …ये …सोसाइट करना चाहती थी…नहीं तो खुद आकर क्यों टकरा जाती ” साहिल ने झुंझलाते हुए बोला .. “सही कह रहा है साहिल,बहुत हुआ …चलो यहाँ से निकलते हैं ” अखिल ने चीखते हुए कहा और जीप की ओर जाने लगा..कि जितेंद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया..और बोला “तुम लोग जी लोगे …इस अपराध बोध के साथ कि अगर वक़्त रहते बचा लिया होता ,तो एक लड़की नहीं मरती…ठीक है तुम लोग जाओ …मैं इसे ऐसे मरते हुए छोड़ कर नहीं जा सकता” साहिल ने एक गहरी साँस छोड़ी और दोनों हाथों की उँगलियाँ सिर के बालों में फंसा वो जीप तक गया और जीप का पिछला गेट खोलकर थोड़ा दूर हट कर खड़ा हो गया ….जितेंद्र ने लड़की को उठाया और गाड़ी की पिछ्ली सीट पर आहिस्ता से लिटा दिया..अब अखिल ड्राइव करने लगा..साहिल उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया और जितेंद्र पीछे… “जीवन हॉस्पिटल ही यहाँ सबसे पास है वहीं चले “अखिल ने पूछा .. इस पर जितेंद्र और साहिल ने एक साथ हामी भर दी… कुछ मिनट ही बीते, वो लोग हॉस्पिटल पहुँचे…डॉ ने देखा और माथे पर बल डालते हुए बोला “ये तो एक्सीडेंट का केस लगता है..पहले पुलिस को बुलाओ”ये सुना तो जितेंद्र पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे आते हुए बोला,“ये लड़की बहन है मेरी,कोई अपनी बहन का एक्सीडेंट करता है क्या? पुलिस को हम देख लेंगें.. आप पेसेन्ट को देखिए “ शायद रात की वजह से या गुस्से में तीन लडकों को एकसाथ देखकर डॉ ने आगे कुछ

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और ‘वो’ चुनरी संग उड़ गई !

Aur ‘Wo Chunri Sang Ud Gayi ! लकड़ी की जरूरत नहीं मधुर”….और इतना बोलते ही चंद्रा ने अपना एक पैर चूल्हे में रखा और आग जला ली..ये देख मधुर डर के मारे बदहवास सा दौड़ा पानी भरी बाल्टी उठाई और चन्द्रा के पैर पर उलट दी और गुस्से में बोला“ये क्या था चन्द्रा..ये क्या किया तुमने”“इतना प्रेम करते हो मुझसे”आंखों में प्रेम भर चन्द्रा ने मधुर को देखा फिर अपना पैर दिखाते हुए बोली“देखो कहीं लेश मात्र भी जला है क्या? तो, चलिए एक जिन्नादि और मासूम इंसान की प्रेम कहानी के सफर पर .. जुगनू दूध वाला.बदहवास सा .भूत…भूत …कहे जा रहा था,उसे देख गली के कुछ बच्चे उसके पीछे पीछे दौड़े,और कुछ महिलाएं भी साथ हो लीं ..सब एक ही बात पूछ रहे थे, “जुगनू भैया हुआ क्या ? …लेकिन जुगनू कुछ बोलने की हालत में ना था..दयाल सिंह जो .प्राइमरी के मास्टर थे, उधर से गुजर रहे थे,उन्होंने ये सब देखा तो उसी ओर  मोड़ कर अपनी साइकिल की  गति तेज कर दी,और आगे से जुगनू को पकड़ लिया ,”क्या हुआ जुगनू?“भैया …वो वो …भूत वहाँ”जुगनू की ऐसी हालत देख ,दयाल सिंह ने पास के पोखर से एक बच्चे को पानी लाने को बोला,और जुगनू को जबरदस्ती पकड़ नीचे बैठा दिया,और पानी के छीटें जुगनू के मुंह पर छिटक कर बोले“आराम से जुगनू,आराम से…ये बताओ हुआ क्या”?“भैया …मधुर के घर मे भूत है” जुगनू अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए बोला“भूत.. मधुर के घर”उन्होंने चौकते हुए पूछा… “आराम से बताओ क्या देखा तुमने जुगनू ” दयाल सिंह ने जुगनू को संयत करते हुए पूछा“मैं ..रोज़ की तरह दूध देने गया था,रोज ही मुझे बर्तन बाहर रखा मिलता.. उसी में दूध पलट देता ..आज कोई बर्तन नहीं दिखा तो आवाज़ लगा दी..लेकिन जब बहुत देर तक कोई जवाब ही ना मिला.. तो किवाड़ खटखटाने  के लिए जैसे ही हाथ रखा वो अपने आप ही खुल गया..और अंदर ..अंदर मधुर भैया की पत्नी बैठी तो रसोई घर मे थी और उनके पेड़ जितने लम्बे हाथ आंगन में बने हैंडपम्प से पानी भर रहे थे”इतना कहते ही..जुगनू फिर डर से कांपने लगा, “क्या…क्या बकते हो ” ये सुन तो मास्टर जी भी डर गए“सच कह रहा हूँ भैया…रोज़ी रोटी की कसम”कसम खाते हुए जुगनू ने अपने गले की घाँटी पर हाथ रखा गांव के कई और लोग भी इस बीच आकर जुगनू की बात सुन चुके थे…“हम सबको मधुर के घर चलना चाहिए”सबने एक स्वर में कहा तो मास्टर साहब भी हामी में सिर हिलाते हुए जुगनू का हाथ पकड़  सबके साथ हो लिये….. मधुर भाई… हां मधुर को इसी नाम से जाना जाता..क्या औरतें क्या बच्चे और क्या आदमी ..पूरा कस्बा उन्हें मधुर भाई कहता.माता-पिता का देहांत तभी हो चुका था,जब वो स्नातक के विद्यार्थी थे, गुजारे के लिए आस पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे,और आगे की पढ़ाई पूरी की,उसी कस्बे में प्राइमरी के  अध्यापक बन गये…एक तो पढ़े लिखे होने की वजह से सबसे सम्मान मिलता  और साथ ही वो हमेशा दांत निकालकर बात करते ,छोटे मोटे सबके काम कर देते.. विनम्र होने की वजह से भी वो और सबके चहेते बन गए,..लगभग महीनाभर ही बीता होगा कस्बे से बाहर गए,जब बापस आये तो दुल्हन साथ ,सब लोग खुशी से ज्यादा आस्चर्य चकित हो गए,  ..परन्तु  सीधे साधे मधुर ने सबको दावत दे खुश कर दिया..था…. आधे से ज्यादा गांव ही मधुर के घर की ओर बढ़ा आ रहा था, इतने लोगों को अपनी ओर आता देख मधुर थोड़ा घबरा गया, “मधुर, तुम्हारी पत्नी साधारण स्त्री नहीं..कौन है वो”मास्टर साहब ने पास आते ही मधुर से पूछा“क्या मतलब भैया ?कैसी बात कर रहे हो ? मधुर डरते हुए बोला“पूरा कस्बा ही संशय ग्रस्त है..कि वो कोई भूत …या.. कोई..अ..अ… देखो ऐसा है….आदमी तो दूर किसी स्त्री ने भी तुम्हारी पत्नी को नही देखा..ऐसा क्यों भला” मास्टर जी बोले “ये क्या कह रहे हो भइया..ठीक है … तनिक रुको” ..”चंद्रा जरा बाहर आना” मधुर ने गुस्से में आवाज लगाई तो ,चंद्रा बाहर आयी… लाल जोड़े में ऐसी सजी थी जैसे कल ही विवाह हुआ हो,लचकती सी चाल और व्यक्तित्व की आभा  देख सबकी आंखे खुली की खुली रह गयीं, गोरे हाँथ लाल चूड़ियों से कोहनी तक भरे और लंबा घूंघट.. ..सबकी आंखे उसके हाथों पर टिक गयीं ..इतने खूबसूरत हाथ देख महिलाओं की तो बोलती बंद ..कोई मन ही मन अपने हाथों से उसके हाथों का मिलान कर दुखी तो कोई मारे जलन के कहे..ना जाने कुछ करती भी है कि नहीं … काम करती तो इतने सुंदर हाथ होते क्या..हम्म मधुर कुछ कोई काम करने ही नहीं देता होगा “औरतों में घुसर-फुसर शुरू हो गयी…लेकिन कोई तेज़ आवाज में मधुर की पत्नी से कुछ नहीं बोला और जब औरते ही कुछ न बोली…. तो आदमी तो कहे ही क्या …सबको चुप देखकर मास्टर जी का उत्साह भी जाता रहा..सो अपनी झेंप छुपाने के लिए मास्टर जी ने जुगनू के सिर पर चपत मारी और बोले “ले तू हाथ देख ले अपनी भौजाई के .. साले..सबेरे सबेरे ही चढ़ा के निकलता है”और फिर सब धीरे-धीरे वहाँ से घिसक गयेसबके निकलते ही मधुर ने अपनी पत्नी को टोका “आगे से होशियार रहना …दरवाजा खुला न रहे कभी…”..चंद्रा ने स्वीकृति में सिर हिलाया…और अपने काम मे लग गयीमधुर की अच्छाइयों से कस्बे के लोग ही नहीं चंद्रा भी प्रभावित होकर आयी थी … ##हुआ यूँ …कि सर्दियों के दिन थे ..फरवरी के महीना रहा होगा, मधुर पास के कस्बे से एक बच्चे को ट्यूशन पढ़ा कर बापस आ रहा था कि कुछ बदमाशों ने उनकी साइकिल छीन ली, हड़बड़ाया सा मधुर बिनती करते रहा ,पर बदमाशों ने उसे परे धकेल दिया ..और उसकी साइकल छीन कर ले गये,.मधुर साईकिल छिन जाने से बहुत दुखी हुआ और आँखो में आँसू भरे वहीं जमीन पर बैठ गया….इतने में किसी का हाथ उसने अपने कंधे पर महसूस किया मुड़कर देखा तो अति सुंदर महिला गहनों से सजी उसे ही देख मुस्कुरा रही थी…”क्या हुआ इतने परेशान क्यों  हो” उस महिला ने पूछा “उन बदमाशों ने मेरी साइकल छीन ली है” तो रोते हुए मधुर ने कहा“बस्स इतनी सी बात”..और इतना कहते ही अगले पल ही साइकल मधुर के सामने ……चौंक गया

kya anamika bapas aayegi
Horror Stories

क्या अनामिका बापस आएगी!

                                          1. “दरवाजा खोल.. अंकित “ “मैं कहता हूँ ..खोल दरवाजा” बहुत देर से दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे घनश्याम लेकिन अंकित दरवाजा नहीं खोल रहा था। घनश्याम मकानमालिक थे और अंकित उनके यहां किरायेदार है और 6 महीने से किराया नही दे पाया था इसीलिए आज घनश्याम बहुत नाराज थे और उनकी ये नाराजगी समझ कर ही अंकित डर की वजह से गेट नहीं खोल रहा था. “ठीक है मत खोल ..मैं भी देखता हूँ कब तक गेट नही खोलता तू यही बैठा रहूँगा दरवाजे के बाहर ” घनश्याम बरामदे में पड़े एक स्टूल पर बैठ गए. “अरे ..कभी मेरी भी तो सुना  करो ..इतनी गुस्सा अच्छी नहीं.. हालात तो समझो उसकी..अच्छा मैँ ही ऊपर आती हूँ” घनश्याम की पत्नी अंकित से खास स्नेह रखती थीं खुद का कोई बच्चा ना होने के कारण उसे खुद के बेटे जैसा मानती थीं “खबरदार, जो ऊपर आयीं ..अभी -अभी तो तुम्हारा पैर ठीक ही हुआ है..वही नीचे रहो..तुम्हारी शह से ही, इसके कान पर जूं नहीं रेंगती मेरे  कुछ भी कहने की” घनश्याम ने डांटते हुए रोक दिया सरोज को,शरीर से गोल मटोल सरोज ने अपना पैर सीढ़ी पर रखा ही था कि पीछे हटा लिया, हाल ही में पैर में फ्रेक्चर होने की वजह से उन्हें दो महीने बेड रेस्ट  पर रहना पड़ा और अभी चलना फिरना शुरू ही किया था “ठीक है नहीं आती ,पर तुम तो आओ नीचे” सरोज ने मनुहार करते हुए कहा “तुमने सुना नहीं शायद ..जब तक ये दरवाजा नहीं खोलेगा ..मुझे मेरे किराये के पैसे नहीं देगा ..नहीं आऊंगा” खीजते हुए घनश्याम को देख सरोज फुसफुसा कर बोलीं “शर्म नहीं आती तुम्हें,एक तो उसकी माँ नहीं रहीं और ऊपर से नौकरी चली गयी..और तुम हो…कि पैसे चाहिए” “पता है भागवान …लेकिन उनको गए पाँच महीने बीत गए हैं..तुम्हे तो कोई भी पागल बना दे..जरा प्यार से  ये लड़का बात क्या कर लेता है तुमसे, तुम तो बेकार में ही भावुक हुई  जाती हो ..ये नहीं समझ आता कि ये बेबकूफ़ समझता है तुम्हें” झुंझलाए से घनश्याम गले मे पड़े गमछे  से पसीना पोछते हुए बोले… “हे राम बड़ी गर्मी है यहाँ”.. आज की रात और रह ले..कल तुझे  बाहर न  निकाला तो कहना”  बोलते हुए घनश्याम जीने से नीचे उतर आए.पचपन छप्पन साल उम्र रही होगी .घनश्याम की..एक छोटी सी कपड़े की दुकान थी उनकी और स्वभाव से चिड़चिड़े और गुस्सैल थे वही उनकी पत्नी सरोज गेंहुए रंग की गोल मटोल सी शांत और भावुक महिला थीं.. अगले ही दिन घनश्याम एक तगड़े से आदमी को साथ ले आये जिसे देखकर सरोज ने प्रश्नवाचक निगाहों से घनश्याम की ओर देखा लेकिन  घनश्याम ने अनदेखा कर दिया…और सीधे सीढ़ियों से ऊपर चले गए . “देख ये रहा कमरा… तोड़ इसे और जो भी सामान है निकाल कर फेंक  दे” उसी तगड़े से आदमी को आर्डर सुना वो वहीं स्टूल पर बैठ गए…सरोज भी सीढिया चढ़ आ गयीं थीं.. “सुनो जी..ये ठीक नहीं ..वो अभी है भी नहीं और किसी के घर को उसकी अनुपस्थिति में खोलना.नहीँ  ठीक नहीं” सरोज हर सम्भव कोशिश कर रही थीं लेकिन घनश्याम अपनी जिद पर थे “किसी का घर नहीं है ये सिवाय मेरे ..समझीं तुम..और तुम आयीं क्यों ऊपर ?..पूरे पांच हज़ार रुपये खर्च हुए हैं तुम्हारे पैर पर अब तक , लेकिन तुम्हे कोई फर्क नहीं”  इतने में ही दरवाजा टूट गया..और अंकित का सामान फेंका जाने  लगा अंकित ने सड़क से आते हुए जब ये देखा तो दौड़ता हुआ आया लेकिन सब नज़ारा देख ठिठक कर रह गया…कुछ नही बोला सामान के नाम पर कुछ खास था भी नहीं.. कुछ बर्तन ,एक छोटा सा सिलेण्डर,कुछ डिब्बे ..अंकित अपने कमरे में गया और बचे हुए कपड़े समेट एक चादर में बाँध कर पोटली बना ली और सरोज के पैर छूने झुका तो बिना बोले ही उन्होंने अपनी विवशता जताई..लाल बड़ी सी बिंदी के थोड़ा नीचे दोनों तरफ छोटी सी दो आंखों में उसने अपने लिए ममता देखी  “आप ने हमेशा मेरी माँ ना होते हुए भी मेरी माँ का फ़र्ज़ निभाया..लेकिन मैं आपके लिए कुछ ना कर सका..आपसे मिलने आता रहूँगा और फ़ोन भी करूँगा” और ये बोल अंकित तेज़ कदमों से बाहर निकल गया ,सरोज ने घनश्याम की तरफ देख कर कहा “आज के बाद मुझसे बात मत करना ..हमेशा पैसा पैसा करते रहते हो ..हुम्”  और नीचे उतर गयीं.. . ….घर के पास ही सारा सामान सड़क के किनारे रख अंकित ये सोच अफसोस में था कि अगर थोड़ी मनुहार कर ली होती तो घर के अंदर होता इस वक़्त ,ज्यादा पढ़ा लिखा इंसान कोई छोटा काम भी नहीं कर सकता और उसे झुकना भी नहीं आता.. क्या जरूरत थी इतना पढ़ने की पोस्ट ग्रेजुएट हिस्ट्री में…अपने समय का कॉलेज टॉपर और हालात ये कि दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं..यू तो एक प्राइवेट इंटर कॉलेज में जॉब चल रही थी उसकी.कि माँ का देहांत हो गया…घर गया तो पूरे महीने गम और अवसाद से बाहर  ही ना आ पाया..और जब बापस हिमाचल आया तो, बिना सूचना इतनी लंबी छुट्टी के कारण उसे जॉब से बाहर निकाल दिया गया.और अब यहाँ बोर्ड के एग्जाम के बाद कॉलेज बन्द हैं… “प्लीज बात कीजिये ना..आप..मुझे लाना है.. गोल्ड मेडल हिस्ट्री में “ ये आवाज उसके कानों में पड़ी तो नजर उधर ही घूम गयी ..जरा सी दूरी पर एक लड़की फ़ोन पर बात कर रही थी ..हिस्ट्री का नाम सुना तो उसके ठीक सामने चला गया..थोड़ी सी हील वाली सेंडिल और नीलेंथ स्कर्ट के साथ वाइट टॉप ..कमर से थोड़े ऊपर तक खुले बाल  और मोबाइल हाथ मे लिए वो किसी से मनुहार कर रही थी…यूँ खुद की ओर एक लड़के को घूरते देखा तो हाथ के इशारे से पूछा “क्या है “ और अंकित “ना” में सिर हिलाते हुए बापस हो लिया.. “एक्सक्यूज़ मी..यस यू ..मिस्टर ..व्हाट्स रॉंग विद यू”? “अ ..अ ..नथिंग” अंकित ने अपनी झेंप छुपाते हुए कहा “वरन्ट यू स्टेरिंग एट मी”? “आइ एम सॉरी..इट सीमड लाइक दैट, बट.. एक्चुअली “हिस्ट्री बर्ड “ड्रेगड मी देयर इन फ्रंट ऑफ यू” “सो आर यू टू ,लुकिंग फ़ॉर टीचर”? “नो आई एम ..अ .अ टीचर इटसेल्फ” “सो?” कोई प्रतिउत्तर नही मिला उसे अंकित से, तो उसने बोलना जारी रखा.. “तो