सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट:3
तो आकर ..मुझे मेरे जिंदा होने का एहसास दिलाओ…” वो लड़खड़ाती जुबान से बुदबुदाने लगा।उसने गिलास उठाया ही था …कि कानों में पायलों की छम्म..छम्म..की आवाज आई …उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी उसने कहा ” आ गयीं तुम…” 3. उसने पीछे मुड़कर देखा उसके चेहरे का रंग फक्क पड़ गया! “प …पापा” “उल्लू… के …पठ्ठे …आज तेरे दोनों पैर तोड़कर हाथ में ना पकड़ाये तो मैं अपने बाप की औलाद नहीं” गिरीश ने गुस्से में कहा “मर गया…यार” कहते हुए रोहित घर की ओर दौड़ पड़ा “रुक …. भागता कहाँ है” कहने के साथ ही उन्होंने अपने दूसरे पैर की चप्पल भी निकालकर रोहित की ओर उछाल दी…और वो रोहित के पीछे दौड़ने लगे “अरे चाचा जी, रुकिए तो…अरे सुनिए चाचा जी…अरे या…र” आकाश कंधे पर झूलते बैग की बेल्ट को संभालता सा गिरीश के पीछे -पीछे तेज़ी से दौड़ गया.. *** “पंडित जी…” बस्स इतना बोल उर्मिला {गिरीश की बहिन} ने पूजा की थाली मंदिर के पुजारी को पकड़ा दी…पंडित ने मुस्कुराते हुए थाली पकड़ी और भगवान का भोग लगाने लगे…उर्मिला ने हाथ जोड़कर आँखे बन्द की और मन ही मन बोलीं ” तुम तो जानते ही हो भगवान..दो ही चीज़े मांगती आई हूँ तुमसे…एक मेरे भाइयों और उनके परिवार की खुशी…और दूसरा मन मे बसे उस पुराने जख्म और डर से निजात ….. बस्स यही दे दो.. भगवान बस्स यही दे दो “ जब आँखे खोली तब तक पंडित जी ने उनके लाये हुए प्रसाद का भोग लगा दिया था..उन्होंने थाली पकड़ी और मंदिर से उतरने के लिए जैसे ही सीढ़ी पर पैर रखा तो खुद की पीठ पर किसी की नजर को चुभता हुआ महसूस किया..जैसे कोई घूर रहा हो उन्हें …पीठ पर पड़े साड़ी के पल्ले को ठीक किया और जब आश्वस्त हो गयीं कि पूरी तरह पीठ ढ़की हुई है……तो घर की ओर जाते हुए उन्होंने अपने कदमों की रफ़्तार तेज़ कर दी। *** “मम्मी…आज बचा लो मुझे…” रोहित ने घर में घुसते ही कहा और पहली मंजिल पर बने अपने कमरे की ओर भाग गया “अररे…किससे बचाना है …हुआ क्या है “? लता भागती सी कमरे से बाहर निकलीं! “कहाँ गया …” कहते हुए गिरीश घर में घुसे और जैसे ही ऊपर जाने के लिए पहली सीढ़ी पर पैर रखा, कि लता उनके आगे आकर खड़ी हो गयीं “हटो सामने से ” गिरीश गुस्से में चीखे “पहले बताओ हुआ क्या है” लता तठस्थ चेहरे के साथ बोलीं “सुनोगी तो पैरों तले जमीन खिसक जायेंगी…” “ऐसा क्या किया है रोहित ने?” “पहले सामने से हटो, मेरे सिर पर खून सवार है” “हॉं हॉं देख लिया सिर पर खून …अब पहले बताओ कि हुआ क्या है?” “तो सुनो… ये गधे की औलाद पढ़ाई के बहाने लड़कियाँ छेड़ता फिरता है” गिरीश ग़ुस्से में दाँत भींचते हुए बोले “क्या” आश्चर्य से लता ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया! “हाँ ..अब हटो भी सामने से..” लता के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें थोड़ा परे कर दिया गिरीश ने “कम से कम गालियाँ तो सोच कर दिया करो…अगर वो गधे का बच्चा है …तो गधा कौन हुआ ?” गिरीश को रोकने का कोई बहाना ना सूझा तो लता ये बोलते हुए मुस्कुरा दीं, और लता के ये बोलते ही गिरीश थोड़ा झेंप गए “निरी पागल ही हो क्या…कुछ भी बोलती हो..इसमें कौन सी हँसी की बात है जो दाँत दिखा रही हो?” गिरीश, आकाश की ओर कनखियों से देखते हुए बोले …. तो इस वार्तालाप में आकाश को खड़े रहना मुश्किल लगा वो रोहित के कमरे में जाने के लिए सीढियां चढ़ गया…कमरे में जाकर देखा तो रोहित अपने कमरे में बैठा सिगरेट फूंक रहा था..आकाश को देख कर उसने अपना मुँह फेर लिया…आकाश को महसूस हो गया..कि रोहित बात करने के मूड में नहीं..तो वहीं चुपचाप बैठ गया। “वही तो…आप पर भी कोई रोक नहीं लगी है आप भी हँस सकते हैं” लता बोलीं “….देखो तो जरा …पूरा का पूरा बाजा ही बिगड़ा हुआ है घर का” गिरीश खीज़ कर बोले “.अरे जवान लड़का है झेड़ दिया होगा किसी लड़की को…” “.अरे वाह। क्या बात कही है… सुनिए ..हम भी सीधे बचपने से बुढ़ापे में नहीं आ गए …हम भी जवान थे… क्या मजाल जो किसी लड़की को नजर उठाकर देखा हो” गिरीश अपना एक हाथ ऊपर उठाते हुए खीजते हुए दंभ में बोले “हुम्म बड़े आये शरीफ..ना शक्ल ना सूरत” वो धीरे से बोलीं फिर भी गिरीश ने सुन लिया “क्या कहा तुमने “? गिरीश ने बहुत गुस्से में पूछा “कुछ नहीं ” लता डरते हुए बोलीं “..सुन लिया मैंने (थोड़े दंभ में आते हुए) तुम्हें बता दूं अपने पूरे खानदान में सबसे अच्छा दिखता हूँ मैं….खैर अब समझ आया….तो यहाँ से शिक्षा मिल रही है लड़के को ” गिरीश लता की ओर उँगली दिखाते हुए बोले “देखो अनाप-शनाप ना बोलो…कहे देती हूँ..नहीं तो “? “नहीं तो क्या….?..” “नहीं तो…” “हाँ …हाँ ..बोलो भी “ “अरे घर आकर प्यार से नहीं समझा सकते थे…सड़क से दौड़ाये चले आ रहे हो लड़के को…ये कौन से संस्कार हैं भला” लता भी तेज आवाज में बोलीं..और गिरीश को लता की बात वज़नदार मालूम हुई, …और वो एकदम संयत हो गए बात तो सही थी! लता आगे बोलीं,”घर आकर भी प्यार से बैठ कर समझाया जा सकता था…रेदते हुए लड़के को ऐसे घर तक लाना …मानो लड़का ना हुआ कोई जानवर हो गया…ये तो कोई सभ्यता की बात नहीं हुई..” ये सुनते ही गिरीश का गुस्सा जाता रहा..उन्हें कुछ देर पहले किया हुआ खुद का व्यवहार असभ्य जान पड़ा और वो पास ही पड़ी कुर्सी पर बैठ गए..लता आगे बोलीं “कुछ नहीं तो आकाश की लिहाज कर लिया होता…क्या सोच रहा होगा…ना चाय ना नाश्ता बस्स चाचा और चाची आपस में लड़े जा रहे हैं” इस पर भी जब गिरीश ने कोई जवाब नहीं दिया….तो लता भी चुप हो गयीं “…..लगता है जीजी आज आरती में रुक गयीं…मैं ही आलू प्याज़ की पकौड़ी तलती हूँ… आकाश को बहुत पसंद हैं” लता अपनी पीठ पर फैले बालों को समेट जूड़ा बनाती हुई जैसे खुद से ही बोलीं “सुनों चाय के साथ ..थोड़े पापड़ भी भून लेना” गिरीश खुद के माथे को हाथ से दवाते हुए बोले..अब वो खुद को हल्का
सीजन -2: क्या अनामिका बापस आएगी, पार्ट -2
“मरा हुआ व्यक्ति सामने आकर खड़ा हो जाये तो डर नहीं लगेगा क्या?”“परी से कैसा डर…?”“परी…?”“हाँ परी…साक्षात परी …नवीन… वो खूबसूरत थीं…अगर मैं उन्हें ना देखता तो यकीन करना मुश्किल था कि कोई इतना भी खूबसूरत हो सकता है” सुरज कहीं खोया सा बोला“अच्छा…” 2 राव इंडस्ट्रीज सूरज ऑफिस के बाहर सिगरेट पीते हुए .. अपनी ही सोच में गुम था…कैसे हो सकता है ऐसा..कैसे.आखिर मेरे बच्चे की शक्ल उससे इतनी कैसे मिल सकती है…कहीं ये मेरे मन का वहम तो नहीं..सोचता भी तो कितना हूँ उस सबके बारे में..ओह्ह लगता है सिर फट जाएगा मेरा “अरे सूरज..” आवाज से चौंक कर सूरज ने घूम कर देखा तो मुस्कुराता हुआ नवीन उसके सामने खड़ा था। “इंस्पेक्टर नवीन..तुम “ “हाँ भई, सोचता था तुमसे मिलूँ…और देखो इधर से जाना हुआ और तुम बाहर ही मिल गए” “अच्छा ..आओ ..आओ बैठो…” सूरज खाली पड़ी कुर्सी की ओर नवीन को बैठने का इशारा करते हुए बोला “कुछ परेशान से दिख रहे हो” “अ नहीं तो…”सूरज संयत होकर बोला “कुछ नई खबर सुनी?” “कैसी नई खबर..?” “राहुल शादी कर रहा है” “राहुल..राव सर का भतीजा…?” सूरज ने आश्चर्य से पूँछा “हाँ तुम्हारे राव सर का भतीजा…” “हे भगवान, किसकी किस्मत फोड़ने चला है ये ” सूरज चिढ़ कर बोला “हा हा हा..भई सही कहा ..सुना है आज ही कोर्ट मैरिज कर रहा है… “क्या आज ही..मेरा तो उसे देखते ही खून खौलता है..उसने अंकित को बहुत परेशान किया” “हम्म..अच्छा एक सिगरेट और है क्या तुम्हारे पास” नवीन ने सूरज को नाराज देखकर..उसका ध्यान हटाने के लिए पूँछा “हाँ हाँ सिगरेट की पूरी डिब्बी है ” सूरज शर्ट की जेब से झाँकती सिगरेट की डिब्बी पर हाथ रखते हुए बोला “अरे तो सूचना क्या दे रहे हो यार …दो जरा एक मुझे भी” “हम्म क्यों नहीं” कहते हुए सूरज ने दो सिगरेट जलाई, एक खुद लेकर दूसरी नवीन की ओर बढ़ा दी। “सूरज तुम्हारी दुखती हुई रग पर हाथ रखना नहीं चाहता…लेकिन क्या करूँ मन भी नहीं मानता पूछे बिना” “पूँछो ना …क्या पूँछना चाहते हो” “वैसे तो तुमने कई बार बताया है…लेकिन क्या यार सच में अनामिका बहुत खूबसूरत थी…तुम उसे देखकर डरे नहीं.” “डर किस बात का?” “मरा हुआ व्यक्ति सामने आकर खड़ा हो जाये तो डर नहीं लगेगा क्या?” “परी से कैसा डर…?” “परी…?” “हाँ परी…साक्षात परी …नवीन… वो खूबसूरत थीं…अगर मैं उन्हें ना देखता तो यकीन करना मुश्किल था कि कोई इतना भी खूबसूरत हो सकता है” सुरज कहीं खोया सा बोला “अच्छा…” “हाँ…बहुत ही ” सूरज आसमान की ओर देखकर ऐसा बोल रहा था जैसे अभी भी अनामिका को देख रहा हो “बेशक खूबसूरत ही होगी….नहीं तो अंकित उसके प्यार में ऐसे ही जान तो नहीं दे देता …वैसे तुमने अनामिका से बात की थी क्या..?” नवीन ने उत्साहित होकर कहा! “बात तो तब करता जब होश में रहता…बस्स भौचक्का होकर उन्हें देखता रह गया…मन में बहुत सी बातें आ रहीं थीं…लेकिन दिमाग जैसे बन्द हो गया था…और जुबान…वो तो जैसे सिल गयी थी” “हम्म हम्म.. हुआ होगा ऐसा ही..मैंने सुना है ऐसे व्यक्तित्व सामने वाले को बांध देते हैं..” “बाँध देते हैं..इसका क्या मतलब” “अरे मतलब वो अपनी शक्ति से कुछ ऐसा कर देतें हैं कि सामने वाला सब देख और सुन तो सकता है लेकिन कुछ कर नहीं पाता…अगर वो तुम्हें ना बाँधती तो अंकित को कैसे मार पाती” “बस्स मुझे इसी बात से नफरत है..कितनी बार कहूँ..अंकित खुद गया था इस दुनिया से अपने प्यार की खातिर…अंकित उनके बिना एक पल भी जीना नहीं चाहता था तो भला और क्या हो सकता था…और क्या करतीं वो ” सूरज गुस्से में बोला “अच्छा ..अच्छा…बापस लेता हूँ अपने शब्द तुम नाराज मत हो…क्या करूँ बहुत पछतावा होता है सोचता हूँ काश थोड़ा भरोसा और किया होता अंकित पर…काश तुम्हारी तरह उसकी मदद की होती ..तो क्या पता वो बच जाता” नवीन पछताता महसूस करता हुआ बोला तो सूरज भी शांत हो गया। “मैं भी क्या मदद कर पाया…..अंकित मेरी मौजूदगी में ही छत से कूदा था ..और मैं कुछ नहीं कर पाया” बोलते हुए सूरज की आँखों में आँसू झलक आये। “ये तो हमे लगता है कि हम उसे बचा लेते…लेकिन तुमने ही तो कहा कि अंकित एक पल भी अनामिका के बिना जीना नहीं चाहता था “ “हम्म…समझ नहीं आता कि अंकित के ना रहने का दुख मनाऊं ..या इस बात की खुशी कि उस जहाँ में ही सही उन दोनों मिल गये होंगे…लेकिन ये कसक जो मेरे मन में रह रह कर उठती है…इसका क्या करूँ..अकेला हो गया हूँ अपने यार के बिना” सूरज ने कहने के साथ ही अपने सीने पर हाथ रख लिया “हम्म…” नवीन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर थपथपा दिया…फिर दोंनो बिना कुछ बोले कुछ पल चुप रहे .. “सुनो सूरज, मैं अंकित तो नहीं हो सकता…लेकिन यकीन करो मैं अच्छा दोस्त बनने के लायक हूँ..क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जब तुम मुझसे मिलो तो मेरी वर्दी ना देखकर इसके भीतर बसे एक अच्छे इंसान को देखो” जब नवीन ने ये भावुक होकर कहा तो सूरज ने नवीन को गले लगा लिया.. “वैसे भगवान ने गलत किया हम लड़को के साथ” नवीन खामोशी तोड़ते हुए हंसकर बोला “कैसे?” “लड़कियों को इतना खूबसूरत बनाने की क्या जरूरत थी…हम बेचारे…लड़कियों की ये खूबसूरती हम लड़कों के लिए जानलेवा है” नवीन संजीदा माहौल को हल्का बनाने के लिए हंसकर बोला दुखी सूरज भी ये सुनकर तेजी से हंस पड़ा नवीन भी खुलकर हंसा! “भई कमाल बात कही है तुमने..सोलह आने सच” “तो चलो इसी बात पर एक सिगरेट और हो जाये” नवीन हँसता हुआ बोला तो सूरज ने “हां क्यों नहीं ” कहते हुए दो सिगरेटे और जला लीं। “क्या तुम्हें अंकित के पास देखकर भी ..तुमसे कुछ भी नहीं कहा अनामिका ने? ” नवीन ने उत्सुकतावश पूँछा तो सूरज को अनामिका की कही हुई बात याद आ गयी ##”सूरज …तुमने मेरे अंकित का बहुत ख्याल रखा ..इसलिए जल्दी ही तुम्हारी जिंदगी खुशियों से भर दूँगी मैं”( सीजन:-1: अंतिम पार्ट) ## और फिर एकाएक वो गंभीर हो गया..ना जाने क्यों उसे अपने नवजात बच्चे का चेहरा याद आ गया ….अब सूरज के चेहरे से हँसी गायब हो गयी थी, चेहरे का रंग स्याह हो
सीजन: 2-क्या अनामिका बापस आएगी -पार्ट:1
“क्या अनामिका बापस आएगी सीजन 2” एक ऐसी वेब सीरीज, जो आपको इसे पूरा किए बिना कहीं जाने नहीं देगी, रोमांच, डर, मौत के बाद भी अडिग मोहब्बत और टाइम ट्रेवल की सुपर रोमांचकारी सीरीज, “क्या अनामिका बापस आएगी ?” सीजन -2 ********************************** सिर्फ मनोरंजन के दृष्टिकोण से लिखी गयी वेब सीरीज है जो पूरी तरह से काल्पनिक और मेरे खुराफाती दिमाग की उपज है। जिसका किसी भी जीवित या मृत घटना से कोई संबंध या मिलान नहीं..अगर फिर भी कुछ घटनाओं का मिलान पाया जाता है।.. तो इसे मात्र संयोग ही कहा जायेगा.. कॉपीराइट एक्ट अमेंडमेंट 2012 के तहत मेरी इस कहानी के साथ -साथ मेरे द्वारा प्रकाशित हरेक कहानी के सर्वाधिकार मेरे पास (सोनल जौहरी ) सुरक्षित हैं, और अनुमति के बिना इनका कहीं भी ऑडियो, वीडियो , कहानी, लेख या इनका कोई भाग ..आदि के रूप में प्रयोग कॉपीराइट कानून का उल्लंघन है और ऐसा करने वाले व्यक्ति को 6 महीने की सज़ा या लाखों का हर्जाना, सज़ा के तौर पर देने का प्रावधान भी है। वो खूबसूरत जगह सफेद चाँदनी से जगमग हो रही थी…नीले और सफेद रंग के बादल मंडरा रहे थे…और दूर -दूर तक कोई नहीं था..हल्की खुशबूदार हवा बह रही थी…और उसी खूबसूरत दूधिया रोशनी से भरी जगह में… अनामिका और अंकित सफेद चांदनी से कपड़े पहने, एकदूसरे के गले लगकर खड़े थे…और बहुत खुश थे। “मैंने तुम्हें पा लिया हमेशा के लिए..” अंकित खुशी से चहकते हुए बोला “तुमने अपनी जान भी दे दी मेरे लिए …ओह्ह अंकित..” इमोशनल होकर अनामिका ने अंकित के कंधे पर अपना सिर रख दिया…दोनों की आँखो से खुशी के आँसू बहने लगे…और दोंनो एकसाथ शांति और ख़ुशी महसूस कर रहे थे…कुछ पल ही बीते होंगे कि उस खुशी में खलल डाला एक चकाचौंध करने वाले प्रकाश पुंज ने… दोनों का ध्यान उस प्रकाश की ओर आकर्षित हुआ और दोंनो आश्चर्य से उस प्रकाश की ओर देखने लगे लेकिन इतने तेज़ प्रकाश में दोंनो में से किसी की आंखे नहीं खुल पा रही थीं “समय आ गया है…जाओ ..एक नया जीवन इंतज़ार कर रहा है” उस तेज़ प्रकाशपुंज से आवाज गूँजी… “नहीं..हरगिज़ नहीं..मैं अनामिका के बिना नहीं रह सकता” अंकित डरते हुए बोला और उसने अनामिका का हाथ कसकर पकड़ लिया..अनामिका ने भी अंकित की बांह कसकर पकड़ ली.. “हम अलग होना नहीं चाहते…नहीं” अनामिका चीखी… तभी एक तेज़ “धम्म” की आवाज हुई..और दोनों के पैर लड़खड़ा गए .., खुद को सम्भालना मुश्किल लगने लगा..उन दोंनो को “आहहहहहह” दोंनो की चीख एकसाथ निकली..ऐसा लगा जैसे उन दोंनो को धक्का दे दिया गया हो “हे ईश्वर,…… हमें इस जन्म में मिला देना” “हमें मिला देना…. भगवाsssssन” दोनों की तेज आवाज गूँजी और गूंजती हुई कहीं गायब हो गयी। और अगले ही पल सब ऐसे शांत हो गया जैसे कभी शोर हुआ ही ना हो…सब ठहर सा गया…चांदनी अभी भी कायम थी…और खुशबूदार हवा अब भी पहले जैसी ही बह रही थी…. ** अंकित को गुजरे हुए अब लगभग सालभर होने को आया था। *** जगह:-हिमाचल। समय:- लगभग शाम 5 बजे! एक सामान्य से घर, जिसमें एक औरत जिसको देखने से ही लगता था कि उसकी गर्भावस्था पूरी हो चुकी है..कमरे में चहलकदमी कर रही है… “अरे कहाँ रह गए…. जिंदा भी हो क्या? …कब से एक कप चाय मांगी थी लेकिन…आह…किसी काम का नहीं ये आदमी” औरत गुस्से में चीखी और हाँफते हुए पास ही पड़े बेड पर बैठ गयी “हाँ…हॉं लाता हूँ..(फिर बुदबुदाकर कर) ना जाने कौन पाप का फल है …जिस दलदल से बाहर निकलने की जुगत भिड़ा रहा था …उसी में और फंसने जा रहा हूँ” फ़िर जल्दी से उसने चाय का कप पकड़ा और लपकता सा कमरे में पहुंचा “जितनी देर में तुम चाय बना कर लाये हो ना…कसम से इतनी देर में तो ना जाने क्या- क्या बना देती मैं…” वो उसे देखते ही गुस्से में भुनभुनाई “अरे चंचल ….जरा देखो तो …कितनी बढ़िया चाय बनाई है…” वो दिखावटी खुशामद करता हुआ बोला, चंचल ने उसके हाथ से चाय कप लगभग झपटते हुए ले लिया और फूंक मारकर एक घूंट भरा ही था कि “कैसी बनी है..?” उसने उत्साहित होकर पूँछा “आजतक कुछ काम ठीक से हुआ है तुमसे..जो आज ही होगा…हुम्म …लो ऐसी बनी है ” कहते हुए चंचल ने चाय का कप जमीन पर दे मारा “…ये क्या बदतमीजी है?” वो गुस्से में बोला “बदतमीजी मेरी है या तुम्हारी? जबकि मुझे हर चीज़ स्वादिष्ट मिलनी चाहिए…तब हर चीज़ बेस्वाद बना रहे हो तुम.. क्या तुम कुछ भी अच्छा नहीं बना सकते” चंचल खीजते हुए बोली “सुनो…बावर्ची नहीं हूं मैं…एक बच्ची को संभालते हुए अपनी जॉब भी कर रहा हूँ…घर का काम भी कर रहा हूँ …ये क्या कम है?” वो नाराजगी भरे स्वर में बोला “तो मैं क्या करूँ? ..नौकर रखने की हैसियत भी तो नहीं तुम्हारी” चंचल उसे हिकारत से देखते हुए बोली “हाँ अच्छी तरह याद करा दिया है तुमने मुझे…बार- बार याद दिलाने की जरूरत नहीं … “हुम्म…” चंचल ने मुंह फेर लिया दोंनो की कहासुनी से सोती हुई बच्ची जाग गयी और उठकर चँचल के पास आकर खड़ी हो गयी “दूर हटो मुझसे …जाओ अपने नकारा बाप के पास” चंचल उसे परे धकेलते हुए बोली .. “बताओ क्या खाओगी…बाहर से ले आता हूँ” वो बच्ची को गोद में उठाता हुआ बोला। और घर के बाहर निकलने लगा…अभी दरवाजे तक भी नहीं पहुंच पाया होगा कि “आsssssहहह” चंचल की दर्द भरी चीख से वो पलट गया “चँचल …क्या हुआ…?” “ले..व…र… पेन” वो कराहते हुए बोली “हम्म…हम्म.” लपकता सा वो बाहर गया…कार स्टार्ट करके घर के दरवाजे पर खड़ी की और अंदर आकर चंचल को उठने के लिए सहारा देने लगा “चलो… जल्दी बैठो कार में” “ये सुरेश भाईसाहब की कार है ना..?” चँचल कार में बैठते हुए ताने मारने वाले अंदाज में बोली “क्या करूँ…बददुआ भी तो नहीं दे सकता” वो बुदबुदाया “क्या कहा तुमने?” चंचल ने गुस्से में पूँछा, उसने कोई जवाब नहीं दिया और कार स्टार्ट कर दी..तो चंचल चिढ़ गयी “ये मत समझना कि दर्द में हूँ तो कुछ भी कह लोगे…कुछ फेंक कर मारूँगी अभी…कहे देती हूँ.. हॉं” लेकिन उसने कोई जवाब ना देकर खीजते हुए सिर झटका और कार की स्पीड बढ़ा
क्या शादी करना जरूरी है? शादी के फायदे और नुकसान!
शादी सबके लिए जरूरी नहीं है| wedding is not for everyone | Is wedding necessary for everyone| kya shadi karna jaruri hai | shadi ki fayde aur Nuksan | Benefits of wedding | Can we live without wedding | शादी एक ऐसा टॉपिक है, जिस पर भारतीय समाज में शायद सबसे अधिक चर्चा होती है! धरती पर जन्म लेने का पहला उद्देश्य खुश रहना है, जीवन को खोजना है, कुछ नया करना या गढ़ना है और इस क्रम में सबकी खुशी के स्तर अलग- अलग होते हैं! तब हम सबसे ही शादी करने की अपेक्षा (वो भी एक विशेष उम्र में) कैसे कर सकते हैं ? अगर इसके पीछे की सोच ये है कि “सब शादी करते हैं तो हमें भी करनी चाहिए” फिर तो ये महज परंपरा ढोना भर ही हुआ ना! हम सभी ने शादी के पक्ष में अब तक अनगिनत तर्क देखे और सुने होंगे साथ ही सलाह भी सुनी भी होंगी जिनमें जीवन मे शादी को कितनी तरजीह दी जाती है! कभी -कभी तो यहाँ तक लगता है कि जीवन के लिए शादी सबसे अधिक जरूरी और बड़ी घटना है ! लोगों की किसी भी चीज को लेकर अलग- अलग पसंद होती हैं! जैसे मनपसंद मिठाई, कपड़े, रंग, मूवी, एजुकेशन, विषय या प्रोफेशन! ये एक लंबी लिस्ट है ! लेकिन लोगों को या सलाहकारों को इसमें कोई आपत्ति नहीं है, उनके अनुसार लोगों की पसंद अलग- अलग होती है, और ये सहज है! लेकिन, जब यही बात शादी के बारे में हो! तो इसके लिए मान्यता है कि शादी करना सबके लिए जरूरी है! यहाँ सोचने वाली बात ये है कि, जब इस दुनिया की सभी चीजें सबके लिए नहीं हैं तो शादी जैसी बड़ी घटना सबके लिए अनिवार्य कैसे हो सकती है ? आइए, इस टॉपिक पर और डिटेल में बात करते हैं ! शादी करने के फायदे क्या हैं ? चलिए सबसे पहले शादी करने के कुछ उन फ़ायदों की बात करते हैं, जिन्हें अक्सर सलाह के तौर भी इस्तेमाल किया जाता है! – अब बात करते हैं, कि शादी ना करने के फायदों की? शादी ना करने के अनगिनत और बहुत फायदे हैं, आइए उन्हीं में से कुछ फ़ायदों के बारे में बात करें! क्या हम शादी के बिना रह सकते हैं? अगर चर्चा शादी के टॉपिक पर हो, तो इस सवाल का आना भी लाजिमी है ! तो इस सवाल को सबसे पहले खुद से ही पूंछना चाहिए! क्योंकि आपसे बेहतर इस सवाल का जवाब कोई भी नहीं दे सकता! बाकी अगर प्रामाणिकता के तौर पर देखा जाए, तो भारत में ही अनगिनत उदाहरण हैं, जिसमें ऋषि मुनि से लेकर हर दशक/ समय में ऐसे लोगों की लंबी फेहरिस्त को देखा जा सकता है! जिन्होंने अविवाहित रहकर सफलता के झंडे भी गाढ़े हैं! और शांतिदायक जीवन भी जिया है! अब ऐसा भी कोई नियम नहीं है कि अगर कोई अविवाहित रहने का निर्णय लेता है तो उसके लिए सामाजिक तौर पर किसी ऊंचे ओहदे को पाना अनिवार्य नियम है ! क्योंकि, सफल जीवन की परिभाषा भी हरेक व्यक्ति के लिए अलग ही होती है! क्या है शादी की सही उम्र ? शादी की सही उम्र भले ही कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 है! लेकिन, आज के इस competitionभरे जमाने में इस उम्र तक जरूरी एजुकेशन पूरी करके, अपने पैरों पर खड़े होना बेहद Challenging है! फिर सामाजिक परिपक्वता आना तो बहुत दूर की बात रही! ये भी सच है कि इसमें कुछ अपवाद हो सकते हैं, बाबजूद इसके भी कुछ साल Life को Explore करने के लिए मिलने ही चाहिए! ऐसे लोग जिनकी शादी जल्दी हो जाती है, वे जीवन का एक Golden Era मिस कर देते हैं, जिसका पछतावा उन्हें उम्र भर रहता है! “सच तो ये है, हरेक व्यक्ति के लिए शादी की उम्र उसकी परिस्थितियों के अनुसार होनी चाहिए, जिसमें – उम्र, सफलता और एक ऐसे साथी मिल जाना शामिल हो! जिसके लिए दिल और दिमाग दोनों कहे कि पूरी जिंदगी उस इंसान के साथ बिताई जा सकती है!“ देर से शादी करने के क्या नुकसान हैं! जब कोई कहता है कि शादी में देरी नहीं करनी चाहिये, तब इसका मतलब होता है कि देरी से शादी करने में संतानोत्पत्ति में समस्या हो सकती है! और इसकी Females में बड़ी वजह है लड़कियों का एक (Fix amount of fertility Eggs) के साथ पैदा होना! और यहाँ समस्या ये है कि Naturally उनकी बॉडी सबसे पहले Most Fertile Eggs को ही बॉडी से (Menstrual cycle) के Through बाहर निकालती रहती है! इसलिए 30 साल की उम्र के बाद, जैसे -जैसे उम्र बढ़ती रहती है प्रेग्नेंट होने में मुश्किले आने लगती हैं! इसीलिए, संतानोत्पत्ति के लिए 25 से 30 साल की उम्र को सबसे सही माना गया है! इसके अलावा देर से शादी करने में दूसरी बड़ी समस्या Couple का आपस में तालमेल ना बिठा पाना भी है! Mature होने तक किसी भी इंसान की अपने Routine और Life style के साथ जीने की आदत बन चुकी होती है, जिसे बदल पाना आसान नहीं होता! Mature होने के साथ-साथ personality में ठहराव भी आता जाता है, और इनके साथ Adjust करने में लाइफ-पार्टनर को कई बार मुश्किल महसूस हो सकती है! लेकिन Couples के आपसी प्रेम के आगे ये दोनों ही समस्याएं बहुत छोटी हैं! क्योंकि, सभी के लिए शादी के मायने अलग – अलग होते हैं! समय बदल चुका है! Couple अब एकदूसरे के प्रति संवेदनशील हो गए हैं! “कुल मिलाकर, बात किसी लड़की हो या लड़के की! शादी करना या ना करना एक निजी निर्णय होना चाहिए ! परिवार और समाज को भी इसे समझना चाहिए कि शादी बेहद व्यक्तिगत निर्णय है इसके लिए किसी पर दवाब बनाना पूरी तरह अनुचित है!” पेश हैं शादी के टॉपिक पर celebrities ने कुछ मजेदार कॉमेंट्स – -महिलाओं के लिए जरूरी नहीं है कि वो शादी करके बच्चे पैदा करें:- जया बच्चन (फिल्म अभिनेत्री) Source:-Indian express –मैं ये नहीं कहता कि शादी करना कोई गलत निर्णय है, प्रश्न ये है कि क्या आप शादी करना चाहते हैं? हरेक व्यक्ति का शादी करने का निर्णय सामाजिक दवाब ना होकर अपना होना चाहिए! – श्री सद्गुरु Source:-isha.sadguru.org
लड़कियां/महिलायें शराब क्यों पीती हैं ? ladkiyan Sharab kyun peeti hain? Why do women drink Alcohol?
(Reason, Top state in drinking, Safe drink limit for women, Most famous Alcohol Brands, famous Alcohol among women, non smell drink) आज के दौर में इसके कई कारण हैं जैसे -जिज्ञासा वश, दोस्ती का दवाब, डिप्रेशन, एन्जाइटी, पीअर प्रेशर के कारण, मदहोश होने के लिए, या आदत हो जाना इसके साथ ही बराबरी का दवाब, कई जगह अधिक ठंड से बचने के लिए भी महिलाओं को शराब पीनी पड़ती हैं ! वैसे महिलाओं के लिए शराब पीना एक पश्चिमी सभ्यता का हिस्सा भी है ! भारत में किस एज ग्रुप की महिलायें सबसे अधिक एल्कोहॉल लेती हैं ? (CADD) the Community Against Drunken Driving के अनुसार भारत की 18 से 25 वर्ष की आयु वर्ग की महिलायें सबसे अधिक शराब पीती हैं! और भारत की कुल आबादी में इनका प्रतिशत 35% है ! वहीं, 2019 में शराब पीने में महिलाओं का प्रतिशत 26% था ! भारत में कौन से शहर की महिलायें शराब पीने में टॉप पर हैं ? अरुणाचल प्रदेश में शराब पीने में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है! अरुणाचल प्रदेश में शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत 24% है ! एक दिन मे महिलाओं के लिए सेफ ड्रिंक की लिमिट कितनी है ? महिलाओं में सेफ ड्रिंक की मात्रा 1 ड्रिंक है, वहीं आदमियों के लिए 2 ड्रिंक है ! महिलाओं में शराब की अपर लिमिट पुरुषों की अपेक्षा कम क्यों होती है? इसके तीन कारण हो सकते हैं ! महिलाओं के लिए शराब का कितना सेवन हैवी ड्रिंकर की श्रेणी में आता है ? एक दिन मे 3 से अधिक ड्रिंक महिलाओं के लिए हैवी ड्रिंकर की श्रेणी में आता है ! -शराब पीने के बाद कुछ लोगों को उल्टी क्यों हो जाती है ? शराब पीने से शरीर मे पानी की कमी हो जाती है! इसके साथ ही अगर बॉडी मे पहले से ही पानी की कमी है! तो पानी की कमी से गैस तेजी से बनती है उस पर भी अगर पहले से ही अगर गैस जैसी समस्या से पीड़ित हैं तो समस्या आसानी से बढ़ जाएगी ! इसके साथ ही अगर दिन का कोई मील स्किप हो गया है और शराब के साथ कोल्ड ड्रिंक्स या सोडा का आदि का अधिक उपयोग किया है या मन ना होने के बाद भी शराब सेवन किया है तो ये बॉमिट के लिए बड़े कारण है ! महिलाओं के बीच खासी फेंमस ड्रिंक वोदका और वियर महिलाओं के बीच सबसे अधिक पसंद की जाने वाली ड्रिंक्स हैं, जहां वियर में एल्कोहॉल की मात्र 40% होती है वहीं वियर में 6-8 % होती है ! इसके अलावा महिलायें मोजिटो और कॉकटेल का आनंद भी लेतीं हैं! कुछ एल्कोहॉल के ब्रांड और उसके Price Alcohol Brands Price / Quantity Type The Macallan ₹3000/750ml Whisky Signature ₹1350/750ml Whisky Corona ₹200/330ml Beer Kingfisher ₹105/500ml Beer Bira91 ₹110/250ml Beer Heineken ₹230/650ml Beer Tuborg ₹110/650ml Beer Budweiser ₹130/750ml Beer नोट- समय के अनुसार इन दी गई कीमतों में बदलाव संभव है ! लंबे समय में शराब पीने से महिलाओं के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान क्या हैं ? इसका शुरुआती कारण तो यही है कि महिलाओं को शराब की आदत पुरुषों की अपेक्षा जल्दी लग जाती है! इसके साथ ही शराब का लंबे समय तक सेवन कई तरह से नुकसानदायक है जिसमें 2. स्किन पर झुर्रियां आ जाना 3. बालों की चमक खो जाना 4. मोटापे की समस्या 5. एन्जाइटी 6. डिप्रेशन 7. मनोदशा मे बदलाब जिसका सीधा संबंध रिश्तों पर पड़ता है 8. लिवर से जुड़ी समस्याएं 9. दिल से जुड़ी समस्याएं 10. प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं आदि शुरू हो सकती हैं ! शराब पीने के मामले में कब खतरे की घंटी का इशारा समझ जाना चाहिये अगर कुछ दिनों या महिनो की एक निश्चित सीमा तक भी खुद को शराब से दूर रखने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो ये आपके लिए खतरे की घंटी है ! और सजग हो जाने की जरूरत है ! आपको ये आर्टिकल कैसा लगा अपनी कॉमेंट जरूर दीजिए! धन्यवाद ! होम पेज अन्य पढ़ें – हॉरर स्टोरी फैमली स्टोरी ब्लॉग
वैदही गायब है! VAIDEHI GAYAB HAI- पार्ट 7
साहिल ने देखा वैदही, सत्यजीत का गला पकड़े उसे हवा में उठाये है और सत्यजीत अपनी गर्दन छुटाने के लिए तडप रहा है, साहिल ने इधर उधर देखते हुए सामने बनी एक आलमारी जल्दी से खोली जिसमें एक पिस्टल रखी दिख गयी, साहिल ने एक के बाद एक 2 -3 गोली वैदही पर चला दी… पूरे कमरे में धुंआ भरा हुआ था, और काले रंग का टीका लगाये सत्यजीत जलती हुई आग में जल्दी जल्दी सामिग्री डाल रहा था,साथ ही साहिल को गुस्से में घूर रहा था,साहिल की नजर पास ही खुली पड़ी जगह पर चली गयी जिसमें एक कॉफिन रखा था (शव को रखने वाला बॉक्स),कुछ न कुछ नकारात्मक हो रहा है इसका एहसास हो गया उसे, “आपने शोरूम का सारा सामान अपने घर पर क्यों मंगा लिया” वो गुस्से में बोला तो सत्यजीत ने अपनी एक उँगली उठा कर अपने होठों पर रख ली, और उसे चुप रहने का इशारा किया, सत्यजीत के इस इशारे से साहिल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, पास ही रखी कुछ हड्डियों पर साहिल ने अपने पैर से ठोकर मार दी और चिल्लाते हुए बोला, “ये पूजा तो नहीं है, कर क्या रहे हो ये, शोरूम का सामान कहाँ है”? साधना की सामिग्री में साहिल का ठोकर मारना सत्यजीत को बुरी तरह खिज़ा गया,सत्यजीत का पूरा चेहरा ग़ुस्से से कांप उठा और वो जोर जोर से अपने मन्त्र बोलने लगा.. “मैंने कहा मेरा सामान कहाँ है” साहिल तेज़ आवाज में चीखा, तो वही आदमी अंदर आ गया जो साहिल को भीतर आने से रोक रहा था, उसने साहिल के मुँह पर एक जोरदार मुक्का मारते हुए कहा “निकलो यहां से”और साहिल को बाहर की ओर धकेलने लगा, साहिल ने खुद को छुड़ाते हुए उसके मुंह पर बिना रुके 3 -4 घूँसे जड़ दिए , फिर उस आदमी ने साहिल पर हॉकी से वार करना शुरू कर दिया, तो साहिल ने पूरी ताकत से हॉकी रोककर उससे छीन ली और उस आदमी के एक हॉकी पीठ में मारी और दुसरीं उसके सिर पर जिससे वो आदमी बेहोश हो गया, इतने में सत्यजीत ने आकर साहिल के पीठ पर एक तेज़ लात मार दी जिससे साहिल मुँह के बल आगे की ओर गिर गया.. वो जमीन पर ही तेज़ी से पलटा और जब तक कुछ कर या सोच पाता सत्यजीत उस पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा,और ताबड़तोड़ 3 -4 घूँसे साहिल के मुंह पर दे मारे, अब तक साहिल बुरी तरफ बौखला गया था,उसने उठ कर सत्यजीत के दोनों हाथ पकड़ लिए और हाँफता हुआ बोला “मैं आपकी इज़्ज़त कर रहा हूँ और आप मुझे पीट रहे हैं..क्यों..(चीख कर) मैं पूछता हूँ क्यों?..मुझे मेरा सामान चाहिए बस्स, कितना विश्वास करतें हैं पापा आपका ..और आप छी:”? “विश्वास तो मैंने किया उस पर, कितने वक़्त गुलामी की मैंने उसकी,और उसने क्या किया ? मेरी फूल सी बच्ची से तुम्हारी शादी करने से इनकार कर दिया..एक एक रुपये के लिए मोहताज ना बना दूँ तो कहना” सत्यजीत के मुँह से ये सब सुनकर उसके होश उड़ गए ,और वो सत्यजीत के ठीक सामने आकर खड़ा हो गया “क्या….? यकीन नहीं हो रहा..तो ये सोच है मेरे पापा के लिए..कितनी इज़्ज़त करते हैं वो …यहाँ तक कि नाहरगेड़ा भी …एक मिनट( कुछ सोचते हुए)…कहाँ है मेरे पापा ..(चीखते हुए) मैं पूछता हूँ …कहाँ हैं वो” “(जोर से हँसते हुए ) वहीँ जहाँ होना चाहिए….एक जानवर की तरह दुबका बैठा है वो, और उसे एक कुत्ते की मौत मारूँगा..” सत्यजीत की क्रूर हँसी और अपने पिता के लिए कहे गए अपशब्दों को जब साहिल ने सुना तो सारी तहज़ीब एक तरफ रख सत्यजीत के मुँह पर एक झन्नाटेदार तमाचा जड़ दिया,और तेज आवाज में बोला “तुम्हारी इतनी हिम्मत…(फिर सत्यजीत का गला पकड़कर) बोलो कहाँ छुपाया है शोरूम का सारा माल..कहाँ हैं मेरे पापा” गले पर बढ़ते दवाव से बौखलाए सत्यजीत ने अपने पैर का घुटना मोड़ कर साहिल के पेट में जोर से मारा जिससे साहिल कराह उठा और उसकी पकड़ सत्यजीत पर ढीली पड़ गयी, और पकड़ हल्की पड़ते ही साहिल को नीचे गिरा सत्यजीत उसकी छाती पर बैठ गया और उसका गला दवाने लगा… ” तू मरने पर आमादा ही है तो ले मर..(साहिल की गर्दन पर और जोर लगाते हुए) तेरे माँ बाप को तो वैदही ही मार देगी..बहुत दुःख सह लिया मैंने..अब इस दौलत के साथ चैन से रहूँगा” छटपटाता साहिल अपने हाथ से फर्श पर कुछ ढूंढ़ने का कोशिश करने लगा..पूरे प्रयत्न के बाद भी वो सत्यजीत को खुद के ऊपर से हटा नहीं पा रहा था…सत्यजीत कुछ ऐसे मन्त्र भी बोलने लगा जो साहिल की समंझ से परे थे, उसे लगा ये उसका अंत है.. उसकी आँखो के सामने प्रेमलता और मीनाक्षी का चेहरा घूम गया…अखिल और जितेंद्र को याद करते हुए उसने सोचा ‘काश वो उन्हें पता पाता कि सत्यजीत ने ही वैदही को जगाया है,और वो हमें बर्बाद कर चुका है..उसने अपने अंदर की ताकत को खतम होता महसूस किया, और खुद को निढाल छोड़ दिया … अचानक घर की सारी खिड़कियां और दरवाजे हिलने लगे..ऐसा लगा एक तूफान सा घर में आ गया है…और अगले ही पल .. सत्यजीत हवा में, उसका सिर कमरे की छत को छू रहा था, साहिल ने देखा वैदही, सत्यजीत का गला पकड़े उसे हवा में उठाये है और सत्यजीत अपनी गर्दन छुटाने के लिए तडप रहा है, साहिल ने इधर उधर देखते हुए सामने बनी एक आलमारी जल्दी से खोली जिसमें एक पिस्टल रखी दिख गयी, साहिल ने एक के बाद एक 2 -3 गोली वैदही पर चला दी…गोली लगने से वैदही को कोई नुकसान नहीं हुआ उसने सत्यजीत को वहीं ऊपर से ही छोड़ दिया, और साहिल के बिल्कुल पास आकर उसे घूरने लगी, इतने में सत्यजीत दर्द से कराहते हुए चीख कर बोला ” तूने मुझ पर इस साहिल के लिए हाथ उठाया ना, देख.. ये तुझी पर गोली चला रहा है” “हूऊऊssssss…”की एक तेज़ और डरावनी आवाज निकाली उसने.. ठीक उसी वक़्त ‘धड़ाक ‘ की आवाज में दरवाजा खुला,और अखिल गुरुजी के साथ अंदर दाखिल हुआ,साहिल को उसे देख कर तसल्ली हुई लेकिन उस पर अब बेहोशी हावी हो गई.. **** “ॐ काली.. काली महाकाली …महाकाली