क्या अनामिका बापस आएगी – पार्ट -8
पार्ट -8 by Sonal Johari Details Summery ‘कहाँ चली गयी अभी तो यही देखा था मैंने उसे …शायद अनामिका का प्यार मेरे सिर चढ़कर बोल रहा है …इसलिये हर जगह वो ही दिख रही है , उसने खुद को सिर के पीछे एक हल्की सी चपत लगाई और मुस्कुराते हुए अंदर आ गया… Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt “राव सर्… यहाँ ” उसका मुंह खुला का खुला रह गया,उसने अपना हाथ माथे पर रखा ..और ये सोच कर कि कहीं धोका ना हो गया हो देखने में,फिर से देखा तो राव सर ही थे..वो उस मस्कुलर को कह रहे थे,”आज भी शराब पीकर आये हो …कैसे समझाऊँ तुम्हें” .फिर से अनगिनत प्रश्न मन मे आने लगे अंकित के,…राब सर यहाँ कैसे ? इससे सर का क्या कनेक्शन ,राव सर इसके साथ पहले कभी क्यों नही दिखे… या ये कभी ऑफिस में दिख सकता था …इतने दिनों में सर ने अपने परिवार का कोई जिक्र कभी नहीं किया…इन्ही सब प्रश्नों में डूबता उतराता अंकित घर पहुंचा दरवाजा खोलते ही सरोज बड़ी खुशी से बोली .. “अंकित देख तो जरा…”इतना बोलकर उन्होंने किचन की ओर इशारा किया…घनश्याम… उसे देख किचन से बाहर निकल आये थे…हाथ मे सब्जी से सना हुआ चमचा पकड़कर …और बोले “अंकित…जल्दी हाथ ..मुंह धोकर तैयार हो जाओ..मलाई कोफ्ते बनाये हैं आज स्पेशली तुम्हारे लिए..”बड़े खुश दिख रहे थे,.. पहली बार अंकित ने..घनश्याम को खुद,से इतने प्यार से बात करते देखा तो, एक बार को तो उसे ,यकीन नहीं हुआ..लेकिन बहुत अच्छा लगा.. “अच्छा…बस्स पांच मिनट में आया ” इतना ही बोल वो अपने कमरे के लिए सीढिया चढ़ गया… खाना खाने के बाद जब वो सोने गया तो उसके मन मे आया कि अब राव सर को पता लग जायेगा कि उसने मस्कुलर के साथ मारपीट की है तो कल का दिन उस ऑफिस में अंतिम दिन होगा… या ऐसा भी हो सकता है कि बेहद नशे की हालत में था मस्कुलर ,तो शायद उसे ना पहचान पाए… जो होगा वो देख लेगा , यही सब ..सोचते सोचते अंकित…सो गया… *** अंकित पूरी तरह से खुद को तैयार कर चुका था कि ये उसका ऑफिस में अंतिम दिन है …बचे काम निपटा देने चाहिए..ये सोचकर काम करने में जुट गया ऑफिस में कहीं भी एक्सटेंशन पर फ़ोन आता तो वो चौकन्ना हो जाता ..कि राव सर का फ़ोन तो नहीं आया..वो अभी उसे बुलवाकर बोलेंगे कि ऑफिस से निकल जाओ…ठीक है निकल जाऊँगा… लेकिन अनामिका को कोई भी तकलीफ दे,ये नहीं सहूँगा…बोल दूँगा ये ना सिर्फ उसकी फोटो लिए घूमता है बल्कि घर के बाहर जाकर उसके फ़ोटो खींचता है… इसी सोच में उलझा था कि इतने में नीरू सामने खड़े दिखी .. .”अंकित,आपको राव सर बुला रहे हैं…और आपका एक्स्टेंशन फोन काम क्यों नही कर रहा..कितनी बार ट्राई किया” नीरू को अपनी सीट छोड़कर यूँ चलकर अंकित को बुलाने आना अच्छा नहीं लगा..अंकित ने देखा तो सच में रिसीवर अलग पड़ा था.. “ठीक है जा रहा हूँ…सॉरी.. तुम्हे यहाँ तक आना पड़ा ” अंकित चाहता था वो जल्द से जल्द सामने से चली जाए ..ताकि वो सीधे अपना बैग उठाकर राव सर के पास जाए …और जब वो निकल जाने को बोलें तो सीधे वहीं से निकल जाए… “अररे कोई बात नहीं” नीरू ने झूठी मुस्कान के साथ कहा,और चली गयी..अंकित ने भी बैग उठाया और राव सर के सामने पहुंच गया. “गुड़ मॉर्निंग सर्… अंकित ने बड़े रूखे मन से कहा “गुड़ मॉर्निंग …अंकित ये बताओ …क्या राखी ने तुम्हारी कोई मदद की “? कुछ लिखते हुए ,बिना उसकी ओर देखे बोले वो “बिल्कुल की सर..बहुत की” “हम्म…तो तुम्हे नहीं लगता …तुम्हे रुचिका की मदद करनी चाहिए..वो यहाँ अभी अभी आयी है. ऑफिस के सारे मेम्बर्स को आपस मे एक परिवार की तरह मिलजुल कर रहना चाहिए…” “मैं समझ गया सर” “हम्म…कोई मीटिंग है क्या अभी …” “जी…सर …मेहता सर आने वाले होंगे… “ठीक है …तुम साथ रहना “ “जी सर “…अंकित ने राहत की सांस ली…वो जैसा सोच रहा था वैसा बिल्कुल नहीं हुआ वो केविन से बाहर आया तो रुचिका अपनी सीट पर नीरू के साथ पिज़्ज़ा खाते दिखी… वो सीधे डेस्क तक ही पहुंच गया मुस्कुराया तो रुचिका ने उसकी ओर पिज़्ज़ा बढा दिया “सॉरी …मैं पिज़्ज़ा नहीं खाता” उसने बड़ी नर्मता से कहा “थोड़ा सा तो लीजिये प्लीज़” रुचिका ने आग्रह किया तो उसने एक छोटा सा टुकड़ा उठा लिया “कैसा लग रहा है आपको यहाँ इस ऑफिस में ” उसने यूँ ही पूछ लिया ‘सब अच्छे हैं…अच्छा लग रहा हैं… बस्स आप को छोड़कर” उसने हँसते हुए कहा तो अंकित बोला “हम्म…मैं खड़ूस जो हूँ “दोनों हँसने लगे इतने में अंकित को ऑफिस के ठीक बाहर अनामिका दिखीं तेज़ी से बाहर निकला वो,आकर देखा…नहीं दिखी ..थोड़ी दूर चलकर भी देखा…लेकिन नहीं दिखी …उसने खुद से कहा ‘कहाँ चली गयी अभी तो यही देखा था मैंने उसे …शायद अनामिका का प्यार मेरे सिर चढ़कर बोल रहा है …इसलिये हर जगह वो ही दिख रही है , उसने खुद को सिर के पीछे एक हल्की सी चपत लगाई और मुस्कुराते हुए अंदर आ गया… Part-9
क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट – 7
पार्ट – 7 by Sonal Johari Summery अनामिका….बहुत…बहुत …अगर तुम स्वीकार कर लो तो इस धरती पर मुझसे ज्यादा कोई खुसनसीब नही होगा” अंकित अनामिका की ओर अपने जवाव की उम्मीद मे देखना लगा Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt “अ ….अ अनामिका… वो अ” अंकित बहुत कोशिश के बाबजूद भी कह नहीं पा रहा था “क्या… कहिए ना “ अनामिका ने मुस्कुराते हुए पूछा तो जैसे हिम्मत मिली और वो बोल गया कि “जी… मैंने एक व्हाइट ड्रेस खरीदी है…काफी दिन हुए ” “ड्रेस… क्या मेरे लिए “ उसने पास आते हुए पूछा “जी…ब्स्स यूं ही .. दिखी … अच्छी लगी… तो ले ली “ वो जल्दी से बोल गया “अच्छा…तो दी क्यो नहीं..अभी कहाँ है”? अंकित की अपेक्षा के बिलकुल बिपरीत उसने मुस्कुराते हुए पूछा “मेरे कमरे पर “ अंकित ने जवाव दिया… और मन ही मन अफसोस किया कि पहले ही ये बताने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाया “तो देर किस बात की…जाइए ले आइये “ वो अब भी मुस्कुरा रही थी “अभी…?” जैसे मानो सुनने के बाद भी यकीन ना हो रहा हो अंकित को “जी….बिल्कुल अभी… जल्दी ले आइये.. डिनर पर नही चलना ? “कहकर वो अंदर जाने को मुड गयी “ब्स्स अभी लाया “ कहता हुआ अंकित अपने घर की ओर दौड़ गया,उसे लगा जैसे वो मानो हवा मे तैर रहा हो..कुछ ही पल मे घर पहुँच गया…दरवाजा खुला था घर का, यूँ तूफानी गति से दौड़ते हुए घर मे घुसा, कि सरोज कुछ बोल पाती इससे पहले…अंकित अपने कमरे मे पहुंच गया…कबर्ड मे से ड्रेस को निकाला ..बड़े प्यार से उसे छुआ..और एक बैग मे रख.. दौड़ते हुए नीचे दरवाजे तक पहुंचा गया “क्या हुआ….. अंकित…. सब ठीक तो है “ हाथ मे जल का लोटा उठाए वो पूजा घर से उठ कर बाहर आ गयी थी …उसे देख … “हाँ हाँ …माँ सब ठीक है …. ब्स्स जल्दी मे हूँ “ भागते हुए उसने जवाव दिया …और दौड़ गया अनामिका के घर की ओर जैसे ही अंकित पहुंचा… अनामिका ने ड्रेस लेने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया और अंकित ने उसके हाथ मे पैकेट थमा दिया… वो वोली “ब्स्स दो मिनट” और अंदर चली गयी… और अंकित अपने हाथ आपस मे मलते हुए चहलकदमी करने लगा … मन ही मन ये दुआ करते हुए कि उसकी लायी हुई ड्रेस अनामिका को पसंद आ जाए और फिट भी …दो मिनट भी ना हुए होंगे कि वो सामने आ गयी..और अंकित के मन मे आया :कहीं ऐसा तो नही ड्रेस फिट ना आई हो और अगले ही सेकंड नजरों ने देख लिया ..उसकी लायी हुई वही ड्रेस पहनी थी अनामिका … बहुत खूबसूरत लग रही थी अंकित ने अपने मन में कहा …मैंने सोचा भी नही था….. कि ये ड्रेस इतना जचेंगी इस पर…अभी वो अपलक निहार ही रहा था, कि अनामिका ने… पास आते हुए कहा “ अंकित … ये ड्रेस बहुत सुंदर है…मुझे बहुत पसंद आई… बहुत अच्छी पसंद है आपकी“ और इतना बोलते हुए अपना हाथ अंकित की ओर बढ़ा दिया… अंकित ने अपना हाथ थोड़ा आगे बढ़ाया और रुक कर इशारे से पूछा {क्या अपना हाथ तुम्हारे हाथ पर रख दूँ ?} वो मुस्कुराई और पलक झपका कर “हाँ“ मे गर्दन हिलाई…. अंकित ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया..जैसे मानो एक तूफान ने हिलोर मारा हो. अंकित के अंदर,..और वो ऊपर की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर, कदम रखती हुई बढ़ने लगी . उसके कदमों से ताल मिलाता अंकित ,उसके पीछे- पीछे…जल्दी ही वो दोनों एक खूबसूरत टैरेस पर थे… हल्की ठंडी हवा चल रही थी ..सुंदर सी चाँदनी पूरी टैरेस पर बिखरी हूई थी..एक मेज पर डिनर तैयार था..और कैंडल जो एक खूबसूरत जालीनुमा डिजाइन वाले कवर से ढकी थी..उसके भीतर से छन छन कर आ रही रोशनी एक अलग ही खूबसूरती बिखेर रही थी..बादल उसे, इतने खूबसूरत… सो भी रात मे कभी नही दिखे… और ना ही चाँद इतना खूबसूरत…जैसे चाँद की रोशनी उन बादलों से होकर सीधे अनामिका पर पड़ रही हो और उसे इतना खूबसूरत दिखा रही हो… एक अच्छे मेजबान की तरह अनामिका ने आगे बढ़कर ,कुर्सी को …थोड़ा खिसका कर ऐसे ठीक किया मानो पहले गलत तरीके से रखी हो और अंकित से बैठ जाने को कहा, “मैं आपको डिनर कराने बाहर ले जाने वाला था ना…हम बाहर जा रहे थे ना”? उसने बैठते हुए कहा “हम कहीं भी जाते… बाहर बहुत लोग होते…मुझे भीड़ -भाड़ बिल्कुल पसंद नहीं….मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है….क्या ये सब आपको अच्छा नही लगा ? वो भी बिना कोई बाहरी आड्म्बर “ “बेहद …बेहद…इतना खूबसूरत नजारा मैंने अपने जीवन मे ना कभी देखा.. ना महसूस किया …अनामिका जी ……आपकी मेहनत जो आपने इस डिनर के लिए की है,जगह की पसंद और ये शाम .. वाह … मेरे पास तारीफ के लिए शब्द नही “ अंकित ने खुशी से भरकर ..आसमान की ओर दोनों हाथ फैलाते हुए ज़बाव दिया “जी… नही…. सिर्फ अनामिका कहिए “ उसने अंकित की ओर खाने की प्लेट बढ़ाते हुए कहा “अ ….ना…मि… का ” उसने शर्माते हुए कहा और प्लेट पकड़ कर अपने सामने रख ली अंकित का मन “अब कब?? इससे बेहतर मौका कब मिलेगा…बता दे अपने मन की बात…हम्म अंकित:- मैं कुछ कहना चाहता हूँ … अनामिका:-“हम्म कहिए ना” उसने खाने का निवाला मुँह मे रखते हुए कहा अंकित:- “ आप बहुत खूबसूरत हैं ,…जाने कब से… मुझे खुद एहसास नही हुआ, कि मैं कब ,तुमसे इतनी मोहब्बत करने लगा,मैं तुम्हें चाहता हूँ…और जीवन के अंतिम झण तक तुम्हें चाहूँगा….” कहते हुए अंकित अपनी कुर्सी से उठ कर कर नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया “मैं तुमसे प्यार करता हूँ ,अनामिका….बहुत…बहुत …अगर तुम स्वीकार कर लो तो इस धरती पर मुझसे ज्यादा कोई खुसनसीब नही होगा” अंकित अनामिका की ओर अपने जवाव की उम्मीद मे देखना लगा,और अनामिका जो खड़ी- खड़ी उसकी ओर ही देख रही थी ..धीमे कदमों से चलते हुए बढ़ीऔर. पास आकर अपने दोनों हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए बोली “ना प्यार करती होती … तो डिनर ऐसे टैरेस पर रखती ?..मैं भी बहुत चाहती हूँ तुम्हें” उसने मुसकुराते हुए कहा तो अंकित एक बच्चे की तरह खुश होकर बोला “सच” … “हाँ….बिल्कुल
क्या अनामिका बापस आएगी ? पार्ट –
पार्ट -6 by Sonal Johari Summery अंकित अपने मन में …”ये क्या है यार…इतना अच्छा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता मैं…तो .अब ? मुझे लगता है जो ड्रेस मैंने इसके लिए खरीदी..वो मुझे इसे गिफ्ट कर देनी चाहिए …कहीं नाराज हो गयी तो? सीधा जीरो पर चला जायेगा…और नहीं बताया तो ?…ये मौका हाथ से चला जायेगा …और इसी बीच कहीं वो मस्कुलर आ गया तो .??? नहीं नहीं “ Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt राव इंडस्ट्री के बाहर मीडिया के भीड़ लगी थी,बड़ी मुश्किल से अंकित भीतर जा पाया,सामने ही राव सर नाईट सूट में एक पुलिस इंस्पेक्टर के साथ खड़े थे,उसे देखा तो हाथ का इशारा देकर बुला लिया… “सर …संपत लाल का फ़ोन आया था….वो कह रहा था कि…” अंकित ने डरते हुए बड़ी मुश्किल से पूछा “सही सुना तुमने ….राखी नहीं रही…”उन्होंने अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “क्या ….ये नहीं हो सकता सर्… कैसे हो सकता है ऐसा” राव सर ने उसे अंदर जाने का इशारा किया और अंकित भारी कदमों से अंदर गया तो सामने ऑफिस का लगभग सब स्टाफ़ मौजूद था,पास पहुंचा तो दृश्य देख कर हिल गया,राखी निस्तेज जमीन पर नीचे पड़ी थी,उसकी आंखें अब भी खुली थी …थोड़ी दूरी पर ही उसके माता -पिता सदमे की अवस्था मे थे…. “रा…खी ….(सुबकते हुए) …ये क्या हो गया,कैसे हो गया …हम तो आज कॉफी पीने जाने वाले थे…आंखे खोलो …उ…ठो” अंकित बहुत दुख में बोला “अंकित सर….संभालिये खुद को” नीरू ने कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “नीरू …कैसे हुआ ये सब” “मुझे खुद हैरत है….कि ये सब कैसे हो गया….मुझे कुछ नहीं पता…बस्स संपत का फ़ोन आया था…और” नीरू रोने लगती है “हम्म संपत… सम्पत …कहाँ है “अंकित ,संम्पत को ढूंढ़ते हुए बाहर आता है तो देखता है कि संम्पत ,राव सर और उस इंस्पेक्टर के पास खड़ा कुछ बता रहा है,अंकित भी वही खड़ा होकर संम्पत की बात सुनने लगा “ऐसे नहीं… सिलसिलेवार बताओ कि क्या हुआ था कल” इंस्पेक्टर ने अपना काला चश्मा उतारते हुए पूँछा “राब सर कल लगभग साढ़े पांच बजे ऑफिस से निकलते हुए बोले कि ‘संम्पत ,राखी को कुछ काम है वो लेट घर जाएगी,ऑफिस में ही रहना और उसके जाने के बाद ही जाना…” संपत थूक गटकते हुए चुप हो गया.. “फिर क्या हुआ” इंस्पेक्टर ने गरजते हुए पूंछा “मैने लगभग पौने सात बजे ,राखी मैडम से पूंछा कि वो कब जाएंगी,उन्होंने कहा लगभग बीस मिनट और लगेंगे…मैं पड़ोस की बनी बिल्डिंग में चला गया,उस बिल्डिंग के गार्ड दाताराम के साथ मैं कभी -कभी बीड़ी पी लेता हूँ,…सोचा, तब तक उसी के पास बैठ लूं,थोड़ी देर में बापस आया तो मैडम की सीट पर अंधेरा था,मैंने राखी मैडम को आवाज दी ….लेकिन कोई जवाब नहीं मिला…. “फिर”? “फिर मैंने …मेंन स्विच से लाइट जलाई तो देखा वो सीट पर नहीं थी…तो यही लगा कि वो चली गयी होंगी.. फिर मैंने ताला लगाया और मैं भी चला गया….जब सुबह तड़के राब सर और राखी के पिताजी, ने मेरे कमरे पर आकर दस्तक दी ..तब हम यहाँ आये,देखा तो ….राखी मैडम ….अपनी मेज…. के पीछे ही “संपत लाल का गला रुंध आया “साले …यहाँ… नौकरी करने आता है..या…पड़ोसी से गप्पे हांकने ..” उसने सम्पत पर हाथ उछाला ही था कि राव सर उसे रोकते हुए बोले “नवीन ……माइंड योर बिहेवियर” “सॉरी सर…वो जरा…” इंस्पेक्टर नवीन ने जब अपनी तेज़ आवाज को संयत किया “मैं संपत को, इसके बचपन से जानता हूँ,इस पर शक करने का मतलब बस्स समय की बर्वादी है, इसका ये व्यवहार सामान्य है..क्योंकि अब हादसा हो गया है ,इसलिए इसकी गलती नजर आती है..राखी की डेस्क आगे से बंद (कबर्ड ) है …इसीलिए उसके पीछे कुछ नही दिखता …जब तक कि आप बिल्कुल पास ना चले जाओ .. “जी …राव सर मुझे आपका बयान भी चाहिए होगा” “हम्म…आप तो जानते है,कल मौसम खराब था,क्योंकि राखी कई बार पहले भी… मेरे, आऊट हाउस में रुक चुकी है…उन्हें लगा वही रुक गयी होगी…..राखी के पिता ने मुझे कई बार फ़ोन किया लेकिन उनका फ़ोन कनेक्ट नहीं हुआ,..फिर उन्हें चिंता हुई ,और लगभग साढ़े तीन या चार बजे के आसपास वो मेरे घर आ गए…फिर मैं उनके साथ आउट हाउस आया …वहाँ सिर्फ संम्पत था..उससे पूछने के बाद हम यहाँ आये….देखा…तो राखी….और फिर आपको फ़ोन कर दिया” अपनी बात पूरी करने के बाद राव सर वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ गए, “हम्म …” और अंकित की ओर इशारा कर “ये कौन है” “ये अंकित है ,मेरे पी. ए., हाल ही मैं जॉइन किया है,राखी इन्हें ट्रेंड कर रही थी” “मुझे इनका भी बयान लेना है” इंस्पेक्टर नवीन ने कहा “आप को जो करना है कीजिये,बस्स जल्द से जल्द राखी की मौत का पता पता लगाइए, फिर अंकित से..”.इन्हें बयान देने के बाद घर चले जाना और सबको भी जाने को बोल देना …कल देखते हैं” अंकित ने हाँ में सिर हिलाया और इंस्पेक्टर उसे एक साइड में ले गया पूछ -ताछ करने …. राखी की बॉडी को पोस्ट मार्टम के लिए ले जाया गया और … अपना बयान देने के बाद अंकित बापस अपने घर आ गया … *** उदास और परेशान अंकित पहुंच गया अनामिका के घर ,वो बाहर ही खड़ी दिख गयी ,अंकित को देखते ही बोली “आइये…बैठिये …में बस्स अभी आयी ” बोलकर चली गयी और कॉफ़ी ले कर लौटी “आपको पता लगा…”? अंकित ने बड़ी धीमी आवाज में पूछा “हम्म….न्यूज में देखा ….बहुत बुरा हुआ ” अनामिका ने अफसोस जताते हुए कहा “राखी एकमात्र दोस्त थी मेरी…वो मुझसे छोटी थी,फिर भी बेहद होशियार …हमेशा मेरी मदद करती रहती…वो भी बिना किसी अपेक्षा के …कल उसने कॉफ़ी के लिए बोला था,लेकिन मैं …कितना बुरा हूँ… जो मैंने उसे मना कर दिया…हम आज कॉफी पर जाने वाले थे” अंकित ने अपने आँसू पोछते हुए कहा “सब्र रखिये…क्या हो सकता है” थोड़ी देर चुप रहने के बाद…. “अनामिका जी,मैं कॉफ़ी नहीं पिऊंगा” अंकित ने अपने हाथों को आपस मे कसकर पकड़ते हुए कहा “क्यों… भला” “राखी को कॉफी बहुत पसंद थी…में उसे भुला नहीं पा रहा” अंकित ने दुखी स्वर में कहा “आप उसे भुलाना चाहते ही क्यों हैं..वो आपकी दोस्त थी …उसे दोस्त बनाये रखिये,भुलाना क्यों “? अनामिका
क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट-
पार्ट -5 by Sonal Johari Summery आपको तो पता ही होगा,कि कैसे जब संयोगिता ने पृथ्वीराज के पुतले के गले मे माला डाली तो उसके पीछे छिपे पृथ्वीराज ने संयोगिता का हाथ पकड़ा ,घोड़े पर बिठाया और सबके सामने उन्हें ले आये…कितना रोमेंटिक है ना”? अनामिका का यू खुशी से चहकना अंकित के चेहरे पर भी स्माइल ले आया ,और मन ही मन उसने कहा ,”बात तो ये पृथ्वीराज जी की कर रही है,लेकिन इसका , उन्हें ,इतना पसंद करना…मुझे जलन हो रही है Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt राव इंडस्ट्री का ऑफिस ठीक सामने राखी बहुत बिजी दिखी …नीरू को कुछ सलाह दे रही थी…अंकित सीधा उसके पास जाकर “गुड़ मोर्निंग, आज सुबह सुबह ही बिजी हो “ “हे अंकित,गुड़ मॉर्निंग …पता है हम एक नया क्लॉज़ ऐड कर रहे हैं,एच आर के नियम में “ अंकित:-अच्छा …क्या? राखी:-“ये …कि कोई भी कैंडिडेट जिसका बैकग्राउंड टीचिंग है,एक महीने की इंटर्नशिप करनी होगी ,इसी ऑफिस में, चाहे किसी भी पोस्ट पर आए….बाय गॉड …एक और टीचर नहीं झेल सकती में इस ऑफिस में…सबको लेक्चर देने की आदत होती है अंकित:-हा हा हा ओह्ह ..बहुत परेशान किया मैंने तुम्हें,माफ करना यार” राखी :–माफ कर सकती हूं,एक शर्त पर… अंकित:– शर्त बोलो राखी:–शर्मा कैफ़े की कॉफी पिलवाओ अंकित :–(कुछ सोचते हुए) कॉफी अभी ? अ अ …शाम को चले..कुछ फैक्स करने हैं अभी” राखी :–“ओह्ह हाँ सही कहा …काम करो तुम,…अच्छा शाम को नहीं… मुझे शाम को सांस लेने की भी फुरसत नहीं ,आज तो देर तक रुकना भी है, और तुम जल्दी निकलते हो…एक काम करते हैं…कल चलते हैं” अंकित:–“ठीक है ..कल.पक्का” राखी :– “अच्छा सुनो ,राव सर आ गए है आज जल्दी,…रोज़ फ्रूट्स सैलेड मंगाते हैं,पर कभी नहीं खा पाते,ये काम तुम्हे करना है, “मुझे कैसे “ “रिक्वेस्ट करके ,या बोल कर जैसे भी …तुम जानो… अब जाओ और प्रूब करो कि तुम्हे काम करना आ गया है ,और मुझे मुक्ति मिले …एक्स्ट्रा काम करने से” राखी ने हाथ जोड़कर नाटकीयता से कहा,तो अंकित को हँसी आ गयी,वो हँसता हुआ केविन में जाता है तो सैलेड की प्लेट देखकर “वाओ,सैलेड ,गुड़ मोर्निग सर,अगर आप इज़ाज़त दे तो खा लू”? और इससे पहले कि राव सर कुछ बोलें, अंकित ने खाना शुरू कर दिया,उसे ऐसे खाता देख राव ने अपनी फाइल साइड में रखी,और उन्होंने भी खाना शुरू कर दिया, अपना प्लान को काम करते देख अंकित खुश हो गया राव सर:-“क्या शेड्यूल है आज का”? अंकित:–आपके दोस्त और बिजनेस फ्रेंड के यहाँ एक सेमिनार है,और उसके बाद तीन मीटिंग्स राव सर:–“श्रीवास्तव के यहाँ ना “? ” जी” “हाँ फ़ोन आ गया था मुझे,उससे मेरी बड़ी जमती है,जल्दी ही लौट पाना मुश्किल है,मीटिंग कैसे होंगी” “इसीलिए… पहली मीटिंग मैंने 2 बजे रखी है सर” “हम्म…बहुत अच्छे”(मुस्कुराते हुए बोले ) “थैंक यू सर्.. अभी आता हूँ …कुछ फैक्स करने हैं” “और सैलेड?”उन्होंने प्लेट की ओर इशारा करते हुए कहा “बस्स,हो गया सर”कहते हुए अंकित ,केविन से बाहर आ गया *** सफेद शर्ट जानबूझकर पहनी अंकित ने, और पहुंच गया अनामिका के घर, सामने ही बैठी कुछ पेपर उलट-पलट रही थी,पास ही पड़े सोफे पर बैठ गया, “हेलो अनामिका जी ,क्या पढ़ रही हैं”? “हेलो,आइये…बस्स कुछ पुराने नोट्स में पृथ्वीराज चौहान के नोट्स दिखे तो पढ़ने लगी…मुझे पूरी हिस्ट्री में बस्स यही एक इंसान पसंद आया” “अच्छी बात है कोई तो पसंद आया आपको हिस्ट्री में,वैसे क्या पसंद है आपको इसमें”? “बहादुर होना,आपको तो पता ही होगा,कि कैसे जब संयोगिता ने पृथ्वीराज के पुतले के गले मे माला डाली तो उसके पीछे छिपे पृथ्वीराज ने संयोगिता का हाथ पकड़ा ,घोड़े पर बिठाया और सबके सामने उन्हें ले आये…कितना रोमेंटिक है ना”? अनामिका का यू खुशी से चहकना अंकित के चेहरे पर भी स्माइल ले आया ,और मन ही मन उसने कहा ,”बात तो ये पृथ्वीराज जी की कर रही है,लेकिन इसका , उन्हें ,इतना पसंद करना…मुझे जलन हो रही है “कहाँ पृथ्वीराज…और कहाँ “हाँ …हाँ जानता हूँ,लेकिन …ऐसा मन कर रहा है,घोड़ा खरीद लूं” “और दौड़ाएगा कहां…सड़क पर”? “तो…अब कच्ची सड़क तो बनने से रही” “वही तो…अब जमाना गाड़ी का है,कार खरीदने की सोच” “कार”? “हाँ …अच्छी सेलेरी है,ले सकता है अब” “हम्म” “अनामिका जी….आपके पेरेंट्स नही आये अब तक”उसने अनामिका से पूंछा “आप को बड़ी फिक्र है,मेरे पेरेंट्स की,कुछ दिन और लगेंगे ,उन्हें कुछ काम है वहाँ” अंकित को लगा चिढ़ गयी है तो संभालने को बोला “इधर चोरी- चकारी बहुत होने लगी है,आप अकेली रहती हैं ना,इसीलिए पूंछा” “यहाँ बिना मेरी मर्ज़ी कोई नहीं आ सकता,आप तो ये बताइये कॉफी बनाना आया या नहीं “? अनामिका के इस जवाब से अंकित को तसल्ली हुई ,सोचा कि जब वो आता है तब जिस तरह से दरवाजा खुलता है वो इस बात का सुबूत है कि सिक्योरिटी मजबूत है.. हम्म..मतलब वो मस्कुलर नहीं आ सकता) …”अ …जी नहीं बहुत कोशिश की,नहीं बनी…” अनामिका:–“तो दूसरा तरीका बताऊ कॉफी बनाने का? अंकित का मन ‘ये तुझे कॉफी सिखाकर ही मानेगी… “तो मना कर दूँ?…नहीं बताने दे ,,ऐसे ही …कम से कम सामने तो रहेगी.. “हम्म ये भी सही है…” अंकित:-“जी जी जरूर …बताइये” अनामिका:–हम्म ..देखिए …एक कप में ,एक चम्मच कॉफ़ी पाउडर और चीनी ले लीजिये फिर @@@@@@@ अंकित का मन :-आंखे खूबसूरत है इसकी और चमकीली भी … हम्म और माँ की दी हुई नथ इस पर खूबसूरत लगेंगी…हम्म बेशक लगेगी अनामिका:-फिर थोड़ा फेंटना है @@@ और जब @@ फिर @@बस्स बन गयी अंकित:–“वाह ! क्या बनी है,बहुत टेस्टी ..बहुत ही..” अनामिका:-“आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे सच में टेस्ट की हो” अंकित :–“आप ने बताई ही इतनी अच्छी तरह…वैसे आपको कॉफी के अलावा और क्या पसंद है? अनामिका:–“मुझे नॉनवेज ,बहुत पसंद है” अंकित का मन :-“ये नॉनवेज खाती है यार…तुझे नॉनवेज खाने वाली लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं” “अंकित:–इसकी बात अलग है ..ये अनामिका है,इसे इतना प्यार दूँगा कि ये नॉनवेज छोड़ देगी “हम्म…ये भी. सही है” “और फिर नॉनवेज खाना कोई पाप तो नहीं” “हम्म …सही जा रहा है” अंकित:-“मेरे ऑफिस के पास ही शर्मा कॉफ़ी शॉप है,बहुत ही टेस्टी कॉफी है उसकी ..” अनामिका:–“अच्छा.’.. अंकित:-“ हाँ …वो तो भला हो राखी का जो मुझे वहाँ ले गयी …उसे भी कॉफी का बड़ा शौक है,…” “राखी…”अनामिका ने अपनी
क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -4
पार्ट – 4 by Sonal Johari Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt जमीन पर गिरते ही होश में आया हो जैसे …सामने कोई आकृति सी दिखी ,अपनी पलकें बार -बार झपका कर देखने की कोशिश की पर कुछ नहीं दिखा ,रोशनी भी काफी हल्की थी..वो परझाई सामने आयी …”आंटी….आप?” अंकित के मुंह से निकला वो भौचक सा उन्हें देखता रहा,आंटी अभी तक हांफ रही थी..उन्होने हाँफते हुए पुछा .”क्या था ये…,मै पूछती हूँ.. छत से क्यों कूद रहा था तू”?अगर खाना लेकर सही वक्त पर नहीं आती तो ..तो .हे ईश्वर.. या तो तू..हॉस्पिटल में होता…. या ….नहीं …नहीं…बता मुझे,… क्या परेशानी है तुझे”,…उन्होंने अंकित के दोनों कंधे पकड़कर जोर से झिंझोड़ते हुए पूछा ..इतने में राधेश्याम आ गए ..पास ना जाकर थोड़ी दूरी पर खड़े रहे…उन्हें देखकर सरोज बोली “बोल…क्या घर के किराए की फिक्र है? अरे ..तुझे बेटा माना है मैंने ..जब तक तेरी मां जीवित है,तुझे इस घर से कोई नहीँ निकाल सकता…बोल… कोई और परेशानी है तो बता मुझे” उन्होंने अपनी आंखें अंकित पर टिकाते हुए पूछा “मुझे… कोई परेशानी नहीं.. बस्स मुझे लगा कि,मैं किसी को रोक रहा था और …और “और …क्या” “फिर मुझे लगा किसी ने मुझे पीछे की ओर खींच लिया …नहीं पता में यहाँ कैसे आ गया…सच” अंकित ने उठने की कोशिश करते हुए कहा तो सरोज बोलीं “मैंने पकड़ कर खींचा तुझे …तू तो जैसे कूदने पर आमादा था ….उनकी सांस अब तक तेज़ चल रही थी “क्या ???कूदने जा रहा था…छत से? मुझे सच मे कुछ याद नहीं.. लेकिन …लेकिन आप ने मुझे बचा लिया माँ” अंकित ने सरोज का हाथ पकड़ते हुए कहा ,तो सरोज उसके माथे पर हाथ रखते हुए बोली “हम्म ..समझ गयी” “क्या…” अंकित ने अपने कपड़े झाड़ते हुए पूछा “तुझे दिमागी बुखार हुआ है,कल ही सबेरे तुझे डॉ शाहदुल्ला को दिखाउंगी” “डॉ शाहदुल्ला..?” “हाँ… एक से एक दिमागी बुखार के बिगड़े केस उन्होनें ठीक किये हैं,तुझे तो चुटकी बजाते ठीक कर देंगे वो, अब ..चल नीचे ..जब तक ठीक ना हो जाये मैं तुझे अकेले नहीं रहने दूँगी” और वो अंकित की बांह पकड़ ले जाने लगीं “सुनिए तो…मैं यहीं ठीक हूँ ,अंकल जी नाराज होंगे…आप तो जानती ही हैं “अंकित ने हाथ छुटाते हुए कहा, तो वो बोली “मैं भी देखती हूँ, कैसे वो कुछ बोलते हैं..तू चल नीचे” और अंकित को पकड़ ले जाने लगीं ,बैठी हो तो उठने में ही जिन्हें कई बार तो मिनट तक का वक़्त लग जाता है ,वही सरोज ,एक हाथ से अपनी साड़ी की प्लीट्स थोड़ा ऊपर पकड़े और दूसरे हाथ से अंकित को ऐसे खींचे हुए ले जा रहीं थी जैसे वो चार या पांच साल का बच्चा हो …उसे बेड पर लिटा वो ठंडे पानी की पट्टी रखने लगीं, राधेश्याम मूक दर्शक बनें सब देख रहे थे,वही आंगन में टहलने लगे ,सरोज ने कुछ कहना चान्हा तो उन्होंने हाथ का इशारा कर उन्हें आश्वस्त किया कि वो जो कर रहीं हैं,उससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं ….सुबह ही सरोज ,अंकित को डॉ शाहदुल्ला को दिखा लाई और थोड़ी देर में ही अंकित को सामान्य लगने लगा,जैसे कुछ हुआ ही ना हो,और वो ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा ,तभी सरोज ने टोक दिया “कहाँ जा रहा हैं, कहीं जाने की जरूरत नहीं..आराम कर आज” “मां …नई जॉब लगी है ,जाना जरूरी है,…आपने इतना ख्याल रखा है,कि बिल्कुल नहीं लग रहा …कोई परेशानी थी भी …जाने दीजिए ना… जल्दी आ जाऊंगा” “अच्छा …बहुत जरूरी है क्या? एक मिनट रुक तो ..” और सामने आकर उसकी जेब मे एक हजार रूपए रख दिये,अंकित ने रुपये देखे तो भावविभोर होकर उसने सरोज की ओर देखा और रुपये लौटाते हुए बोला “आप बहुत अच्छी हैं, लेकिन मुझे पैसों की जरूरत नहीं है” “खबरदार,जो कुछ बोला,चुपचाप रख ले,और हाँ जल्दी आना शाम का खाना तेरे साथ ही खाऊँगी” सरोज ने झूठ मुठ का डाँटते हुए बोला “ठीक है माँ” अंकित ने कहा और बाहर निकल गया *** ऑफ़िस पहुँचा तो देखा,गैलरी में राखी चुपचाप अकेली खड़ी थी तो उस ओर ही चला गया,राखी को सिगरेट पीते देख बापस लौटने लगा तो राखी ने आवाज दे दी “अंकित,क्यों बापस जा रहे हो …आओ ना” जब से वो दोनों नीरू के साथ मॉल रोड घूमने गए ,तब से,फॉर्मेलिटी खत्म हुई और दोंनो “आप’ से “तुम “पर आ गए थे “कुछ नहीं ऐसे ही” “कोई लड़का सिगरेट पी रहा होता,तब भी यूँ ही चले जाते” उसने धुँआ छोड़ते हुए पूछा “शायद नहीं..” “वही तो …लड़के सिगरेट पिये तो कोई प्रॉब्लम नहीं, लड़की पी ले तो… प्रॉब्लम ..सब स्त्री सशक्तिकरण की बात ही करते हैं सिर्फ ” उसने ताने वाली हँसी के साथ कहा “.हम्म …स्त्री सशक्तिकरण … मतलब…उठाइये तलवार और काट दीजिये वो बेड़िया जो आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं, आप को ,आपकी बिल्कुल निजी इच्छाओं को मारने पर मजबूर करती हैं ..और इसमें खुद के पैरों पर खड़े होना सबसे बड़ी भूमिका निभाता है,शशक्त कीजिये खुद के मन को..ताकि वो बिना डर आपको जीना सिखाये… लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है …कि तुम जैसी ही जाने कितनी पढ़ी लिखी लड़कियो ने इसका मतलब ये समझा है, कि बस जो लड़का सामने पड़े उसे मार दो उसी तलवार से… राखी उसे यूँ रौ में बोलते हुए देख रही थी रही बात सिगरेट पीने की ..तो ये बुरी लत जरूर है ,लेकिन पाप नहीं …समझदार हो, पीना चाहो तो बेशक पियो, लेकिन इसके पीछे अगर ये सोच है,लड़के पी सकते है तो लड़कियां क्यों नहीं…तो खुद की इंसल्ट के अलावा कुछ नहीं… क्योंकि भगवान ने दुनियाभर की खूबियों के साथ लड़कियों को इस दुनिया मे भेजा है,तो मुठ्ठीभर लोगों के बोलने या सोचने से कोई फर्क नहीं पड़ता…वो बेहतर थीं …और हमेशा रहेंगी “ और
क्या अनामिका बापस आएगी? पार्ट -3
पार्ट -3 by Sonal Johari Summery वो सबके बीच आ गई नाचते नाचते . उसके पैर जादुई तरीके से थिरक रहे थे ..उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी ..एक अजीब समा बंध गया था .. लोग उसे अपलक देख रहे थे .. और उसके नृत्य से मुग्ध होने लगे थे.. अब वो नाचते -नाचते अपनी सुध -बुध खो बैठी थी.. एक अनजाना डर मधुर के मन में कौंधा और अब तक उसके पैर जमीन से ऊपर उठ चुके थे .. Language: Hindi buy on amazon Read Excerpt “राव इंडस्ट्रीज “के ठीक सामने खड़ा था अंकित..सारी ताकत बटोर गेट के अंदर कदम रखा ,नाम और अड्रेस फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद रिसेप्शन एरिया में गया तो कुछ ही लोग चलते-फिरते दिखे ,और सामने ही,आंखों पर चश्मा लगाए,प्रोफेशनल एटीट्यूड के साथ एक़ लड़की कुछ फाइलों में उलझी हुई सी..शायद यही मदद कर सके, “एक्सक्यूज़ मी,मुझे राव सर से मिलना है” “वाट्स योर नाम,डू यु हेब एनअप्पोइन्टमेन्ट”? उसने एक नज़र अंकित को देखा और फिर कुछ टाइप करने लगी “आई डोन्ट हेब एनी अप्पोइन्टमेन्ट,स्टिल आई वांट टू मीट हिम” “व्हॉट”? उसने चिढ़ते हुए कहा इतने में एक साठ-बासठ साल की उम्र के एक दुबले पतले लेकिन स्मार्ट से आंखों पर सुनहरी फ्रेम का चश्मा पहने राव सर ,फ़ोन पर बात करते हुए उस डेस्क के पास आये, “राखी, फैक्स नहीं किया क्या अभी तक..श्रीवास्तव को?” “आइ एम सॉरी सर,बस्स करने ही वाली थी कि ,ये…ये आपसे बिना अपॉइंटमेंट मिलना चाहते थे” राखी ने इशारा कर बताया तो राव सर ने अंकित से खुद पूछ लिया “हाँ कहिए …वैसे कहाँ से आये हैं आप?” “सर् …बस्स दो मिनट बात करनी थी” अंकित ने रिक्वेस्ट की,लेकिन राव सर फ़ोन पर किसी को जवाब देने लगे ‘हाँ ..हाँ श्रीवास्तव जी,इतने भी क्या अधीर हो रहें हैं आप,बस्स करने ही वाली हैं राखी आपको फेक्स…हाँ सही कहा ..हा ..हा आपने ,बहुत जरूरत है पर्सनल असिस्टेंट की..कल रखवाए हैं इंटरव्यू ,देखो ..कोई अच्छा सा कैंडिडेट मिले…” फिर अंकित की तरफ देखकर उन्होंने अंदर आने का इशारा किया और केविन में चले गए…पीछे पीछे अंकित भी, …..वो जिस कमरे में रहता है उससे तो तीन गुना बड़ा राव सर का केविन ही था,उनकी सीट के ठीक पीछे एक नेचुरल सीन की पूरी दीवार पर उभरी हुई सीनरी बनी थी जोकि बहुत खूबसूरत थी,झरने से बहता हुआ पानी बिल्कुल असली सा लग रहा था,बाई तरफ जहां एक बड़ा सा असली फूलों का फूलदान लगा था,तो दूसरी तरफ गौतम बौद्ध का बड़ा सा स्टेचू ,राव सर अब भी फ़ोन पर बात कर रहे थे,बड़ी सी टेबल पर कुछ फाइलें और एक कंप्यूटर भी रखा था,और वहीं पड़ी चार खूबसूरत कुर्सियों में से एक पर वो बैठा था,कुर्सियों के पीछे फिर एक बड़ा सा सोफा और छोटी सी टेबिल… “आपने बताया नहीं, कहाँ से आये हैं आप ?” राव सर ने अपना फोन रखते हुए कहा “सर,एक वेकेंसी है आपके यहाँ.. पर्सनल असिस्टेंट की..मैं.. आपका असिस्टेंट बनना चाहता हूँ” “व्हाट नॉनसेंस.. ये क्या तरीका हुआ,कल से इंटरव्यूज हैं आप तरीके से आइये, आप ऐसे कैसे ? ..मुझे लगा आप किसी कंपनी से आये हैं” राव सर ने गुस्से में कहा “सर प्लीज़ अब जब ऐसे अंदर आने का मौका आपने दे ही दिया है तो बस दो मिनट दे दीजिए,मै खुद चला जाऊंगा” “ठीक है बोलिये “उन्होंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा “कल बहुत केंडिडेट आएंगे मेरा नम्बर आते आते या तो आप पहले ही एक राय बना लेंगे,या फिर बोझिल हो जाएंगे तब तक,और मुझे बोलने का मौका नहीं मिलेगा,में हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुऐट हूँ ,दो साल का इंग्लिश मीडियम स्कूल में इंटरमीडिएट तक बच्चों को पढ़ाने का अनुभव है,मतलब मुझे इंग्लिश आती है लोगों के बीच काम कर सकता हूँ, मैं घड़ी के मुताविक काम नहीं करूंगा बल्कि बिना टाइम देखे काम करूंगा,जो सैलरी मिलेगी वो बड़ी खुशी से स्वीकार करूंगा, अनुभव जरूरी है लेकिन जहाँ काम की काबलियत, जुनून ईमानदारी के साथ हो तो अनुभव से भी बढकर होता है में जल्दी सीखता हूँ तो ट्रेनिंग की भी जरूरत नही है ,मुझे ये जॉब चाहिए ही चाहिए सर” “हम्म..हो गया…समय पूरा हो गया..और आपकी बात भी,अब आप जा सकते हैं” उन्होंने बड़े शांत भाव से कहा,ये सुनकर अंकित निराश हो गया,और सिर झुकाए बाहर जाने लगा जैसे ही गेट पर पहुंचा कि राव सर ने आवाज लगा दी “रुकिए,अगर मेरा ख्याल भी रखना पड़े तो ,रख पाएंगे ? राव सर ने मुस्कुराते हुए कहा तो अंकित के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी,उन्होंने कहना जारी रखा, “पांच दिन ट्रायल पर रखूंगा तुम्हे,और अगर तुम खरे नहीं उतर पाए तो, ऐसे ही मुस्कुराते हुए बापस जाओगे , क्या ये वादा कर सकते हो?” “बिल्कुल सर्, लेकिन मुझे यकीन है..ऐसी नौबत नहीं आयेंगी” “वेलकम इन राव इंडस्ट्रीज मिस्टर अंकित..” “थैंक यू वेरी मच सर ,मुझपर भरोसा करने के लिए भी बहुत धन्यबाद” उसने बहुत खुश होकर हाथ मिलाया ” आपकी सैलेरी पांच दिन बाद तय करुंगा, कल 9 बजे आप, यहीं मिलेंगे मुझे…बाकी फॉर्मेलिटीज राखी बताएंगी आपको, उससे मिलते हुए जाना..गुड़ लक” “बाहर आकर राखी से बात की अंकित ने, और लगभग दौड़ते हुए मेंन गेट से बाहर आ गया…. फिर दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा उसे यकीन नहीं हो रहा था,कि उसे अभी अभी जॉब मिली है,मन ही मन अपनी माँ को याद करते हुए ,उसने सोचा कि मिठाई लेनी चाहिए दुकान पर जाकर खुद में बुदबुदाया’क्या लूं, ना जाने अनामिका को क्या पसंद हो’ “लड्डू” अनामिका की आवाज सुनाई दी हो जैसे पीछे मुड़कर देखा कोई नहीं दिखा, उसने सोचा मन कि आवाज है सो दो जगह लड्डू ही पैक करा लिए ,एक सरोज आंटी के लिए और दूसरा अनामिका के लिए ,एक बार को दिमाग मे आया कि पैसे नहीं बचेंगे,लेकिन मिठाई लेनी ही थी सो लेकर दौड़ गया अनामिका के घर हर बार की तरह गेट खुद खुल गया,और खुशी से आवाज दी “अनामिका.. जी “ “हे..लगता है गुड़ न्यूज़ है” उसने चहकते हुए कहा,वो आज भी सफेद ड्रेस पहने थी.. “हम्म,अनामिका जी,समझ नहीं आता कैसे आपका शुक्रिया अदा करूँ, मुझे जॉब मिल गयी है,सब सपने जैसा लग रहा है,ये देखिए आपके लिए मिठाई लाया था” “आप डिसर्विंग हैं अंकित जी,मुझे तो पहले ही पता था,